Sunday, December 22

मोटर साइकिल के पीछे बैठने वाले यात्री की दुर्घटना में मौत होने पर मुआवजा नहीं मिलेगा। बीमा कंपनी के इस दावे को कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायधीश दीपंकर दत्त और प्रतीक प्रकाश बंदोपाध्याय की खंडपीठ ने खारिज करते हुए कहा कि यह तर्क मानने पर थर्ड पार्टी इंशोरेंस व्यवस्था को ही नकारा जाएगा। उस यात्री को किसी भी हालत में बीमा कंपनी की ओर से दिए गए तर्क बगैर पैसे के यात्री मानने से अदालत ने इंकार कर दिया। इस मामले में एतिहासिक फैसला सुनाते हुए अदालत ने यात्री की मौत के लिए और 17 लाख रुपए क्षतिपूर्ति देने का निर्देश दिया।

मालूम हो कि मोटरसाइकिल सवार के दुर्घटनाग्रस्त होने और इस दौरान लोगों के मरने का सिलसिला लगातार जारी है। ऐसे माहौल में अदालत का फैसला अभूतपूर्व माना जा रहा है। 01 अक्टूबर 2006 को 24 वर्षीय कुमार संभव बसु हुगली जिले के शेवड़ाफुली के जीटी रोड पर दुर्घटनाग्रस्त हुए थे। एक टाटा 407 ने उनकी मोटर साइकिल को धक्का मार दिया था। श्रीरामपुर के वाल्स अस्पताल में उसे मृत घोषित किया गया। मृतक की मां उमा और पिता सुमन बसु ने मोटर व्हीकल्स क्लेमस ट्राइब्यूनल में कम से कम 15 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति का दावा किया था। लेकिन ट्राइब्यूनल की ओर से सात लाख रुपए से कुछ ज्यादा रकम मंजूर की गई। लेकिन ट्राइब्यूनल और बीमा कंपनी ने अलग-अलग कारणों से इसे हाईकोर्ट में चैलेंज किया।

अदालत में कहा गया कि मरने वाले की मासिक आय 15 हजार रुपए होने पर भी बीमा संस्था के मुताबिक ट्राइब्यूनल ने उसे आठ हजार रुपए माना है। मरने के भविष्य के बारे में किसी तरह का मुल्यांकन नहीं किया गया। तय रकम पर ब्याज नहीं जोड़ा गया। परिवार की ओर से चालक पर लापरवाही से गाड़ी चलाने का आरोप लगाया गया था। लेकिन बीमा संस्था का कहना था कि अभियुक्त की गाड़ी का सही परमिट नहीं था, चालक का ड्राइविंग लाइसेंस नहीं था, मरने वाले का वेतन कम था, यहां तक कि मरने वाला युवक मोटरसाइकिल का बिना पैसे का यात्री था।

हालांकि अदालत की ओर से सारे दावे खारिज करते हुए कहा गया कि कहीं भी यह साबित नहीं हुआ है कि मोटरसाइकिल सवार युवक जबरन मोटर साइकिल पर सवार हुआ था या मोटरसाइकिल चालक से जबरन सुविधा हासिल की थी। थर्ड पार्टी इंशोरेंस के मुताबिक पिलियन राइडर्स को किसी भी तरह बिना पैसे का यात्री नहीं माना जा सकता है। इसलिए अदालत की ओर से मृतक के परिवार वालों को 24 लाख 74 हजार 289 रुपए क्षतिपूर्ति के तहत देने का निर्देश दिया गया। इसके साथ ही अदालत की ओर से कहा गया कि पहले जितने रुपए युवक के परिवार वालों को मिल चुके हैं, उसे घटा कर बाकी 17 लाख 66 हजार 289 रुपए का मुआवजा प्रदान किया जाए। इसके साथ ही 15 फरवरी 2007 से बकाया और प्रदान की गई रकम पर 7.5 फीसद की दर से ब्याज भी प्रदान किया जाए।