पत्रकारों को झूठे मुकदमे दर्ज कर फंसाया जा रहा है

(श्रवण सिंह राठाैड़ दासपां )
एससी एसटी एक्ट का बाड़मेर के पत्रकार दुर्ग सिंह जी के खिलाफ बिहार में मुकदमा् दर्ज कराने वाला खुद ही मुकर गया। वो परिवादी बोल रहा है कि मुझे तो पता ही नहीं। मैं कभी बाड़मेर आया ही नहीं। दुर्ग सिंह राजपुरोहित को जानता ही नहीं हूं। मैंने तो मुकदमा ही दर्ज नहीं कराया। इस झूठे प्रकरण में दुर्ग सिंह जी राजपुरोहित गिरफ्तार हो कर बिहार की जेल में बंद है। ये क्या हो रहा है इस देश में। पत्रकारों को झूठे मुकदमे दर्ज कर फंसाया जा रहा है। कोई सुनने वाला नहीं है। क्या भाजपा सरकार इतनी कमजोर और डरपोक है, जो ऐसे घटियापन पर उतर आई है।
मतलब साफ है कि ये राजनीतिक षड़यंत्र के तहत परिवादी राकेश पासवान के किसी स्थानीय विवाद में मदद का बोलकर साइन करवाकर वहां के एक बड़े भाजपा नेता (मेयर ) ने दुर्ग सिंह के खिलाफ ये झूठी कारवाई करवाई है। भला बिहार के मेयर से बाड़मेर के दुर्ग सिंह से क्या दुश्मनी होगी ? क्या ये महामहिम राज्यपाल ने डोरा करने की कोशिश करवाईं थी ?? भगवान जाने? वैसे भी झूठ पांव नहीं होते हैं। सच्चाई सामने आ रही है। सब षड़यंत्र रचने वाले बेनकाब होंगे।
मैं राजस्थान सरकार से मांग करता हूं कि वो इस षड़यंत्र में सहयोग करने वाले बाड़मेर पुलिस अधीक्षक को तत्काल प्रभाव से हटाए। थोड़ी भी शर्म बची हो तो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच करानी चाहिए। इस प्रकरण में चुप्प बैठकर तमाशा देखने वालों को भी अपनी अंतरात्मा से सवाल करना चाहिए। मैंने पहले दिन जब इस प्रकरण को सबसे पहले सोशल मीडिया और अपने दिल्ली और बिहार के पत्रकार मित्रों के माध्यम से उठाया तब मुझे कुई लोगों ने मना किया था कि दुर्ग सिंह जी की छवि अच्छी नहीं है, इसलिए आपको ऐसे व्यक्ति की पैरवी नहीं करनी चाहिए ! मैं सुनता सबकी हूं, करता अपने मन की हूं। मेरा मानना है कि हमें गलत को ग़लत और सही को सही बोलने की आदत डालने की जरूरत है। आज दुर्ग सिंह जी अंदर है, कल आपका नंबर भी लग सकता है। फिलहाल नितिश कुमार के नेतृत्व वाली भाजपा की भागीदारी वाली बिहार सरकार और वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार एससी-एसटी एक्ट के इस झूठे प्रकरण के लिए पूरी तरह दोषी है। हमें सरकार के इस नंगेपन के खिलाफ लोकनिंदा के माध्यम से विरोध करना चाहिए।
सत्यमेव जयते।

