पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुवार को हुड्डा सरकार द्वारा कच्चे कर्मचारियों को रेगुलर करने के लिए वर्ष 2014 में बनाई गई सभी रेगुलराइजेशन पॉलिसियों को रद्द कर दिया है।
हाई कोर्ट के इस आदेश से वो सभी कर्मचारी प्रभावित होंगे, जो इस नीति के तहत पक्के किये गए थे। साथ ही अब मोजूदा सरकार किसी भी कच्चे कर्मचारी को पक्का भी नहीं कर पाएगी।
इसके अलावा बुरी खबर ये है कि इस नीति के तहत पक्के किए गए कर्मचारी एक बार फिर कच्चे कर्मचारी बन जायेंगे या उनकी सेवाएं ही समाप्त कर दी जाएंगी। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने अगले छह महीने के भीतर नियमित भर्ती करने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट के इस आदेश से हरियाणा सरकार के साथ-साथ पक्का होने के लिए बार-बार आंदोलन कर रहे कच्चे कर्मचारियों की भी मुश्किलें बढ़ गई हैं। क्योंकि अब सरकार किसी भी कच्चे कर्मचारी को रेगुलर नहीं कर सकेगी।
गौरतलब है कि इस मामले में योगेश त्यागी, अंकुर छाबड़ा, अनिल कुमार सहित अनेक योग्य युवाओं ने सरकार की इन रेगुलराइजेशन नीतियों को संविधान की धारा 14 और 16 का उल्लंघन बताया था। साथ ही उमा देवी केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को आधार बना कर वर्ष 2014 में हाईकोर्ट में चुनौती भी दी थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अनुराग गोयल ने बेंच के सामने बहस करते हुए इन पॉलिसियों को सुप्रीम कोर्ट के उमा देवी व अन्य फैसलों के खिलाफ बताया व तमाम तथ्य रखे। साथ ही इन सभी रेगुलराइजेशन पॉलिसियों को अवैध बताते हुए इनको रद्द करने की मांग की थी। बहरहाल हाईकोर्ट के आदेश से हरियाणा के जो कर्मचारी इस फैसले से प्रभावित होंगे उनको नियमित भर्ती में केवल आयु की छूट दी जाएगी।