Sunday, December 22

पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता स्वीकार करने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। कांग्रेस के एक नेता द्वारा सवाल खड़ा करने और मीडिया में इसके सुर्खियों में आने के बाद अब बीजेपी ने इस पर करारा जवाब दिया है। संघ से लंबे समय से जुड़े रहे बीजेपी के वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी ने कहा कि क्या RSSकोई पाकिस्तानी संगठन है, जो इस तरह मामले को उठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ‘लोग तो दारू की दुकान पर जाते हैं, लेडीज बार में जाते हैं। ऐसे में अगर पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में जा रहे हैं तो इसे कोई मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए।’

उन्होंने कहा कि राजनीतिक अस्पृश्यता अच्छी बात नहीं है। आरएसएसके कार्यक्रम में जाने को लेकर टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए। उधर, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैं इस मामले पर कुछ नहीं कहूंगा लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि उस (आरएसएस) विचारधारा से देश को बचना चाहिए। इससे पहले कांग्रेस के नेता संदीप दीक्षित ने कहा था कि जो आरएसएस के खिलाफ विचार रखते थे अब वह उनके ही कार्यक्रम में जाने को तैयार हो गए हैं, ऐसे में वह क्या कहते हैं, देखना दिलचस्प होगा।

 

दीक्षित ने आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘प्रणव मुखर्जी सांप्रदायिकता और हिंसा को लेकर आरएसएस की भूमिका पर पहले सवाल उठा चुके हैं। RSS को ये बातें पता होंगी। अगर उन्हें संघ अपने कार्यक्रम में बुला रहा है तो क्या प्रणव मुखर्जी ने अपनी विचारधारा बदली है या RSS में कोई स्वाभिमान नहीं बचा है।’
Iपूर्व राष्ट्रपति पनब मुखर्जी 

उधर, बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने कहा कि ‘पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी RSS के कार्यों की प्रशंसा कर चुकी हैं। पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी संघ को पर्याप्त सम्मान देते थे। आज दुनिया के कोने-कोने में आरएसएस को अलग पहचान मिली है। प्रणव वहां जाकर क्या बोलते हैं यह देखना होगा।’ स्वामी ने कहा कि जब परिस्थितयां बदलती हैं तो लोगों का नजरिया भी बदलता है। लाल बहादुर शास्त्री ने भी आरएसएस को महत्व दिया था। आज कांग्रेस का पतन हो रहा है तो मुझे लगता है कि प्रणव मुखर्जी को देश की चिंता है।

 इस बीच, आधिकारिक रूप से कांग्रेस पार्टी ने मामले से दूरी बनाते हुए कहा है कि यह सवाल पार्टी से नहीं बल्कि प्रणव मुखर्जी से पूछा जाना चाहिए कि वह संघ के कार्यक्रम में क्यों शामिल हो रहे हैं। कहा गया है कि यह फैसला प्रणव मुखर्जी का है, कांग्रेस पार्टी का नहीं।

आपको बता दें कि कांग्रेस से लंबे समय से जुड़े रहे पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने 7 जून को नागपुर में संघ के भावी ‘प्रचारकों’ के सामने राष्ट्रवाद पर व्याख्यान देने का न्योता स्वीकार कर लिया है। वह नागपुर में आरएसएस के उन कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे, जिन्होंने संघ के शैक्षिक पाठ्यक्रम का तृतीय शिक्षा वर्ग पास किया है। यह ट्रेनिंग पास करने वाले ही आगे चलकर पूर्णकालिक प्रचारक बनते हैं।