सरकार ने कलेजियम को जजों की भर्ती में भाई भतीजावाद के सबूत दिये


इलाहाबाद हाईकोर्ट कॉलेजियम द्वारा भेजी गई 33 वकीलों की सूची को सरकार ने अपनी जुटाई गहन जानकारियों के साथ सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेजा है. इसमें इन वकीलों की योग्यता, न्याय बिरादरी में उनकी निजी और पेशवर छवि के अलावा उनकी पूरी साख के बारे में बताया गया है


जजों की नियुक्ति के प्रस्ताव में परिवारवाद (नेपोटिज्म) को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को आईना दिखाया है. केंद्र ने पहली बार इलाहाबाद हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए भेजे गए 33 वकीलों के नामों के अनुशंसा (सिफारिश) में शामिल कम से कम 11 के वर्तमान और रिटायर्ड हाईकोर्ट के जजों और सुप्रीम कोर्ट के जजों के साथ संबंधों (भाई-भतीजावाद) का जिक्र किया है.

एक राष्ट्रीय दैनिक में छपी खबर के अनुसार सरकार ने फरवरी में इलाहाबाद हाईकोर्ट कॉलेजियम की तरफ से दी गई 33 वकीलों की सूची को अपनी जुटाई गहन जानकारियों के साथ सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को भेजा है. इसमें इन वकीलों की योग्यता, न्याय बिरादरी में उनकी निजी और पेशवर छवि के अलावा उनकी पूरी साख जैसे जांच निष्कर्षों के बारे में कोलेजियम को बताया गया है.

हालांकि सरकार ने एक अनूठा कदम उठाते हुए इस बार कई उम्मीदवारों के वर्तमान और रिटायर जजों के साथ संबंधों को भी अपनी जुटाई जानकारी में शामिल किया है. इसके पीछे केंद्र का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के इस बारे में फैसला लेते वक्त ऐसे सभी सिफारिशों को दरकिनार करना है. और काबिल (सक्षम) वकीलों को प्रस्तावना में बराबर का मौका दिलाना है.

दो वर्ष पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की तरफ से ऐसी ही एक अनुशंसा की गई थी. उस समय हाईकोर्ट कॉलेजियम ने 30 वकीलों के नाम का प्रस्ताव भेजा था. जिसमें से तत्कालीन चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) टीएस ठाकुर ने 11 वकीलों के नाम खारिज कर दिए थे, और सरकार से केवल 19 के हाईकोर्ट के जज के तौर पर नियुक्ति की सिफारिश की थी. 2016 की उस लिस्ट में भी जजों और नेताओं के सगे-संबंधी शामिल थे.

इलाहाबाद HC कॉलेजियम की भेजी लिस्ट में परिवारवाद का था बोलबाला

एक राष्ट्रीय अखबार के हवाले से यह खबर छापी थी कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कॉलेजियम की भेजी गई लिस्ट में सुप्रीम कोर्ट के एक वर्तमान जज के साले, एक अन्य जज के कजिन (भाई) के अलावा सुप्रीम कोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट के ही कई पूर्व जजों के सगे-संबंधी के भी नाम इसमें शामिल थे. तब अखबार ने इन नामों को उजागर नहीं किया था. इसकी वजह थी कि सरकार को इनके इतिहास (बैकग्राउंड) के बारे में पड़ताल करना बाकी था.

कुल मिलाकर कहें तो, 33 वकीलों की इस लिस्ट में कम से कम 11 ऐसे हैं जिनका संबंध वर्तमान या रिटायर्ड जजों से है. इसके अलावा लिस्ट में शामिल एक वरिष्ठ वकील के बारे में कहा जाता है कि वो दिल्ली के एक बड़े नेता की पत्नी के कथित लॉ पार्टनर हैं.

दिलचस्प बात है कि गहन पड़ताल के बाद सरकार ने इन 33 अनुशंसाओं में से केवल 11-12 वकीलों के ही देश के इस सबसे बड़े हाईकोर्ट का जज बनने के लायक पाया. सूत्रों के अनुसार अनुशंसा किए गए हर उम्मीदवार की काबिलियत पर काफी बारीकी से जांच की गई थी.

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