नई दिल्ली. संघ और भाजपा से जुड़े रहे पूर्व प्रचारक संजय विनायक जोशी फिर से जोश में आ गए हैं. अचानक उन्होंने एक ब्लॉग लिखकर अपने तेवर दिखा दिए हैं. यूं तो उन्होंने पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी पर निशाना साधा है लेकिन सीधे तौर पर उनके निशाने पर भारत ही नहीं दुनियां भर के मुसलमान और इस्लाम तो है ही, उनकी तरफदारी करने वाले लोग भी हैं. इस ब्लॉग को उनकी फौरी प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जाए या भविष्य का कोई संकेत, ये तो आने वाले वक्त में ही पता चलेगा, लेकिन उनके तेवर काफी सख्त हैं.
जोशी बिना लाग लपेट के सीधे हामिद अंसारी पर सवाल उठाते हुए लिखते हैं कि, ‘हाल ही में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा था कि देश के मुस्लिमों में बेचैनी का अहसास और असुरक्षा की भावना है. अभी-अभी आ रही एक बेहद सनसनीखेज खबर से साबित हो गया है कि आखिर हामिद अंसारी जैसे लोगों में असुरक्षा की भावना क्यों पनप रही है. खबर है कि उत्तराखंड में मदरसों में पढ़ने वाले करीब 2 लाख मुस्लिम बच्चे रातों-रात गायब हो गए हैं’. दरअसल उन्होंने व्यंग्यात्मक लहजे में आधार लिकिंग के बाद उत्तराखंड में वजीफों में आई कमी को हामिद अंसारी के बयान से जोड़ दिया है.
वो आगे लिखते हैं, ‘ये तो अकेले उत्तराखंड का मामला है, अब आप खुद ही समझ सकते हैं कि जब सीएम योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में मदरसों को अपना रजिस्ट्रेशन करवाने को कहा तो क्यों इतना हंगामा खड़ा कर दिया गया. इस बात से साबित हो गया है कि बीजेपी की सरकार आने के बाद से मुस्लिम खुद को क्यों असुरक्षित महसूस कर रहे हैं’. वजीफे के मुद्दे पर ही नहीं वो मदरसों को और भी बातों के लिए निशाने पर लेते हैं, ‘उत्तर प्रदेश में तो और भी काफी कुछ चल रहा है. सरकारी पैसों की लूट वहां भी ऐसे ही की जा रही है, साथ ही खुफिया एजेंसियों ने ये भी अलर्ट दिया है कि कई मदरसों में बच्चों को कट्टरपंथी शिक्षा भी दी जा रही है. इस तरह की गड़बड़ियों को देखते हुए सीएम योगी ने सभी मदरसों का रजिस्ट्रेशन जरूरी कर दिया है. राज्य में कई मदरसे बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहे हैं, उन्हें फंड कहाँ से आता है, इसकी किसी को कोई जानकारी तक नहीं है.इन मदरसों में क्या पढ़ाया जा रहा है, इस पर भी सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होता. जबकि ऐसे छात्रों को लगातार अल्पसंख्यक कल्याण योजनाओं के तहत तमाम फायदे मिलते रहते हैं.’.
हामिद अंसारी पर निशाना साधते हुए संजय जोशी लिखते हैं, ‘उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में चल रहे लगभग 800 मदरसों पर प्रतिवर्ष 4000करोड़ रुपये खर्च करती है. मगर हैरत की बात है कि इसका एक बड़ा हिस्सा छात्रों तक पहुंचने की जगह उन लोगों की जेब में जा रहा है, जिन्हें लेकर हामिद अंसारी जैसे लोग परेशान हो रहे हैं’. मदरसों के बाद वो अपने ब्लॉग में इंटरनेशनल लेवल पर हो रही घटनाओं को इस्लाम से जोड़ देते हैं, ‘वैसे देखा जाय तो पाकिस्तान में मुसलमानों को कौन मार रहा है ? अफगानिस्तान में मुसलमानों को कौन मार रहा है? सीरिया में मुसलमानों की हत्या कौन कर रहा है? यमन में मुसलमानों को कौन मार रहा है? इराक में मुसलमानों को कौन मार रहा है? लीबिया में मुसलमानों की हत्या कौन कर रहा है? कौन है जो मिस्र में मुसलमानों को मार रहा है? जो सोमालिया में मुसलमानों को मार रहा है? बलूचिस्तान में भी मुसलमानों को मार रहा है? अब मैं सोच रहा हूँ जब ये सभी देश इस्लामिक हैं… तब शान्ति कहाँ है? मैं इस्लाम पर सवाल नहीं कर रहा हूँ, क्योंकि सभी लोग जानते हैं की इस्लाम एक शांतिपूर्ण धर्म है… लेकिन शांति रहस्यमय रूप से से गायब है….!! अफगानिस्तान, इराक, सीरिया, लेबनान, यमन और मिस्र को किसने बर्बाद किया है ? या वहां दंगा करने के लिए कौन जिम्मेदार हैं ?’.
