दादुपुर नलवी नहर परियोजना को डिनोटिफाई करना किसानो से ‘घोर अन्याय और धोखा’


  • किसान इस बिश्वासघात को नहीं करेंगे बर्दाश्त, भाजपा सरकार को चुकानी पड़ेगी क़ीमत

  • कांग्रेस इस लड़ाई में पूरी तरह से किसानों के साथ


चंडीगढ़:

हरियाणा सरकार द्वारा दादुपुर नलवी परियोजना को डिनोटिफाई करने की कड़ी निंदा करते हुए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के मीडिया प्रभारी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इसे उत्तरी हरियाणा के किसानों के साथ ‘घोर अन्याय और धोखे’ की संज्ञा दी है।

श्री सुरजेवाला ने कहा कि खट्टर सरकार के इस गलत फैसले से किसानों पर चौतरफा मार पड़ी है। एक तरफ उन्हें उनकी जमीन के बदले अदालतों द्वारा निर्धारित मुआवजा नहीं दिया जा रहा वहीँ इस तुगलकी फैसले के कारण उन्हें सालों पहले लिया गया मुआवजा वापिस करने के साथ-साथ पिछली तिथि से ब्याज भी देना होगा। इसके अलावा उन्हें सरकार द्वारा बनाई गयी नहर के स्थान पर वापिस कृषि योग्य भूमि बनाने के लिए अपनी जेब से करोड़ों रुपए खर्च करके समतल करनी होगी, जबकि अधिकतर प्रभावित किसान मोदी सरकार की गलत नीतियों के चलते पहले ही भारी कर्ज़ों से जूझ रहे हैं।

श्री सुरजेवाला ने कहा कि इस फैसले से एक बार फिर साबित हो गया है कि प्रदेश की भाजपा सरकार का रवैया पूरी तरह से किसान-विरोधी है । उन्होंने कहा कि दादुपुर नलवी परियोजना उत्तरी हरियाणा के किसानों हो नहीं पूरे इलाके की लिए बेहद आवश्यक है लेकिन खट्टर सरकार ने परियोजना से प्रभावित किसानों का पूरा मुआवजा देने की बजाए इस किसान हितैषी परियोजना को ही रद्द कर दिया।

श्री सुरजेवाला ने कहा कि प्रदेश के किसानों में खट्टर सरकार के इस गलत फैसले के खिलाफ भारी गुस्सा है और वे इस फैसले की कीमत उन्हें अगले चुनावों में उठानी पड़ेगी। उन्होंने कहा की कांग्रेस किसानों की लड़ाई में पूरी तरह से उनके साथ है और इस संघर्ष में किसानों के हकों की लड़ाई को अदालत के अलावा हर मोर्चे पर मजबूती से लड़ा जायेगा।

दादुपुर नलवी परियोजना उत्तरी हरियाणा के लिए जीवन रेखा बताते हुए श्री सुरजेवाला ने कहा कि सरकार के इस जनविरोधी फैसले से अंबाला, यमुनानगर और कुरुक्षेत्र जिलों के 225 गांवों की लगभग एक लाख हेक्टेयर जमीन को सिंचाई के संसाधनों से वंचित होना पड़ेगा। उन्होंने याद दिलाया कि 1985 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने दादुपुर नलवी नहर परियोजना आरंभ किया था । 2005 में कांग्रेस ने ही एक बार फिर से इस योजना को चालू किया और किसानों को नहरी पानी उपलब्ध करवाने व भूजल स्तर उठाने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा 1,019 एकड़ जमीन को अधिग्रहित किया गया। जमीन अधिग्रहण के लिए प्रदेश सरकार द्वारा अभी तक लगभग 200 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका था। इसके अलावा सिंचाई विभाग द्वारा इन नहरों को बनाने में 111 करोड़ 17 लाख रु खर्च किए और पीडब्लूडी विभाग द्वारा भी सड़कें बनाने में लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च किए गए। अब सरकार द्वारा परियोजना रद्द किये जाने से प्रदेश की जनता के खून पसीने से खर्च सारा निवेश बेकार हो जाएगा।

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