Sunday, December 22


सुमित्रा महाजन ने कहा ‘जब मैं अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठती हूं तो मैं सोचती हूं कि सभी दलों की अपनी राजनीति है. उनकी अपनी समस्याएं हैं और अपने नेता हैं जिन्होंने सांसदों को कुछ करने का निर्देश दिया होता है. मैं सदैव उन्हें समझने का प्रयास करती हूं.’


लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने शुक्रवार को कहा कि वह मातृभाव से सदन चलाने का प्रयास करती हैं.

लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का नाम लिए बिना बताया कि उन्होंने देश के एक बड़े नेता को पत्र लिखकर उनके बयान का जवाब दिया था कि, ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में महिलाओं के जाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि महिलाओं के लिए राष्ट्रीय सेविका समिति है.’

उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की महिला शाखा राष्ट्र सेविका समिति की संस्थापक लक्ष्मीबाई केलकर की जयंती पर एक कार्यक्रम में समिति के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि जिस तरह मां सार्वजनिक रूप के बजाय बंद कमरे में अपने बच्चों को डांटती है, उसी तरह उनके काम में बेहतर संतुलन कायम करने की जरूरत होती है.

उन्होंने कहा, ‘जब मैं अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठती हूं तो मैं सोचती हूं कि सभी दलों की अपनी राजनीति है. उनकी अपनी समस्याएं हैं और अपने नेता हैं जिन्होंने सांसदों को कुछ करने का निर्देश दिया होता है. मैं सदैव उन्हें समझने का प्रयास करती हूं.’

महाजन ने कहा, ‘मेरा प्रयास सदैव सदन को सुचारू रूप से चलाना होता है. यदि वे उसके बाद भी नहीं समझते हैं तो तब मैं सदन स्थगित कर देती हूं, उन्हें अपने केबिन में बुलाती हूं और उन्हें समझाती हूं. मैं उन्हें सलाह भी दे सकती हूं. अतएव यह मेरे मातृत्व को दर्शाता है. मैं अपना गुस्सा नहीं दिखाती हूं. यह समाज में संतुलन बनाने का भी एक उदाहरण है.’

उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब संसद का मॉनसून सत्र 18 जुलाई को शुरू होने वाला है. उसकी करीब 18 बैठकें होंगी.

उन्होंने कहा, ‘मैं इस राष्ट्रीय सेविका समिति की सेविका हूं. चूंकि मैं लोकसभा अध्यक्ष हूं और मैं किसी सार्वजनिक मंच पर कुछ नहीं कह सकती. मैं जानती हूं कि लक्ष्मीबाई केलकर ने संघ से ही प्रेरणा लेकर राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना की थी.’

महाजन ने संघ की इस महिला शाखा के बारे में जानकारी देते हुए गांधी को एक पत्र और समिति के इतिहास की एक पुस्तक भेजी है.

राहुल गांधी ने पिछले साल 10 अक्टूबर को गुजरात के वडोदरा में विद्यार्थियों की एक सभा में कहा था, ‘आरएसएस में कितनी महिलाएं हैं ? ….. क्या आपने कोई महिला शाखा में शॉर्ट पहनी देखी है ? मैंने नहीं देखी.’