प्रेम और आत्मसम्मान

यह कोई नये शब्द नहीं है जहां जहां प्रेम की बात होती है वहां पर आत्मसम्मान का पाठ पढ़ाया जाता है क्योंकि किसी भी इंसान जिसमें रीढ़ की हड्डी मजबूत हो जो अपने स्वाभिमान के साथ जीता हो उसके लिए उसका आत्मसम्मान ही सबसे बड़ी चीज होती है। लेकिन जब बात आती है प्रेम की वहां अक्सर लोग अपना आत्मसम्मान खोते नजर आते हैं चाहे प्रेम में पड़कर हो चाहे सामने वाले के साथ तालमेल बिठाने को लेकर। एक हद तक यह सही भी होता है कि प्रेम को की पूर्ति करने के लिए कई बार अपने सम्मान को थोड़ा किनारे रखकर लोग आगे बढ़ते हैं क्योंकि किसी भी रिश्ते को खत्म करने से बेहतर होता है कि थोड़ासा एडजस्ट किया जाए रिश्ते रोज नहीं बनते लेकिन जब बनते हैं तो उन्हें सच्चे मन से निभाने वाले इंसान ही सच्चे होते हैं।

अब सवाल आता है आत्मसम्मान कए साथ एडजस्ट कहां किया जाए किसके साथ किया जाए किसके साथ आप करना चाहेंगे जिसके साथ आप करते हैं जो आपसे प्रेम करता है? जो आपसे प्रेम करता होगा वह आपको कभी भी आपके सम्मान के साथ समझौता नहीं करने देगा उसे महसूस होगा कि आपके सम्मान को ठेस पहुंच रही है तो वो आपसे एक कदम ज्यादा आगे बढ़कर उन शर्तों में बदलाव कर देगा लेकिन इसके लिए सामने वाले के दिल में आपके लिए निश्छल प्रेम का होना जरूरी है।

जहां प्रेम स्थिति समय और सुविधानुसार किया जाएगा वह कभी भी सामने वाला आपको वह सम्मान नहीं दिला पाएगा जो आपका अधिकार है और जिस प्रेम में अधिकारों को बताना पड़े जताना पड़े मांगना पड़े प्रेम नहीं सिर्फ परिस्थितियों में उलझा हुआ रिश्ता है। पर ऐसे रिश्ते में मन को बहलाने के लिए आप चाहे तो जीवन भर रह सकते हैं लेकिन याद रखिए जब जब सच्चाई की कसौटी पर यह रिश्ता परखेंगे तब तब आपको ठेस पहुंचेगी या तो आप खुद को तैयार कर लीजिए कि जब जब आपको ठोकर लगेगी आप अकेले गिरेंगे रोएंगे सम्भलेंगे और फिर उठ जाएंगे। लेकिन यह सब सिर्फ कुछ समय तक ही चल पाता है बार-बार अपमान के घूंट आपको इतना अंधेरों में धकेलेंगे कि आप चाह कर भी फिर नहीं उभर पाएंगे। कोई भी रिश्ता हो लेकिन चुनाव सिर्फ आपका होना चाहिए। कितना चलना है कैसे चलना है आपकी भूमिका कितनी होगी यह आप खुद तैयार कीजिए प्रेम में पड़कर भी किसी को इतना हक मत दीजिए कि सामने वाला आपको कठपुतली की तरह नचा सके। खुद का सम्मान करे तभी कोई और आपका सम्मान करेगा।

अरबी भाषा को पढ़ाना और धार्मिक पुस्तकें बांटना सरकार का काम नहीं है: हिमंत बिस्व सरमा

एक ओर जहां केजरिवाल, ममता बनर्जी, जगन रेड्डी, केरल सरकार और तो और ठाकरे मुस्लिम तुष्टीकरण से, मौलवियों इत्यादियों को मोटी तनख़्वाहें बाँट – बाँट कर, मदरसों को मुफ्त किताबें कापियाँ दे कर अपनी सरकरें बना/बचा रहे हैं और स्वयं को सेकुलर कह रहे हैं वहीं असम के शिक्षा मंत्री हेमंत बीस्व सरमा ने सही मायने में धर्मनिरपेक्षता की मिसाल दी है। उन्होने सरकारी सहायता से चलने वाले मदरसों और संस्कृत विद्यालयों को बंद कर वहाँ नियमित विद्यालयों को आरंभ करने की बात कही है।

