पत्थलगढ़ी आंदोलन : जानें कैसे उभरा आंदोलन और कहां तक इसका असर

हाइलाइट्स:

  • पत्थलगड़ी के तहत आदिवासी समाज के लोग अपने इलाके में पत्थर गाड़कर सीमा तय करते हैं और उसे स्वायत्त क्षेत्र मानते हैं
  • 2018 में पूर्व लोकसभा स्पीकर कड़िया मुंडा के गांव में भी पत्थलगड़ी के विरोध पर हुई थी हिंसा
  • पत्थलगड़ी का केंद्र गुजरात के तापी जिला का कटास्वान नामक स्थान है। यह गुजरात और महाराष्ट्र के बॉर्डर का भील आदिवासी बहुत इलाका है

सारिका तिवारी, चंडीगढ़ :

झारखंड का पश्चिमी सिंहभूम ज़िला. नक्सल प्रभावित गुदड़ी ब्लॉक। यहां के बुरुगुलीकेरा गांव में सात लोगों की हत्या कर दी गई। आरोप है कि पत्थलगड़ी आंदोलन के समर्थकों ने उनकी हत्या की। इन लोगों का पहले अपहरण कर लिया गया था। घटना 19 जनवरी, रविवार की है लेकिन पुलिस 20 जनवरी को पहुंची. लोगों के शव गांव से सात किलोमीटर दूर मिले। 22 जनवरी को. पुलिस का कहना है इनके सिर कटे हुए थे और मौके से कुल्हाड़ी भी मिली है। पुलिस का कहना है कि पत्थलगड़ी के बहाने आपसी दुश्मनी निकाली गई है। शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है. पुलिस ने गांव में कैंप कर रखा है सर्च अभियान चल रहा है. तनाव का माहौल है. मामले में अब तक तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई है। – जनवरी 23, 2020

पत्थलगड़ी क्या है?

पत्थलगड़ी आदिवासियों की एक परंपरा है। इसके तहत अगर आदिवासी इलाके में कोई भी उल्लेखनीय काम होता है, तो आदिवासी उस इलाके में एक बड़ा सा पत्थर लगा देते हैं और उस पर उस काम को दर्ज कर देते हैं। अगर किसी की मौत हो जाए या फिर किसी का जन्म हो तो आदिवासी पत्थर लगाकर उसे दर्ज करते हैं। इसके अलावा अगर उनके इलाके का कोई शहीद हो जाए या फिर आजादी की लड़ाई में कोई शहीद हुआ हो, तो इलाके के लोग उसके नाम पर पत्थर लगा देते हैं। अगर कुछ आदिवासी लोग मिलकर अपने लिए कोई नया गांव बसाना चाहते हैं, तो वो उस गांव की सीमाएं निर्धारित करते हैं और फिर एक पत्थर लगाकर उस गांव का नाम, उसकी सीमा और उसकी जनसंख्या जैसी चीजें पत्थर पर अंकित कर देते हैं। इस तरह के कुल आठ चीजों में पत्थलगड़ी की प्रथा रही है और ये प्रथा कई सौ सालों से चली आ रही है।

पत्थलगड़ी का शाब्दिक अर्थ होता है वन क्षेत्र। यानी वो इलाका जो जंगलों से घिरा है। झारखंड भारत का 28वां राज्य है, जो 15 नवंबर, 2000 से अस्तित्व में है। ये एक आदिवासी बहुल राज्य है। यहां पर आबादी का एक बड़ा हिस्सा मुंडा, हो और संथाल जनजातियों का है। इन जनजातियों की अपनी कुछ परंपराएं हैं, जो सदियों से चली आ रही हैं. पत्थलगड़ी भी उनमें से एक है।

गांवों में घुसने पर रोक लगाई

1845 में अंग्रेजों के आने के बाद इस आदिवासी बहुल राज्य की एक बड़ी आबादी ने ईसाई धर्म अपना लिया, लेकिन उन्होंने अपनी परंपराओं को बनाए रखा। वहीं कोयला, लोहा, बाक्साइट, तांबा और चूना पत्थर जैसे खनिजों की भरमार की वजह से पूरा इलाका सरकारी और निजी कंपनियों के निशाने पर भी रहा। सरकार हो या निजी कंपनी, उन्होंने इन खनिजों का दोहन तो किया, लेकिन उन्होंने इस पूरे इलाके का उस तरह से विकास नहीं किया, जैसा होना चाहिए था। अब भी स्थिति ये है कि झारखंड के अधिकांश इलाकों में न तो सड़क है, न बिजली है और न पीने का साफ पानी। स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी बुनियादी चीजें तक आदिवासियों के लिए दूर की कौड़ी हैं। ऐसे में आदिवासियों ने अपनी सैकड़ों साल पुरानी पत्थलगड़ी परंपरा का सहारा लिया है, जिसके बाद प्रशासन और आदिवासियों के बीच ठन गई है। आदिवासियों ने पत्थलगड़ी के जरिए गांवों में बाहरी लोगों के घुसने पर रोक लगा दी है। सरकारी शिक्षा का विरोध कर दिया है। खुद की करेंसी लाने की बात कर रहे हैं और केंद्र सरकार और राज्य सरकार के कानूनों को खुले तौर पर चुनौती दे रहे हैं। सरकार भी इन्हें सख्ती से निपटने की बात कह तो रही है, लेकिन अभी तक ऐसी कोई भी बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है।

क्या कहता है भारतीय संविधान

भारतीय संविधान 25 भागों में बंटा है, जिसमें 12 अनुसूचियां और 448 अनुच्छेद हैं. इन्हीं के सहारे पूरा देश चलता है। इस संविधान में पांचवी और छठी अनुसूची आदिवासी इलाकों से जुड़ी हुई है। अनुसूची पांच आदिवासी इलाकों में प्रशासन और नियंत्रण की व्याख्या करता है। वहीं अनुसूची छह असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के लिए निर्धारित है, जिसके तहत वहां का कानून चलता है और ये तय करता है कि वहां पांचवी अनुसूची का कानून लागू नहीं होगा। पांचवी अनुसूची उसी इलाके में लागू होगी, जहां की जनसंख्या का 50 फीसदी से अधिक आदिवासी जनसंख्या है। झारखंड में आदिवासी फिलहाल संविधान की पांचवी अनुसूची के हवाले से ही पत्थलगड़ी कर रहे हैं। पांचवी अनुसूची में अनुच्छेद 244 (1) का जिक्र किया गया है। इसके तहत लिखा है-