लग रहा है कि संजय जोशी इस्लाम से जुड़े एक एक पहलू पर लिखने के मूड में थे, वो देश की बात भी करते हैं और उसके ‘गद्दारों’ की भी, ‘अजीब विडम्बना है , कुछ गद्दारों के लियें यहाँ इशरत बेटी है, कन्हैया बेटा है, दाऊद भाई है, अफजल गुरू है, लेकिन भारत माता नहीं !आखिर…ऐसा क्यों है……..’.
वो आगे लिखते हैं, ‘अब थोड़ा और ध्यान दीजिए…मुस्लिम + हिन्दू = समस्या, मुस्लिम + बौद्ध =समस्या, मुस्लिम + ईसाई = समस्या, मुस्लिम + सिख = समस्या, मुस्लिम + नास्तिक = समस्या, मुस्लिम + मुस्लिम =बहुत बड़ी समस्या! उदाहरण देखिए, हां-जहां मुस्लिम बहुसंख्यक है, वहाँ वे सुखी नहीं रहते हैं और न दूसरे को रहने देते हैं!
देखिए …मुस्लिम सुखी नहीं, गाजा में मुस्लिम सुखी नहीं ,म्हलचज में मुस्लिम सुखी नहीं, लीबिया में मुस्लिम सुखी नहीं ,मोरोक्को में मुस्लिम सुखी नहीं, ईरान में मुस्लिम सुखी नहीं, ईराक में मुस्लिम सूखी नहीं, यमन में मुस्लिम सुखी नहीं, अफगानिस्तान में मुस्लिम सुखी नहीं, किस्तान में मुस्लिम सुखी नहीं ,सीरिया में मुस्लिम सुखी नहीं ,लेबनान में मुस्लिम सुखी नहीं ,नाइजीरिया में मुस्लिम सुखी नहीं ,केन्या में मुस्लिम सुखी नहीं सूडान में ,अब गौर कीजिए ………! मुस्लिम सुखी वहां हैं, जहाँ कम संख्या में है…? मुस्लिम सुखी है आस्ट्रेलिया में, मुस्लिम सुखी है इंग्लैंड में, मुस्लिम सुखी है बेल्जियम में, मुस्लिम सुखी है फ्रांस में, मुस्लिम सुखी है इटली में, मुस्लिम सुखी है जर्मनी में, मुस्लिम सुखी है स्वीडन में, मुस्लिम सुखी है कनाडा में, मुस्लिम सुखी है भारत में, मुस्लिम सुखी है नार्वे में, मुस्लिम सुखी है नेपाल में, क्योंकि यहां जेहाद के नाम पर सब कुछ संभव हैं.
आखिरी लाइन वो उस विषय पर लिखते हैं जोकि उनके ब्लॉग का टाइटल है, ‘आतंकवादी का मजहब क्या होता है?’. वो लिखते हैं, ‘मुसलमान हर उस देश में सुखी है ! जो इस्लामिक देश नही है ……..और देखिये कि वो उन्हीं देशो को दोषी ठहराते है जो इस्लामिक नहीं हैं….! या जहां मुस्लिमो की लीडरशिप नही है…..! मुस्लिम हमेशा उन देशो को ब्लेम करते है जहां वे सुखी हैं…….! और मुस्लिम उन देशों को बदलना चाहते हैं….. जहां वे सुखी हैं ! और बदल कर वे उन देशों की तरह कर देना चाहते हैं! जहां वे सुखी नही हैं……..!और अंत तक वो इसके लिए लड़ाई करते हैं….! और इसको ही बोलते हैं..आदि और भी हैं ऐसे ही इस्लामिक जेहादी आतंकवादी संगठन! अब इतना तो आप सभी, जरूर समझ गए होंगे कि……आतंकवादी का मजहब क्या होता है…..?’
संजय जोशी अपने आप को बीजेपी का सदस्य कहते हैं, ये अलग बात है कि बीजेपी उन्हें आधिकारिक रूप से कही नहीं बुलाती. अब ऐसे में उनका ये ‘मुस्लिम विरोधी’ ब्लॉग विवादों में आता है, या उन्हीं की तरह गुमनामी में जाएगा, वक्त ही बताएगा.