नयी दिल्ली(ब्यूरो):

असम के शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने एक बड़ा फैसला लेते हुए राज्य के सरकारी सहायता से चलने वाले सभी मदरसों को बंद करने का फैसला लिया है। असम सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि उसने ऐसा धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देने के लिए किया है। इसी के साथ असम सरकार के शिक्षा मंत्री ने कहा है कि राज्य में अरबी भाषा पढ़ाना और धार्मिक पुस्तकें बांटना सरकार का काम नहीं है।

असम के शिक्षा मंत्री सरमा ने इसपर कहा,

“हम राज्य के सभी सरकारी मदरसों को बंद कर रहे हैं, क्योंकि हमें लगता है कि अरबी भाषा को पढ़ाना और धार्मिक पुस्तकें बांटना सरकार का काम नहीं है। अगर किसी को ऐसा करना है तो वह अपने पैसे से कर सकता है, इसके लिए सरकार कोई फंड जारी नहीं करेगी”।

सरकार ने मदरसों के साथ-साथ सरकारी पैसे पर चलने वाले कुछ संस्कृत स्कूलों को भी बंद कर दिया है और इन सब को नियमित स्कूलों में बदल दिया जाएगा।

हिमंत बिस्व सरमा ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा “राज्य में अभी 1200 मदरसा और लगभग 200 ऐसे संस्कृत स्कूल हैं जो बिना किसी बोर्ड के चल रहे हैं। समस्या यह है कि इन मदरसों में पढ़ने वालों छात्रों को भी अन्य नियमित स्कूलों के छात्रों की तरह ही समान डिग्री दी जाती है। इसीलिए अब सरकार ने इन सब मदरसों और संस्कृत स्कूलों को नियमित करने का फैसला लिया है”।

यह फैसला न सिर्फ राज्य सरकार के हित में है बल्कि इससे छात्रों का भविष्य भी सुरक्षित हो सकेगा, क्योंकि एक स्वतंत्र बोर्ड के तहत आने के कारण अब छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिल सकेगी और साथ ही ऐसे स्कूलों की जवाबदेही भी तय हो सकेगी। इसके अलावा राज्य सरकार ने ऐसा करके अपने यहां धर्मनिरपेक्षता को भी बढ़ावा दिया है। सालों तक देश में सेक्यूलरिज़्म के नाम पर मुस्लिमों का तुष्टीकरण करने की राजनीति की जाती रही है जिसे अब राज्य की भाजपा सरकार ने नकार दिया है।

सरकार एक सेक्युलर बॉडी होती है, जिसके लिए सभी धर्म एक समान होते हैं। ऐसे में सरकार किसी एक धर्म के प्रचार के लिए पैसे नहीं खर्च कर सकती। इसीलिए सरकार ने अपने पैसों पर चलने वाले मदरसों को लेकर यह फैसला लिया है। जिसे अपने धर्म का प्रचार अपने पैसे से करना है, उसका स्वागत है लेकिन सरकार की ओर से उन्हें एक भी रुपया नहीं दिया जाएगा।

सरकार का यह फैसला स्वागत योग्य है और असम सरकार ने देश की उन सरकारों के लिए एक उदाहरण पेश किया है जो सिर्फ अपनी राजनीति को चमकाने के लिए मुस्लिमों का तुष्टीकरण करती हैं। असम सरकार ने सही मायनों में एक सेक्युलर सरकार होने का प्रमाण दिया है।

चीनी नागरिकों को मिलने वाली ई-वीज़ा सुविधा निरस्त: एमईए

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कोराना वायरस से प्रभावित चीन के शहर वुहान से भारतीयों को सुरक्षित निकालने के अभियान में चीन सरकार की तरफ से मिले सहयोग के लिए उसकी तारीफ की है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने जानकारी दी कि भारत ने दो उडा़नों के जरिये चीन से 640 भारतीयों और मालदीव के 7 नागरिकों को सुरक्षित निकाला है. एक सवाल के जवाब में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि अगर कुछ ऐसी स्थितियां बनती हैं तो भारत सरकार चीन में फंसे पाकिस्तानी छात्रों की भी मदद पर विचार कर सकती है.