  1. इस इलाके में संसद और विधानसभा की ओर से पारित कानूनों को लागू करने का अधिकार राज्यपाल के पास है। वो उन कानूनों को यहां लागू करवा सकता है, जो इन इलाकों के लिए बेहतर हों।
  2. यह अनुच्छेद राज्यपाल को शक्ति देता है कि वो इस इलाके की बेहतरी और शांति बनाए रखने के लिए कानून बनाए।
  3. पांचवी अनुसूची में ट्राइब्स एडवाइजरी काउंसिल बनाने का प्रावधान है। इसके तहत इसमें अधिकतम 20 सदस्य हो सकते हैं। इसके तीन चौथाई सदस्य यानी अधिकतम 15 सदस्य अनुसूचित जनजाति के निर्वाचित विधायक होते हैं। अगर उनकी संख्या इतनी नहीं है, तो फिर दूसरे विधायकों के जरिए इस काउंसिल के सदस्य बनाए जा सकते हैं। इसके लिए भी राज्यपाल के पास ये शक्ति है कि वो इस काउंसिल के लिए नियम बना सके, उनके सदस्यों की संख्या निर्धारित कर सके और इस काउंसिल के लिए चेयरमैन का चुनाव कर सके।

क्या है पत्थलगड़ी

संविधान की पांचवीं अनुसूची में मिले अधिकारों के सिलसिले में झारखंड के खूंटी और पश्चिमी सिंहभूम जिले के कुछ इलाकों में पत्थलगड़ी कर (शिलालेख) इन क्षेत्रों की पारंपरिक ग्राम सभाओं के सर्वशक्तिशाली होने का ऐलान किया गया था। कहा गया कि इन इलाकों में ग्राम सभाओं की इजाजत के बगैर किसी बाहरी शख्स का प्रवेश प्रतिबंधित है। इन इलाकों में खनन और दूसरे निर्माण कार्यों के लिए ग्राम सभाओं की इजाजत जरूरी थी। इसी को लेकर कई गांवों में पत्थलगड़ी महोत्सव आयोजित किए गए। इस कार्यक्रम में हजारों आदिवासी शामिल हुए।

जून 2018 में पूर्व लोकसभा स्पीकर कड़िया मुंडा के गांव चांडडीह और पड़ोस के घाघरा गांव में आदिवासियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं। पुलिस फायरिंग में एक आदिवासी की मौत हो गई। वहीं पुलिस ने कई जवानों के अपहरण का आरोप लगाया। बाद में जवान सुरक्षित लौटे। इस संबंध में कई थानों में देशद्रोह की एफआईआर दर्ज हुई थी। हालांकि हेमंत सोरेन ने सीएम बनते ही पहली कैबिनेट बैठक में 2017-18 के पत्थलगड़ी आंदोलन में शामिल लोगों पर दर्ज मुकदमे वापस ले लिए हैं।

आदिवासियों के बीच गांव और जमीन के सीमांकन के लिए, मृत व्यक्ति की याद में, किसी की शहादत की याद में, खास घटनाओं को याद रखने के लिए पत्थर गाड़ने का चलन लंबे वक्त से रहा है। आदिवासियों में इसे जमीन की रजिस्ट्री के पेपर से भी ज्यादा अहम मानते हैं। इसके साथ ही किसी खास निर्णय को सार्वजनिक करना, सामूहिक मान्यताओं को सार्वजनिक करने के लिए भी पत्थलगड़ी किया जाता है। यह मुंडा, संथाल, हो, खड़िया आदिवासियों में सबसे ज्यादा प्रचलित है।

जब एसपी समेत 300 पुलिसकर्मी बने बंधक

साल 2017 के अगस्त महीने में खूंटी जिले में पत्थलगड़ी की सूचना पाकर पुलिस पहुंची। वहां गांववालों ने बैरिकेडिंग कर रखी थी। थानेदार जब कुछ पुलिसबल के साथ वहां पहुंचे तो उन्हें बंधक बना लिया गया। सूचना पाकर जिले के एसपी अश्विनी कुमार लगभग 300 पुलिसकर्मियों को लेकर उन्हें छुड़ाने पहुंचे तो उन्हें भी वहां बंधक बना लिया गया। लगभग रातभर उन्हें बिठाए रखा, सुबह जब खूंटी के जिलाधिकारी वहां पहुंचे तब लंबी बातचीत के बाद गांववालों ने उन्हें छोड़ा। इसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया। फिर झारखंड में हुई हत्याओं ने एक बार फिर इसकी ओर ध्यान खींचा।

खूंटी में दर्ज 19 मामले

खूंटी पुलिस की मानें तो पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़े कुल 19 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 172 लोगों को आरोपी बनाया गया है। अब हेमंत सोरेन के ऐलान के बाद इन आरोपियों पर दर्ज मुकदमे वापस ले लिए। खूंटी ऐसा जिला है जहां पत्थलड़ी आंदोलन का बड़े पैमाने पर असर देखा गया।

आंदोलनकारी नेता बोले, चुनाव से हमारा लेना-देना नहीं

यूनिसेफ में काम कर चुके और हिंदी प्रफेसर रहे युसूफ पूर्ति इस आंदोलन को गलत ठहराने वालों को ही गलत बता रहे हैं। उनका कहना है कि भारत आदिवासियों का देश है। वह भी इस देश का हिस्सा हैं। इन इलाकों में जो बैंक स्थापित हुए हैं, वे बिना ग्राम पंचायत के आदेश के हैं। राज्यपाल का आदेश भी उनके पास नहीं है। ऐसे में ये बैंक अवैध हैं। उनका कहना है, ‘हमें चुनाव से लेना देना नहीं है। नागरिकों का कर्तव्य है कि वे वोट दें। आम आदमी तय करेगा पीएम, सीएम कौन बनेगा। हम तो मालिक हैं इस देश के। हमें हमारा अधिकार सरकार नहीं दे रही है। ऐसे में हम नहीं, वे देशद्रोही हैं।’

