Sunday, December 22

नगर प्रशासन के नवनियुक्त ग्रह सचिव ए.के. गुप्ता भी फंड क्रय को लेकर काफी गंभीर हैं। फंड की कमी के चलते शहर के सभी विकास-कार्य रुके पड़े हैं। इसलिए अब बकायेदारों के ऊपर नकेल कसने की तैयारी है। 31 मई तक निगम के टैक्स ब्रांच में कुल  25करोड़ के लगभग राजस्व की प्राप्ति हुई है। किन्तु इन पैसों से पूर्व के विकास कार्यों में ठेकेदारों की पेमेंट भी की जानी है। इससे यह रकम ऊंट के मुंह में जीरा जैसी होगी। अब बड़े-बड़े मगरमच्छों को टारगेट का राजस्व बढ़ाने की तैयारी है।

नगर निगम के टैक्स ब्रांच ने शहरवासियों से प्रापर्टी टैक्स के देयों की उगाही करने के लिए अपनी विशेष रणनीति तैयार कर ली है। प्रापर्टी टैक्स न देने वालों पर अब कसी जाएगी नकेल।इस मामले को लेकर शहर के मेयर भी गंभीर हैं। उनका कहना है कि यदि आगामी  30 जून तक बकाया टैक्स नहीं जमा कराये गये तो निगम ने उनकी संबंधित प्रापर्टी सील करने की रणनीति भी तैयार कर ली है। निगम के टैक्स ब्रांच के ए.टी.सी. हरमेश गुप्ता के अनुसार अब संबंधित डिफाल्टरों को नोटिस भेजने की प्रक्रिया आरंभ हो चुकी है। अब यह कार्य विशेष मुस्तैदी के साथ किये जायेंगे।

उनका मानना है कि यदि डिफाल्टरों द्वारा उनके देय टैक्स अदा कर दिये जाएं तो  60 करोड़ के लगभग राजस्व निगम के खाते में आ सकते हैं।उन्होंने बताया कि चंडीगढ़, पंजाब, हरियाणा के तमाम सरकारी कार्यालय हैं। इनकी कई शिक्षण संस्थाएं भी हैं, जिन्होंने अभी तक अपने टैक्स ही जमा नहीं करवाये। इसके अलावा पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ में इन राज्यों के राजनीतिक दलों के कार्यालय भी हैं जिनके अधिकांश ने अभी तक टैक्स नहीं जमा कराये हैं। इन सभी को विभाग की तरफ से नोटिस भेजे गये हैं।

बता दें कि निगम के कमिश्नर आई.ए.एस. के.के. यादव भी इस बात को लेकर गंभीर हैं। उन्होंने पदभार ग्रहण करते हुए कहा था कि निगम के लिए फंडों की झड़ी लगा देंगे। उनकी चंडीगढ़ प्रशासन में भी अच्छी खासी पैठ है। जिसके चलते आसानी से टैक्सों की उगाही हो सकती है।नगर प्रशासन के नवनियुक्त ग्रह सचिव ए.के. गुप्ता भी फंड क्रय को लेकर काफी गंभीर हैं।

वर्णनयोग्य है कि फंड की कमी के चलते शहर के सभी विकास-कार्य रुके पड़े हैं। इसलिए अब बकायेदारों के ऊपर नकेल कसने की तैयारी है।
सूत्रों ने बताया कि विगत 31 मई तक निगम के टैक्स ब्रांच में कुल  25 करोड़ के लगभग राजस्व की प्राप्ति हुई है। किन्तु इन पैसों से पूर्व के विकास कार्यों में ठेकेदारों की पेमेंट भी की जानी है। इससे यह रकम ऊंट के मुंह में जीरा जैसी होगी। अब बड़े-बड़े मगरमच्छों को टारगेट का राजस्व बढ़ाने की तैयारी है।