भोपाल गैस कांड: जिन्हें आज भी नहीं भूला उस रात का दर्द

साभार: विनय कुमार

भोपाल में दिसंबर के पहले हफ्ते की रात बहुत सर्दी नहीं होती. 2 दिसंबर 1984 की रात भी कुछ ऐसी ही थी. जेपी नगर और आस पास के लोगों के लिए वह रात सामान्य होती…अगर वहां यह दर्दनाक हादसा न होता. 3 दिसंबर 1984 की सुबह अपने साथ एक ऐसी काली सुबह लेकर आएगी, इस बात का अंदाजा किसी को नहीं था.

2 दिसंबर की रात को क़ाज़ी कैंप, जेपी नगर (आज का आरिफ नगर) और उसके आसपास के इलाके के लोग रात का खाना खाकर सो गए थे. नई सुबह का इंतजार करते हुए लोगों ने कुछ योजनाएं बनाई होंगी. पता नहीं कितने युवक और युवतियों ने अपने प्रेम की कुछ बातों के लिए अगले दिन को चुना होगा. बच्चे रविवार होने की वजह से रोज से कुछ ज्यादा ही खेलकूद कर थके होंगे और उनकी माओं ने उनको किसी तरह खिला पिला कर सुलाया होगा कि कल फिर खेल लेना.

कुछ के लिए आने वाला सोमवार, 3 दिसंबर रोजगार के नए मौके लेकर आने वाला था. कुछ घरों में मेहमान भी उसी रात आए थे और उन घरवालों को भी यह भान नहीं रहा होगा कि यह मेहमान अब वापस नहीं जा पाएगा. उस इलाके में कुछ शादियां भी उस दरम्यानी रात को हो रही थीं. कुछ दूल्हा-दुल्हन भी पहले मिलन की आस लिए दुनिया से कूच कर गए.

उस रात की सुबह नहीं

आधी रात के बाद जब पुराना भोपाल, चंद पुलिसवालों, चौकीदारों और बीमारी से खांसते-खंखारते बुजुर्गों को छोड़कर गहरी मीठी नींद में सोया था तो किसी को खबर तक नहीं थी कि आरिफ नगर की यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री उनके लिए जीने का नहीं बल्कि मरने का सबब बन जाएगी.

उस फैक्ट्री में मौजूद तमाम गैस के टैंकों के नंबर भले ही तब के कुछ कर्मचारियों और अधिकारियों को याद रहे हों लेकिन आगे चलकर टैंक नंबर E-610 इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया और भोपाल के लोग चाहकर भी इस नंबर को भूल नहीं पाएंगे. यह वही दुर्भाग्यशाली टैंक था जिससे गैस लीक हुई थी.

चाहे दुनिया की कोई भी कंपनी हो और वह लोगों के भलाई की कितनी ही बात करे, उसके लिए कहीं भी अपनी फैक्ट्री लगाने के पीछे सबसे अहम कारण वहां से मिलने वाला मुनाफा ही होता है. यह बात हर देश में भी लागू होती है, चाहे वह विकसित हो या विकासशील हो. बस विकसित देशों में इंसान की जिंदगी को तवज्जो दी जाती है और ऐसे कारखाने जो इंसानों या समाज के लिए खतरनाक होते हैं, उनको आबादी से दूर बनाया जाता है.

भोपाल में भी यूनियन कार्बाइड ने जब अपनी फैक्ट्री क़ाज़ी कैंप के पास 1969 में शुरू की थी, तब भी यहां आबादी थी. फर्क़ बस इतना था कि हिन्दुस्तान विकासशील देश था और यहां पर इंसानों की जिंदगी की कीमत कुछ खास नहीं थी. वैसे भी यूनियन कार्बाइड कीटनाशक दवाएं बना रही थी, बस गलती से इंसान भी कीट-पतिंगों की मानिंद उस हादसे में मारे गए.

इस देश में पैसे के बल पर कहीं भी कुछ भी किया जा सकता है और प्रशासन ऐसे उद्योगपतियों के कदमों में अपना सब कुछ न्योछावर करने के लिए तत्पर था, बशर्ते उनको मुंहमांगी कीमत मिल जाए.

अंदेशा था फिर लापरवाही क्यों?

ऐसा नहीं है कि किसी को इसका अंदेशा नहीं था. उस दुर्भाग्यपूर्ण रात के पहले भी कई बार छोटे-मोटे हादसे उस कारखाने में हो चुके थे. गैस लीक की छोटी मोटी घटनाएं हुई थीं. एकाध मजदूर उसमें मारे भी गए थे. अख़बारों में यूनियन कार्बाइड कारखाने की लोकेशन पर कई बार सवाल खड़े किए जा चुके थे लेकिन न तो किसी को फर्क़ पड़ना था और न पड़ा.

कारखाना अपनी गति से चलता रहा और शायद अगले कई सालों तक ऐसे ही चलता रहता, अगर उस रात वह हादसा नहीं हुआ होता. सुरक्षा के मानकों को दरकिनार करके मुनाफा बढ़ाने की नीयत के चलते कारखाने में कभी भी कोई दुर्घटना घट सकती थी लेकिन किसी का भी ध्यान उसकी तरफ नहीं था. यह कारखाना शुरू होने के ठीक 10 साल बाद 1979 में कंपनी ने मिथाइल आइसोसाइनाइट का उत्पादन शुरू किया. और इसके ठीक 5 साल बाद एक ऐसा हादसा हुआ जिसे इतिहास की सबसे बड़ी औद्योगिक त्रासदी मानी जाती है.