नई दिल्ली: 

कोरोना वायरस (Coronavirus) के प्रकोप की वजह से भारत ने चीन के नागरिकों को दी जाने वाली ई-वीजा की सुविधा निरस्त कर दी है. साथ ही मौजूदा ई-वीजा भी अमान्य कर दिए गए हैं. इसके अलावा वुहान में फंसे पाकिस्तानी लोगों की मदद करने का संकेत दिया है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि सामान्य वीजा जो जारी किए गए हैं, वे भी अधिक वैध नहीं हैं. हालांकि, जो लोग बहुत मजबूरी के चलते भारत आना चाहते हैं, वे वीजा जारी करने के लिए हमारे दूतावास या नजदीकी वाणिज्य दूतावास से संपर्क कर सकते हैं.

राजनयिकों के लिए ई-वीजा उपलब्ध
रवीश कुमार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कुछ श्रेणियों के लिए भारत का ई-वीजा उपलब्ध है. राजनयिक उस श्रेणी में नहीं आते हैं, क्योंकि उनका वीजा दूतावास के जरिए एक लगाया जाता है. इसलिए, यह फैसला राजनयिक प्रक्रिया को प्रभावित नहीं कर सकता है.

पाकिस्तानी छात्रों की मदद पर विचार
विदेश मंत्रालय कहा कि चीन में पाकिस्तानी छात्रों के वीडियो पर भारत से मदद मांगी है. हमें पाकिस्तान सरकार से इसके बारे में कोई अनुरोध नहीं मिला है. लेकिन, अगर ऐसी स्थिति पैदा होती है और हमारे पास संसाधन हैं तो हम इस पर विचार करेंगे.

उड़ानों पर पाबंदी नहीं
वहीं, भारत-चीन के बीच उड़ानों की रोक को लेकर रवीश ने कहा, ”मुझे किसी भी कमर्शियल उड़ान के संचालन पर भारत सरकार की तरफ से लगाए गए किसी प्रतिबंध की जानकारी नहीं है. एयरलाइंस अपने स्वयं के आकलन के आधार पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं.

पूरा भाषण न पढ़ पाने पर भी सीतारमण ने तोड़ा अपना ही सबसे लंबा भाषण पढ़ने के रेकार्ड

आम बजट 2020 (Union Budget 2020) पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने एक नया रिकॉर्ड बना दिया। उन्होंने देश के बजट इतिहास में सबसे लंबी स्पीच देने का रिकॉर्ड बना दिया। उनका ये बजट भाषण (Budget Speech) दो घंटे 42 मिनट तक चला।

नई दिल्ली. 

आम बजट 2020 (Union Budget 2020) पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक नया रिकॉर्ड बना दिया. उन्होंने देश के बजट इतिहास में सबसे लंबी स्पीच देने का रिकॉर्ड बना दिया। उनका ये बजट भाषण (Budget Speech) दो घंटे 42 मिनट तक चला। उनका ये बजट भाषण और भी लंबा हो सकता था, लेकिन तबीयत खराब होने के कारण वह बजट भाषण के आखिरी दो पन्ने नहीं पढ़ पाईं. इसके बाद उन्हें ये भाषण वहीं रोकना पड़ा। हालांकि तब तक वह सबसे लंबा भाषण देने का अपना ही रिकॉर्ड तोड़ चुकी थीं।

