ममता बनर्जी सरकार में कानून-व्यवस्था खराब होने का मुद्दा उठाकर उन्हें घेरने की कोशिश हो रही है. बीजेपी को लगता है कि राज्य में अराजकता के कारण हो रही राजनीतिक हत्या और खराब कानून-व्यवस्था बड़ा मुद्दा है.
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह 27 जून को दो दिवसीय दौरे पर पश्चिम बंगाल पहुंच गए हैं. इस दौरान अमित शाह दो दिनों तक राज्य में पार्टी की रणनीति पर भी चर्चा करेंगे और कई कार्यक्रमों में भी शिरकत करेंगे. बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं को बड़ी लड़ाई के लिए तैयार करना है.
27 जून को शाम साढ़े पांच बजे अमित शाह कोलकाता के जी.डी बिड़ला ऑडिटोरियम में बंकिम चंद्र चटोपाध्याय की जयंती के मौके पर कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे, जिसमें उनकी बुद्धिजीवियों के साथ मुलाकात होगी. यहां उनका संबोधन भी होगा. इस कार्यक्रम के पहले उनकी बीजेपी आईटी सेल के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक होगी. शाह इस दौरान सोशल मीडिया में पार्टी की पकड़ मजबूत करने और टीएमसी को मात देने की रणनीति पर टिप्स देंगे. इस दिन वो कोलकाता में ही रुकेंगे.
अगले दिन सुबह पुरुलिया दौरे पर जाने से पहले 51 शक्तिपीठों में से एक तारापीठ में जाकर देवी के दर्शन करेंगे. वीरभूम जिले में तारापीठ में पूजा के बाद शाह यहां भी पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ एक बैठक करेंगे.
पंचायत चुनाव
बीजेपी अध्यक्ष पुरुलिया में बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे जिसके बाद पार्टी की तरफ से एक बड़ी रैली को संबोधित करेंगे. अमित शाह के पुरुलिया में ही रैली करने के पीछे वहां बीजेपी की मजबूत स्थिति को बताया जा रहा है. बीजेपी के एक नेता ने इस बारे में फ़र्स्टपोस्ट से बातचीत में बताया ‘पुरुलिया और अलीपुर द्वार जिले में अभी हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में बीजेपी को सबसे ज्यादा सफलता मिली थी. इसलिए पुरुलिया को ही अमित शाह की रैली और किसी एक बूथ स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं से मिलने का कार्यक्रम रखा गया है.’
अपने पुरुलिया के दौरे में अमित शाह बीजेपी के उन कार्यकर्ताओं के घरवालों से भी मुलाकात करेंगे जिनकी हाल में हत्या कर दी गई थी. अभी कुछ दिन पहले ही 31 मई और 2 जून को बीजेपी के दो कार्यकर्ता 35 साल के दुलाल कुमार और 20 साल के त्रिलोचन महतो फांसी के फंदे से झूलते हुए मृत अवस्था में मिले थे. बीजेपी का आरोप है कि इनकी हत्या राजनीतक कारणों से की गई है. अमित शाह के पुरुलिया में इन पीड़ित परिवारों से मुलाकात के बाद बीजेपी ममता बनर्जी के कुशासन को मुद्दा बनाकर माहौल को और गरमाने की तैयारी में है.
हालांकि शाह के पश्चिम बंगाल के दौरे के वक्त उनके काफिले के रास्ते में टीएमसी और ममता बनर्जी के पोस्टर पटे पड़े हैं. अमित शाह के आगमन से पहले ही बीजेपी और टीएमसी में पोस्टर वार तेज हो गया है. बीजेपी नेता संबित पात्रा ने शाह के रूट में ममता के पोस्टर पर तंज कसते हुए कहा, ‘वहां तानाशाही राज चल रहा है. ये वही ममता बनर्जी हैं जो दशहरा का मूर्ति विसर्जन रोक देती हैं. ये वही ममता बनर्जी हैं जो रामनवमी के जुलूस को रोक देती हैं. पात्रा का दावा है कि बंगाल की जनता सब देख रही है वो इसका जवाब देगी.’
दरअसल, बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में अपने लिए लोकसभा चुनाव में जीत के लिए 22 सीटों से ज्यादा का लक्ष्य तय किया है. राज्य की कुल 42 लोकसभा सीटों में से फिलहाल बीजेपी के पास महज दो सीटें हैं. आसनसोल से केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रीयो जबकि दार्जिलिंग से केंद्रीय मंत्री एस.एस अहलुवालिया बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतने में सफल रहे हैं. राज्य की सत्ताधारी टीएमसी के खाते में 34 जबकि सीपीएम और कांग्रेस के खाते में दो-दो सीटें हैं.
