Sunday, December 29


प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह को लगता है कि यदि कांग्रेसी अटल जी की श्रद्धांजलि सभा में हिस्सा लेंगे तो बीजेपी को वाजपेयी के निधन पर राजनीति करने का मौका नहीं मिलेगा


16 अगस्त को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के साथ ही मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने अपनी चुनावी रणनीति में जबरदस्त बदलाव किया है. स्वर्गीय वाजपेयी का मध्यप्रदेश से गहरा रिश्ता रहा है. भारतीय जनता पार्टी नवंबर में होने वाले विधानसभा के आम चुनाव को अटल जी के नाम पर लड़ने की रणनीति बना रही है. उनके भाषणों और कविताओं के जरिए लोगों को जोड़ने की योजना है. स्वर्गीय वाजपेयी के नाम पर कई स्थानों का नामकरण किया जा रहा है. सरकारी योजनाओं का नामकरण भी अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर करने की योजना है. अब तक बीजेपी पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर योजनाओं का नामकरण करती रही है.

गांव-गांव में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

चुनावी रणनीति के पहले चरण में 22 से 25 अगस्त के बीच सभी जिला मुख्यालय में और आगामी 25 से 30 अगस्त के बीच सभी विकासखंड और ग्राम पंचायतों में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाएगी. अटल जी की अस्थियों को नर्मदा-क्षिप्रा सहित प्रदेश की सभी प्रमुख नदियों में प्रवाहित किया जाएगा.

मध्यप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रभारी लोकेंद्र पाराशर ने बताया कि पार्टी की सभी इकाईयों को श्रद्धांजलि सभा आयोजित करने के लिए कहा गया है. मुख्य आयोजन 21 अगस्त को भोपाल में और 22 अगस्त को ग्वालियर में होगा. भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने अस्थि कलश वितरण के कार्यक्रम में कुछ बदलाव किए जाने के कारण कलश के भोपाल पहुंचने की संभावनाएं बहुत कम हो गईं हैं. मीडिया प्रभारी पाराशर ने कहा कि कलश ग्वालियर पहुंच सकता है. इसके बाद राज्य की नदियों में अस्थियां प्रवाहित की जाएंगी.

मध्यप्रदेश, अटल बिहारी वाजपेयी की जन्मभूमि और कर्मभूमि दोनों ही रही है. ग्वालियर और विदिशा से वाजपेयी ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था. ग्वालियर में वे माधवराव सिंधिया से हुए मुकाबले में चुनाव हार गए थे. विदिशा से वे 1991 का लोकसभा चुनाव लड़े थे. बाद में उन्होंने विदिशा सीट से त्यागपत्र दे दिया था. शिवराज सिंह चौहान पहली बार लोकसभा में वाजपेयी द्वारा खाली की गई सीट से उप चुनाव जीतकर पहुंचे थे. इस कारण वाजपेयी का शिवराज सिंह चौहान से लगाव भी काफी था. उमा भारती के भारी विरोध के बाद भी वाजपेयी ने ही शिवराज सिंह चौहान को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया था.

जब अटल जी जीवित थे तब उनके नाम पर था सुशासन संस्थान

साल 2004 तक केंद्र की सत्ता में रही अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के कामकाज को भारतीय जनता पार्टी सुशासन के उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत करती रही है. मध्यप्रदेश सरकार के कामकाज में सुशासन लाने के लिए शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2007 में सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान की स्थापना की थी. यह संस्थान सरकार की फ्लैगशिप स्कीम का लगातार विश्लेषण करता रहता है. नीति और नियमों में भी बदलाव के सुझाव सरकार को दिए जाते हैं. इसी संस्थान ने राज्य के सभी 51 जिलों में सीएम यंग प्रोफेशनल्स फॉर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत 51 युवाओं को नियुक्त किया है. वे जिले की राजनीतिक और प्रशासनिक घटनाओं की जानकारी सीधे मुख्यमंत्री को भेजते हैं.

अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रेलवे स्टेशन से लेकर स्मार्ट सिटी तक का नामकरण वाजपेयी के नाम पर करने का ऐलान किया है. ग्वालियर में अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में भव्य स्मारक और स्मृति भवन भी बनाया जाएगा. स्मारक भोपाल में भी बनाए जाने का निर्णय लिया गया है.

ग्वालियर के गोरखी के जिस विद्यालय में वाजपेयी कक्षा छह से आठ तक पढ़े थे उसे उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा. इसमें स्मार्ट क्लास, प्लेनेटोरियम और म्यूजियम बनाया जाएगा, साथ ही अटल जी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी.