आज 34 साल बाद भी जेपी नगर, आरिफ नगर और आसपास के मोहल्लों में लोग उस दिन को याद करके सिहर जाते हैं. उस त्रासदी से किसी तरह बचने वाले लोग जब उस रात की कहानी सुनाते हैं तो दिल दहल जाता है.

कुछ यादें हैं कि जाती नहीं

पेशे से कारोबारी संजय मिश्रा उस समय करीब 16 साल के थे. उस रात वह घोड़ा नक्कास के अपने घर में परिवार के साथ सोए हुए थे. रात में गैस ने बहती हवा के साथ जैसे-जैसे अपना असर फैलाना शुरू किया, उनके इलाके में भी शोर मचने लगा. जो लोग खुले में थे या बाहर सो रहे थे, उनको घबराहट, बेचैनी और सांस में रुकावट महसूस हो रही थी.

किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि यह किस वजह से हो रहा है और हर व्यक्ति परेशान हाल में दूसरों से कारण जानने की कोशिश कर रहा था. तभी कहीं से खबर आई कि कार्बाइड कारखाने से जहरीली गैस लीक हो गई है और यहां से भागने में ही भलाई है.

मिश्रा के परिवार के सब लोग उठे और जो कपड़ा मिला उसे अपने नाक और मुंह पर बांधा और लाल परेड मैदान की तरफ दौड़ लगाई. उनको याद भी नहीं है कि उन्होंने अपने घर में ताला बंद किया था या नहीं. बस जान बचाने के लिए पूरा परिवार भाग रहा था. रास्ते में उनको जगह-जगह सड़क पर, गलियों में गिरे लोग और जानवर दिखाई पड़ रहे थे जो दम घुटने से छटपटा रहे थे.

भागते भागते उनका पूरा परिवार लाल परेड मैदान पहुंचा और उससे आगे जाने की उन लोगों में क्षमता नहीं बची थी. धीरे धीरे उनको महसूस हुआ कि वहां सांस लेने में ज्यादा दिक्कत नहीं हो रही थी. आंखों में जलन भी कम थी तो सारा परिवार वहीं पूरी रात पड़ा रहा. कुछ ही देर में पूरा लाल परेड मैदान लोगों से भर गया. हर तरफ लोग कराह रहे थे. कुछ जिनका परिवार बिछड़ गया था, वह उनको याद करके रो पीट रहे थे. उन बिछड़े लोगों को यह अहसास हो गया था कि जो भी पीछे रह गया, वह शायद ही अब उनसे दोबारा मिल पाएगा.

अपनों को खोने की रात

हजारों लोगों ने एक ही रात में अपनों को खो दिया. सरकारी आंकड़ों में भले ही मारे गए लोगों का आंकड़ा 4000 से कम था. लेकिन असलियत में यह संख्या  50,000 से भी ज्यादा रहा.

उस हादसे के एक और प्रत्यक्षदर्शी विजय मिश्रा ने एक और बात बताई. उन्होंने बताया कि उस रात ठंड और दिनों की अपेक्षा ज्यादा थी. लिहाजा गैस ऊपर आसमान में नहीं जा पा रही थी. हलके पीले रंग की गैस की परत चारों तरफ फैली हुई थी और इस वजह से भी बहुत ज्यादा लोगों की मौत हुई.

एक और प्रत्यक्षदर्शी की जुबानी उस रात का खौफनाक मंजर कुछ ऐसा था. अमन शर्मा उस समय लगभग 24 वर्ष के युवक थे और अपने परिवार के साथ रेलवे कॉलोनी में रहते थे. उस रात किसी परिचित की शादी थी तो बारात से खा पीकर आने में रात के बारह बज गए. उसके बाद वह भी परिवार के साथ सो गए. पिताजी रेलवे में थे और उनकी रात की पाली नहीं थी, इसलिए वह भी घर पर ही थे. रात जब शोर मचना शुरू हुआ तो सब लोग जागकर बाहर आए.

बाहर यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली गैस लीक होने की खबर मिली तो पूरा परिवार घर के दो स्कूटर से वहां से भागा. एक स्कूटर पर अमन अपने पिता और एक और सदस्य को लेकर मंडीदीप की तरफ भागे. दूसरे स्कूटर पर उनके बड़े भाई अपनी मां, बहन और अन्य सदस्यों को लेकर टी टी नगर की तरफ भागे.

अमन बताते हैं कि मंडीदीप पहुंचते-पहुंचते उनकी हालत स्कूटर चलाने लायक नहीं रह गई. वह एक दूकान के सामने स्कूटर लेकर लुढ़क गए. गैस लीक होने की खबर वहां भी पहुंच चुकी थी लेकिन वहां उसका असर बहुत कम था. वह आज भी वहां के दुकानदारों और मौजूद लोगों का आभार करना नहीं भूलते जिन्होंने उनको और इनके परिवार को झटपट घर के अंदर खींच लिया और पानी के साथ साथ बेनाड्रिल सिरप पिलाने लगे. कुछ देर में उन लोगों को राहत मिली और उनको अहसास हुआ कि फिलहाल मौत का साया उनके सर से हट गया है.

एक अफसोस यह भी

शर्मा को बस एक अफसोस यह है कि भागने के दौरान जब वह स्कूटर से पुल पार कर रहे थे तो कुछ लोगों के हाथ या पैर के ऊपर से उनका स्कूटर गुजर गया था. अमन के बड़े भाई टी टी नगर पहुंचते-पहुंचते बेदम होने लगे और वह भी सड़क के किनारे फुटपाथ पर गिर पड़े. इस तरफ भी गैस का असर कम था और वहां मौजूद लोगों ने उन लोगों को अपने घर में पनाह दे दी.

