हाल फिलहाल कौन बनेगा हरियाणा का प्रभारी? इस सवाल पर कयास लगाए जा रहे हैं। कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश के कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी और मध्यप्रदेश के नेता अरूण यादव के नाम चर्चा में है। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डाॅ अशोक तंवर आने वाले प्रभारी के बारे में कोई जानकारी न होने की बात कह चुके हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि नए प्रभारी का इंतजार है। लोकसभा चुनाव के अलावा हरियाणा में अगले साल के मध्य में विधानसभा चुनाव भी होने है। ऐसे में संगठन को निचले स्तर तक मजबूत रखने के लिए पर्यवेक्षक के बतौर प्रभारी की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है। अभी तक कांग्रेस में बिखराव बना हुआ हैं और इसकी ताकत बंटी हुई है। हालांकि अलग’-अलग गुटों का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस के नेता कहते हैं कि यही कांग्रेस है और कांग्रेस सक्रिय है। वे यह भी कहते हैं कि कांग्रेस एक है। लेकिन कभी एक-दूसरे के मंच पर वे नहीं पहुचते।
प्रभारी के बतौर कमलनाथ ने जब कार्यभार संभाला था तो वे भले ही हरियाणा कांग्रेस की गुटबाजी समाप्त नहीं कर पाए थे लेकिन उन्होंने एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी बंद करवा दी थी और उसी का नतीजा है कि अब पार्टी के नेता एक-दूसरे के विरोध में मीडिया या सार्वजनिक मंच पर कुछ कहने से बचते है। हालांकि इसके बाद कमलनाथ ने हरियाणा कांग्रेस को दिल्ली में ही बैठकर संभालने का काम किया । कमलनाथ से पहले हरियाणा की प्रभारी रहीं आशा कुमारी ने संगठन को सक्रिय रखने के लिए लगातार बैठकें की थीं और वे पर्यवेक्षण का काम करती रहीं थीं। इससे कहीं अधिक सक्रियता शकील अहमद की भी थी। पार्टी के सभी गुटों को एक कर कांग्रेस को मजबूत देखने के इच्छुक कांग्रेसजन कहते हैं कि आला कमान को एक सक्रिय और चतुर खिलाडी प्रभारी भेजना चाहिए जो कि सभी गुटों को एक मंच पर लाने के लिए राजी कर लें।