लगातार दो घंटे 42 मिनट तक अपना बजट भाषण देने के बाद निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की तबीयत खराब हो गई. उस समय बजट भाषण में दो पेज बचे हुए थे। उन्हें पसीना आने लगा और वह माथे से पसीना पोछती दिखाई दीं. उनके सहयोगी मंत्रियों द्वारा टेबलेट दी गईं। इस बीच अकाली दल की सांसद और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर (Harsimarat Kaur) उन्हें एक टेबलेट देने आईं जो उन्होंने नहीं ली। उन्होंने कौर को बताया कि वह पहले से ही एक टेबलेट ले रखी है.इसके बाद उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से बजट भाषण रोकने की अपील की. लोकसभा अध्यक्ष ने उनसे पूछा कितने पेज बचे हैं। उन्हें बताया गया कि 2 पेज बचे हैं. इसके बाद उन्हें भाषण रोकने की इजाजत दे दी गई।

निर्मला सीतारमण ने सबसे लंबा भाषण देकर अपना ही रिकॉर्ड तोड़ दिया. 2019 में उनके नाम 2 घंटे 17 मिनट का भाषण दिया था. तब उन्होंने 2003 में एनडीए के वित्तमंत्री जसवंत सिंह का सबसे लंबे भाषण का रिकॉर्ड तोड़ा था.

‘ परीक्षा पे चर्चा’ के दौरान प्रधान मंत्री मोदी ने वीवीएस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले के खेल की मिसाल दी

‘पढ़ोगे-लिखोगे तो बनोगे नवाब, खेलोगे-कूदोगे तो होगे खराब.’ भारत में जब बच्चों के पढ़ने की बात हो तो मां-बाप अक्सर यह कहावत दोहराते हैं. हालांकि, अब जमाना प्रोफेशनल गेम्स का है और खेल ना आपको सिर्फ कामयाब बनाता है, बल्कि जीवन की कठिनाइयों से लड़ने की ताकत भी देता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ‘परीक्षा पे चर्चा’ के दौरान खेल और खिलाड़ियों का जिक्र कर बताया कि कैसे निराशा से उबरकर जीत की ओर बढ़ा जा सकता है. उन्होंने छात्रों से चर्चा के दौरान वीवीएस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले के खेल की मिसाल दी. 

नई दिल्ली: 

पीएम मोदी ने सोमवार (20 जनवरी) को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में छात्रों के साथ परीक्षा पे चर्चा कर रहे थे. उन्होंने इस चर्चा के दौरान कहा, ‘हम विफलताओं से भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं. हर प्रयास में उत्साह भर सकते हैं. किसी चीज में आप विफल हो गए तो उसका मतलब है कि अब आप सफलता की ओर चल पड़े हो.’ प्रधानमंत्री ने इसी दौरान दो क्रिकेट मैचों का जिक्र किया. इनमें से एक में वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ ने हार को जीत में बदल दिया था. दूसरा मैच अनिल कुंबले की जिजीविषा को लेकर था. 

कोलकाता का वो यादगार टेस्ट...
 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले 2001 में कोलकाता के ऐतिहासिक मैच का जिक्र किया. यह मैच भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया था. मोदी ने कहा, ‘2001 में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच कोलकाता में क्रिकेट मैच खेला जा रहा था. मैच में भारत की स्थिति खराब हो गई. फॉलोऑन खेलना पड़ा. बुरा हाल था. दोबारा खेलने आए तो भी फटाफट विकेट गिरने लगे. सारा माहौल निराशा का था, हतोत्साहित करने वाला था. दर्शक भी नाराजगी व्यक्त करते रहते हैं. वे भूल जाते हैं कि मेरे अपने खेल रहे हैं और इनका उत्साह बढ़ाओ. लेकिन आपको याद होगा कि राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण ने उस दिन जो कमाल किया. दोनों धीरे-धीरे खेलते रहे. दोनों दिनभर खेले और माहौल बदल दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने मैच भी जिता दिया.’

