विपक्ष का काम तो विरोध ही होता है और विपक्ष विरोध कर रहा है, सभी को यह डर है कि ‘लेटरल एंट्री’ से संघी लोग सचिवालय आ जायेंगे, परन्तु कोई यह नहीं बता रहा कि इसका मसौदा तो कांग्रेस की सरकार ने ही पारित किया था बस उन्हें ज़रुरत नहीं पड़ी. और किसी को भी एक “स्टील फ्रेम” जैसा कि सरदार पटेल भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के बारे में कहते थे, इस संस्था में दरार का डर नहीं दीख पड़ता.
यूपीएससी एग्जाम के बगैर संयुक्त सचिव स्तर पर सीधी भर्ती कराने के फैसले पर सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने मोदी सरकार पर करारा निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि यह प्रशासनिक स्तर पर संघियों की भर्ती कराने की कोशिश है. इसके जरिए यूपीएससी और एसएससी पास करने वाले कैंडिडेट का महत्व कम किया जा रहा. उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसलों के जरिए केन्द्र सरकार आरक्षण को भी खत्म करने की कोशिश कर रही है.
येचुरी अलावा अन्य कई विपक्षी नेताओं ने मोदी सरकार के इस फैसले की आलोचना की है. बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि ये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशासनिक विफलता का परिणाम है. उन्होंने कहा, “दस विभागों में वरिष्ठ स्तर पर नौकरशाही के पद ऐसे निजी लोगों के लिए खोलना जिन्होंने यूपीएससी परीक्षा पास नहीं की है, ये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रशासनिक विफलता का परिणाम है.”उन्होंने कहा कि यह खतरनाक परम्परा है और इससे केंद्र सरकार की नीतियों में पूंजीवादियों और धनाढ्यों का प्रभाव बढ़ने की संभावना है.
हालांकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मोदी सरकार के फैसले का बचाव किया है. उन्होंने कहा देश भर में आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की कमी के कारण उत्पन्न जरूरतों को देखते हुए प्रयोग के तौर पर ये योजना लाई गई है. साल 2013 से 2017 को छोड़कर 1990 के दशक से एनडीए के सहयोगी रहे कुमार ने सिविल सेवाओं को कमतर करने के लिए कांग्रेसी सरकारों को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा कि पहले कि सरकारों ने हमें इस स्थिति में छोड़ दिया है कि हमें प्रशासन की कई जरूरतों को पूरा करने में कठिनाई आ रही है.
विपक्ष की आलोचनाओं से इत्तेफाक नहीं रखते हुए केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में भी सीधी भर्ती की वकालत की और कहा कि मुद्दे का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. मानव संसाधन राज्यमंत्री ने कहा कि इस योजना से शैक्षणिक संस्थानों की क्षमता में सुधार आएगा. इस पर आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा कि सरकार प्रतिबद्ध नौकरशाही यानि कि डेडिकेटेड ब्युरोक्रेसी चाहती है, इसलिए बिना यूपीएससी के ज्वाइंट सेक्रेटरी बनाने का फैसला लिया गया है.
हालांकि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम का कहना है कि हमें अभी और ब्यौरे के बारे में जानने की जरूरत है. देखते हैं कि हमारे अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचने से पहले सरकार क्या जवाब देती है. उन्होंने कहा, ‘‘इस विज्ञापन को लेकर आशंका है. अगले कुछ दिनों में हम इस बारे में जवाब दे सकेंगे.’’राजनीति में आने से पहले नौकरशाह रहे कांग्रेस प्रवक्ता पी एल पुनिया ने आरोप लगाया कि सरकार सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़े लोगों की भर्ती करने का प्रयास कर रही है.