Sunday, December 22

नयी दिल्ली :

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने गुजरात में नर्मदा के मुहाने पर स्थापित की जा रही सरदार वल्लभ भाई पटेल की 182 फुट ऊंची प्रतिमा ‘स्टेच्यू आॅफ यूनिटी’ के लिये सरकारी कंपनियों की ओर से सामाजिक कार्पोरेट उत्तरदायित्व (सीएसआर) के तहत धनराशि उपलब्ध कराने को गलत बताया है तथा इसे निर्धारित प्रावधानों का उल्लंघन करार दिया है।

कैग की संसद में पेश एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च 2017 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में प्रतिमा और संबंधित स्थल का निर्माण करने के लिए पांच केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों ने 146.83 करोड़ रुपए की धन राशि सीएसआर के तहत उपलब्ध कराई है। इनमें से तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम ने 50 करोड रुपए, हिन्दुस्तान पेट्रोलियम निगम लिमिटेड ने 25 करोड़ रुपए, भारत पेट्रोलियम निगम लिमिटेड ने 25 करोड़ रुपए, इंडियन आॅयल निगम लिमिटेड ने 21.83 करोड़ रुपए, और ऑयल इंडिया लिमिटेड ने 25 करोड़ रुपए की राशि दी है।

रिपोर्ट के अनुसार सभी कंपनियों ने इस सीएसआर राशि को ‘राष्ट्रीय ऐतिहासिक परिसंपत्तियों, कला तथा संस्कृति का संरक्षण’ के तहत दर्शाया है। कैग का कहना है कि इस परियोजना में कंपनियों के योगदान को कंपनी अधिनियम 2013 की सातवीं अनुसूची के अनुसार सीएसआर नहीं माना जा सकता क्योंकि यह ऐतिहासिक परिसंपत्ति नहीं है।

गुजरात सरकार ने सरदार पटेल की याद में प्रतिमा बनाने के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट संगठन की स्थापना की है। इस संगठन ने ‘स्टेच्यू ऑफ यूनिटी’ परियोजना की शुरुआत की। अक्टूबर 2018 तक पूर्ण होने के लक्ष्य के साथ 2989 करोड़ रुपए की इस परियोजना का ठेका अक्टूबर 2014 में लार्सन एंड टूब्रो को दिया गया।