भोपाल में 600 करोड़ रुपए की लागत से बन रहे ग्लोबल स्किल पार्क का नाम स्वर्गीय वाजपेयी के नाम पर रखा जाएगा. प्रदेश के स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किए जा रहे सात शहरों भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, उज्जैन, सागर और सतना में वाजपेयी के नाम पर विश्वस्तरीय पुस्तकालय स्थापित किए जाएंगे. इन पुस्तकालयों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में युवाओं के लिए कोचिंग, शोध और सामाजिक चिंतन के केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा.

इसी तरह सात स्मार्ट सिटी में बन रहे इनक्यूबेशन सेंटर्स का नाम भी पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के नाम पर होगा. इन सेंटर्स पर मध्यप्रदेश के युवाओं को स्टार्टअप स्थापित करने की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अटल जी की प्रतिमा के साथ उनके कार्यों को बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया जाएगा ताकि भावी पीढ़ी को प्रेरणा मिल सके. प्रदेश में श्रमिकों के बच्चों के लिए बनाए जा रहे चार श्रमोदय विद्यालयों के नाम भी स्वर्गीय वाजपेयी के नाम पर रखे जाएंगे. विदिशा में शुरू हो रहे मेडिकल कॉलेज का नाम भी अटल जी के नाम पर रखा जाएगा. भोपाल के अत्याधुनिक हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा जा रहा है.

मुख्य धारा में आ सकते हैं वाजपेयी के परिजन

मध्यप्रदेश सरकार स्कूली पाठ्यक्रम में भी पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी की जीवनी अगले सत्र से शामिल करने जा रही है. वाजपेयी के प्रति पार्टी नेतृत्व,अति सक्रियता दिखाकर राज्य के ब्राह्मण वोटरों को साधने की कोशिश कर रहा है. मध्यप्रदेश में वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा मुरैना से सांसद हैं. वाजपेयी की दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य के साथ अनूप मिश्रा भी हर संस्कार को पूरा कराने में लगातार सक्रिय हैं. स्वर्गीय वाजपेयी का भी अनूप मिश्रा से काफी लगाव था.

एक समय राज्य के सबसे ताकतवर मंत्री रहे अनूप मिश्रा इन दिनों पार्टी में उपेक्षित चल रहे हैं. वाजपेयी के निधन के बाद यह माना जा रहा है कि पार्टी अनूप मिश्रा को वापस राज्य में सक्रिय कर सकती है. ग्वालियर-चंबल संभाग में मिश्रा का काफी असर है. राज्य में पार्टी की आंतरिक राजनीति के कारण अनूप मिश्रा सक्रिय दिखाई नहीं देते हैं. मिश्रा के अलावा वाजपेयी परिवार का कोई अन्य सदस्य राजनीति में नहीं है.

श्रद्धांजलि सभा में कांग्रेसी भी हिस्सा ले सकते हैं?

हालांकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अटल बिहारी वाजपेयी की श्रद्धांजलि सभा को पूरी तरह अराजनीतिक रखने की कोशिश कर रहे हैं. पार्टी के सूत्रों ने दावा किया है कि श्रद्धाजंलि सभा में पार्टी के झंडे नहीं लगाए जाएंगे. इसके बाद भी कांग्रेस को लग रहा है कि वाजपेयी के निधन को बीजेपी चुनाव में भुनाना चाहती है. मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि जिस तरह से प्रदेश भर में होर्डिंग लगाए गए हैं, उससे लग रहा है कि वाजपेयी की मौत को बीजेपी इवेंट के रूप में प्रस्तुत कर रही है. प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह ने सभी कांग्रेस नेताओं से अपील की है कि वे श्रद्धांजलि सभा में जरूर हिस्सा लें. प्रतिपक्ष के नेता अजय सिंह को लगता है कि यदि कांग्रेसी कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे तो बीजेपी को वाजपेयी के निधन पर राजनीति करने का मौका नहीं मिलेगा.

अटल जी की जीवनी स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में होगी

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अटल जी की जीवनी अगले वर्ष से स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल की जाएगी. स्वर्गीय अटल जी के नाम से तीन राष्ट्रीय पुरस्कार स्थापित किए जाएंगे. पांच-पांच लाख रुपए के यह पुरस्कार कविता, पत्रकारिता और सुशासन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वालों को दिए जाएंगे.