Saturday, December 21

केविन की हत्या की खबर सोमवार को सुर्खियों में बनी रही. चेंगन्नूर में भारी मतदान भी हुआ. अब 31 मई को मतगणना है. इसी से पता चलेगा कि क्या केविन की हत्या ने उप-चुनाव पर असर डाला?

 

केरल की सत्ताधारी लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार के लिए यह घटना कितनी बदतर हो सकती है, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है. वह भी तब, जब इसका खुलासा चेंगन्नूर के महत्वपूर्ण

उप-चुनाव के दिन हुआ. इस उप-चुनाव को पिनाराई विजयन सरकार के दो साल के शासन के जनमत संग्रह के रूप में प्रचारित किया गया है. जाहिर है, ये सरकार के लिए एक जोर का झटका ही माना जाएगा.

23 साल के एक दलित लड़के केविन पी जोसेफ को रविवार को ‘ऑनर किलिंग’ के नाम पर, कथित तौर पर एक समृद्ध ईसाई परिवार की लड़की से शादी करने के लिए मार डाला गया था.

सत्तारूढ़ मोर्चे के लिए शर्मिंदगी की बात यह है कि जिस गिरोह ने केविन का अपहरण किया और बाद में हत्या कर दी, उसकी अगुआई नियास कर रहा था. नियास सीपीआई (एम) के यूथ विंग, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) का सेक्रेटरी है. इस तथ्य की पुष्टि राज्य पुलिस द्वारा कर दी गई है. एक अन्य सदस्य ई शान, जो पहले से ही पुलिस हिरासत में है, भी डीवाईएफआई कार्यकर्ता माना जा रहा है.

माना जाता है कि ये अपराध उस लड़की के भाई की तरफ से किया गया है, जिसके साथ केविन पहले गायब हुआ और बाद में शादी कर ली थी. केविन का मृत शरीर सोमवार सुबह राज्य की राजधानी के करीब थेनमाला के चलियाकारा नहर से बरामद किया गया था. शुरुआती रिपोर्टों के मुताबिक, उसकी आंखें निकाल ली गई थी और गर्दन पर गहरे घाव के निशान थे.

उत्तर भारत के कई ग्रामीण हिस्सों में प्रायः ऑनर किलिंग जैसे भयानक अपराध की खबरें आती रहती है. लेकिन, केरल जैसे साक्षर राज्य में घटी ऐसी घटना ने न केवल एक साक्षर समाज को चौंका दिया है, बल्कि सत्तारूढ़ सीपीएम को भी शर्मिंदा होने पर मजबूर कर दिया है, जो खुद को दलितों की आवाज मानती है.

प्रख्यात दलित कार्यकर्ता ध्याणा रमन नेबताया, ‘यह जातीय हत्या का एक बहुत ही गंभीर मामला है. हमारे पास यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि लड़की का परिवार उसे हर कीमत पर वापस लाना चाहता था और स्थानीय डीवाईएफआई नेताओं/कार्यकर्ताओं ने मदद की. इस हत्या के राजनीतिक पक्ष है जो कि जाति आधारित राजनीति है. केविन एक शेड्यूल कास्ट का लड़का है और वास्तविकता यह है कि केरल में वामपंथी प्रगतिशील संगठन भी अब इस तरह के विवाह के खिलाफ हैं. यह एक दुखद सच्चाई है.’

अन्य गैर-दलित कार्यकर्ताओं की बातें भी ध्याणा के शब्दों को मजबूत देती हैं. इससे यह भी लगता है कि केरल में वामपंथी सरकार कैसे मूलभूत नीतियों का क्षरण कर रही है, जिससे इस तरह की प्रवृत्ति केरल जैसे प्रगतिशील राज्य में देखने को मिल रही है.

मशहूर सामाजिक कार्यकर्ता पोरान ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया कि यह साक्षर केरल के चेहरे पर एक जबरदस्त तमाचा है. लेकिन यह अपेक्षित था, क्योंकि जब वामपंथी, जो इस तरह की बुराइयों पर पहले निगरानी रखते थे वहीं अब कॉरपोरेट के पिछलग्गू बन गए और अपनी मूल नीतियों से भटक जाएं तो केरल के समाज में भी क्षरण तो आना ही था. इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है.

केरल में सत्तारूढ़ दल के लिए स्थिति खराब करने में राज्य पुलिस की भी भूमिका रही. रविवार की सुबह केविन की पत्नी नीनू चाको को जब अपने पति के अपहरण की खबर अपने चचेरे भाई अनिश से मिली तो वो कोट्टयम के गांधी नगर पुलिस स्टेशन गई.

नीनू को केविक ने पहले ही एक छात्रावास में डाल दिया था. ये काम उसने तब किया जब उसे शादी के बाद, तीन दिन से लगातार नीनू के परिवार की तरफ से गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी मिल रही थी. शनिवार की रात को नीनू के भाई शानू चाको, डीवाईएफआई नेता नियास की अगुआई में दस लोगों ने केविन के घर पर हमला कर दिया और उसका अपहरण कर लिया था.