विंडीज दौरे पर कुंबले का कमाल 
प्रधानमंत्री ने दूसरा उदाहरण 2002 के क्रिकेट मैच का दिया. उन्होंने कहा, ‘साल 2002 में भी एक ऐसा ही मैच हुआ. तब भारत की टीम वेस्टइंडीज खेलने गई थी. तब उस समय के हमारे एक अच्छे बॉलर अनिल कुंबले को चोट लग गई. बाउंसर लगने से उनका जबड़े में गंभीर चोट आई. अब स्थिति यह थी कि अनिल बॉलिंग कर पाएंगे या नहीं. लेकिन उन्होंने दर्द की परवाह नहीं की. अगर वे ना भी खेलते तो देश भी उन्हें दोष नहीं देता. लेकिन उन्होंने तय कि यह मेरा जिम्मा है. पट्टियां बांधकर खेलने उतर पड़े. उस समय ब्रायन लारा का विकेट लेना बड़ी बात होती थी. और अनिल ने मैच में लारा को विकेट लेकर मैच का नक्शा पलट दिया.’ 

‘परीक्षा पे चर्चा’ में मोदी ने दिये छात्रों को तनाव मुक्त रहने के मंत्र

पीएम मोदी ने बच्चों से परीक्षा के तनाव को दूर रखने, तकनीक का सही उपयोग, शिक्षा का महत्व जैसे विषयों पर चर्चा की. घर में एक कमरा टेक्नॉलजी मुक्त हो जिसमें अपने परिवार के साथ भी कुछ वक्त बितायेँ।

नई दिल्ली(ब्यूरो): 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में छात्रों के साथ ‘परीक्षा पे चर्चा’ की. इस दौरान पीएम मोदी से देश भर के छात्रों से सवाल किए जिनके उन्होंने जवाब दिए. पीएम मोदी ने बच्चों से परीक्षा के तनाव को दूर रखने, तकनीक का सही उपयोग, शिक्षा का महत्व जैसे विषयों पर चर्चा की. बता दें ‘परीक्षा पे चर्चा का यह तीसरा संस्करण था’. 

पीएम मोदी ने छात्रों से कहा, ‘फिर एक बार आपका यह दोस्त आपके बीच में है. सबसे पहले मैं आपको नववर्ष 2020 की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं’. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगा आपके माता-पिता का बोझ थोड़ा हल्का करना चाहिए’ पीएम मोदी ने कहा ‘छात्रों से संवाद करके मुझे बहुत आनंद आता है. यह कार्यक्रम दिल को छू लेने वाला है’  

प्रधान मंत्री मोदी ने एक सवाल के जवाब में कहा क घर में एक कमरा टेक्नॉलजी मुक्त हो जिसमें अपने परिवार के साथ भी कुछ वक्त बिताना चाहिए यह सबसे अधिक तनाव मुक्त करने वाला समय होगा।जहां आप सोशल मीडिया इंटरनेट इत्यादि से दूर अपने परिवार के सान्निध्य में बैठ कर कुछ समय बिताएँगे, जब सारा परिवार स कमरे में होगा तो परिवार आपस में एक दूसरे को अधिक समझेगा आप उतना ही तनाव मुक्त हो अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होंगे।

‘यह महत्वपूर्ण दशक है’ 
पीएम मोदी ने कहा, ‘2020 सिर्फ नया वर्ष नहीं है, यह नया दशक भी है. यह दशक आपके लिए जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही देश के लिए भी महत्वपूर्ण है. इस दशक में देश जो भी करेगा, उसमें इस समय जो 10वीं, 12वीं के विद्यार्थी हैं, उनका बहुत योगदान रहेगा’

परीक्षा जीवन नहीं है
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम विफलताओं से भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं. हर प्रयास में हम उत्साह भर सकते हैं और किसी चीज में आप विफल हो गए तो उसका मतलब है कि अब आप सफलता की ओर चल पड़े हो.’ 

उन्होंने कहा, ‘जाने अनजाने में हम उस दिशा में चल पड़े हैं जहां सफलता-विफलता का मुख्य बिंदु कुछ विशेष परीक्षाओं में हासिल किए गए मार्क्स बन गए हैं. इसकी वजह से मन में यही रहता है कि एक बार मार्क्स ले आऊं बाकी सब बाद में करूंगा. केवल परीक्षा के अंक ही जिंदगी नहीं हैं. कोई एक परीक्षा पूरी जिंदगी नहीं है. ये एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, लेकिन यही सब कुछ है, ऐसा नहीं मानना चाहिए.’