मोदी सरकार की ओर से संशोधित करके लागू किए गए एससी एसटी एक्ट के प्रभावशाली लोगों की ओर से दुरुपयोग का यह संभवतया पहला मामला है। बाडमेर के वरिष्ठ पत्रकार दुर्ग सिंह राजपुरोहित के खिलाफ दर्ज एफआईआर को मैंने पढ़ा है। अपने क्राइम रिपोर्टिंग के इतने सालों के अनुभव के आधार पर दावे से कह सकता हूं कि ये फर्जी और मनगढ़ंत प्रकरण है, जिसमें बिहार और राजस्थान पुलिस ने बड़े दबाव में फर्जी तरीके से ये गिरफ्तारी की गई है। अगर निष्पक्ष जांच हुई तो कई बड़े चेहरे बेनकाब होंगे और कई सलाखों के पीछे जाएंगे। बिहार के राकेश पासवान नाम के एक कथित मजदूर ने दुर्ग सिंह के खिलाफ बिहार में एफ आई आर दर्ज कराईं है। जिसमें आरोप लगाया है कि दुर्ग सिंह ने 7 मई को बिहार आकर नीच पासवान जाति का बोलकर अपमानित किया। साथ ही घर से बाहर निकालकर मारपीट की। रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि दुर्ग सिंह का बाड़मेर में पत्थरों समेत कई तरह के व्यवसाय है। आरोप के मुताबिक पासवान बाड़मेर में दुर्ग सिंह के वहां मजदूरी करता था। छह महीने काम करके बिना मजदूरी लिए वो बिहार चला गया। दुर्ग सिंह 15 अप्रेल को बिहार उस मजदूर को लेने गया। रिपोर्ट के मुताबिक मजदूर ने माता पिता की बीमारी का हवाला देकर बिहार से बाड़मेर आने के लिए मना कर दिया। इसके बाद दुर्ग सिंह फिर 7 मई को 3-4 अज्ञात लोगों को लेकर बिहार राकेश पासवान के घर आकर बाड़मेर जबरन ले जाने के लिए धमकाने लगा। घर से घसीटकर बाहर ले कर आए। नीच जाति का बोलकर मारपीट की। मेरे 75 हजार मज़दूरी के भी नहीं दिए। ……………………………………….
बिहार में ये एफआई आर दर्ज होने के बाद कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी हो जाता है। उस वारंट को पटना के एसपी ने गंभीरता से लेते हुए तुरंत बाड़मेर एसपी को जरिए ईमेल और वाट्स अप के भिजवाया गया। एसपी बाड़मेर ने प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए एसपी ने रीडर के जरिए दुर्ग सिंह को उपस्थित होने की सूचना भिजवाई। दुर्ग सिंह जी तुरंत बाड़मेर एसपी आफिस गए। एसपी ने बिठाने कै बोला। दुर्ग सिंह को इतला दी कि आपके खिलाफ पटना में एससी एसटी एक्ट और अमानत में ख़यानत का प्रकरण दर्ज हुआ है। दुर्ग सिंह ने बोला कि मेरी तो सात पीढ़ियों में से कोई भी आज तक पटना नहीं गया है। उधर एसपी ने ग्रामीण थाने के एसएचओ को बुलाकर दुर्ग सिंह को एक हैड कांस्टेबल और दो सिपाहियों के साथ पटना लेकर जाने के निर्देश दिए गए। तुरंत एक हैड कांस्टेबल और दो सिपाही एक प्राइवेट गाड़ी करके दुर्ग सिंह जी को लेकर बाड़मेर से पटना रवाना हो गए। फोन ले लिया गया। राजस्थान पुलिस गाली गलौज के गंभीर मामले के मुलजिम दुर्ग सिंह को ले जाकर पटना पुलिस को सुपुर्द कर दिया है। वहां दुर्ग सिंह को कोर्ट ने ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया है।
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सवाल
1. दुर्ग सिंह इंडिया न्यूज में कार्यरत है, उसका कोई पत्थर खनन का काम नहीं है।
2. दुर्ग सिंह जिदंगी में कभी बिहार नहीं गए।
3. दुर्ग सिंह के मुताबिक उन्होंने कभी राकेश पासवान नाम के व्यक्ति को देखा ही नहीं।
4. दुर्ग सिंह के मुताबिक उसने बिहार के गवर्नर सतपाल मलिक के बाड़मेर में दौरे को लेकर एक पोस्ट लिखी थी, जिससे भाजपा नेता प्रियंका चौधरी उससे नाराज़ हैं।
5. दुर्ग सिंह का आरोप है कि ये गवर्नर विवाद कनेक्शन की वजह से उसे झूठे मामले में बिना जांच के फर्जी एससी-एसटी एक्ट का प्रकरण दर्ज करके गिरफ्तार किया गया है।
6. एफ आई आर में दुर्ग सिंह को 7 मई को बिहार में राकेश पासवान के घर पर जाकर नीच जाति का बोलकर अपमानित करने का आरोप लगाया है, जबकि फेसबुक पर 7 मई को दुर्ग सिंह बाड़मेर में एक पुस्तक के विमोचन का लाइव दिखा रहे थे। उसकी डिटेल मैंने इस पोस्ट में स्कि्रन शाट सलंग्न है।
7. एक मजदूर को जाति सूचक शब्दों से अपमानित करने के मामले में बिहार से आए वारंट में राजस्थान पुलिस पर किसका दबाव था, जिस वजह से दुर्ग सिंह को बिना किसी नोटिस के। गिरफ्तार कर एक हैड कांस्टेबल और दो सिपाहियों को प्राइवेट टैक्सी से बिहार जाकर वहां की पुलिस को सुपुर्द किया गया। ऐसा तो किसी आतंकी गतिविधियों के मामले में भी एक तरफा कार्यवाही नहीं हुई।
8. मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को अपनी गौरव यात्रा से पहले ये स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी पार्टी की नेता और राज्य की पुलिस का इस अनैतिक कारवाई में संलिप्तता की वो निष्पक्ष जांच करवाकर क्या तत्काल प्रभाव से बाड़मेर एसपी को वहां से हटाने और भाजपा की महिला नेता वियंका चौधरी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी ?
(श्रवण सिंह राठाैड़ दासपां की कलम से )

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