शिवसेना से नाराज शाह ने ली अलग राह


शाह ने कहा कि सभी सीटों पर ऐसी स्थिति होनी चाहिए कि तीनों पार्टियों शिवसेना, कांग्रेस व एनसीपी के एक साथ लड़ने पर भी चुनाव बीजेपी जीते


बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह ने महाराष्‍ट्र में पार्टी कार्यकर्ताओं को 2019 का लोकसभा चुनाव शिवसेना के बिना लड़ने की तैयारी करने को कहा है. उन्‍होंने महाराष्ट्र के बीजेपी कार्यकर्ताओं को सभी 48 लोकसभा और 288 विधानसभा सीटों पर अकेले लड़ने के लिए संगठन मजबूत करने के निर्देश दिए. शाह ने कहा कि सभी सीटों पर ऐसी स्थिति होनी चाहिए कि तीनों पार्टियों शिवसेना, कांग्रेस व एनसीपी के एक साथ लड़ने पर भी चुनाव बीजेपी जीते.

शिवसेना से नाराज हैं शाह

अमित शाह अविश्‍वास प्रस्‍ताव के दौरान शिवसेना के बर्ताव से नाराज हैं. बता दें कि शिवसेना ने पहले तो प्रस्‍ताव के विरोध में वोट करने के लिए व्हिप जारी किया था लेकिन बाद में इसे वापस ले लिया था. बाद में शिवसेना की तरफ से राहुल गांधी के भाषण की तारीफ भी की गई थी. इसने भी बीजेपी आलाकमान को नाराज किया है.

शिवसेना वर्तमान में महाराष्‍ट्र और केंद्र में बीजेपी के साथ है. इसके अलावा बृहन्‍मुंबई नगरपालिका (बीएमसी) में शिवसेना को बीजेपी ने समर्थन दिया है. इसके बावजूद शिवसेना लगातार केंद्र और राज्‍य की बीजेपी सरकार को निशाने पर लेती रही है. इसके चलते दोनों दलों के बीच दूरियां आ रही हैं. बीजेपी अध्‍यक्ष ने पार्टी कार्यकर्ताओं को 23 सूत्री कार्यक्रम के तहत काम करने को कहा है.

 

–  ऑनलाइन जुड़ने वाले कार्यकर्ताओ को सक्रिय किया जाए.

–  एक बूथ 25 यूथ के फॉर्मूले पर काम हो.

–  हर बूथ से बाइक रखने वाले पांच लोगों को जोड़ा जाए.

–  हर बूथ के मंदिर की लिस्ट, उनके ट्रस्टी और पुजारी का नंबर और डिटेल्स इकट्ठी की जाए.

–  हर बूथ में मस्जिदो की लिस्ट बनाई जाए.

–  किसी भी तरीके के लाभार्थियों की लिस्ट और डिटेल्‍स लाई जाए.

–  तीनों पार्टियो के एक होने पर भी 51 फीसदी मतदान बीजेपी को कराने का लक्ष्‍य दिया.

–  अपने-अपने इलाके में सभी से लगातार संपर्क रखा जाए.

–  मुद्रा बैंक से ज्यादा से ज्यादा लोन दिलाने की कोशिश हो.

–  हर बूथ में 10 एससी, 10 एसटी, 10 ओबीसी कार्यकर्ता जोड़े जाए.

–  प्रत्‍येक पांच घरों के लिए एक बीजेपी कार्यकर्ता तय हो.

–  अन्य पार्टियों की जानकारी निकाली जाए.

–  विपक्षी पार्टियों के नाराज कार्यकर्ताओं की लिस्ट बनाकर उनसे संपर्क साधा जाए.

–  विधायक जनता के बीच जाकर काम करें.

–  विस्तारकों को ऑनलाइन रिपोर्ट देनी होगी, उनके लिए अलग मोबाइल ऐप है.

–  विस्तारक सरकार की तरफ से किसी को भी काम कराने का आश्वासन न दें.

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