भाजपा के वयोवृद्ध नेता ओर छत्तीस गढ़ के राज्यपाल बलराम जी दास टंडन नहीं रहे


छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामजी दास टंडन का मंगलवार को निधन हो गया. टंडन 90 साल के थे


छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामजी दास टंडन का मंगलवार को निधन हो गया. टंडन 90 साल के थे. उन्हें कार्डियक अरेस्ट आने पर रायपुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था. अस्पताल में ही इलाज के दौरान हालत बिगड़ती गई. इसके बाद अस्पताल के आईसीयू में ही अंतिम सांसे लीं.

सीएम डॉ रमन सिंह भी राज्यपाल की हालत जानने अस्पताल पहुंचे. राज्यपाल बलरामजी दास टण्डन के निधन की जानकारी सीएम डॉ रमन सिंह ने दी. सीएम डॉ रमन सिंह ने राज्यपाल के निधन पर गहरा शोक जताया है. बलरामजी दास टंडन ने 18 जुलाई 2014 को छत्तीसगढ़ में राज्यपाल पद की शपथ ली थी.

उनका पार्थिव शरीर चंडीगढ़ लाया गया। उनके पुत्र संजय टंडन ने बताया कि 16 अगस्त दोपहर डेढ़ बजे सैक्टर 25 के शमशान घाट में उनकी अंतेयष्टि की जाएगी। छतीस गढ़ के मुख्य मंत्री रमन सिंह ने राज्यपाल के निधन पर दु:ख व्यक्त करते हुये 7 दिन के राज्य शोक की घोषणा की।

सुबह करीब आठ बजे अचानक उनकी तबियत बिगड़ गई, जिसके बाद डॉक्टरों की सलाह पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया था.

गौरतलब है कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा मार्च 2018 में जारी राजपत्र के अनुसार राज्यपालों के वेतन में वृद्धि की गई, जो 1 जनवरी 2016 से देय होगी. छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामजी दस टंडन ने बढ़ा हुआ वेतन लेने से इंकार कर दिया. राज्यपाल बलरामजी दास ने छत्तीसगढ़ के महालेखाकार को मई 2018 को पत्र लिखकर पुराना वेतनमान 1 लाख 10 हजार रुपए ही लेने की इच्छा जताई थी. इसके बाद राज्यपाल की चौतरफा तारीफ हुई और उन्होंने खूब सुर्खियां भी बंटोरी.

बता दें कि राज्यपाल बलरामजी दास टंडन का जन्म अमृतसर पंजाब में 1 नवम्बर 1927 को हुआ. अमृतसर में जन्मे बलरामजी दास टंडन ने लाहौर से स्नातक की उपाधि प्राप्त की. स्नातक करने के बाद निःस्वार्थ समाज सेवा में लगे रहे. इन्हे खेलों में भी काफी रुचि रही. कुश्ती, व्हालीबाल, तैराकी, कबड्डी के खिलाड़ी रहे. 1953 में पहली बार अमृतसर निगम से पार्षद चुने गए. कुल 06 बार अमृतसर से विधायक चुने गए. बलरामजी दास टंडन साल 1957, 1962, 1967, 1969, 1977 में विधायक चुने गए और 1975 से 1977 तक आपातकाल के दौरान जेल में रहे. साल 1997 में राजपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए. 1979 से 1980 के दौरान पंजाब विधानसभा में नेता विपक्ष रहे. राज्यपाल टंडन के बेटे संजय टण्डन ने उनकी जीवनी पर एक पुस्तक ‘एक प्रेरक चरित्र’ लिखी है.

0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply