सभी पेड पार्किंग पर आर्या टोल इंफ्रा का कब्जा
चंडीगढ़।
निगर निगम चंडीगढ़ की कुल 25 पेड पार्किंग पर एमसी के कैंसिलेशन आर्डर को निरस्त करते हुए विगत बुधवार को ठेका कंपनी के पक्ष में फैसला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कुल 25 पेड पार्किंग का ठेका आर्या टोल इंफ्रा को दिया जाता है। वैसे तो गत बुधवार शाम को ही फौरी तौर कंपनी ने कब्जा ले लिया था किंतु आधिकारिक रूप से यह काम आज सुबह संपन्न हुआ। निगम के कई अधिकारियों ने इस काम में आर्या टोल इंफ्रा को सहयोग करते हुए सभी 25 पेड पार्किंग का कब्जा दे दिया।
बता दें कि इन 25 पेड पार्किंग को अलग अलग 60 खंडो में विभाजित किया गया है। हर पार्किंग के साथ दो या तीन अन्य पार्किंग को अटैच किया गया है। ठेका कंपनी बार बार इस बात का जिक्र करती रही कि 60 पार्किंग की जगह उसे केवल 25 का ही ठेका अलॉट किया गया है। जब कि एमओयू में 60 पार्किंग स्थलों का जिक्र किया गया है। किंतु नगर निगम ने इस तरफ कभी ध्यान ही नहीं दिया।
आज सुबह 10:30 बजे कंपनी को आधिकारिक रूप से कब्जा देने की प्रक्रिया शुरू की गई जो लगभग दोपहर 12 बजे तक पूरी हो सकी। कब्जा लेने के समय 25 कैमरामैनों ने पूरी प्रक्रिया की फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी की गई। यह भी एमओयू की शर्तों में शामिल है। इसके साथ ही लिखित रूप में सारी कार्रवाई को अंजाम दिया गया। हांलाकि विगत बुधवार की शाम तक कंपनी अपनी क्षतिपूर्ति का दावा भी करती रही। किंतु आज उसने अपना इरादा बदल दिया, यह कहकर कि अंत भला तो सब भला।
फैसले के साथ ही अदालत के आदेश पर कंपनी ने निगम को देय बकाए की कुल 3 करोड़ 69 लाख 50 हजार रूपए में से 1.35 करोड़ बुधवार को ही जमा करवा दिए। शेष बकाए के तीन पोस्ट डेटिड चैक भी एमसी के नाम जमा करवा दिए गए। इसमें कोर्ट के आदेशानुसार प्रत्येक चैक में पांच पांच दिन का गैप रखने की अनिवार्यता भी रखी गई थी। यह भी कहा गया था कि यदि कंपनी द्वारा दिए गए चैक से पैसे एमसी के खाते में आगामी 26जुलाई तक नहीं पहुंचे तो एमसी के कांट्रैक्ट टर्मिनेशन ऑर्डर स्टैंड करेंगे।
एमसी की दलील के तहत पार्किंग को स्मार्ट करने की प्रक्रिया भी ठेका कंपनी को करनी पड़ेगी। सवाल उठता है कि क्या स्मार्ट पार्किंग प्रक्रिया में एमसी पर्यवेक्षक के रूप में अपनी टीम गठित कर उसकी निगरानी करेगा। यह सवाल इसलिए भी जरूरी है कि अदालत द्वारा पार्किंग को स्मार्ट करने की प्रक्रिया के बारे में आगामी 7 अगस्त को पूछा जाएगा कि स्मार्ट करने की प्रक्रिया कहां तक पहुंची।
कंपनी संचालक सुनील बदलानी ने संवाददाता को बताया कि वह तो पूरे मामले का हल सामान्य तोैर पर चाहते थे किंतु नगर निगम की जिद के आगे उनकी एक भी नहीं चली। अत: अदालत तो अदालत है वह निष्पक्ष होकर केस की सुनवाई करती है। इस में कंपनी को राहत मिलने से वह अदालत का दिल से आभार व्यक्त करते हैं। शेष बातें अगले चरण में देखी जाएंगी।
काबिलेजिक्र है कि पूर्व मेयर एवं भाजपा पार्षद अरुण सूद सदन की बैठकों में बार बार यह जिक्र करते रहे कि कंपनी का ठेका किसी भी तरह कैंसिल नहीं हो सकता। किंतु पार्षद उनका मजाक ही उड़ाते रहे। पर अदालत के फैसले से स्पष्ट हो गया कि सूद की बातों और दलीलों में कितना दम था।
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