SC का फैसला, ग्राम सभा को संस्कृति, संसाधन की सुरक्षा का हक

आंदोलन के नेताओं का कहना है कि आदिवासी इलाके अनुसूचित क्षेत्र हैं। यहां संसद या विधानमंडल से पारित कानूनों को सीधे लागू नहीं किया जा सकता। उनका कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 13(3) के तहत रूढ़ी और प्रथा ही विधि का बल है और आदिवासी समाज रूढ़ी और प्रथा के हिसाब से ही चलता है। वैसे हकीकत यह है कि किस प्रथा को नियम माना जाए, इसकी व्याख्या संविधान के अनुसार होती है। हर प्रथा को कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती। वन अधिकार कानून 2006 और नियमगिरी के मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला कहता है कि ग्रामसभा को गांव की संस्कृति, परंपरा, रूढ़ि, विश्वास, प्राकृतिक संसाधन आदि की सुरक्षा का संपूर्ण अधिकार है। इसका अर्थ है कि अगर ग्रामसभा को लगता है कि बाहरी लोगों के प्रवेश से उसकी इन चीजों को खतरा है तो वह उनके प्रवेश पर रोक लगा सकती है।

नई सरकार ने हटाए आदिवासियों पर दर्ज मुकदमे

झारखंड की मौजूदा सरकार आदिवासियों की हितैषी मानी जा रही है। खुद सीएम हेमंत सोरेन आदिवासी समुदाय से आते हैं। सोरेन ने झारखंड का सीएम बनते ही हेमंत सोरेन ने पहली कैबिनेट में फैसला लिया था कि पत्थलगड़ी, सीएनटी और सीपीटी आंदोलन के दौरान लोगों के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमे वापस लिए जाएंगे। पिछली बीजेपी सरकार ने छोटा नागपुर टेनेंसी ऐक्ट (सीएनटी) और संथाल परगना टेनेंसी ऐक्ट (एसपीटी) में कुछ बदलाव किए थे। इन बदलावों के खिलाफ लोगों ने प्रदर्शन किए थे। इन प्रदर्शनों में हिस्सा लेने के चलते कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। पूर्व सीएम रघुबर दास आंदोलन के पीछे नक्सलियों, ईसाई मिशनरियों का हाथ बताते रहे हैं। उनका आरोप था कि यह आदिवासियों को विकास से दूर करने, इन इलाकों के खनिजों पर कब्जा करने के लिए हो रहा है।

पालघर साधुओं कि हत्या : फैक्ट फाइंडिंग टीम ने कई चौंकाने वाले दावे किए

महाराष्ट्र के पालघर में अप्रैल में हुई दो साधुओं सहित तीन लोगों की हत्या की जांच करने वाली एक स्वतंत्र फैक्ट फाइंडिंग टीम ने कई चौंकाने वाले दावे किए हैं। साधुओं की हत्या के पीछे गहरी साजिश और नक्सल कनेक्शन की तरफ इशारा किया है। रिटायर्ड जज, पुलिस अफसर और वकीलों को लेकर बनी इस कमेटी ने इस बड़ी साजिश के पदार्फाश के लिए पॉलघर मॉब लिंचिंग की जांच सीबीआई और एनआईए से कराने की सिफारिश की है। टीम ने कहा है कि पुलिस कर्मी चाहते तो घटना को रोक सकते थे, लेकिन उन्होंने हिंसा की साजिश में शामिल होने का रास्ता चुना। कमेटी ने शनिवार को एक ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान रिपोर्ट के चौंकाने वाले अंश पेश किए।

पुणे (महाराष्ट्र ब्यूरो):

महाराष्ट्र के पालघर में हुई साधुओं की हत्या के मामले में एक फैक्ट-फाइंडिंग पैनल के सदस्य संतोष जनाठे का दावा है कि एक एनसीपी नेता को उस भीड़ के बीच देखा गया था, जो पालघर में साधुओं की लिंचिंग की घटना में शामिल थे। फैक्ट फाइंडिंग टीम ने जिस NCP नेता को इस भीड़ हिंसा के बीच पाया है, उसका नाम काशीनाथ चौधरी है।

काशीनाथ चौधरी शरद पवार की ‘नेशनलिस्ट कॉन्ग्रेस पार्टी’ का जिला सदस्य है। उन पर आरोप लगे हैं कि साधुओं की लिंचिंग कर उनकी निर्मम हत्या करने वाली भीड़ में वामपंथी पार्टी सीपीएम के पंचायत सदस्य व उसके साथ विष्णु पातरा, सुभाष भावर और धर्मा भावर भी शामिल थे।

इस भीड़ में एनसीपी और सीपीएम नेताओं की मौजूदगी कई सवाल खड़े करती है। एनसीपी महाराष्ट्र की सत्ताधारी पार्टी है और शिवसेना के साथ गठबंधन में मिल कर सरकार चला रही है।

फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। मसलन, झारखंड में नक्सल नेतृत्व वाले पत्थलगढ़ी आंदोलन की तर्ज पर पालघर में भी मुहिम चल रही है। कम्युनिस्ट कार्यकर्ता आदिवासियों को केंद्र और राज्य के कानूनों का पालन न करने के लिए भड़काने में जुटे हैं। आदिवासियों को अपने कानून का पालन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। आदिवासियों को भ्रमित किया जा रहा है कि उनके पास सौ साल पुराना आदिवासी संविधान है। उन्हें सरकारी कानूनों का पालन करने की जगह आदिवासी संविधान का पालन करना चाहिए। कमेटी ने इस दावे के समर्थन में कुछ कम्युनिस्ट नेताओं के बयान और वीडियो भी जारी किए हैं।

फैक्ट फाइंडिंग समिति पहले भी इस निष्कर्ष पर पहुँच चुकी है कि क्षेत्र में काम करने वाले वामपंथी संगठन आदिवासियों के मन में सरकार और हिंदू धर्म गुरुओं, साधुओं और सन्यासियों के खिलाफ नफरत पैदा कर रहे हैं।

कमेटी ने करीब डेढ़ सौ पेज की जांच रिपोर्ट में कहा है, “झारखंड में नक्सल नेतृत्व वाले पत्थलगढ़ी आंदोलन की तर्ज पर पालघर में काम करने वाले वामपंथी संगठन संवैधानिक ढांचे और गतिविधियों के प्रति घृणा को बढ़ावा देने में लिप्त हैं। कम्युनिस्ट संगठन आदिवासी बाहुल्य गांवों की पूर्ण स्वायत्तता का दावा करते हुए संसद या राज्य के कानून का पालन न करने की घोषणा किए हैं। वामपंथी संगठनों की ओर से आदिवासियों में झूठ फैलाया जाता है कि आदिवासी हिंदू नहीं हैं।”