लेकिन, बीजेपी अब इस आंकड़े को बढ़ाना चाहती है. बीजेपी को भरोसा है कि आने वाल दिनों में अब पश्चिम बंगाल के भीतर उसकी बढ़ती ताकत का असर होगा और वो राज्य में ममता बनर्जी को मात देने में सफल होगी. हालांकि बीजेपी ने अपने लिए मिशन 22+ यानी कुल 42 सीटों में से आधे से अधिक का लक्ष्य रखा है.
लेकिन, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय का दावा है यह लक्ष्य आसानी से हासिल किया जा सकेगा. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने बताया कि इस वक्त बंगाल में जो हालात हैं उससे राज्य सरकार के खिलाफ माहौल है और अराजकता की स्थिति के कारण लोग टीएमसी से नाखुश हैं, लिहाजा बीजेपी की ताकत में जबरदस्त इजाफा हो रहा है और पार्टी लोकसभा चुनाव में 22 से भी ज्यादा सीटें जीत सकती है.’
बीजेपी को पंचायत चुनाव में मिली सफलता के बाद उम्मीदें बढ़ गई हैं. अभी हाल ही में हुए पंचाय चुनाव में पार्टी को सात हजार के लगभग सीटों पर जीत मिली थी. पार्टी नेताओं का मानना है कि अगर ईमानदारी पूर्वक साफ-सुथरा चुनाव कराया गया होता तो उनकी सीटों की संख्या बीस हजार को भी पार कर जाती.
बीजेपी ने फिलहाल संगठन पर फोकस सबसे ज्यादा किया है. अमित शाह के फॉर्मूले के तहत बूथ मैनेजमेंट पर सबसे ज्यादा जोर दिया जा रहा है. इसके लिए पार्टी की तरफ से हर बूथ पर समर्पित कार्यकर्ताओं को तैयार किया जा रहा है. बीजेपी का दावा है कि अबतक 77,000 के करीब पोलिंग बूथों में करीब 65 फीसदी पर कार्यकर्ताओं को तैयार करने का काम पूरा कर लिया गया है.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इस कोशिश में टीएमसी से बीजेपी में आए वरिष्ठ नेता मुकुल रॉय की भूमिका सबसे अधिक है. पार्टी के पूरे बंगाल में जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता तैयार करने में मुकुल रॉय लगे हुए हैं.
दूसरी तरफ, बीजेपी दिल्ली से लेकर पश्चिम बंगाल तक ममता बनर्जी पर दबाव बनाने की कोशिश में है. दिल्ली में पार्टी नेताओं का टीएमसी के दफ्तर के बाहर कई बार धरना हो चुका है, जबकि राज्य में हर रोज चार जिलों में टीएमसी दफ्तर के बाहर धरना दिया जा रहा है. इन चार धरनों का नेतृत्व चार बड़े नेता कर रहे हैं जिनमें राज्य बीजेपी अध्यक्ष राहुल सिन्हा, पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष, मुकुल रॉय के अलावा चौथे धरने का नेतृत्व कोई पूर्व विधायक या कोई बड़ा नेता करता है.
ममता बनर्जी सरकार में कानून-व्यवस्था खराब होने का मुद्दा उठाकर उन्हें घेरने की कोशिश हो रही है. बीजेपी को लगता है कि राज्य में अराजकता के कारण हो रही राजनीतिक हत्या और खराब कानून-व्यवस्था बड़ा मुद्दा है. इसके अलावा महिला सुरक्षा और बेराजगारी के मुद्दे को भी बीजेपी बड़ा मुद्दा बना रही है, लेकिन, ममता बनर्जी पर मुस्लिम तुष्टीकरण करने का आरोप लगाकर बीजेपी राज्य में ध्रुवीकरण की भी पूरी कोशिश में जुट गई है. पार्टी को उम्मीद है कि दूसरे राज्यों से संभावित लोकसभा सीटों की भरपाई बंगाल से पूरी होगी. अमित शाह की एक्ट ईस्ट पॉलिसी की सफलता भी नॉर्थ-ईस्ट के अलावा पश्चिम बंगाल की सफलता से ही तय होगा.