Saturday, December 21


अविश्वास प्रस्ताव की मंजूरी के बाद अब 20 जुलाई को संसद के दोनों सदनों में इस पर चर्चा होगी

क्या मोदी का हश्र भी अटल जी जैसा होगा? परिस्थितियाँ ठीक वैसी ही हैं, और तकरीबन उन्ही राज्यों मे विधान सभा चुनाव हैं 


संसद का मॉनसून सत्र आज यानी बुधवार से शुरू हो गया है और10 अगस्त तक जारी रहेगा. मॉनसून सत्र के पहले दिन ही कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया. इस प्रस्ताव को लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने चर्चा के लिए मंजूर कर लिया है. लेकिन अब सवाल ये है कि क्या प्रस्ताव लाने के लिए विपक्ष के पास पर्याप्त संख्याबल है. इस सवाल पर यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने कहा, ‘ कौन कहता है, हमारे पास नंबर नहीं है?’

अविश्वास प्रस्ताव पर 20 जुलाई को होगी चर्चा

अविश्वास प्रस्ताव की मंजूरी के बाद अब 20 जुलाई को इस पर चर्चा होगी. हालांकि प्रस्ताव के मंजूर होते ही सबकि नजरें अब उन पार्टियों पर हैं जो एनडीए में होते हुए भी सरकार को धोखा दे सकती हैं.

मोदी सरकार पर क्या पड़ेगा असर?

केंद्र की मोदी सरकार का यह पहला अविश्वास प्रस्ताव है. अगर आंकड़ों की बात करें, तो विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव से एनडीए सरकार को कोई खतरा नहीं है. मौजूदा वक्त में नरेंद्र मोदी सरकार के पास एनडीए के सभी सहयोगी दलों को मिलाकर लोकसभा में 310 सांसद हैं. ऐसे में विपक्ष का अविश्वास प्रत्साव सिर्फ एक सांकेतिक विरोध के तौर पर ही माना जाएगा. यह भी रेकॉर्ड में आ जाएगा कि मोदी सरकार बिना अविश्वास प्रस्ताव के पाँच साल काम नहीं कर पायी।

लोकसभा में सीटों की स्थिति

अभी लोकसभा में बीजेपी के  273 सांसद हैं. कांग्रेस के 48, एआईएडीएमके के 37, तृणमूल कांग्रेस के 34, बीजेडी के 20, शिवसेना के 18, टीडीपी के 16, टीआरएस के 11, सीपीआई (एम) के 9, वाईएसआर कांग्रेस के 9, समाजवादी पार्टी के 7, इनके अलावा 26 अन्य पार्टियों के 58 सांसद है. पांच सीटें अभी भी खाली हैं.

ऐतिहासिक तथ्य है कि अटल सरकार को भी आखिरी कुछ महीनों मे सोनिया गांधी ने अविश्वास प्रस्ताव से गिराया ओर पुन: सत्ता हासिल कि। उस समय भी 4 राज्यों मे चुनाव होने बाकी थे। सोनिया जी को इतिहास कि पुनरावृत्ति कि उम्मीद भी हो सकती है।