उनकी जाँच से यह निष्कर्ष निकला था कि कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया, काश्तकारी संगठन, भूमिसेना, आदिवासी एकता परिषद, सीपीएम जैसे संगठनों के बढ़ते प्रभाव के साथ क्षेत्र में बढ़ती हिंसा, साधुओं की हत्या के रूप में सामने आई थी।

फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने कहा, “क्षेत्र में देश विरोधी गतिविधियां चल रहीं हैं। स्थानीय संगठन आदिवासियों के दिमाग में सरकार और साधुओं के खिलाफ नफरत पैदा कर रहे हैं। काश्तकारी संगठन, आदिवासी एकता परिषद, भूमि सेना और अन्य कई संगठन इसके लिए जिम्मेदार हैं। गांव में पत्थलगढ़ी आंदोलन की तरह संकल्प पारित करने के पीछे आदिवासी एकता परिषद के सदस्य का शामिल होना गहरी साजिश की तरफ इशारा करता है।”

जानें :- पत्थलगढ़ी आंदोलन : जानें कैसे उभरा आंदोलन और कहां तक इसका असर

इसके साथ ही इस केस को अभी तक भी सीबीआई के पास नहीं दिया गया है। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र सरकार ने इस केस में अपनी क्षेत्रीय गौरव को आगे रखा है और वह इसलिए भी नहीं चाहती कि यह केस सीबीआई के पास ट्रांसफर हो क्योंकि सीबीआई गृह मंत्रालय के दायरे में आती है। महाराष्ट्र सरकार की इस केस को लेकर बरती गई उदासीनता पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही उन्हें फटकार लगा चुकी है।

सनद रहे कि महाराष्ट्र स्थित पालघर के गढ़चिंचले गाँव में गत 16 अप्रैल को दो साधुओं और उनके वाहन चालक की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। बाद में यह कहा गया कि वह बच्चों की चोरी होने के संदेह में पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। जबकि, ये दोनों साधु ड्राइवर के साथ अपने गुरुभाई के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए सूरत जा रहे थे।

उपायुक्त एवं नगर निगम आयुक्त निशांत कुमार यादव ने शहर के सभी 20 वार्डो में किए जा रहे विकास कार्यो की समीक्षा की

 मनोज त्यागी, करनाल 4 सितम्बर:

 नगर निगम क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यो को अब और अधिक गति मिलेगी। निगम आयुक्त निशांत कुमार यादव ने शुक्रवार को विकास सदन के सभागार में संयुक्त आयुक्त गगनदीप सिंह व इंजीनियरिंग ग्रुप के सभी अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। बैठक में चीफ इंजीनियर रामजी लाल, अधीक्षण अभियंता दीपक किंगर, कार्यकारी अभियंता अक्षय भारद्वाज व मोनिका शर्मा, सभी सहायक इंजीनियर व जुनियर इंजीनियर उपस्थित हुए। बता दें कि निगम के 20 वार्डो में सडक़ों के कार्य, पार्को का विकास, भवन निर्माण के कार्य, सामुदायिक केन्द्रों की मरम्मत व नवीनीकरण, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत ओपन एयर जिम की स्थापना तथा बागवानी के 150 से अधिक कार्य शुरू करवाएं गए थे। इनमें से करीब 100 कार्य मुकम्मल हो चुके है, 46 प्रगति पर चल रहे है और कुछ कार्य अभी शुरू किए जाने है, जिनके एस्टीमेट व टेंडर लगाने की तैयारियां हो रही है।

निगम आयुक्त ने बैठक में वार्ड 1 से लेकर 20 तक सभी वार्डो में किए जा रहे है कार्यो की समीक्षा की, जिसमें संबंधित एक्सईएन, एई व जेई ने अपनी-अपनी प्रोग्रेस बताई। वार्ड 1 में कुल 30 कार्यो में से 26 विकास कार्य प्रगति पर चल रहे बताए गए, जबकि 4 शुरू किए जाने है। वार्ड 2 में 9 कार्यो में से 7 प्रगति पर चल रहे है जबकि 2 स्टार्ट होने है। वार्ड 3 में 8 कार्य प्रोग्रेस पर है और इतने ही कार्य स्टार्ट किए जाने है। वार्ड 4 में 2 कार्य चल रहे है जबकि 13 कार्य शुरू होने है, जो सीवरेज व पानी से संबंधित कार्याे के चलते लम्बित हो रहे है। निगम आयुक्त ने निर्देश दिए कि सीवरेज जैसे कार्यो को जल्दी निपटाएं। वार्ड 5 में भी 8 कार्य प्रगति पर है और 8 अभी स्टार्ट होने है। वार्ड 6 मेें 3 कार्य प्रोग्रेस पर है और 1 शुरू किया जाना है। वार्ड 7 के 6 कार्यो में से 1 मुकम्मल हो चुका है जबकि 4 प्रोग्र्रेस में है और 1 को शुरू करना है। वार्ड 8 में 1 कार्य पूर्ण हो चुका है जबकि 3 शुरू किए जाने है।

निगम आयुक्त के अनुसार इसी प्रकार वार्ड 9 के 8 कार्यो में से 5 पूर्ण हो चुके है जबकि 3 प्रोग्रेस में है। वार्ड 10 में 4 कार्य पूर्ण हो चुके और 2 प्रोग्रेस में चल रहे है। वार्ड 11 में 6 कार्य पूर्ण हो चुके है, 4 प्रोग्रेस में है, 1 स्टार्ट किया जाना है और 2 कार्यो में देरी के लिए संबंधित ठेकेदार को नोटिस दिया जा रहा है। वार्ड 12 के कुल 9 कार्यो में 3 मुकम्मल हो चुके है, 5 प्रोग्रेस में तथा एक अभी शुरू किया जाना है। वार्ड 13 में 2 कार्य पूर्ण हो चुके है और 6 प्रोग्रेस में चल रहे है। वार्ड 14 में 2 कार्य प्रोग्रेस पर और एक मुकम्मल हो गया है। वार्ड 15 में 5 कार्य प्रोग्रेस में है और एक कार्य को शुरू करने के लिए उसका अनुमान तैयार किया जा रहा है। वार्ड 16 में 2 कार्य चल रहे है और एक अभी स्टार्ट होना है। वार्ड 17 में 7 कार्य प्रगति पर है और एक कार्य का अनुमान तैयार किया जा रहा है। वार्ड 18 में 3 कार्य प्रगति पर है, एक शुरू नहीं हुआ, एक का टेंडर लगाया जा रहा है और एक का एस्टीमेट तैयार किया जा रहा है। वार्ड 19 में सभी 5 कार्य प्रगति पर चल रहे है। वार्ड 20 में 4 कार्य प्रगति पर है और 4 शुरू किए जाने है।

