सोशल मीडिया से पता लगती है आआपा में बढ़तीं दूरियाँ
18 जून से लेकर 15 अगस्त के बीच केजरीवाल ने आशुतोष के महज दो और खेतान के महज तीन ट्वीट को रीट्वीट किया. ये उन नेताओं के मुकाबले काफी कम है, जिन्हें केजरीवाल का भरोसा हासिल है
अगर बॉस के ट्वीट और रीट्वीट किसी की लोकप्रियता का पैमाना बनें, तो समझा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी में आशुतोष और आशीष खेतान की क्या हालत थी. यह समझा जा सकता है कि कैसे ये दोनों पार्टी चीफ अरविंद केजरीवाल के लिए अहमियत के पैमाने पर नीचे आते रहे. दोनों ने ही पिछले दिनों पार्टी से इस्तीफा दे दिया है.
पत्रकार से नेता बने ये दोनों ही पहली बार राजनीति में आए थे. लेकिन धीरे-धीरे इनकी अहमियत पार्टी में कम हो रही थी. मुख्यमंत्री के ट्विटर टाइमलाइन पर नजर डालें, तो टॉप लीडरशिप के साथ इन दोनों के कमजोर पड़ते रिश्ते का अंदाजा लगता है. 18 जून से लेकर 15 अगस्त के बीच केजरीवाल की टाइमलाइन का विश्लेषण काफी कुछ साफ करता है. लगभग दो महीने में केजरीवाल ने आशुतोष के महज दो और खेतान के महज तीन ट्वीट को रीट्वीट किया. ये उन नेताओं के मुकाबले काफी कम है, जिन्हें केजरीवाल का भरोसा हासिल है.
ट्विटर पर केजरीवाल के 14 मिलियन, मतलब 1.4 करोड़ फॉलोअर हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद वो सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले राजनेता हैं. केजरीवाल ने अपने राजनीतिक करियर में माइक्रोब्लॉगिंग साइट का बहुत अच्छी तरह इस्तेमाल किया है. वो लगातार ट्वीट करने वाले राजनेता हैं. पार्टी की गतिविधियों पर नजर रखने वाले मानते हैं कि एक समय बहुत भरोसेमंद माने जाने वाले इन दोनों की अनदेखी करना काफी कुछ साफ करता है.
18 जून से 15 अगस्त के बीच केजरीवाल ने पार्टी सदस्यों के 102 ट्वीट को रीट्वीट किया. इसमें मनीष सिसोदिया के तमाम ट्वीट शामिल हैं. इसके अलावा पत्रकारों के 80 और अन्य पार्टियों के 11 ट्वीट को रीट्वीट किया है. इनमें उनके अपने ट्वीट और कुछ बाकी रीट्वीट शामिल नहीं हैं. उन्होंने सिसोदिया को 31 बार रीट्वीट किया. दिल्ली यूनिट के मुख्य प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज को 19 बार रीट्वीट किया.
कुमार विश्वास से दूरियां बढ़ने के बाद भी केजरीवाल ने ऐसा ही किया
माना जाता है कि केजरीवाल अपने ट्विटर हैंडल को खुद ही चलाते हैं. वो आमतौर पर ऐसे ट्वीट को रीट्वीट करते हैं, जो दिल्ली सरकार के कामों की तारीफ करते हुए हों. या फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के कामों की आलोचना करते हुए हों. पार्टी सूत्रों के मुताबिक जब केजरीवाल और कुमार विश्वास के बीच दूरियां बढ़ी थीं, तो केजरीवाल ने उनके ट्वीट भी रीट्वीट करने बंद कर दिए थे.
माना जा रहा है कि आशुतोष और आशीष खेतान ने 15 अगस्त को इस्तीफा दे दिया था. हालांकि आशीष खेतान ने हटने की घोषणा बाद में की. केजरीवाल ने अभी तक इस्तीफे स्वीकार नहीं किए हैं. जब 15 अगस्त को आशुतोष ने इस्तीफा दिया, तब केजरीवाल ने ट्विटर पर जवाब दिया था, ‘हम आपका इस्तीफा कैसे स्वीकार कर सकते हैं सर? इस जन्म में तो नहीं. सर, हम आपसे प्यार करते हैं.’
आशुतोष को केजरीवाल का करीबी माना जाता रहा है. तमाम विद्रोही नेताओं से बैक-डोर बातचीत में भी आशुतोष का रोल रहा है. केजरीवाल ने खेतान और आशुतोष के जरिए योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण से चल रहे विवाद को सुलझाने की कोशिश की थी. पार्टी में जानकारों का कहना है कि सीनियर नेताओं में असंतोष तबसे बढ़ रहा था, जबसे सुशील गुप्ता और एनडी गुप्ता को राज्यसभा भेजने का फैसला किया गया. इन दोनों के साथ संजय सिंह को राज्यसभा भेजा गया था.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक आशुतोष, खेतान और कुमार विश्वास बिजनेसमैन सुशील गुप्ता और सीए एनडी गुप्ता को राज्यसभा भेजे जाने से नाराज थे. बाद में, पार्टी ने 2019 लोक सभा चुनावों के लिए पंकज गुप्ता को चुना. पिछली बार यानी 2014 में इस सीट से आशुतोष लड़े थे. कहा यह भी जा रहा है कि खेतान भी खुद को नई दिल्ली लोक सभा सीट से न लड़ाए जाने का फैसला होने पर नाराज थे. खेतान यहां से लड़े थे और हारे थे.
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