दादा के आर एस एस के न्योते को स्वीकारने पर कांग्रेसी रार
पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता स्वीकार करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। कांग्रेस के एक नेता द्वारा सवाल खड़ा करने और मीडिया में इसके सुर्खियों में आने के बाद अब बीजेपी ने इस पर करारा जवाब दिया है। संघ से लंबे समय से जुड़े रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी ने कहा कि क्या RSSकोई पाकिस्तानी संगठन है, जो इस तरह मामले को उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ‘लोग तो दारू की दुकान पर जाते हैं, लेडीज बार में जाते हैं। ऐसे में अगर पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में जा रहे हैं तो इसे कोई मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए।’
उधर, बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा कि ‘पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी RSS के कार्यों की प्रशंसा कर चुकी हैं। पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी संघ को पर्याप्त सम्मान देते थे। आज दुनिया के कोने-कोने में आरएसएस को अलग पहचान मिली है। प्रणव वहां जाकर क्या बोलते हैं यह देखना होगा।’ स्वामी ने कहा कि जब परिस्थितयां बदलती हैं तो लोगों का नजरिया भी बदलता है। लाल बहादुर शास्त्री ने भी आरएसएस को महत्व दिया था। आज कांग्रेस का पतन हो रहा है तो मुझे लगता है कि प्रणव मुखर्जी को देश की चिंता है।
इस बीच, आधिकारिक रूप से कांग्रेस पार्टी ने मामले से दूरी बनाते हुए कहा है कि यह सवाल पार्टी से नहीं बल्कि प्रणव मुखर्जी से पूछा जाना चाहिए कि वह संघ के कार्यक्रम में क्यों शामिल हो रहे हैं। कहा गया है कि यह फैसला प्रणव मुखर्जी का है, कांग्रेस पार्टी का नहीं।
आपको बता दें कि कांग्रेस से लंबे समय से जुड़े रहे पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 7 जून को नागपुर में संघ के भावी ‘प्रचारकों’ के सामने राष्ट्रवाद पर व्याख्यान देने का न्योता स्वीकार कर लिया है। वह नागपुर में आरएसएस के उन कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे, जिन्होंने संघ के शैक्षिक पाठ्यक्रम का तृतीय शिक्षा वर्ग पास किया है। यह ट्रेनिंग पास करने वाले ही आगे चलकर पूर्णकालिक प्रचारक बनते हैं।
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