Sunday, December 22

अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने कथित रूप से हिंदू धर्म को खतरे में बताते हुए भारत की पहली हिंदू अदालत स्थापित करने का ऐलान किया है. साथ ही अदालत की पहली न्यायाधीश के रूप में एक महिला को नामित करने की घोषणा भी की है. महासभा का कहना है कि 15 नवंबर को नाथूराम गोडसे को फांसी दिए जाने के दिन अलीगढ़, हाथरस, मथुरा, फिरोजाबाद और शिकोहाबाद में भी हिंदू अदालत की स्थापना कर दी जाएगी. जल्द 15 अदालतें स्थापित करने का लक्ष्य है.

क्या कहना है हिंदू महासभा का

मेरठ में अखिल भारतीय हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अशोक शर्मा ने देश की पहली हिंदू अदालत की स्थापना की जानकारी दी. अशोक शर्मा के अनुसार, अलीगढ़ निवासी डॉक्टर पूजा शकुन पांडे को सोमवार को स्थापित हिंदू अदालत की पहली हिंदू जज भी घोषित कर दिया गया है. हिंदू महासभा का कहना है कि हिंदू अदालत का लाभ परेशान लोगों को मिलेगा. जमीन, मकान, दुकान, विवाह, पारिवारिक विवाद आदि मामले आपसी सहमति से सुलझाए जाएंगे. उनका कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तरफ से की गई उपेक्षा की वजह से भी अदालत गठित करनी पड़ी है.

पीएम मोदी और सीएम योगी को लिखा गया पत्र

महासभा ने कहा कि पीएम और सीएम को पत्र लिखकर कहा गया था कि भारत में एक ही संविधान माना जा सकता है. देश में खुली और खुलने वाली शरई अदालतों को तत्काल बंद कराया जाए नहीं तो हिंदू महासभा 15 अगस्त को हिंदू अदालत खोल देगी. महासभा का कहना है कि पत्र का जवाब नहीं आने पर बुधवार को अदालत की स्थापना का ऐलान कर दिया गया.

हिंदू अदालत की पहली न्यायाधीश के तौर पर नामित डॉक्टर पूजा शकुन पांडे का कहना है कि उनकी अदालत को उसी तरह किसी की मान्यता की जरूरत नहीं है जिस तरीके से बिना मान्यता के खुद के कानून पर शरिया अदालतें चल रही हैं.