इस तरह उनका पूरा परिवार इस हादसे से बाल बाल बच गया. हालांकि इस हादसे के  बाद उनकी मां को सांस लेने में तकलीफ आजीवन रही. एक और बात उन्होंने बताई कि इस हादसे के बाद रेलवे स्टेशन या आसपास भिखारी अगले कुछ महीनों तक नजर नहीं दिए. जितने भी भिखारी थे वे सब इस गैस कांड के चपेट में आकर मारे गए.

भोपाल गैस त्रासदी इतिहास की सबसे भीषण त्रासदियों में से एक थी. अधिकांश लोगों को इससे बहुत आर्थिक क्षति उठानी पड़ी तो कुछ लोगों को इससे जाती फायदा भी हुआ. गैस कांड के अगले दिन एक स्थानीय नेता लोगों का हुजूम लेकर यूनियन कार्बाइड की तरफ बढ़े. उन्होंने लोगों को उनका हक़ दिलाने की भी बात की.

उसी बीच एक अफवाह तेजी से फ़ैली कि यूनियन कार्बाइड कारखाने में आग लगा दी गई है और अब जहरीली गैस का बहुत ज्यादा असर फैलने वाला है. इससे उस पूरे इलाके में भगदड़ मच गई. इसके बाद उपद्रवियों ने जमकर घरों और दुकानों को लूटा. उस राजनेता की राजनीति की दुकान इसके बाद चल निकली.

एक किस्सा यह भी

रेलवे के दो अधिकारियों का किस्सा भी लोगों ने बताया. एक अधिकारी जो शराब पीने के लिए बहुत बदनाम थे, वह घर पर शराब पीकर सो रहे थे. जब चारों तरफ हल्ला मचा तो वह भी घर से बाहर निकले और चारों तरफ घूम-घूम कर लोगों से पूछने लगे.

इसी बीच शायद गैस या किसी और वजह से वह गिर पड़े और जब तक उनको घर ले जाया जाता, उनकी मौत हो गई. ये किस्सा सुनाने वालों का कहना है कि  घरवालों ने उनको ले जाकर उनके ऑफिस में बैठा दिया. बाद में उनकी मौत को ड्यूटी पर हुई मौत बताया गया. कुछ लोगों का कहना है कि उनके परिवार को इसका फायदा भी हुआ.

दूसरे अधिकारी उस समय ड्यूटी पर ही थे. उनको भी खबर लग गई थी कि गैस त्रासदी हो गई है. लेकिन उन्होंने अपनी ड्यूटी नहीं छोड़ी और स्टेशन पर मौजूद लोगों की सलामती में लगे रहे. उसका नतीजा उनको आगे भुगतना पड़ा. उनकी पत्नी और बेटी दोनों गैस के चलते अगले दो दिनों में दुनिया में नहीं रहे. बेटा बाहर था तो वह बच गया लेकिन कुछ सालों बाद वह अपना मानसिक संतुलन खो बैठे. आज भी वह भोपाल रेलवे स्टेशन पर पागलों की तरह घूमते नजर आते हैं. मेरी भी मुलाकात उनसे एक बार स्टेशन पर ही हुई थी और उनसे जुड़े किस्से के बारे में मुझे बाद में पता चला.

तमाम अखबार, पत्रिकाएं और सरकारी अमला इस बात की तस्दीक़ करते हैं कि उस कांड का असर आज भी मौजूद है. बहुत से बच्चे आज भी अपंग या मानसिक रूप से कमजोर पैदा हो रहे हैं और पिछले 34 वर्षों में कितने ही लोगों ने धीरे धीरे कैंसर और अस्थमा जैसे रोगों से अपनी जान गंवा दी है.

लोगों को मुआवजा तो मिला है लेकिन उतना नहीं जितना मिलना चाहिए था. और जिन लोगों को इस हादसे में उनसे छीन लिया है, उनका दर्द कभी भर ही नहीं सकता. आज यूनियन कार्बाइड का कारखाना उजाड़ पड़ा है लेकिन जहरीले पदार्थों का अवशेष अब भी मौजूद है. जरूरत है इस हादसे से सबक लेने की जिससे भविष्य में कोई और गैस कांड या ऐसी कोई त्रासदी ना हो.

“This is awesome! #Cipla cures Priyanka’s asthma (which she had since the age of 5) just in time, for her to enjoy the firecrackers at the wedding,”: Gopal Kavalireddi


 

One month ago, actor and brand ambassador Priyanka Chopra was an ardent anti-fireworks campaigner, pleading with her fans to “Skip the crackers this Deepawali”, especially on behalf of fellow asthmatics.

On Saturday night, however, the skies over Jodhpur exploded with fireworks in celebration of her wedding to American singer and actor Nick Jonas.

Predictably, Twitter exploded with charges of hypocrisy and double standards.

“So basically diwali crackers create problem and wedding celebration crackers add oxygen!!” said Twitter user Mahesh Watharkar. “I think @priyankachopra asthma gone a day before wedding,” tweeted Ayaan Lokesh. Another user asked if the Rajasthan Police had taken action against the couple.

This year, the Supreme Court had limited the bursting of crackers to two hours on Deepawali day, and also permitted only “safe and green” firecrackers in Delhi.

“Can you please tell us from where we should buy those noiseless & Oxygen emitting Eco friendly Crackers that you’ve used in your wedding? We’ll keep them in stock for next Diwali…” said a tweet from Dr. Janak Pandya.

