भाजपा हर रूप में किसान विरोधी पार्टी है, किसान हित का एक भी काम नहीं गिना सकते: हुडा

फोटो राकेश शाह

चण्डीगढ़ 10 अगस्त 2018
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिह हुड्डा ने आज प्रदेश की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा हर रूप में किसान विरोधी पार्टी है। भाजपा के पास गिनाने के लिए एक भी काम नहीं है, जो किसान हित में लिया गया हो। हम यह सवाल नहीं उठा रहे कि खट्टर साहब ने खेती की या नहीं पर इतना जरूर कहेंगे कि मुख्यमंत्री बन कर उन्होंने किसान का दर्द कभी नहीं समझा। उनके मुख्यमंत्री बनते ही – ‘‘जिकर चला था गाणां म्है – खाद बंटी थी थाणां म्हैं‘‘। मुख्य मंत्री दावा करते हैं कि उन्होंने खेती की है और सब्जी भी बेची है तो फिर भाजपा राज में टमाटर, आलू और प्याज आदि सब्जियों की दुर्गत क्यूं हुई ? यदि सरकार ने किसान का दर्द समझा होता तो आज गन्ना उत्पादक किसान शुगर मिलों में अपने बकाये के लिये दर-दर की ठोकरें नहीं खा रहे होते और सरसों, बाजरा, सूरजमुखी और सोयाबिन जैसी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पूरी की पूरी खरीद होती और दादुपुर-नलवी नहर को पाटने की बजाये उसका निर्माण पूरा करवाया जाता, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।

हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में किसान के दर्द को हमने समझा। 2005 में हमारी सरकार बनने पर हमने किसानों पर बोझ बने 1600 सौ करोड़ रूपये बिजली के बकाया बिल माफ किये, जबकि किसानों को बिजली के बिल न भरने का नारा इनेलो और भाजपा का था। हमने कृषि क्षेत्र के लिये 10 पैसे प्रति यूनिट दर तय की और स्लैब प्रणाली बहाल की। हमने फसली ऋण पर ब्याज जीरो प्रतिशत किया और किसानों की गिरफ्तारी पर रोक लगाई। हमारे समय में धान, पॉपुलर और कपास का किसानों को इतना अच्छा भाव मिला कि किसान कर्ज मुक्त हो गया था। हमने किसान के हित में जमीन अधिग्रहण का नया कानून बनाया। जिसमें मुआवजे के साथ विकसित क्षेत्र में किसान का हिस्सा सुनिश्चित किया, चाहे वह अधिग्रहण रिहायशी उद्देश्य के लिये हुआ हो और चाहे व्यवसायिक रहा हो और 33 वर्ष तक रॉयलटी देने का प्रावधान किया।

भाजपा सरकार केवन नाम बदलने में माहिर है। हमारी सरकार में करनाल में कल्पना चावला मेडिकल विश्वविद्यालय की स्वीकृति दी थी, परन्तु भाजपा सरकार ने इसका नाम बदल कर पण्डित दीनदयाल उपाध्याय मेडिकल विश्वविद्यालय कर दिया है। इसी तरह हमारे समय चल रही और बहुत सी स्कीमों के भी नाम बदल दिये हैं, परन्तु जनहित में कोई नई स्कीम या संस्था धरातल पर नहीं आई।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि विधान सभा चुनाव के वक्त भाजपा नेताओं ने कर्मचारियों को अनेकों आश्वासन दिए, पर अब कर्मचारी सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के कारण खून के आंसु बहा रहे हैं। कर्मचारी सरकार चलाने की महत्वपूर्ण मशीनरी है, पर भाजपा राज में दफ्तरों की बजाये सड़कों पर हैं। सरकारें कच्चे कर्मचारियों को तो पक्का करती हैं, पर भाजपा तो पक्के कर्मचारियों को भी कच्चा कर रही है। सरकार ईवेंट मैनेजमैंट कम्पनी लगती है। बेशक करोड़ों रूपये विज्ञापनों पर खर्च कर रही है, पर धरातल पर कुछ नहीं है। सरकार ने एक लाख साठ हजार करोड़ रूपये का कर्ज तो उठा लिया, पर यह नहीं बता रही कि वो खर्च कहां किया गया ?

पूर्व मुख्यमंत्री ने इनेलो पर भी हमला बोला और कहा कि वो एसवाईएल निर्माण को लेकर नकली लड़ाई लड़ रही है। हरियाणा के लोग जानते हैं कि एसवाईएल न बनने का एक मात्र कारण इनेलो की सियासत रही है। उन्होंने
कहा कि –
इनेलो का देखो खेल-घर बैठे भर रहे जेल,
नकली गिरफ्तारी – नकली बेल,
जेल भरो आन्दोलन हो गया फेल
जाँच हो तो साफ हो जायेगा की पहले इनेलो और अब भाजपा का निराशाजनक रवैया एसवाईएल निर्माण में बड़ी बाधा है। मेरा कहना है कि एसवाईएल की आड़ में इनेलो अपने पारिवारिक झगड़े में लोगों को न घसीटे।

हुड्डा ने कहा कि हरियाणा को जलाने व सामाजिक सद्भाव खराब करने की असली दोषी भाजपा है। सरकार इतनी ही पाक साफ है तो क्यूं प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट को कूड़ेदान में डाल दिया गया ? भाजपा सरकार की विफलता इस बात से स्पष्ट हो जाती है कि उसके वरिष्ठ मंत्री स्वयं यह कह रहे हैं कि जाट आरक्षण आन्दोलन के दौरान हिंसा रोकने के लिए जो कदम उठाये जाने चाहियें थे, वह सरकार ने नहीं उठाये। अतः इसमें कोई संदेह नहीं कि हरियाणा भाजपा सरकार ही पूर्ण रूप से दोषी है। नूंह के बाल गृह और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का मुद्दा भी भाजपा धार्मिक ध्रुवीकरण और नफरत फैलाने की नियत से उठा रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने 12 अगस्त को पांचवें चरण की जन क्रान्ति यात्रा, जो महेन्द्रगढ से शुरू हो रही है, को अपनी आँखों से देखने के लिए पत्रकारों को आमंत्रित किया। जहां आपको अहसास होगा कि हरियाणा का हर वर्ग प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ आक्रोश से भरा बैठा है और उन्हें विकल्प के तौर पर केवल कांग्रेस ही दीख रही है।

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