समीक्षा बैठक में विभिन्न संचार कम्पनियों द्वारा खोदे गए गड्डïों के समाधान पर चर्चा हुई-जनता की शिकायतों से आजिज निगम आयुक्त निशांत कुमार यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गड्डïों को खुला ना छोड़ा जाए, इसकी निगरानी के लिए उन्होंने आज कार्यकारी अभियंताओं को जिम्मेदारी दी। जिसमें एक्सईएन मोनिका शर्मा आईजीएल के गड्डेï, सतीश शर्मा को जीयो कम्पनी के गड्डे तथा अक्षय भारद्वाज, एयरटेल तथा बीएसएनएल कम्पनी द्वारा खोदे गए गड्डे की ना केवल निगरानी करेंगे बल्कि उन्हें भरवाने का काम भी करवाएंगे। निगम आयुक्त ने यहां तक कहा कि यदि उक्त कम्पनियां समय पर गड्डïों को भरने का काम नहीं करती तो भविष्य में इन्हें स्वीकृति ना दी जाए। आयुक्त ने मीटिंग में आए सभी जुनियर इंजीनियर से कहा कि अपने-अपने वार्ड में चक्कर लगाते रहे, जो काम दिखाई दें, उसे पूरा करें। कहीं कोई दिक्कत आए तो अपने से वरिष्ठ अधिकारी के साथ समन्वय बनाकर उसका हल निकाले। उन्होंने कहा कि अगली बैठक में मैं फोटोग्राफ के साथ प्रोग्रेस देखुंगा और अपनी संतुष्टी के लिए कुछ साईट की विजिट भी करूंगा। उन्होंने कहा कि अगली समीक्षा बैठक में हो चुके व प्रगति पर चल रहे सभी कार्यो की प्रेजेंटेशन तैयार करवाएंगे। आयुक्त ने कहा कि नगर निगम क्षेत्र में संसाधनों व मैन पावर की कोई कमी नहीं है। वर्क ऑर्डर होने के बाद एक सप्ताह के अंदर-अंदर काम शुरू हो जाना चाहिए, डिले बर्दाश्त नहीं होगी। निगम में आने वाली जनता की शिकायतों का भी टाईम बाउंड मैनर में समाधान होना चाहिए, सभी सेवाएं समयबद्घ रखें।

नगर निगम क्षेत्र में 4 नये वेलकम गेट व अर्जुन गेट शिवधाम के लिए नया शव वाहन खरीदा जाएगा-बैठक में आयुक्त ने निगम के ए ई सुनील भल्ला को निर्देश दिए कि शहर के विभिन्न प्रवेश मार्गो पर जो 4 नये स्वागत गेट बनाए जाने है, उनके टेंडर लगा दें। इनमें काछवा रोड़, करनाल-कैथल रोड़, कुंजपुरा रोड़ तथा करनाल-मुनक रोड़ पर बनाए जाने वाले वेलकम गेट शामिल है। उन्होंने एक्सईएन मोनिका शर्मा को निर्देश दिए कि अर्जुन गेट शिवधाम के लिए शव वाहन खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दे। आयुक्त ने होर्टिकल्चर के एक्सईएन नरेश त्यागी के कार्यो की भी समीक्षा की और निर्देश दिए की पौधों की डिलीवरी के लिए नये ट्रैक्टर-ट्राली खरीद लिए जाए।

सरल केन्द्र में ऑनलाईन अप्वाईंटमेंट के लिए वैबसाईट प्रात: 10 बजे और दोपहर बाद 1 बजे होगी : एसडीएम आयुष सिन्हा

 मनोज त्यागी करनाल 4 सितम्बर:

करनाल के एसडीएम आयुष सिन्हा (आईएएस) ने बताया कि शहर के सैक्टर-12 स्थित लघु सचिवालय परिसर में स्थापित सरल केन्द्र में आवेदकों की सुविधा और कोविड-19 के मद्ïदेनजर कार्यदिवस में ऑनलाईन अप्वाईटमेंट के लिए वैबसाईट प्रात: 10 बजे और दोपहर बाद 1 बजे ओपन होगी। कोई भी व्यक्ति सरल केन्द्र में आकर अप्वाईंटमेंट लेने के साथ-साथ एएमएस डॉट ई दिशा करनाल डॉट जीओवी डॉट इन वैबसाईट पर जाकर ऑनलाईन अपॉइंटमेंट भी ले सकता है। अब एक दिन में 400 से बढ़ाकर 500 अप्वाईंटमेंट दी जाएंगी। इस व्यवस्था के तहत दूसरे दिन के लिए अप्वाईंटमेंट दी जाती है। उन्होंने यह भी बताया कि हैल्प डैस्क भी शुरू की गई है, जिसके माध्यम से प्रात 10 बजे से सायं 5 बजे तक अप्वाईंटमेंट दी जाएंगी। बशर्ते प्रार्थी का निजी तौर पर हैल्प डैस्क पर उपस्थित होना अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त यदि कोई व्यक्ति बीमार है या व्योवृद्घ है तो उसके परिवार का सदस्य भी हैल्प डैस्क पर आधार कार्ड दिखाकर तीसरे, चौथे व पांचवे दिन के लिए अप्वाईंटमेंट ले सकता है ताकि दलालों से छुटकारा मिल सके।

उन्होंने बताया कि आम जनता को एक ही छत के नीचे लाभ पहुंचाने के मकसद से हरियाणा सरकार द्वारा शुरू किए गए सरल केन्द्र की स्थापना की गई थी। सरल केन्द्र में आवेदकों की भीड़ को देखते हुए प्रशासन चाहता है कि जनता को असुविधा ना हो, इसलिए अप्वाईंटमेेंट को 400 से बढ़ाकर 500 किया गया है। भविष्य में इसे और भी बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्टï किया कि यदि किसी प्रार्थी का ड्राईविंग लाईंसेस व आरसी एक्सपायरी हो जाने के नजदीक है तो उसका कार्य प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा। इसके लिए प्रार्थी एसडीएम कार्यालय में सम्पर्क कर सकता है।

