Saturday, December 21

चण्डीगढ़ 25 मई 2018

हरियाणा के पूर्व मुख्य मन्त्री भूपेन्द्र सिह हुड्डा ने आज प्रदेश की भाजपा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा है कि हरियाणा की भाजपा सरकार ने पाँच वर्ष से जारी अनुसूचित जाति के खिलाडि़यों को मिलने वाली मासिक छात्रवृति पर रोक लगा दी है, जो 7 करोड़ 67 लाख 32 हजार रूपये बनती है, यह असहनीय है। यही नहीं इससे पहले अनुसूचित जाति के परिवारों को मुफ्त में दिये जाने वाले 100-100 गज के प्लॉट देने भी बन्द कर दिये।
हुड्डा ने कहा कि एक तरफ तो सरकार डॉ0 भीमराव अम्बेडकर का स्तूति गान करती है, तो दूसरी ओर एक-एक करके अनुसूचित जाति के कल्याण की योजनाओं में भांजी मार रही है। दरअसल भाजपा मन से न तो डॉ0 अम्बेडकर का सम्मान करती है और न ही दलित समाज का। भाजपा केवल अनुसूचित जाति के लोगों को भ्रमित करने के लिए डॉ0 अम्बेडकर का नाम लेती है, जबकि कांग्रेस पार्टी ने हमेशा दलितों के उत्थान व उन्हें उचित सम्मान देने का कार्य किया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार से मांग की है कि दलित खिलाडि़यों की रोकी गई छात्रवृति सरकार तुरन्त जारी करे।
हुड्डा ने कहा कि भाजपा सरकार का किसान प्रेम भी नकली है। किसानों को जमीन कुर्की के नोटिस देए जा रहे हैं, जिस पर कांग्रेस शासनकाल में रोक लगा दी गई थी। कांग्रेस पार्टी किसानों की जमीन की कुर्की का विरोध करती है। किसान की फसलों की खरीद में फजिहत करवा चुकी सरकार से निराश गन्ना उत्पादक किसान भी सड़कों पर है, क्योंकि गन्ना मिलों पर किसानों का सैंकड़ों करोड़ रूपया बकाया है। सरकार न तो मिलों से किसानों का बकाया भुगतान दिलवा पा रही है और न खुद इसके लिए ऋण जुटाने पर गम्भीर दिख रही है। जो भी व्यवस्था करनी है, सरकार शीघ्र करे ताकि किसानों का बकाया मिल सके।
हुड्डा ने कहा कि उपरोक्त दोनों मसलों पर अगर सरकार नहीं चेती तो समालखा से तीन जून से शुरू हो रही उनकी जनक्रान्ति रथ यात्रा के दौरान इसे प्रमुखता से उठाया जाएगा। साथ की तेल और रसोई गैस को जीएसटी के दायरे में लाये जाने के मुद्दे को भी जनता के बीच रखा जाएगा। क्योंकि तेल की आसमान छूती कीमतों से मंहगाई का बढ़ना भी तय है, जिससे आम आदमी का जीना दूभर हो जाएगा।
हुड्डा ने कहा कि भाजपा लाख जतन कर ले वो फिर से हरियाणा के लोगों का विश्वास नहीं जीत सकती। हर मामले में भाजपा की पोल खुल चुकी है व लोग भी सरकार को अवांछित ‘‘ भार ’’ समझने लगे हैं व पीछा छुड़ाने के समय का इन्तजार कर रहे हैं।