रविवार को पुलिस थाने के बाहर नीनू ने मीडिया को बताया,’मैं रविवार सुबह से पुलिस स्टेशन में इंतजार कर रही थी, लेकिन पुलिसकर्मी मेरी शिकायत को ले कर गंभीर नहीं थे. वे शुरू में मेरी शिकायत दर्ज करने के लिए तैयार नहीं थे. उन्होंने कहा कि चूंकि मुख्यमंत्री एक समारोह के लिए शहर में हैं, इसलिए वे उनकी सुरक्षा में व्यस्त हैं और मेरी शिकायत बाद में लेंगे.’

जब कुछ दलित संगठन पुलिस थाना पहुंचे और मीडिया ने रिपोर्ट करना शुरू किया, तब जा कर गांधी नगर पुलिस स्टेशन के उप निरीक्षक ने काम करना शुरू किया. लेकिन तब तक समय बीत रहा था और केविन को बचाया नहीं जा सका.

अपहरणकर्ता राज्य के तीन जिलों से गुजर सकते थे. चेंगान्नूर में उप-चुनाव की वजह से सुरक्षा कड़ी थी. ऐसे में पुलिस को अपहरणकर्ताओं के बारे में निश्चित जानकारी रही होगी, लेकिन पुलिस ने झूठ बोलने का काम किया.

केविन के परिवार के पास यह मानने का एक और कारण है कि पुलिस हत्यारों के साथ मिली है. केविन के पिता का दावा है कि स्थानीय पुलिस खतरे से अवगत थी, क्योंकि केविन की शादी के बाद दोनों परिवारों को, लड़की वाले के परिवार की शिकायत के बाद पुलिस थाने बुलाया गया था.

पुलिस थाने में और उसके बाद केविन के घर से भी जबरन नीनू को ले जाने का प्रयास भी किया गया था. इसके बावजूद पुलिस ने कुछ भी नहीं किया. केविन के परिवार का दावा है कि लड़की के परिवार और पुलिस के बीच मिलीभगत है. अपहरण के बाद केविन के पिता ने पुलिस को उस वाहन की पंजीकरण संख्या, जिसमें केविन का अपहरण किया गया था और नीनू के भाई का फोन नंबर भी दिया. लेकिन पुलिस ने केविन को बचाने के लिए कुछ नहीं किया.

यह भी आरोप है कि गांधी नगर स्टेशन के निरीक्षक ने खुद फोन पर नीनू के भाई से बात की थी. नीनू के भाई ने कहा था कि अगर केविन चाहिए तो पहले लड़की को घर लौटना होगा. अपहरणकर्ताओं की तलाश करने के बजाए पुलिस ने एक वार्ताकार की भूमिका निभाई. नतीजतन, एक युवा असमय मौत का शिकार हो गया.

सेवानिवृत्त पुलिस अधीक्षक सुभाष बाबू ने कहा,’यह कर्तव्य के अपमान का एक स्पष्ट मामला है. जब अपहरण जैसे गंभीर संज्ञेय अपराध की सूचना दी जाती है तो पुलिस का काम सीधे एक्शन लेना होता है, पुलिस को चाहिए था कि वो राज्य की पुलिस को सतर्क करती. तुरंत कार्रवाई करना था. शायद लड़का बचाया जा सकता था. गांधीनगर पुलिसकर्मियों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी.’

गांधीनगर पुलिस स्टेशन के उप निरीक्षक और सहायक उप निरीक्षक को निलंबित कर दिया गया है और कोट्टायम पुलिस अधीक्षक को स्थानांतरित कर दिया गया है. लेकिन राज्य भर में बड़े पैमाने पर शुरू हो रहे विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए यह शायद ही पर्याप्त हो.

कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ और बीजेपी ने मंगलवार को कोट्टायम जिले में हड़ताल की घोषणा की है. दोनों मोर्चों ने मांग की है कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, जिनके पास गृह विभाग भी है, को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए.

गांधीनगर पुलिस स्टेशन के बाहर सोमवार को कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने विरोध प्रदर्शन किया था. विपक्षी नेता रमेश चेन्निथला ने मीडिया से कहा, ‘मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बार-बार साबित किया है कि वह गृह विभाग के लिए पूरी तरह से मिसफिट है. उन्हें इस्तीफा देना चाहिए और ये विभाग ऐसे व्यक्ति को दे जो इसे चलाने में सक्षम हो. अन्यथा केरल की कानून और व्यवस्था और बदतर हो जाएगी.’

बहुत से लोग कहते हैं कि ऐसी घटनाओं को रोकने में पुलिस की विफलता असल में पक्षपातपूर्ण निष्क्रियता की वजह से तो है ही, बल्कि पुलिस बल का भारी राजनीतिकरण भी हो चुका है. ऐसा मानने के कई ठोस कारण भी हैं. यह कोई पहला मामला नहीं है, जिसमें राजनीतिक संलिप्तता इतनी स्पष्ट है. एक महीने पहले वारापुझा में श्रीजिथ की पुलिस हिरासत में मौत हुई थी. उसमें भी राजनीतिक हस्तक्षेप स्पष्ट था. एर्नाकुलम डीवाईएसपी की भूमिका तब सामने आई थी. सत्तारूढ़ दल के एक वरिष्ठ जिला नेता के आदेश पर ही श्रीजिथ की गिरफ्तारी हुई थी. ये चर्चा शहर में तब आम थी.