Ms. Chopra is a brand ambassador for Breathefree, a public service initiative for asthma patients organised by Cipla, which manufactures inhalers. On Deepawali morning, Breathefree had posted a video of Ms. Chopra on Twitter as part of its #BerokZindagi (Unstoppable Life) campaign.

“Please keep my breathing unstoppable. Skip the crackers this Deepawali,” the actor urges in the promotional. “Let Deepawali be about lights and laddoos and love and not pollution. Reduce the use of firecrackers, so that you all, asthmatics like me, all the animals out there, everyone can enjoy the festival too.”

When reached out to Cipla for a response, the company said it was not prepared to comment on its brand ambassador’s actions. Twitter users however, were already questioning the company.

“This is awesome! #Cipla cures Priyanka’s asthma (which she had since the age of 5) just in time, for her to enjoy the firecrackers at the wedding,” said a sarcastic tweet by Gopal Kavalireddi.

“Dear @Cipla_Global your brand ambassador @priyankachopra does exactly what she tells us not to do on Diwali, on your behalf. Can’t wait to hear your response and action. No action would definitely mean choosing other brands over you where possible,” tweeted travel blogger and author Anuradha Goyal.

At 2 pm on Sunday, Breathefree’s Twitter page wished the newly wed couple as they “embark on their new #BerokZindagi”. It posted: “The only one who can take Priyanka’s breath away. #PriyankaNick

मस्जिद और चर्चों को मुफ्त बिजली तो मंदिर पर क्यों नहीं ः शाह

तेलंगाना के नारायणपेट में एक जनसभा को संबोधित करते हुए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि इस बार तेलंगाना की लड़ाई त्रिकोणीय है। एक तरफ टीआरएस और के चंद्रशेखर राव हैं, जिन्होंने तेलंगाना को AIMIM के सामने घुटने टिका दिए, तो दूसरी तरफ कांग्रेस, जिसने सिद्धू को पाकिस्तान के सेना प्रमुख से गले मिलने के लिए भेजा और तीसरी तरफ राष्ट्रवादी हैं जिनका नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे हैं। शाह ने कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में मस्जिद और चर्चों को मुफ्त बिजली का वादा किया लेकिन मंदिरों के लिए नहीं। टीआरएस और कांग्रेस दोनों अल्पसंख्यक को लुभा रही हैं।

योगी आदित्यनाथ की चेतावनी, भाजपा सत्ता में आई तो हैदराबाद से भागना पड़ेगा ओवैसी को

हैदराबाद:

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार को तेलंगाना नें पार्टी के चुनाव प्रचार करने पहुंचे। राजधानी हैदराबाद में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यदि भाजपा सत्ता में आती है तो मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि एआईएमआईएम के हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी को तेलंगाना छोड़कर वैसे ही भागना पड़ेगा जैसे निजाम हैदराबाद छोड़कर भागे थे।

बता दें कि तेलंगाना में 7 दिसंबर को मतदान होने वाले हैं। सत्तारूढ़ पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के अलावा यहां कांग्रेस, भाजपा समेत अन्य दल चुनावी मैदान में हैं।

योगी का यह बयान भाजपा के विधायक राजा सिंह द्वारा कुछ दिन पहले दिए गए उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि वे ओवैसी का सिर धड़ से अलग करने के बाद ही संतुष्ट होंगे।

मिडिया की जीत है पत्रकार सुरक्षा कानून को घोषणा – पत्र में शामिल करना


– कानून बनना जरूरी है दोनों ही पार्टियां इस वादे को याद रखे : जान्दू


जयवीर सिंह, श्रीगंगानगर/जयपुर:

पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर प्रयासरत पत्रकार संगठनों का प्रस्ताव देश की दोनों बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने स्वीकार करते हुए अपने घोषणा-पत्र में शामिल किया है। राजस्थान विधानसभा चुनाव से पूर्व भाजपा और कांग्रेस के जारी घोषणा-पत्र में पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून लाने का वादा किया गया है। इसके अलावा डिजीटल जर्नलिज़्म, अधिस्वीकरण, पत्रकारों के आवास आदि के लिए भी नए स्तर पर नीति बनाने का काम किया गया है। राजस्थान श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल जान्दू ने दोनों ही पार्टियों द्वारा पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बनाने के वादे पर प्रसन्नता जताते हुए कहा है कि वास्तव में यह राजस्थान के पत्रकारों की जीत है और दोनों ही पार्टियां इस वादे को याद रखे। आईएफडब्ल्यूजे के प्रदेशाध्यक्ष उपेंद्र सिंह राठौड़ के नेतृत्व में प्रदेश के पत्रकारों ने इस विषय पर काम किया। हर जनप्रतिनिधि तक अपनी बात पहुंचाई, जिससे दोनों पार्टियों को लगा कि यह कानून जरूरी हो गया है।

