हिन्दू पत्नी का श्राद्ध मंदिर में करवाना चाहता था, मुस्लिम होने के नाते नहीं मिली इजाज़त
समिति को दिए आवेदन में रहमान ने अपनी पहचान छुपाई और बुकिंग अपनी बेटी इहनी अंबरीन के नाम पर कराई
अगर श्राद्ध ही करना चाहते हैं तो दिल्ली में क्यों? कोलकाता में भी मंदिर समिति हैं जहां वे यह कर्म कर सकते हैं.
कोलकाता के एक मुस्लिम व्यक्ति को नई दिल्ली में उसकी हिंदू पत्नी का श्राद्ध करने की इजाजत नहीं दी गई. इम्तियाजुर रहमान नाम के इस शख्स ने एक मंदिर समिति पर आरोप लगाया है कि उसे यह कहते हुए इजाजत नहीं दी गई कि मुसलमान से शादी करने के बाद उसकी पत्नी हिंदू नहीं रह गई.
20 साल पहले रहमान की शादी निवेदिता नाम की एक बंगाली महिला से हुई थी. रहमान का दावा है कि विशेष विवाह कानून के तहत दोनों की शादी हुई. बाद में निवेदिता गंभीर बीमारी का शिकार हो गई और दिल्ली में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. दिल्ली स्थित निगम बोध घाट पर हिंदू रीति-रिवाजों से निवेदिता का अंतिम संस्कार कर दिया गया.
रहमान बंगाल सरकार में कमर्शल टैक्सेस विभाग में उपायुक्त के पद पर तैनात हैं. रहमान ने बताया कि चितरंजन पार्क स्थित काली मंदिर समिति में उन्होंने 1300 रुपए चुकाकर श्राद्ध कर्म की तारीख बुक कराई थी लेकिन समिति ने बाद में इजाजत देने से मना कर दिया.
न्यूज18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मंदिर समिति के अध्यक्ष अश्विता भौमिक ने ‘कई कारणों’ का हवाला देते हुए श्राद्ध कर्म की इजाजत देने से इनकार कर दिया. भौमिक ने बताया कि समिति को दिए आवेदन में रहमान ने अपनी पहचान छुपाई और बुकिंग अपनी बेटी इहनी अंबरीन के नाम पर कराई. जबकि अंबरीन के नाम से यह बिल्कुल साफ नहीं होता कि नाम अरबी है या मुस्लिम.
भौमिक ने कहा कि रहमान के मजहब का पता तब चला जब मंदिर के एक साधु को उसपर शक हुआ और उसका गोत्र पूछा. रहमान इसका जवाब नहीं दे पाया क्योंकि मुसलमानों में गोत्र नहीं होता. उसकी पत्नी भी हिंदू नहीं रही क्योंकि मुस्लिम से शादी के बाद उसका उपनाम मुस्लिम का हो जाता है और उनके रीति-रिवाज भी इस्लाम से जुड़ जाते हैं.
भौमिक ने कहा कि रहमान अगर श्राद्ध ही करना चाहते हैं तो दिल्ली में क्यों? कोलकाता में भी मंदिर समिति हैं जहां वे यह कर्म कर सकते हैं.
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