एसडीएम ने बताया कि सरल केन्द्र में ड्राईविंग लाइसेंस, वाहन पंजीकरण, जन्म-मृत्यु, राशन कार्ड बनाने जैसे विभागों के साथ-साथ राजस्व व मार्किटिंग इत्यादि विभागों से जुड़ी करीब 230 सेवाओं का लाभ दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अप्वाईंटमेंट की संख्या बढ़ाने से जनता को निश्चित रूप से और अधिक सुविधाएं मुहैया होंगी। सरल केन्द्र खोलने का मकसद भी यही है कि जनता को परेशानी ना हो और लोग बिना किसी दलाल के केन्द्र में आकर अपना काम करवा सकें।

पुलिस फ़ाइल, पंचकुला

पंचकूला 04 सितम्बर  :

डिटैक्टिव स्टाफ पचंकुला ने नशा का कारोबार करने के मामले मे सलिप्त आरोपी को किया काबू

सौरभ सिह भा॰पु॰से॰, पुलिस आयुक्त पंचकुला व श्री मोहित हाण्डा, भा0पु0से0, पुलिस उपायुक्त पंचकुला के द्वारा दिये निदर्शो नशे की रोकथाम व नशे के तस्करो पर काबू पाने के लिए कार्यवाही करते हुए । डिटैक्टिव स्टाफ के इन्चार्ज निरिक्षक श्री मोहिन्द्र ढाण्डा  व उनकी टीम ने दिये निर्देशो की पालना करते हुए दिनाक 02.09.2020 को बडी भारी मात्रा मे भारी मात्रा मे अफीम का कारोबार करने के जुर्म मे आरोपी सोमनाथ पुत्र श्री प्रेम चन्द वासी मोगीनन्द पचंकुला को गिरफ्तार किया गया था । जिस माननीय पेश अदालत करके न्यायिक हिरासत मे भेजा गया था जो कल दिनाक 03.09.2020 को डिटैक्टिव स्टाफ की टीम ने अभियोग मे गहनता से जांच करते हुए । इस अभियोग सलिप्त आरोपी को गिरफ्तार किया है जो गिरफ्तार किये गये आरोपी की पहचान प्रेम पाल पुत्र रिषी पाल वासी मझगवन जिला बरेली यू.पी. हाल फेस 6 मौहाली के रुप मे हुई ।

प्राप्त जानकारी के अनुसार आज दिनाक 02.09.2020 को डिटैक्टिव स्टाफ की टीम गस्त पडताल जुराईम सैक्टर 20 पचंकुला मे हाजिर थे । जिस दौरान मुखबर खास के द्वारा  सुचना प्राप्त करके दिनाक 02.09.2020 को आरोपी सोमनाथ पुत्र प्रेम चन्द वासी मौगीनन्द  पचंकुला को 475 ग्राम अफीम सहित गिरफ्तार किया था ।  जिस पर थाना सैक्टर 05 पचंकुला मे नशा अधिनियम के तहत अभियोग दर्ज करवाई गई थी । जो अभियोग की तफतीश डिटैक्टिव स्टाफ पचंकुला के द्वारा अमल मे लाई जा रही है । जिस अभियोग मे डिटैक्टिव स्टाफ पचकुला ने अभियोग हजा मे गहनता से जांच करते हुए । इस मामले मे सलिप्त उपरोक्त आरोपी को गिरफ्तार करके पेश माननीय अदालत 3 दिन का पुलिस रिमाण्ड प्राप्त किया । ताकि अभियोग मे अन्य सलिप्त नशीले पदार्थो का कारोबार करने वालो को भी गिरफ्तार किया जा सके ।

सैर करने गई महिला के साथ छेड़छाड़ करने वाले आरोपी को पुलिस ने किया काबू ।  

                  सौरभ सिह भा॰पु॰से॰, पुलिस आयुक्त पंचकुला व श्री मोहित हाण्डा, भा0पु0से0, पुलिस उपायुक्त पंचकुला के द्वारा दिये निदर्शो के तहत अपराधो पर रोकथाम करते हुए व अपराधियो को गिरफ्तार करते हुए । पचंकुला पुलिस की एक टीम ने एक महिला के साथ छेड़छाड़ करने ,धमकी देने के मामले मे आरोपी को गिरफ्तार किया गया । गिरफ्तार किये गये आरोपी की पहचान हरप्रीत उर्फ हैप्पी पुत्र रचना राम वासी कालका पचंकुला के रुप मे हुई ।

                 प्राप्त जानकारी के अनुसार एक महिला ने 29.07.2020 को शिकायत दर्ज करवाई कि उपरोक्त आरोपी ने 28.07.2020 को सैर करते हुए महिला के साथ छेडछाड उपरोक्त आरोपी ने छेड़छाड़ की है व पीडिता को गाली गलौच व धमकी भी दी गई थी । जो शिकायत थाना मे प्राप्त होने पर शीघ्रता से कार्यवाही करते हुऐ सम्बनिधत धाराओ के साथ अभियोग दर्ज किया गया । जो अनुसधानकर्ता ने अभियोग मे गहनता से जांच करते हुए । आरोपी को विधि-पूर्वक गिरफ्तार किया गया । जो आरोपी को माननीय पेश अदालत करते न्यायिक हिरासत भेजा गया ।

असामाजिक तत्वो पर नकेल कसने के लिए पचंकुला पुलिस हुई सख्त  ।

                  सौरभ सिह भा॰पु॰से॰, पुलिस आयुक्त पंचकुला व श्री मोहित हाण्डा, भा0पु0से0, पुलिस उपायुक्त पचंकुला के द्वारा सभी थाना प्रबंधक व सभी चौकी इन्चार्जो को दिशा निदर्श दिये गये कि नशीला पदार्थ गान्जा,अफीम,चरस,शराब का सेवन करने वालो व बेचने वालो, चैन स्नैचिंग और अवैध हथियार रखने वालो पर ,शिंकजा कसते हुए आरोपियो खिलाफ सख्त कार्यवाही करे । थाना प्रबंधक अपने क्षेत्र के लोगो को बढते कोरोना वायरस से बचने के लिए व साईबर ठगी से बंचने के बारे मे जागरुक करे ।