संघ के जिला महासचिव कैलाश दिनोदिया ने कहा कि पत्रकार संगठनों के सामूहिक प्रयासों का ही यह परिणाम है। केसरसिंहपुर से अशोक बजाज और सूरतगढ़ से शिव सारड़ा ने कहा कि आज के समय में यह बहुत जरूरी हो गया है कि पत्रकारों की सुरक्षा के लिए नीतिगत रूप से कुछ तय हो, क्योंकि पत्रकार जान हथेली पर लेकर काम करते हैं। सादुलशहर से राजेंद्र सिंघला, राजू सोनी और रायसिंहनगर से हरभजन सिंह सूदन ने कहा है कि सरकार किसी की बने यह कानून बनना चाहिए। इसके अलावा पिंकसिटी प्रेस क्लब जयपुर के महासचिव मुकेश चौधरी, पूर्व अध्यक्ष सत्य पारीक, वरिष्ठ पत्रकार शंकर नागर, जगदीश जैमन, लघु समाचार पत्र संपादक संघ के प्रदेशाध्यक्ष बाबूलाल भारती, चूरू से मनोज शर्मा, हनुमानगढ़ से गोपाल झा, बीकानेर से हरीश बी. शर्मा, अजमेर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र गुंजल, घड़साना से रमेश खाम्बरा, खाजूवाला से मदन अरोड़ा, पदमपुर से सुनिल सिहाग, नोहर से मुकेश पारीक, सहित प्रदेश भर के श्रमजीवी पत्रकारों ने भी दोनों पार्टियों द्वारा अपने घोषणा पत्र में इस मुद्दे को शामिल करना एक बड़ी जीत बताया है।

NDA का साथ छोड़ने के मुद्दे पर RSLP में अकेले ही न रह जाएं उपेंद्र कुशवाहा


आरएलएसपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भगवान सिंह कुशवाहा ने कहा, ‘हमारा मानना है कि कुशवाहा जी को यूपीए में एनडीए जितनी इज्जत नहीं मिलेगी’


राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के एनडीए छोड़ने के कयासों के बीच बिहार में राजनीतिक घटनाक्रम तेजी से बदल रहा है. आरएलएसपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भगवान सिंह कुशवाहा के एक बयान से इसमें नया ट्विस्ट आता दिख रहा है. उन्होंने कहा कि कुशवाहा को एनडीए ने बहुत इज्जत दी है और उन्हें एनडीए में ही रहना चाहिए. भगवान सिंह के इस बयान से उपेंद्र कुशवाहा एनडीए छोड़ने के मुद्दे पर अपनी ही पार्टी में अकेले पड़ते नजर आ रहे हैं.

भगवान सिंह ने कहा कि रामविलास पासवान की पार्टी एलजेपी के छह सांसद होने के बावजूद एक ही मंत्री बनाया. जबकि आरएलएसपी के तीन ही सांसद थे, तब भी एक मंत्री पद दिया गया. उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि कुशवाहा जी को यूपीए में एनडीए जितनी इज्जत नहीं मिलेगी. हम दिल की गहराई से आग्रह करते हैं कि आरएलएसपी एनडीए मे ही बना रहे.’

आरएलएसपी के नेता चाहते हैं एनडीए में बने रहना

आरएलएसपी के सांसद राम कुमार शर्मा भी एनडीए में ही रहने के संकेत दे चुके हैं. इसके साथ ही पार्टी के दोनों विधायक, सुधांशु शेखर और ललन पासवान ने भी एनडीए में ही बने रहने के संकेत दिए थे. वे 27 नवंबर को बीजेपी विधानमंडल दल की बैठक में शामिल भी हुए थे. इससे पहले 10 नवंबर को इन्ही दोनों विधायकों ने जेडीयू में जाने का संकेत दिया था.

आरएलएसपी के सांसद राम कुमार शर्मा भी एनडीए में ही रहने के संकेत दे चुके हैं. इसके साथ ही पार्टी के दोनों विधायक, सुधांशु शेखर और ललन पासवान ने भी एनडीए में ही बने रहने के संकेत दिए थे. वे 27 नवंबर को बीजेपी विधानमंडल दल की बैठक में शामिल भी हुए थे. इससे पहले 10 नवंबर को इन्ही दोनों विधायकों ने जेडीयू में जाने का संकेत दिया था.

Punjab minister Tripat Rajinder Singh Bajwa on Saturday demanded Siddhu’s resignation.

Siddhu with “Captain’s” captain


 “They were all Rahul Gandhi’s sepoys, not any chief minister’s”.Navjot kour Sidhu


Punjab minister Tripat Rajinder Singh Bajwa on Saturday came down heavily on his state cabinet colleague Navjot Singh Sidhu for his remarks on Chief Minister Captain Amarinder Singh and demanded his resignation.

At a press conference on Friday, Sidhu was asked why he had ignored the advice of his captain to visit Pakistan for the Kartarpur Corridor ground-breaking ceremony. In response, the cricketer-turned-politician purportedly asked “who is captain?”

“Which captain you are talking about? Oh.. Captain Amarinder Singh. He is an Army Captain. My captain is Rahul Gandhi. The captain’s captain is also Rahul Gandhi,” he had said.

The Punjab Cabinet is believed to be displeased with these remarks. On Saturday, Bajwa said Sidhu should resign on moral grounds.

“If he can’t respect Punjab’s captain, then morally he should quit,” the state minister said, demanding his resignation for indiscipline and disrespect to Amarinder. “Navjot Singh Sidhu is adopting wrong means for his ambition.”

Sidhu’s wife Navjot Kaur, however, defended her husband’s statement, saying “they were all Rahul Gandhi’s sepoys, not any chief minister’s”.

The Punjab chief minister had declined Pakistan’s invitation to attend the ceremony, citing Islamabad’s continued support to terrorism in India. He was also reportedly unhappy about Sidhu’s decision to attend the Kartarpur ceremony despite the criticism he drew after his last visit.

Moreover, Sidhu had downplayed his supposed differences with Amarinder, stating that the chief minister was like a father figure to him. “He is the chief minister. He is our boss, but this is not the first time I went without informing. The last time when I went there (Pakistan), I had said that I will come again for the people,” he had said.

