विभाग के निदेशक राजकुमार के आदेश पर सहायक निदेशक देवेश कुमार शर्मा के खिलाफ मामले में देरी करने पर यह कार्रवाई की गई है
बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह (शेल्टर होम) रेप कांड में बड़ी कार्रवाई हुई है. बिहार सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए समाज कल्याण विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर (सहायक निदेशक) देवेश कुमार शर्मा को निलंबित कर दिया है.
विभाग के डायरेक्टर (निदेशक) राजकुमार के आदेश पर यह कार्रवाई की गई है.
दिवेश शर्मा ने ही शेल्टर होम रेप कांड की एफआईआर दर्ज कराई थी. देवेश इस कांड में वादी भी हैं. देवेश शर्मा पर टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस) की सोशल ऑडिट रिपोर्ट पर कार्रवाई में देरी करने का आरोप है.
शेल्टर होम रेप कांड पर बिहार से लेकर दिल्ली तक राजनीति तेज है. विपक्षी पार्टियां इस मामले को लेकर बिहार सरकार पर लगातार हल्ला बोल रही हैं. विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफा मांगा है.
शनिवार को शेल्टर होम कांड के विरोध में दिल्ली के जंतर-मंतर पर तेजस्वी यादव ने खूब राजनीति की, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के बुलाए इस धरने में राहुल गांधी समेत विपक्षी पार्टियों के कई बड़े नेता पहुंचे थे. इस दौरान सबने एक सुर से बिहार सरकार और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर इस मामले में ढिलाई बरतने का आरोप लगाया.
शनिवार को ही बिहार के नगर विकास एवं आवास विभाग मंत्री सुरेश शर्मा को इस मामले में विरोध-प्रदर्शन का सामना करना पड़ा. नगर निगम में योजनाओं का शिल्यान्यास करने दरभंगा पहुंचे सुरेश शर्मा को कांग्रेस सेवा दल के जमाल हसन ने अपने समर्थकों के साथ काले झंडे दिखाए.
TISS के सोशल ऑडिट से नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण का हुआ था खुलासा
बता दें कि इस साल के शुरुआत में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, मुंबई (टीआईएसएस) ने अपने सोशल ऑडिट के आधार पर मुजफ्फरपुर के साहु रोड स्थित बालिका सुधार गृह (शेल्टर होम) में नाबालिग लड़कियों के साथ कई महीने तक रेप और यौन शोषण होने का खुलासा किया था. इस दौरान कई लड़कियों को गर्भपात के लिए भी मजूबर किया गया था.
मेडिकल जांच में शेल्टर होम की कम से कम 34 बच्चियों के साथ रेप की पुष्टि हुई है. पीड़ित कुछ बच्चियों ने कोर्ट को बताया कि उन्हें नशीला पदार्थ दिया जाता था फिर उनके साथ रेप किया जाता था. इस दौरान उनके साथ मारपीट भी होती थी. पीड़ित लड़कियों ने बताया कि जब उनकी बेहोशी छंटती थी और वो होश में आती थीं तो खुद को निर्वस्र (बिना कपड़ों) पाती थीं.
मामले के तूल पकड़ने के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी सीबीआई जांच की सिफारिश की. इसके अलावा शेल्टर होम चलाने वाले एनजीओ को काली सूची (ब्लैक लिस्ट) में डाल दिया गया है.
28 जुलाई को सीबीआई की टीम ने मामले की जांच शुरू कर दी. इस हाई प्रोफाइल केस में कई आरोपी जेल में हैं.