आडवाणी की अंतरव्यथा क्या कभी कोई जान पाएगा???


वाजपेयी के निधन की खबर मिलने के बाद से ही आडवाणी अपने कमरे में सिमट गए. उन्होंने काफी वक्त तक किसी से बात नहीं की 

आडवाणी ने कहा कि वह अटल को बहुत याद करेंगे 


अटल और लालकृष्ण आडवाणी को दशकों तक बीजेपी के दाएं और बाएं हाथ की तरह देखा जाता था. पूर्व प्रधानमंत्री के निधन को लालकृष्ण आडवाणी ने अपना व्यक्तिगत नुकसान कहा है. आडवाणी ने कहा कि अटल पिछले 65 सालों से उनके सबसे करीबी दोस्त थे और अब वह उन्हें बहुत याद करेंगे.

वाजपेयी के निधन की खबर मिलने के बाद से ही आडवाणी अपने कमरे में सिमट गए. उन्होंने काफी वक्त तक किसी से बात नहीं की. न ही किसी से मिले. वो तभी बाहर निकले, जब उन्हें कृष्ण मेनन मार्ग पर अटल जी को श्रद्धांजलि देने जाना था.

आडवाणी की ओर से जारी किए गए बयान में इस अपूरणीय क्षति पर शोक व्यक्त किया गया. बयान में कहा गया कि ‘आज अपने गहरे दुख और उदासी को व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं है, हम सभी भारत के सबसे बड़े नेता अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर शोक व्यक्त करते हैं. अटलजी मेरे लिए वरिष्ठ सहयोगी से अधिक थे. असल में वह पिछले 65 सालों से मेरे सबसे करीबी दोस्त थे.’

अटल,आडवाणी ओर शेखावत

आरएसएस प्रचारक के तौर पर काम करने के दिनों में याद करते हुए आडवाणी ने कहा, ‘मैं आरएसएस के लिए प्रचार के दिनों से लेकर, भारतीय जनसंघ की शुरुआत, इमरजेंसी का विरोध और 1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन तक उनके साथ अपने लंबे सहयोग की यादों की सराहना करता हूं.’

‘अटलजी को केंद्र में पहली स्थिर गैर-कांग्रेस गठबंधन सरकार के अग्रणी के रूप में याद किया जाएगा और मुझे छह साल तक उनके डिप्टी के रूप में काम करने का विशेषाधिकार मिला. मेरे सीनियर के तौर पर उन्होंने हमेशा मुझे हर संभव तरीके से प्रोत्साहित किया और निर्देशित किया,’ उन्होंने आगे कहा.

आडवाणी ने कहा कि वाजपेयी की मनोरम नेतृत्व क्षमता, मंत्रमुग्ध करने वाली वाक् क्षमता, देशभक्ति और सबसे अधिक उनकी वास्तिवक मानवीय विशेषताएं जैसे दया, नम्रता और उनकी उल्लेखनीय क्षमता और राजनीतिक विरोधों के बाद भी दूसरों का दिल जीतने की क्षमता ने उनके सार्वजनिक जीवन पर सबसे अधिक प्रभाव डाला. आडवाणी ने कहा कि वह अटल को बहुत याद करेंगे

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