Earlier on Saturday, media sources quoted Congress sources, that the Punjab cabinet was considering demanding Sidhu’s resignation after the controversy over his trip to Pakistan. The news channel said the Punjab cabinet was scheduled to meet on Saturday, and the ministers could bring up the subject of Sidhu’s resignation.

 

अपनी बात से पलटे सिद्धू या राहुल

कल तक कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की कप्तानी नकारने वाले और हर जगह अपनी मर्ज़ी चलाने वाले सिद्धू ने आज फिर पलटी मारी, कल तक वह जो बात कैमरे के सामने ठोक कर बोल रहे थे उसी बात को पलटने के लिए उन्हे आज टिवीटर का सहारा लेना पड़ा।


Navjot Singh Sidhu

@sherryontopp

Get your facts right before you distort them,
Rahul Gandhi Ji never asked me to go to Pakistan.
The whole world knows I went on Prime Minister Imran Khan’s personal invite.


Jalandhar

अभी तो पंजाब में सिद्धू ख़िलाफ़ बगावत को लेकर एक दो ब्यान ही आए थे कि गुरु अभी ही ‘खटैक ‘ कर बात ख़त्म कर गए। राहुल गाँधी के आशीर्वाद के बाद मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपने जैसा कांग्रेसी समझने की भूल करने वाले शैरी अब टॉप से धरातल पर आ गए है। पाकिस्तान दौरे को लेकर पार्टी प्रधान राहुल गाँधी की इज़ाज़त मिलने के ब्यान से सिद्धू मुकर गए हैं। ट्वीट के ज़रिये उन्होंने पलटी मारते हुए लिखा है कि आप अपने ज्ञान में सुधार लाएं ,राहुल गाँधी जी ने मुझे कभी भी  पाकिस्तान जाने के लिए नहीं कहा बल्कि वह इमरान खान द्वारा भेजे गए निजी आमंत्रण पर पाकिस्तान गए थे।

सिद्धू की ‘रिवर्स स्वीप’ का कारण हाईकमान की घुड़की माना जा रहा है क्यूंकि सिद्धू को लेकर पाकिस्तान के साथ लिंक जोड़ते हुए विपक्षी दल राहुल गाँधी की पाकिस्तान से सांठगांठ के इल्ज़ाम लगा रहे थे। अब हालात यह बन गए हैं कि सिद्धू का पंजाब में भी विरोध हो रहा है और दिल्ली दरबार से भी दबी आवाज़ में ‘क्लास ‘ लग गयी है।

सिद्धू के पाकिस्तान दौरे से पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह चिढ़े हुए हैं

सिद्धू के पाक दौरे से पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह चिढ़े हुए हैं, उन्होंने कहा था कि अपने मंत्रिमंडल के सदस्य सिद्धू को उन्होंने अमृतसर में एक धार्मिक कार्यक्रम पर ग्रेनेड हमले में 3 लोगों के मारे जाने के बाद पाकिस्तान जाने से रोकने की कोशिश की थी. लेकिन उन्होंने इसे अनसुना कर दिया. सिंह ने इस हमले के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई को जिम्मेदार बताया था.

इससे पहले गुरुवार को भारत आने के बाद सिद्धू ने कहा था कि दोनों देशों के बीच दुश्‍मनी खत्‍म होनी चाहिए.

बता दें कि खालिस्तान समर्थक नेता गोपाल चावला के साथ सिद्धू की तस्वीरें वायरल होने के बाद देश में राजनीति तेज हो गई है. इस पर जवाब देते हुए सिद्धू ने कहा था, ‘पाकिस्तान में मेरी 5-10 हजार तस्वीरें खींची गईं, मुझे नहीं पता गोपाल चावला कौन है.’

President of India Inaugurates 13th Edition of CII Agro Tech India – 2018


Chandigarh, December 1, 2018: 

Hon’ble President of India, Sh. Ram Nath Kovind inaugurated the 13th CII Agro Tech India 2018, a premier Agri and Food Technology Fair, at the Parade Ground in Chandigarh today.

Speaking on the occasion, the President said that Indian agriculture needs a renewal of its marriage with contemporary technology; protection against climate change, price fluctuations and demand shocks; and sustained investment by and partnership with business. Together these will enhance agricultural value and competitiveness – as well as lead to better incomes.

The President said that through human history, agriculture has moved ahead with cross-fertilization. It is the ideal stage for partnerships, for symbiosis and for mutual learning and sharing. Partnerships can be formed across sectors and across geographies. In previous decades, manufacturing and mechanisation have been of appreciable utility to agriculture. Today a strong relationship is emerging between agriculture and the services sector. Biotechnology, nanotechnology, data science, remote-sensing imaging, autonomous aerial and ground vehicles, and artificial intelligence hold the key to generating more value for agriculture. He expressed confidence that Agro Tech India-2018 will promote specific partnerships that will benefit India’s farmers.

Pointing to the issue of pollution due to stubble burning, the President said that the farmers of Punjab and Haryana are a matter of pride for our country. They have never shied away from a challenge and a responsibility to larger society. Today we are facing a problem related to disposal of crop residue and of safe and clean removal of husk or stubble. In an extreme form, the burning of such items is leading to pollution that affects even little children. It is for all of us, including the state governments, the skilled and large-hearted farmers, and other stakeholders, to come up with a solution. And no doubt technology will help us find a solution.

