लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी-शिवसेना के बीच के फासले को मिटाना बड़ी चुनौती
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह अपनी पार्टी के ‘संपर्क फॉर समर्थन’ अभियान के तहत बीते 6 जून को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मिले थे. तब कहा जा रहा था कि अमित शाह शिवसेना के गिले-शिकवे दूर करने के मकसद से मुंबई पहुंचे थे. लेकिन इस मुलाकात के बाद भी शिवसेना के तेवर नरम नहीं हुए.
हाल ही संसद में लाए गए ‘अविश्वास प्रस्ताव’ से भी शिवसेना ने खुद को अलग कर लिया था. कुछ महीने पहले पालघर लोकसभा सीट पर चुनाव में बीजेपी से मिली हार के बाद से उद्धव के तेवर बदले बदले से नजर आ रहे हैं. उन्होंने बीजेपी पर लगातार हमला बोलते हुए 2019 का चुनाव अकेले ही लड़ने की बात भी कई दफे कही है.
ताजा मामला शिवसेना के मुख्यपत्र ‘सामना’ में दिए गए उद्धव ठाकरे के इंटरव्यू का है. इंटरव्यू के माध्यम से शिवसेना ने जमकर बीजेपी पर हमला बोला है और अपनी भड़ास निकाली है. पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने दिए इंटरव्यू में कहा कि वह किसी को भी शिवसेना के कंधे का सहारा लेकर बंदूक चलाने की इजाजत नहीं देंगे.
रविवार को ‘सामना’ में पब्लिश उद्धव ठाकरे के इंटरव्यू के टीजर में साफ बताया गया है कि शिवसेना अब बीजेपी के खिलाफ प्रत्यक्ष तौर पर सामने आ रही है. उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘शिवसेना पिछले 25 साल के गठबंधन में सड़ गई. बीजेपी के साथ गठबंधन कर शिवसेना को नुकसान हुआ उद्धव ने बीजेपी के साथ जाने पर नफा-नुकसान की बात भी की है.’
अविश्वास प्रस्ताव’ से दूरी बनाने के बाद शिवसेना ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तारीफ कर एक तरह से बीजेपी को उकसाने की भी कोशिश की है. ‘सामना’ में पहले पन्ने की हेडलाइन में राहुल के लिए लिखा गया- ‘भाई, तू तो छा गया…’ साथ ही राहुल के भाषण में ‘देश के चौकीदार कहने वाले उद्दोगपतियों के भागीदार बन गए हैं…’ जुमले को भी हाईलाइट किया गया.
बता दें कि शिवसेना नेता संजय राउत ने शुक्रवार को उद्धव ठाकरे का ये इंटरव्यू लिया है, जिसे सोमवार को पब्लिश किया जाएगा. ऐसा माना जा रहा है कि पूरा इंटरव्यू सामने आने के बाद ये साफ हो जाएगा कि बीजेपी-शिवसेना के गठबंधन पर उद्धव ठाकरे का स्टैंड क्या है?
सूत्रों के मुताबिक, ठाकरे इस बात से झुंझलाए हुए हैं कि कैसे बीजेपी पूरी कोशिश में थी कि ‘अविश्वास प्रस्ताव’ पर शिवसेना का समर्थन हासिल कर ले. पार्टी के सूत्रों का कहना है कि सांसदों को वोटिंग में शामिल रहने के लिए जो व्हिप जारी किया गया था और जिसे बाद में वापस ले लिया गया, वो भी बीजेपी की एक चाल थी. इसी बात से नाराज होकर उद्धव ठाकरे ने वोटिंग से दूर रहने का फैसला लिया.
कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये भी कहा जा रहा है कि बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने ‘अविश्वास प्रस्ताव’ से पहले उद्धव ठाकरे से बात करने के लिए उन्हें कई बार फोन किया था, लेकिन ठाकरे फोन पर नहीं आए. ऐसे में साफ है कि बीजेपी-शिवसेना के बीच कितना फासला आ चुका है. अगर बीजेपी अभी भी शिवसेना का साथ चाहती है, तो लोकसभा चुनाव से पहले इस फासले को मिटाना उसके लिए बड़ी चुनौती होगी.
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