Election Promises by Kejri Proved Fake: Reveals RTI

The replies show that not only the AAP government has done nothing on many on their poll promises, they even lied to citizens.

Replies to several applications seeking information under the Right to Information (RTI) to know achievement of the Delhi government in the last five years have revealed the AAP government has failed to deliver of several key promises made before the 2015 assembly elections. The RTI applications were filed by activist Tejpal Singh over the year 2019, and their replies have been made available just before the 2020 Delhi Assembly Elections. A private accessed the replies, and the findings expose several inconvenient facts about the Arvind Kejriwal led government in Delhi. The replies show that not only the AAP government has done nothing on many on their poll promises, they even lied to citizens.

Teacher Vacancies & School Construction

An RTI reply revealed that there are 6,004 teachers less in Delhi’s government schools as of 30th September 2019 than April 1, 2015. Moreover, there were 15,702 vacant posts on September 30, 2019, whereas 9,598 teacher posts were lying vacant on February 1, 2015.

Arvind Kejriwal had promised to construct 500 new schools. RTI reply revealed that only one school had been approved for construction in the past four years.

DTDC Buses

The number of DTDC buses that plied on the Delhi roads fell from 4,705 buses to 3,796 buses between 2015-2019. The RTI reply was signed by a Delhi Transport Corporation (DTC) official. This is in contrast to the Delhi government’s promise to buy 5,000 new buses.

Hospitals & Healthcare

Another RTI reply by the Directorate of Health Services, Government of Delhi, revealed that no new hospital was built between April 1, 2015, and March 31, 2019. The AAP government is also far from achieving 30,000 new beds to Delhi hospitals.

Fake Surveys

In 2015, Arvind Kejriwal had vowed to sanction the building of homes to JJ (jhuggi jhopri) residents after carrying out a survey. RTI has revealed that the AAP government did not construct any house between February 1, 2015, and September 30, 2019. No step has been taken to resettle 3 lac JJ residents. They were, however, awarded survey completion certificates. Interestingly, another RTI reply by the Delhi Urban Shelter Improvement Board (DUSIB) has made it clear that no such survey had been carried out in any JJ cluster in the past four years.

These RTI replies show that the Arvind Kejriwal has not fulfilled even 1% of several promises made before the last assembly elections in Delhi.

1 स्कूल स्वीकृत बनाम 500 वादे, डीटीसी बसों में गिरावट, 0 नए अस्पताल, फर्जी सर्वेक्षण: आरटीआई जवाब से पता चलता है कि केजरीवाल ने बड़े चुनावी वादे पूरे नहीं किए हैं

जवाब बताते हैं कि न केवल AAP सरकार ने अपने चुनावी वादों पर कई काम किए हैं, बल्कि उन्होंने नागरिकों से झूठ भी बोला है।

पिछले पांच वर्षों में दिल्ली सरकार की उपलब्धि जानने के लिए सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत सूचना मांगने वाले कई आवेदनों के जवाब से पता चला है कि AAP सरकार 2015 के विधानसभा चुनावों से पहले किए गए कई प्रमुख वादों को पूरा करने में विफल रही है। कार्यकर्ता तेजपाल सिंह द्वारा वर्ष 2019 में आरटीआई आवेदन दायर किए गए थे, और उनके उत्तर 2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उपलब्ध कराए गए हैं। जब उत्तरों को एक्सेस किया, और निष्कर्षों ने दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार के बारे में कई असुविधाजनक तथ्यों को उजागर किया। जवाब बताते हैं कि न केवल AAP सरकार ने अपने चुनावी वादों पर कई काम किए हैं, बल्कि उन्होंने नागरिकों से झूठ भी बोला है।

शिक्षक रिक्तियों और स्कूल निर्माण

एक आरटीआई जवाब से पता चला कि 1 अप्रैल 2015 की तुलना में 30 सितंबर 2019 तक दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 6,004 शिक्षक कम हैं। इसके अलावा, 30 सितंबर, 2019 को 15,702 खाली पद थे, जबकि 1 फरवरी 2015 को 9,598 शिक्षक पद खाली थे।

