Saturday, December 21


बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने लॉ कमीशन को चिट्ठी लिखकर देश भर में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने का समर्थन किया.


बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने लॉ कमीशन को चिट्ठी लिखकर देश भर में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने का समर्थन किया. अमित शाह ने तर्क दिया कि एक साथ चुनाव कराए जाने पर बेतहाशा खर्च पर रोक लगेगी. इससे यह भी साफ हो सकेगा कि एक साथ पूरा देश इलेक्शन मोड में नहीं रहे.

बीजेपी अध्यक्ष के तर्क को देखा जाए तो इसमें काफी हद तक हकीकत दिखती है. लगभग सभी इस बात को मानते भी हैं कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव अलग-अलग वक्त पर होने के चलते चुनाव खर्च भी ज्यादा लगता है और सरकार खुलकर बड़े पैमाने पर कोई पॉलिसी डिसिजन नहीं ले पाती है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भी इस तरह की वकालत कर चुके हैं. लेकिन, अब लॉ कमीशन को अमित शाह की तरफ से दिया गया सुझाव फिर से चर्चा में है. चर्चा इस बात की शुरू हो गई है कि क्या बीजेपी एक साथ लोकसभा के साथ ही विधानसभा का चुनाव चाह रही है. या फिर अगले साथ ही लोकसभा चुनाव 2019 के साथ कम-से-कम 11 राज्यों में विधानसभा का चुनाव कराने पर विचार हो रहा है.

इस तरह की खबरें आई कि 11 राज्यों में लोकसभा चुनाव के साथ चुनाव कराने पर विचार हो रहा है. अगले साल लोकसभा चुनाव के साथ ही आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडीशा में विधानसभा का चुनाव होना है. 2019 में ही लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा का चुनाव होना है. इन तीनों राज्यों में बीजेपी की सरकार है. लिहाजा, बीजेपी अगर चाहे तो इन तीनों ही राज्यों में विधानसभा का चुनाव पहले ही लोकसभा चुनाव के साथ कराया जा सकता है. इसके अलावा 2020 जनवरी में दिल्ली में विधानसभा का चुनाव होना है. अगर दिल्ली विधानसभा चुनाव भी पहले कराया जाए तो फिर सात राज्यों में लोकसभा के साथ चुनाव हो सकता है.

लेकिन, चर्चा मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में इस साल अक्टूबर और नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव को आगे बढ़ाने को लेकर है. सूत्रों के मुताबिक, इस दिशा में भी सहमति बनाने की कोशिश हो सकती है. इस परिस्थिति में चारों ही राज्यों में या तो विधानसभा का कार्यकाल संविधान संशोधन के जरिए बढा  दिया जाए या फिर चारों ही राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू कर अगले साल लोकसभा के साथ ही चुनाव करा लिए जाएं. इन दोनों ही विकल्पों के लिए संविधान संशोधन करना होगा और इसके लिए कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों की भी सहमति लेनी होगी.

लेकिन , ऐसा होना आसान नहीं लग रहा है क्योंकि सभी पार्टियां बीजेपी के साथ इस मुद्दे पर आने से कतरा रही हैं. उन्हें ऐसा लग रहा है कि एक साथ विधानसभा का चुनाव होने की सूरत में बीजेपी को फायदा ज्यादा होगा. कई क्षेत्रीय पार्टियों को भी इस मुद्दे पर अपना वजूद खत्म होने का खतरा लग रहा है.

दूसरी तरफ, बीजेपी को लगता है कि एक साथ चुनाव होने की सूरत में राष्ट्रीय मुद्दे और बड़े चेहरे के दम पर चुनाव जीतना आसान होगा. अगर 2019 की बात करें तो फिर, एक साथ 11 राज्यों में विधानसभा का चुनाव होने की सूरत में बीजेपी को मोदी के नाम और चेहरे का फायदा होगा. इसीलिए इस तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं कि बीजेपी अगले साल 11 राज्यों में चुनाव चाहती है. लेकिन, बीजेपी ने फिलहाल इस तरह की अटकलों को ही खारिज कर दिया है.

उधर,चुनाव आयोग की तरफ से मिल रहे संकेतों से नहीं लगता कि इस दिशा में बात जल्दी बनने वाली है. मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने न्यूज 18 से बातचीत में एक साथ चुनाव करने पर फिलहाल असमर्थता जताई है.

उन्होंने कहा, ‘2019 में लोकसभा चुनाव के साथ ही 11 राज्यों के विधानसभा चुनाव कराने के लिए हमारे पास पर्याप्त वीवीपैट मशीनें नहीं हैं. अगर ऐसी कोशिश की जाती है, तो इसके लिए नई वीवीपैट मशीनों का ऑर्डर देना होगा और इस बारे में एक या दो महीने में फैसला लेना होगा.’

वहीं चुनाव आयोग के कानूनी सलाहकार एसके मेंदीरत्ता ने एक इंटरव्यू में वीवीपैट मशीनों की इसी किल्लत की तरफ इशारा किया था. मेंदीरत्ता ने कहा, ‘ईवीएम और वीवीपैट मशीनों की मौजूदा संख्या को देखा जाए तो फिलहाल देश भर में एक साथ चुनाव नहीं कराए जा सकते. इसके लिए जरूरी मशीनों की खरीद के लिए आयोग को कम से कम तीन साल का वक्त लगेगा.’

खैर, इन सभी चर्चाओं के बीच लॉ कमीशन जल्द ही इस बारे में अपनी रिपोर्ट सौंपने वाला है. सूत्रों के मुताबिक, लॉ कमीशन के मौजूदा चेयरमैन बी.एस. चौहान अगस्त महीने के ही आखिर में रिटायर हो रहे हैं. इसके पहले आयोग की तरफ से रिपोर्ट सौंपे जाने की संभावना है. लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराने के लिए लॉ कमीशन ने एक ड्राफ्ट तैयार किया है. इसके तहत दो चरणों में चुनाव कराने का सुझाव था. पहले चरण में 2019 में जबकि दूसरे चरण में 2024 में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव का सुझाव था.

सूत्रों के मुताबिक, पहले चरण में उन विधानसभाओं को शामिल किया गया, जिनका कार्यकाल 2021 में पूरा हो रहा है. इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, असम, बिहार महाराष्ट्र शामिल हैं. वहीं, दूसरे और आखिरी चरण में उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, दिल्ली और पंजाब हैं.

फिलहाल, लॉ कमीशन की तरफ से सरकार को रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद इस पर व्यापक बहस होगी. लेकिन, 2019 में इस तरह की संभावना फिलहाल नजर नहीं आ रही है. हो सकता है कि बीजेपी 2019 में आंध्र, तेलंगाना और ओडीशा के साथ अपने तीन राज्य महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव कराने की तैयारी कर ले.