In his address, Mr Rakesh Bharti Mittal, President, CII said, “As our farmers have met the goal of food security, farming should now be seen as a wealth creation tool. Today’s new age farmer is an entrepreneur and CII is doing a lot to contribute to the cause of doubling the farmers’ income.  We have recommended to the government that states be ranked on an index called ‘Ease of Doing Agriculture’ on the lines of the Ease of Doing Business.”

Mr Mittal also called for reforms in long-term leasing of land, incentivizing farmers who adopt technology and how to synergise farmers and government’s efforts to ultimately benefiting the consumer at the other end.

Union Minister for Food Processing Industries, Smt Harsimrat Kaur Badal said, “The time is now ripe for food processing to ensure food for more people in the world and in our country. According to my own Ministry’s study, around Rs1 lakh crore worth of agri-produce is wasted for lack of processing. My Ministry had launched KISAN SAMPADA YOJANA as the prime seven umbrella scheme.”

She informed the gathering of a new scheme that the ministry is partnering with the World Bank to create a food processing revolution. “Rs 3,000 crore will be used to fund farmers for projects up to Rs 10 lakh each,” she added.

The ministry, she added, was also creating a new funding mechanism to finance food processing projects.

Recounting the achievements of the government, Union Minister for Agriculture and Farmers’ Welfare, Shri Radha Mohan Singh said, “We have doubled the investment in the sector to around Rs 450 crore per year from Rs 200 crore previously. We have also created corpus funds.”

Welcoming the dignitaries, Mr Ajay S Shriram, chairman and senior managing director, DCM Shriram Ltd, and chairman, CII Agro Tech India, 2018, said, “Since its inception in 1994, CII Agro Tech has brought together agribusiness communities from all around the world. The CII Agro Tech India 2018 focuses on leveraging innovation and technology for sustainable development of agriculture and doubling farmers’ income. Spread over 16,000 sq m of space, 14 states and eight countries are participating in the agri technology fair.”

 “The idea is to understand what is required from farmers to double their income in the medium term. Over 50,000 farmers are expected to visit us during the event,” he added.

Thanking all the dignitaries present, Mr SACHIT JAIN, Chairman, CII, Northern Region said, “Application of technology with linkages to market is the key to sustainable agriculture. CII is working on a pilot project to tackle stubble burning in Punjab. We will take it forward in the times to come and fulfill the dreams of Hon’ble President.”

The 13th CII Agro Tech India event witnessed 158 domestic exhibitors and 37 international exhibitors. The exhibition that has been set up in the 16,000 square m area and has the participation of 14 states and 8 countries.

Present among the galaxy of dignitaries were Shri Radha Mohan Singh, Minister for Agriculture and Farmers’ Welfare, Government of India; Smt Harsimrat Kaur Badal, Minister for Food Processing Industries, Government of India; Shri V P Singh Badnore, Governor, Punjab and Administrator, UT Chandigarh;  Shri Satyadeo Narain Arya, Governor, Haryana; Shri Manohar Lal Khattar, Chief Minister, Government of Haryana; Mr Rakesh Bharti Mittal, President, CII and Vice Chairman, Bharti Enterprises; Mr Ajay S Shriram, Chairman, CII Agro Tech India 2018 and Chairman & Senior MD, DCM Shriram Ltd; Mr Chandrajit Banerjee, Director General, CII; and Mr Sachit Jain, Chairman, CII Northern Region and Vice Chairman & MD, Vardhman Special Steels Ltd.

मामा शिवराज सिंह चौहान को पार लगा रही हैं महिला वोटर?


पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत तीन फीसदी बढ़ा है.


पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत  तीन फीसदी बढ़ा है. राज्य के लगभग 47 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत ज्यादा है. महिलाओं के वोटिंग प्रतिशत में हुई वृद्धि से बीजेपी अपने पक्ष में चुनाव नतीजे आने की उम्मीद लगाए बैठी है.

विंध्य क्षेत्र की विधानसभा सीटों पर महिलाओं ने की है ज्यादा वोटिंग

विधानसभा के इस चुनाव में महिलाओं ने सबसे ज्यादा वोटिंग विंध्य इलाके में की है. विंध्य में विधानसभा की कुल तीस सीटें हैं. वर्तमान में कांग्रेस के कब्जे में सिर्फ बारह सीटें हैं. बसपा दो सीटों पर चुनाव जीती थी. बीजेपी के खाते में सोलह सीटें आईं थीं. पिछले विधानसभा चुनाव में भी विंध्य क्षेत्र में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत पुरुषों की तुलना में ज्यादा रहा था.

इस बार इलाके की दो दर्जन से अधिक सीटों पर महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत आश्चर्यजनक रूप से बढ़ा है. खास तौर पर ग्रामीण क्षेत्र की विधानसभा सीटों पर पिछले चुनाव की तुलना में इस बार दस प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है. बसपा के कब्जे वाली रैगांव सीट पर इस चुनाव में महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 74.97 फीसदी रहा है. जबकि पिछले चुनाव में 64.62 फीसदी महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.

इस विधानसभा क्षेत्र में पिछले चुनाव की तुलना में 8 प्रतिशत ज्यादा डाला गया है. जबकि पिछले चुनाव में बसपा लगभग तीन प्रतिशत वोट ज्यादा लाकर चुनाव जीत गई थी. मनगंवा की सीट बसपा ने मात्र 275 वोटों से जीती थी. इस सीट पर पिछली बार महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत 59.05 था जो इस चुनाव में बढ़कर 61.81 प्रतिशत हुआ है.


