चलती चक्की
लोक तंत्र खतरे में ………. !!!
आजकल भारतीय राजनीति मे एक नारा बहुत जोर शोर से बोला जाता है”भारत में लोकतंत्र खतरे मे है”आज देश के किसी भी हिस्से मे खासकर भाजपा शासित राज्य मे कोई भी घटना घटित होती है फिर चाहे वो घटना आपराधिक हो,सामाजिक हो,आर्थिक हो,विपक्ष का यह नारा बुलंद हो जाता है कि देश मे लोकतंत्र खतरे मे है!यही नही कि यह नारा देने वाले सिर्फ राजनैतिक दल ही है,बल्कि वामपंथ से प्रभावित कुछ पत्रकार,बुजुर्ग छात्र, एवं एनजीओ भी इसमे शामिल है ! सबसे पहलेहमें समझना होगा कि आखिर ये लोकतंत्र है क्या? शासनव्यवस्था के क ई तरीके होते हैजैसे राजतंत्र, सैनिक शासन,एक दलीय व्यवस्था, एवं लोकतंत्र! अतःशासन व्यवस्था का एक तरीका है लोकतंत्र! लोकतंत्र दो प्रकार का होता है प्रत्यक्ष लोकतंत्र और अप्रत्यक्ष लोकतंत्र! प्रत्यक्ष लोकतंत्र मेजनता स्वयं कानून बनाती है या जनता सरकार से कानून बनवाती है इसमे जनता का सीधा हस्तक्षेप होता है प्रत्यक्ष लोकतंत्र मे ही रैफरेण्डम,रिकाल,की प्रक्रिया होती है,जैसाकि फ्रांस,स्विटजरलैंड मे प्रत्यक्ष लोकतंत्र काम करता है!दूसरा होता है अप्रत्यक्ष लोकतंत्र जैसाकि भारत मे है इसमे जनता शासन चलाने की शक्ति अपने चुने हुये प्रतिनिधि को देती है !ये जनता के चुने हुये प्रतिनिधि ही जनता के लिये कानून बनाते है!पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के अनुसार”जनता का जनता के लिये जनता द्वारा किया शासन” ही सही मायने मे लोकतंत्र है!अप्रत्यक्ष लोकतंत्र मे बहुसंख्यक का शासन होता है लेकिन अल्पसंख्यक को उचित अधिकार दिये जाते है तथा प्रेस की आजादी,स्वतंत्र न्यायपालिका, व्यस्क मताधिकार लोकतंत्र की पहचान है,विभिन्न राजनैतिक दल होते हैजिनमे से बहुमत से सरकार का गठन होता है! विचारणीय विषय यह है कि लोकतंत्र को खतरा कब और किससे होगा ? क्या लोकतंत्र मे बहुमत से जो सरकार चुनी जाती है वो अब नही चुनी नही जा रही या देश मे अब बहुमत से चुनी सरकार नही रही? लोकतंत्र मे एक विपक्ष होता है क्या अब इस देश मे विपक्ष नही रहा?या विपक्षी दल देश मे राजतंत्र, सैनिक शासन लागू होने का खतरा महसुस हो रहा है? जिससे उनको लगता है कि भारत मे लोकतंत्र खतरे मे है और राजतंत्र या सैनिक शासन आने वाला है !क्या लोकतंत्र मे स्वतंत्र न्यायपालिका होती है वो स्वतंत्र नही रही? क्या देश मे जनता के चुने हुये प्रतिनिधि शासन नही कर रहे?क्या भारत का लोकतंत्र इतना कमजोर है कि एक दलित या मुस्लिम की हत्या या उनके साथ कोई दुर्घटना हो जाये जो कि सिर्फ एक आपराधिक क्रत्य है से देश मे लोकतंत्र खतरे मे आ जाये?उस अपराध के लिये दण्ड संहिता,दण्ड प्रक्रिया संहिता मे अपराधी को दण्डित करने का प्रवधान है पर देश मे ऐसा वातावरण तैयार किया जाता कि देश का लोकतंत्र खतरे मे आ गया! जिससे देश की छवि धूमिल होती है! जो राजनैतिक दल यह नारा बुलंद करते है वह क्या अपने दल मे भी लोकतंत्र अपनाते है या वहां सिर्फ राजतंत्र ही पसंद करते है?देश के ज्यादातर राजनैतिक दल पारिवारिक दल है वहां लोकतंत्र लागू नही करेंगे जबकि यह नारा बुलंद करने से पहले अपने अपने दलो मे लोकतंत्र अपनाये असली लोकतंत्र तो इन राजनैतिक दलो के अन्दर ही खतरे मे है!डा.भीमरावाम्बेडकर ने कहा था कि किसी राजनेता के लिये इतनी अंधमंददता न रखे जिसकी कीमत लोकतंत्र को चुकानी पडे ! राजनैतिक दलों मे ही चुनाव प्रक्रिया का अभाव ,राजनिति मे जातिधर्म का उपयोग, राजनीति का अपराधीकरण,एवं राजनैतिक भ्रष्टाचार से ही भारतीय लोकतंत्र को खतरा हो सकता है और किसी से नही!आज ससंद मे बहस का स्तर इतना गिर गया है कि पहले तो ससंद को चलने ही नही दिया जाता बमुश्किल चल भी गयी तो हमारे जन प्रतिनिधि जिस विषय पर बहस होती है उस पर दो मिनिट बोलेंगे अन्य बातों पर घण्टो भाषण देंगे जिससे ससंद मे किसी मुद्दे पर एक सार्थक चर्चा होनी चाहिये वो नही हो पाती जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पडता है ! ये है लोकतंत्र को खतरा!देश के सभी राजनैतिक दलो को एक साथ बैठकर विमर्श करना चाहिये और बजाये देश मे लोकतंत्र का खतरा दिखने के ससंद मे सार्थक बहस करनी चाहिये
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