नई दिल्ली
मोदी सरकार ने नौकरशाही में प्रवेश पाने का अबतक सबसे बड़ा बदलाव कर दिया है। अब बड़े अधिकारी बनने के लिए यूपीएससी की सिविल सर्विस परीक्षा पास करना जरूरी नहीं होगा। प्राइवेट कंपनी में काम करने वाले सीनियर अधिकारी भी सरकार का हिस्सा बन सकते हैं। बहुप्रतीक्षित लैटरल एंट्री की औपचारिक अधिसूचना सरकार की ओर से जारी कर दी गई है। रविवार को इन पदों पर नियुक्ति के लिए डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनेल ऐंड ट्रेनिंग (DoPT) के लिए विस्तार से गाइडलाइंस के साथ अधिसूचना जारी की गई। सरकार अब इसके लिए सर्विस रूल में जरूरी बदलाव भी करेगी। मालूम हो कि पीएम नरेन्द्र मोदी ब्यूरोक्रेसी में लैटरल एंट्री के शुरू से हिमायती रहे हैं।
3 साल का होगा टर्म, प्राइवेट कंपनी में काम करने वालों को भी मौका
10 मंत्रालयों में होगी ‘विशेषज्ञ’ की नियुक्ति
शुरुआती पहल के अनुसार अभी सरकार 10 मंत्रालयों में एक्सपर्ट जॉइंट सेक्रटरी को नियुक्त करेगी। ये 10 मंत्रालय और विभाग हैं- फाइनैंस सर्विस, इकनॉमिक अफेयर्स, ऐग्रिकल्चर, रोड ट्रांसपोर्ट, शिपिंग, पर्यावरण, रिन्यूअबल एनर्जी, सिविल एविएशन और कॉमर्स। इन मंत्रालयों और विभागों में नियुक्ति कर विशेषज्ञता के हिसाब से ही पोस्टिंग होगी।
सालों से लंबित था प्रस्ताव, अब हुआ लागू
ब्यूरोक्रेसी में लैटरल ऐंट्री का पहला प्रस्ताव 2005 में ही आया था, जब प्रशासनिक सुधार पर पहली रिपोर्ट आई थी। लेकिन तब इसे सिरे से खारिज कर दिया गया। फिर 2010 में दूसरी प्रशासनिक सुधार रिपोर्ट में भी इसकी अनुशंसा की गई। लेकिन पहली गंभीर पहल 2014 में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद हुई। पीएम मोदी ने 2016 में इसकी संभावना तलाशने के लिए एक कमिटी बनाई, जिसने अपनी रिपोर्ट में इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ने की अनुशंसा की। सूत्रों के अनुसार ब्यूरोक्रेसी के अंदर इस प्रस्ताव पर विरोध और आशंका दोनों रही थी, जिस कारण इसे लागू करने में इतनी देरी हुई। अंतत: पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बाद मूल प्रस्ताव में आंशिक बदलाव कर इसे लागू कर दिया गया। हालांकि पहले प्रस्ताव के अनुसार सेक्रटरी स्तर के पद पर भी लैटरल ऐंट्री की अनुशंसा की गई थी लेकिन सीनियर ब्यूरोक्रेसी के विरोध के कारण अभी जॉइंट सेक्रटरी के पद पर ही इसकी पहल की गई है। सरकार का मानना है कि लैटरल एंट्री आईएएस अधिकारियों की कमी को पूरा करने का भी प्रभावी जरिया बनेगा।