ब्यौहारी की सीट कांग्रेस ने लगभग दस प्रतिशत वोटों के अंतर से जीती थी. ब्यौहारी में इस बार महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत पिछले चुनाव की तुलना में दो फीसदी कम हुआ है. महिला और पुरुषों के वोटिंग में भी मामूली अंतर है. पिछले विधानसभा चुनाव में जहां भी महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत बढ़ा था, वहां ज्यादा फायदा भारतीय जनता पार्टी को हुआ था.


विधानसभा के इस चुनाव में कांग्रेस को विंध्य क्षेत्र से बड़ी उम्मीदें हैं. कांग्रेस 18 सीट जीतने की उम्मीद लगाए हुए है. विंध्य कभी कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता था. अर्जुन सिंह जैसे दिग्गज नेता इसी क्षेत्र से आते थे. वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव के बाद इस क्षेत्र में कांग्रेस कमजोर हुई है. बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी का भी असर इस क्षेत्र में बढ़ने से कांग्रेस को नुकसान हुआ है. इस बार भी कांग्रेस की राह में मुश्किल इन दोनों दलों के कारण खड़ी दिखाई दे रही है.

महाकौशल के आदिवासी इलाकों में भी ज्यादा है महिला पोलिंग परसेंट

विंध्य की तुलना में ग्वालियर एवं चंबल क्षेत्र की 34 विधानसभा सीटों पर महिलाओं का पोलिंग परसेंट में खास बड़ा अंतर दिखाई नहीं दे रहा है. यह कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव वाला क्षेत्र है. इलाके की पांच सीटें ऐसी हैं जहां महिलाओं का पोलिंग परसेंट पुरुषों की तुलना में ज्यादा है.

ये विधानसभा क्षेत्र विजयपुर, सबलगढ़,जौरा, अटेर और भिंड हैं. इनमें दो सीट विजयपुर और अटेर पर कांग्रेस का कब्जा है. इस इलाके में भी बसपा और सपा की मौजूदगी चुनावी समीकरण को बिगाड़ रही है. इसके विपरीत महाकौशल के कई आदिवासी इलाकों में भी महिलाओं का वोटिंग परसेंट बढ़ा है.

कांग्रेस की कब्जे वाली मंडला विधानसभा सीट पर पुरुषों की तुलना में लगभग एक परसेंट ज्यादा महिलाओं ने वोट डाले हैं. पिछले चुनाव की तुलना में इस विधानसभा क्षेत्र में महिलाओं का वोट परसेंट चार से भी ज्यादा बढ़ा है. बालाघाट जिले की बैहर, लांजी, परसवाड़ा वारासिवनी, कटंगी में भी महिलाओं का पोलिंग परसेंट ज्यादा रहा है.

सिवनी और छिंदवाड़ा जिले की भी कुछ विधानसभा सीटों पर महिलाओं के वोट ज्यादा पड़े हैं. प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ छिंदवाड़ा संसदीय सीट से चुनाव लड़ते हैं. यह उनके प्रभाव वाला इलाका है. राज्य के सबसे समृद्ध माने जाने वाले मालवा-निमाड़ इलाके में इस तरह का वोटिंग पैटर्न दिखाई नहीं दिया है. पुलिस फायरिंग में किसानों की मौत के बाद चर्चा में आया मंदसौर इसी मालवा का हिस्सा है.

सरकार के पक्ष में पॉजेटिव वोट मान रही है बीजेपी

पिछले चुनाव की तुलना में महिला पोलिंग परसेंट बढ़ने से भारतीय जनता पार्टी उत्साहित है. पार्टी के मीडिया प्रभारी दीपक विजयवर्गीय कहते हैं कि शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं से जो भाई का रिश्ता बनाया है उसके कारण यह वोट परसेंट बढ़ा है. विजयवर्गीय ने दावा किया कि सरकार की महिला हितेषी नीतियों से भी बीजेपी को पॉजिटिव वोट मिल रहा है.


कांग्रेस प्रवक्ता जगदीप धनोपिया का दावा है कि बढ़ती महंगाई से नाराज होकर महिलाओं ने अधिक संख्या में घर से निकलकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया है.


चुनिंदा सीटों पर महिलाओं का वोटिंग परसेंट बढ़ने से राजीतिक प्रेक्षक भी हैरान हैं. लगभग सैंतालीस सीटों पर महिलाओं का पोलिंग परसेंट बढ़ने से सबसे ज्यादा चिंता कांग्रेस में दिखाई दे रही है.

कांग्रेस के एक नेता ने आकंडे़ सामने आने के बाद आशंका जाहिर की है कि विंध्य और महाकौशल क्षेत्र की सीटों पर महिलाओं का पोलिंग परसेंट बीजेपी के इलेक्शन मेनेजमेंट का हिस्सा हो सकता है. राज्य में सरकार बनाने के लिए 116 सीटों की जरूरत होती है.

बीजेपी को पिछले चुनाव में 165 सीटें मिलीं थीं. कांग्रेस को 58 सीटों से संतोष करना पड़ा था. कांग्रेस और बीजेपी के बीच वोटों का अंतर आठ प्रतिशत से भी अधिक रहा था. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्य में लगातार चौथी बार बीजेपी की सरकार बनाने के लिए पिछले एक साल से महिला वोटरों को फोकस कर रहे थे.

चुनाव के ठीक पहले लागू की गई संबल योजना में महिलाओं के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने वाली कई योजनाएं लागू की हैं. वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव को जीतने में शिवराज सिंह चौहान की मदद लाडली लक्ष्मी योजना ने की थी. वर्ष 2013 के विधानसभा चुनाव में कन्यादान योजना की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी गई थी.