अरविंद केजरीवाल ने 500 नए स्कूल बनाने का वादा किया था। आरटीआई के जवाब से पता चला कि पिछले चार वर्षों में केवल एक स्कूल को निर्माण के लिए मंजूरी दी गई थी।

डीटीडीसी बसें

2015-2019 के बीच दिल्ली की सड़कों पर उतरने वाली DTDC बसों की संख्या 4,705 बसों से घटकर 3,796 रह गई। RTI के उत्तर पर दिल्ली परिवहन निगम (DTC) के अधिकारी द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे। यह 5,000 नई बसें खरीदने के दिल्ली सरकार के वादे के विपरीत है।

अस्पताल और स्वास्थ्य सेवा

दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के एक अन्य आरटीआई जवाब से पता चला है कि 1 अप्रैल, 2015 और 31 मार्च, 2019 के बीच कोई नया अस्पताल नहीं बनाया गया था। AAP सरकार दिल्ली के अस्पतालों में 30,000 नए बेड हासिल करने से भी दूर है।

नकली सर्वेक्षण

2015 में, अरविंद केजरीवाल ने सर्वेक्षण करने के बाद जेजे (झुग्गी झोपरी) निवासियों को घरों के निर्माण को मंजूरी देने की कसम खाई थी। आरटीआई से पता चला है कि AAP सरकार ने 1 फरवरी, 2015 और 30 सितंबर, 2019 के बीच किसी भी घर का निर्माण नहीं किया था। 3 लाख जेजे निवासियों को फिर से बसाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। हालांकि, उन्हें सर्वेक्षण पूरा होने के प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया। दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (डीयूएसआईबी) के एक और आरटीआई जवाब ने यह स्पष्ट कर दिया है कि पिछले चार वर्षों में किसी भी जेजे क्लस्टर में ऐसा कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया था।

ये आरटीआई जवाब बताते हैं कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में पिछले विधानसभा चुनाव से पहले किए गए कई वादों में से 1% भी पूरा नहीं किया है।

प्रधान मंत्री मोदी के साथ “परीक्षा पे चर्चा” आज

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने उन छात्रों का चयन किया है जो पांच विषयों पर उनके द्वारा प्रस्तुत निबंधों के आधार पर प्रधानमंत्री से सवाल पूछेंगे। ​​अधिकारियों ने बताया कि कार्यक्रम सुबह करीब 11 बजे शुरू होगा और यूट्यूब पर सीधा प्रसारण किया जाएगा।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज छात्रों के साथ ‘परीक्षा पे चर्चा’ करने जा रहे हैं. इसमें छात्र, शिक्षक, अभिभावक हिस्सा लेंगे. परीक्षा पे चर्चा सुबह 11 बजे तालकटोरा स्टेडियम में होगी. इस कार्यक्रम में इस बार खासतौर पर दिव्यांग छात्रों को प्रधानमंत्री से अपने मन की बात कहने व प्रश्न पूछने का अवसर मिलेगा. परीक्षा पे चर्चा का यह तीसरा संस्करण है. इस कार्यक्रम में छात्रों के पास यह सुविधा होती है कि वे अपना सवाल सीधे प्रधानमंत्री को भेज सकते हैं. यह कार्यक्रम इस उद्देश्य से शुरू किया गया है कि छात्र तनावमुक्त होकर परीक्षा दे सकें.

इस बार प्रधानमंत्री यहां दिव्यांग छात्रों से विशेष तौर पर चर्चा करेंगे. उन्हें यहां लाने और उनके बैठने की विशेष व्यवस्था की गई है. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के अनुसार, दिव्यांग छात्रों ने इस कार्यक्रम में विशेष रूप से ज्यादा रुचि ली है. निशंक ने बताया कि दिव्यांग छात्र सीधे प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से जुड़ रहे हैं और ये छात्र प्रधानमंत्री के साथ सीधा संवाद करेंगे. निशंक ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि छात्रों की परीक्षाएं तनावमुक्त हों, ताकि सभी विद्यार्थी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें.