            साथ ही सौरभ सिह भा॰पु॰से॰, पुलिस उपायुक्त पचंकुला ने कहा की सभी थाना प्रबंधक अपने क्षेत्र के जिम्मेवार अधिकारी है, अपराधो पर अकुंश लगाने के लिए नाका डयूटी, रात्रि गस्त, बैंक डयूटी ,मार्किट डयूटी इत्यादि अपने विवेकानुसार लगाये । ताकि क्षेत्र मे किसी भी प्रकार का कोई अपराध घटित ना हो ।

हर माह की पहली तारीख को सुरक्षा दिवस मनाकर तकनीकी कर्मचारियों को किया जाता है जागरूक

पंचकूला 4 सितम्बर:

  बिजली हादसों को पूर्णतय रोकने के लिए हर माह की पहली तारीख को तकनीकी कर्मचारियों को जागरूक किया जाता है। तकनीकी कर्मचारी बिजली दुर्घटनाओं से कैसे बचें, उसके लिए एक बुकलेट भी बनाई गई है। जिसमें बिजली दुर्घटनाओं से बचने संबंधी दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।

बिजली निगमों के सीएमडी शत्रुजीत कपूर ने कहा कि बिजली लाइनों पर कार्य करने के लिए परमिट सिर्फ निगम के एसडीओ ऑपरेशन द्वारा अधिकृत कर्मचारी को ही दिया जाएगा। समझाया जाता है कि सुरक्षित होकर काम कीजिए, अपने परिवार का ख्याल कीजिए। सुरक्षा उपकरणों का प्रयोग एसडीओ ऑपरेशन द्वारा अधिकृत कर्मचारियों का नाम उनका रजिस्टर्ड व्हाट्सएप्प मोबाइल नंबर, उनका कार्यक्षेत्र एरिया आफिस आदेश के साथ सभी सब-स्टेशनों में तथा कर्मचारियों को उपलब्ध करवाया जाए। रूटिन के रख-रखाव कार्यों के परमिट लेने के लिए अधिकृत कर्मचारी का सब स्टेशन जाकर परमिट लेना अनिवार्य है। एमरजेंसी के दौरान अधिकृत कर्मचारी द्वारा व्हाट्सएप्प के माध्यम से सब-स्टेशन इंचार्ज को भरे हुए परमिट फार्म की फोटो भेजकर और वह सब-स्टेशन इंचार्ज को फोन भी करेगा। इस बुकलेट में यह भी बताया गया है कि एसडीओ ऑपरेशन ऐसी अवैध इमारतों की पहचान करके सूची तैयार करेगा, जहां अवैध निर्माण के कारण बिजली हादसों का खतरा अधिक है।

उन्होंने बताया कि तकनीकी कर्मचारियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। निगमों की तरफ से बिजली दुर्घटनाओं से बचने के लिए किसानों को भी जागरूक करने के लिए एक पुस्तिका तैयार की जा रही है, जो किसानों को जल्द उपलब्ध कराई जाएगी। बिजली उपभोक्ताओं को निर्बाध एवं सुचारू रूप से बिजली मिले उसके लिए निगम वचनबद्ध है।

तकनीकी कर्मचारियों की सुरक्षा हेतू निगम पूरी तरह कृतसंकल्प-कपूर

पंचकूला 4 सितंबर:

हरियाणा के बिजली वितरण निगमों-उत्तर हरियाणा बिजली वितरण निगम (यूएचबीवीएन) और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (डीएचबीवीएन) के तकनीकी कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए निगम पूरी तरह से कृतसंकल्प और प्रतिबद्ध है। इसी के चलते निगम के तकनीकी कर्मचारियों को अंतर्राष्ट्रीय मानक की सुरक्षा किट उपलब्ध करवाई गई है। जिसका परिणाम है कि गत दो वर्षों में बिजली हादसों में भारी कमी आई है।

बिजली निगमों के सीएमडी शत्रुजीत कपूर ने बताया कि यूएचबीवीएन के तकनीकी कर्मचारियों को  उच्च गुणवत्ता के 9000 दस्ताने, 18450 वोल्टेज सेंसर, 525 सीढियां, 14750 ब्रेकडाउन किट तथा 18450 हैलमेट उपलब्ध कराए हैं। यह उपकरण तकनीकी कर्मचारियों को लाइन पर काम करते वक्त करंट से बचाते हैं। इस किट में वोल्टेज  सेंसर वाले हैलमेट भी शामिल हैं जो कि 11 केवी लाइन के करंट को 6 फिट की दूरी से बता देते हैं। बिजली के पोलों पर चढने के लिए तकनीकी कर्मचारियों को फाइबर रेनफोर्सड प्लास्टिक (एफआरपी) से बनी सीढियां भी उपलब्ध कराई गई हैं, जो तार से सटे होने पर भी टेक्रिकल कर्मचारी को करंट से बचाती हैं। तकनीकी कर्मचारी को उच्च गुणवत्ता की सेफ्टी बेल्ट भी दी गई है ताकि सुरक्षित तरीके से बिजली के कार्य की मेनटेंस कर सकें।  

निगमों के प्रवक्ता ने बताया कि इसी वजह से जिला यमुनानगर में गत 4 माह में एक भी हादसा नहीं हुआ, यूएचबीवीएन की गुहला डिविजन में भी गत एक वर्ष में कोई बिजली दुर्घटना नहीं हुई। यूएचबीवीएन की 39 सब डिवीजन ऐसी हैं जहां पिछले एक वर्ष में एक भी दुर्घटना बिजली लाईन पर नहीं हुई।

मेरी फसल मेरा ब्यौरा में पंजीकरण हेतू तिथि बढाई- उपायुक्त

पंचकूला  4  सितम्बर:

  उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने बताया कि जिला में किसानों की सुविधा के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा के तहत पंजीकरण करने की तिथि 7 सितम्बर तक बढा दी गई है। किसानों के लिए यह स्वर्णिम एवं अंतिम अवसर है, इसलिए इस योजना में अपनी फसलों का पंजीकरण अवश्य करवा लेना चाहिए।

