मंगलवार को कैबिनेट की मीटिंग रद्द कर सारे मंत्रियों को उनके इलाकों में जाने को कहा गया ताकि पुलिस और प्रशासन को सीधे निर्देश दिए जा सकें
मराठा आंदोलन के दूसरे दिन राज्य में बंद के दौरान हालात लगभग शांतिपूर्ण रहे और दोपहर होते-होते मराठा क्रांति मोर्चा ने अपना बंद वापस भी ले लिया. इस बंद को बेअसर करने के पीछे सरकार की मजबूत प्लानिंग का भी एक बड़ा हाथ माना जा रहा है. भीमा कोरेगांव के दलित आंदोलन की तरह इस बार सरकार लापरवाह नहीं थी, इसलिए आंदोलन की भनक लगते ही खुद सीएम देवेंद्र फणनवीस ने कमान संभाल ली.
सीएम को थी पल-पल की खबर
मंगलवार को कैबिनेट की मीटिंग रद्द कर सारे मंत्रियों को उनके इलाकों में जाने को कहा गया ताकि पुलिस और प्रशासन को सीधे निर्देश दिए जा सकें. सीएम ने खुद लगातार हर बड़े शहर के पुलिस अफसरों से सीधे बात की और डीजीपी दत्ता पडसालीगर को वॉररूम में रहने का निर्देश दिया. ‘रॉ’ के बाद मुंबई के पुलिस कमिश्नर रह चुके पडसालीगर हर घंटे में सीएम को रिपोर्ट दे रहे थे.
धीमा किया इंटरनेट
इस बार इस बात का भी पूरा खयाल रखा गया कि सोशल मीडिया और टीवी पर किसी तरह की अफवाह न फैले. पहले दिन जब औरंगाबाद में माहौल बिगड़ रहा था, तभी इंटरनेट को थोड़ा धीमा कर दिया गया. इसके साथ ही विशेष सायबर सेल के जरिए ग्रुप मेसेजिंग पर भी इस बार ध्यान दिया गया. ‘शहरी नक्सलियों’ पर पुलिस की हालिया कार्रवाई के बाद सीपीएम ने मराठा आरक्षण को समर्थन तो दिया है, लेकिन लेफ्ट के कैडर भी आंदोलन से दूर ही दिखे.
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सुबह-सुबह न्यूज़ 18 इंडिया से भी कहा कि आंदोलन शांतिपूर्ण रहे तो ठीक है. हालांकि इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पुलिस को हिंसा या तोड़फोड़ में लिप्त प्रदर्शनकारियों के साथ सख्ती से निपटने का निर्देश दिया है.
पुलिस सैन्य बलों को किया मुस्तैद
हालात को पूरी तरफ काबू में रखने के लिए राज्य में पुलिस बल से साथ-साथ विशेष रिजर्व पुलिस बल और आरएएफ को भी उतारा गया है. रेलवे स्टेशनों पर जीआरपी और आरपीएफ को तैनात कर दिया गया है. इतना ही नहीं राज्यभर में ऐहतियातन 3 हजार से ज्यादा असामाजिक तत्वों को हिरासत में लिया गया है. जब तक हालात न बिगडे़ं तब तक आंदोलनकारियों पर बल प्रयोग करने से मना किया गया. सारे प्रदर्शनों की वीडियोग्राफी भी पुलिस की तरफ से और साथ ही ट्रैफिक पुलिस के मुंबई शहर में लगे करीब 3 हजार कैमरों से नजर रखी जा रही है ताकि तुरंत कार्यवाही हो सके.
राजनीतिक पार्टियों के नेताओं खासतौर पर शरद पवार और अशोक चव्हाण ने बयान तो जारी किए, लेकिन सरकार की तरफ से ही वरिष्ठ मंत्री विनोद तावडे़ ने आरोप लगा दिया कि घर बैठे मराठा नेता लोगों को भड़का रहे हैं. इस पलटवार के कारण तमाम बडे़ मराठा नेता चुप हो गए, यानी राजनीति के साथ-साथ बंदोबस्त का दांव खेलकर मुख्यमंत्री बुधवार को तो मराठा आंदोलन को काबू करने में कामयाब दिखे.