अपने वीडियो संदेश में निशंक ने कहा, “मैं देशभर के सभी विद्यार्थियों और अभिभावकों से 20 जनवरी को परीक्षा पर चर्चा-2020 कार्यक्रम से जुड़ने का आह्वान करता हूं.” मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री संजय धोत्रे ने ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम के मद्देनजर ओडिशा, असम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल जाकर छात्रों के साथ विशेष मुलाकात की है. उन्होंने स्कूल में छात्रों के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर छात्रों और शिक्षकों के साथ बातचीत की.

धोत्रे ने छात्रों से कहा कि वे किसी भी परीक्षा का दबाव न लें और 20 जनवरी को ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम देखें, जिसमें प्रधानमंत्री देशभर के स्कूली छात्रों के साथ परीक्षा से संबंधित मुद्दों पर बातचीत करेंगे. छात्रों के बीच प्रधानमंत्री की यह चर्चा लोकप्रिय रही है, और यही कारण है कि पिछले वर्ष के मुकाबले 250 अधिक छात्रों ने इस बार परीक्षा पर चर्चा के लिए अपना पंजीकरण करवाया है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम में इस बार भारतीय छात्रों के अलावा बड़ी संख्या में दुनिया के अलग-अलग देशों में रह रहे छात्र भी जुड़ने जा रहे हैं. परीक्षा पे चर्चा का पहला संस्करण 16 फरवरी, 2018 को आयोजित हुआ था और इसका दूसरा संस्करण 29 जनवरी, 2019 को हुआ था.

सुखना लेक पर मछली पकड़ रहे शख्स के कांटे में फंसी लाश

चंडीगढ़ :सुखना लेक पर मछली पकड़ रहे शख्स के कांटे में फंसी लाश,मृतक 6 दिन से घर से था लापता

चंडीगढ़:

सुखना लेक पर मंगलवार दोपहर मछली पकड़ रहे एक शख्स के कांटे में एक लाश फांसने से हड़कंप मच गया। मछली पकड़ रहे शख्स ने तुरंत सूचना लेक चौकी पुलिस को दी सूचना मिलने पर मौके पर पहुंचे पुलिस ने लाश को बाहर निकाल सेक्टर 16 के शव गृह में रखवा दिया है। मृतक की पहचान सेक्टर 22D के रहने वाले अरुण कुमार के रूप में हुई है पुलिस के मुताबिक मृतक बीते 6 दिन से अपने घर से लापता था हालांकि फिलहाल मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम के बाद ही साफ हो पाएगा कि व्यक्ति की मौत पानी में डूबने की वजह से हुई है या कोई और कारण रहा।

जानकारी के अनुसार सेक्टर 22D में रहने वाला 28 वर्षीय अरुण कुमार चंडीगढ़ के इंडस्ट्रियल एरिया क्षेत्र नीडल फैक्ट्री में काम करता था। घरवालों के मुताबिक वह 8 जनवरी को घर से क्रिकेट खेलने जाने के बात कह कर निकला था। लेकिन तब से वह घर नहीं लौटा। जिसको लेकर उन्होंने 9 जनवरी को सेक्टर 22 पुलिस चौकी में गुमशुदगी की डीडीआर भी दर्ज करा रखी थी। लेक चौकी पुलिस के मुताबिक दोपहर के वक्त जानकारी मिली थी की फिशिंग कर रहे हैं एक शख्स के कांटे में कोई भारी चीज फंस गई है। जिस पर वह काफी जोर लगा फंसी हुई वस्तु को बाहर निकालने का प्रयास करने लगा। लेकिन जोर लगाकर खींचने पर उसने पाया कि उसके कांटे में कोई व्यक्ति फंसा है। जिसके बाद उसने अनहोनी की संभावना को देखते हुए तुरंत सूचना पुलिस को दी। सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने उक्त व्यक्ति को बाहर निकाल लिया। इसके बाद उसे सेक्टर 16 अस्पताल पहुंचाया गया। जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर शव को अस्पताल के शव गृह में रखवा दिया हैं। पुलिस के मुताबिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही यह खुलासा हो पाएगा की मृतक की मौत पानी में डूबने से हुई है या फिर उसके साथ किसी प्रकार की अनहोनी हुई है पुलिस मामले की जांच में जुटी है।