ध्याणा रमन कहती हैं,’आप में से कई ने सीधे इसका सामना नहीं किया होगा. लेकिन हम केरल के पुलिस स्टेशनों में रोजाना ऐसी घटनाओं से दो-चार होते है, जहां पार्टी कार्यकर्ताओं के एक फोन कॉल पर दलितों और अन्य के खिलाफ पुलिस वाले मामला दर्ज कर लेते हैं. स्थानीय सीपीएम नेताओं के साथ पुलिस वालों की मिलिभगत इतनी अधिक है कि जब तक आपको उनका समर्थन नहीं है, तब तक आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं.’

उनके शब्दों को पिछले महीने लीक हुई एक खुफिया रिपोर्ट से और मजबूती मिलती है. डीजीपी को राज्य की पुलिस खुफिया प्रमुख द्वारा भेजी गई एक रिपोर्ट बताती है कि 2016 में वामपंथी सरकार आने के बाद से केरल पुलिस का जबरदस्त तरीके से राजनीतिकरण किया गया है.

रिपोर्ट में पुलिस एसोसिएशन की बैठकों के दौरान, पुलिस वालों द्वारा अक्सर राजनीतिक नारे लगाने और शहीदों के कॉलम को लाल रंग से रंगने के प्रयास करने जैसी बढ़ती प्रवृत्ति के बारे में बात की गई है.

ये चिंता तब और अधिक बढ़ गई जब पुलिस एसोसिएशन के राज्य सम्मेलन के दौरान उत्तरी केरल, सीपीएम का गढ़, से आने वाले 50 अधिकारी लाल रंग की कमीज पहन कर पहुंचे. वे पुलिस अधिकारी कम सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ता अधिक लग रहे थे.

सीआर नीलकंदन, प्रसिद्ध अधिकार कार्यकर्ता और आम आदमी पार्टी के राज्य संयोजक, ने फ़र्स्टपोस्ट को बताया, ‘यह कोई रहस्य नहीं है. राज्य पुलिस का एक बड़ा हिस्सा (लेफ्ट) पार्टी से सहानुभूति रखता है. ऐसी परिस्थितियों में जब पार्टी कार्यकर्ता पुलिस से एक खास लाइन लेने को कहते हैं तो क्या वे ऐसा नहीं करेंगे? यही कारण है कि केविन की खोज में देरी हुई, क्योंकि पुलिसकर्मी जानते थे कि इसके पीछे कौन है. अन्यथा लड़की के भाई से फोन पर बात करने के बाद भी, पुलिस ने उन्हें पकड़ने के लिए कार्रवाई क्यों नहीं की? ये एक स्पष्ट मिलीभगत है.’

इस बीच वरिष्ठ पुलिस अधिकारी चिंतित हैं और कहते हैं कि राज्य के विभिन्न स्टेशनों में तैनात औसत पुलिस अधिकारी सत्तारूढ़ राजनीतिक वर्ग के दबाव से जबरदस्त तनाव में हैं. दूसरी तरफ उन्हें कानून का भी पालन करना है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘केविन केस में सब इंस्पेक्टर ने गलत विकल्प चुना और उसे अपनी नौकरी खोकर इसकी कीमत चुकानी पड़ी. लेकिन वामपंथी सत्ता के आने के बाद से युवा अधिकारियों को इस सब का सामना करना पड़ रहा है. यह पुलिस बल को एक बहुत ही खतरनाक रास्ते पर ले जा रहा है.’

इस बीच, सीपीएम ने इस अपराध में अपने किसी भी कैडर या डीवाईएफआई की भागीदारी के दावों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है. सीपीएम विधायक एएन शमशीर ने मीडिया से कहा, ‘यह एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण ऑनर किलिंग है. केरल जैसे राज्य में ये नहीं होना चाहिए था. जहां तक हम जानते हैं कि हत्या में लड़की का परिवार शामिल है और उनकी राजनीतिक निष्ठा का यहां कोई मतलब नहीं है. पार्टी दोषी पाए गए किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करेगी.’

इस बीच राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने केविन की हत्या पर राज्य पुलिस से एक रिपोर्ट मांगी है और आयोग के अध्यक्ष जल्द ही स्थिति का जायजा लेने के लिए राज्य का दौरा करेंगे.

केविन की हत्या की खबर सोमवार को सुर्खियों में बनी रही. चेंगन्नूर में भारी मतदान भी हुआ. अब 31 मई को मतगणना है. इसी से पता चलेगा कि क्या केविन की हत्या ने उप-चुनाव पर असर डाला?