उपायुक्त ने बताया कि किसानों के लिए यह सरकार की अतिमहत्वपुर्ण एवं कारगर योजना है जिसके तहत पंजीकृत किसानों को भविष्य में कृषि से सम्बन्धित सभी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। इसके लिए किसान पंजीकरण के लिए अपने नजदीकी काॅमन सर्विस सैन्टर या कृषि अधिकारी से सम्पर्क कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि किसानों के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही सभी योजनाओ ंका लाभ प्राप्त करने के लिए पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। इनमें फसल बिक्री, कृषि यन्त्रों पर सब्सिडी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना इत्यादि का लाभ शामिल है। उन्होंने बताया कि भविष्य में केवल पंजीकृत किसानों को ही सरकार की इन योजनाओं का लाभ दिया जाएगा।

उत्कृष्ट कार्य करने के लिए आवेदन मांगे-उपायुक्त पंचकूला

4 सितम्बर:

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण भारत सरकार की ओर से वर्ष 2021 के लिए सुभाष चन्द्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार प्रदान करने के लिए जिला के पात्र व्यक्तियों से आॅनलाईन आवेदन मांगे गए है।

उपायुक्त मुकेश कुमार आहूजा ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में व्यक्तिगत  स्तर पर एवं संस्थान के तौर उत्कृष्ट एवं सराहनीय कार्य करने वालो से आॅनलाईन आवेदन मांगे गए है। इच्छुक व्यक्ति एवं संस्थान व संस्थाए वेबसाईट https://dmawards.nmda.gov.in  पर 15 सितम्बर तक अपलोड कर सकते है। इसके अलावा मैन्यूवल आवेदन उपायुक्त कार्यालय में भी जमा करवाएं ताकि निश्चित तिथि तक आपदा प्रबंधन संस्थान को भेजे जा सके।

शिकायत मिलने के महीनेभर बाद भी बयान नहीं दर्ज कर सकी पुलिस, कहीं राजनीतिक प्रभाव तो आड़े नहीं आ रहा?

सारिका तिवारी, पंचकूला- 4 सितम्बर :

क्या वाकई ही पंचकूला महिला थाने की स्थापना से महिलाओं को हाथ में ली है यह एक बड़ा सवाल है आम थाना यहां भी महिलाएं परेशान होती हैं हो सकता है कानूनी पत्र प्रक्रिया चलने से ज्यादातर मामले लंबित पड़ने या जानबूझकर टालते रहने से या तो धराशाई हो जाते हैं या एकतरफा फैसले की बलि चढ़ जाते हैं ।

ऐसा आमतौर पर बाकी थानों में देखने को मिलता है, तो महिला थाने में क्या फ़र्क़।

फाइलों में पड़ी शिकायतें अपना दिन आने की राह देखते हैं पर शिकायत गंभीर होने के बावजूद जल्दी कार्रवाई नहीं होती , कारण चाहे कोई भी हो कई मामलों में सामाजिक राजनीतिक प्रभाव वाले लोगों के खिलाफ शिकायतें भले ही गंभीर हों परन्तु पुलिस कार्रवाई करने में विलंब करती है या संबंधित जांच अधिकारी ही शिकायतकर्ता से बात करते हुए ऐसे लहजे का इस्तेमाल करते हैं जिससे कि शिकायतकर्ता को लगे शायद ही आरोपी बन गई है। ऐसी स्थिति से हताश होकर महिलाएं जांच शामिल होने से गुरेज करती हैं और परिणाम स्वरूप यह कहकर जांच बंद कर दी जाती है कि शिकायतकर्ता सहयोग नहीं कर रहे ।
ऐसा ही एक मामला पंचकूला के महिला थाने में लंबित पड़ा है जिसमें महिला शिकायतकर्ता ने अपने पूर्व पति पर आरोप लगाए हैं परंतु शिकायत करने के 1 महीने के बाद भी पुलिस चमन लाल के विरोध कार्रवाई करना तो दूर अभी तक उसके बयान भी दर्ज नहीं कर सकी।

चमन लाल वार्ड नंबर 3 की पार्षद रहे सुरजीत कौर का पति है, एक व्यवसाई है। सुरजीत कौर और चमनलाल फरवरी 2019 में इनेलो छोड़ जजपा में शामिल हो गए थे।

जांच अधिकारी फोन कर भी चमन लाल के बावजूद दर्ज करवाने थाने नहीं पहुंचा सूत्रों के अनुसार जांच अधिकारी ने फोन के माध्यम से गत बुधवार यानी 2 सितंबर को चमनलाल को थाने में पेश होने के आदेश दिए जब इस रिपोर्टर ने थाने में संपर्क किया तो पता चला कि बुधवार को ना तो चमन लाल ही बयान दर्ज करवाने आया और ना ही उनकी तरफ से कोई संदेशा है । आपको बता दें चमन लाल उसकी पहली पत्नी शिवानी ने आरोप लगाए हैं कि वह तलाक होने के लगभग 18 साल बाद भी उससे मारपीट करता है कभी भी उसके कि मां के घर आकर गाली गलौज करता है उसकी हिम्मत इतनी बढ़ चुकी है कि अब तो वह उसे जान से मारने तक की धमकी देता है।

एक पत्नी के साथ रहते हुए दूसरी महिला से विवाह करना और फिर दूसरी पत्नी से तलाक लेना’ जैसे मामले आम देखने सुनने को मिल जाते हैं।
ऐसे ही एक मामले की शिकायत पंचकूला के महिला थाने में आई है।

कौन है वह रसूखदार व्यक्ति?

शिकायतकर्ता भले ही एक आम महिला है लेकिन जिसके विरुद्ध शिकायत है वह है जजपा (पहले इनेलो से थीं फरवरी 2019 में पति चमनलाल सहित जजपा से जुड़ीं ) से जुड़ी पिंजौर के वार्ड नम्बर से निर्वाचित रहीं सुरजीत कौर के पति चमनलाल। शिकायतकर्ता मनीमाजरा चंडीगढ़ की रहने वाली शिवानी जो कि चमनलाल की दूसरी पत्नी थी (अब तलाकशुदा) ने अपनी शिकायत में लिखा है कि वह जब भी अपनी माँ से मिलने गाँव घाटीवाला जाती है चमनलाल अपने साथियों के साथ उससे और उसकी माँ से गालीगलौज और मारपीट करता है। शिवानी का कहना है कि स्थानीय पुलिस को सूचित करने पर वहाँ के पुलिस कर्मी भी चमन लाल का साथ देते हैं।

इसी वर्ष जुलाई महीने की 30 तारीख को भी शिवानी से मारपीट की गई।

शिवानी ने अपनी शिकायत में कहा है कि चमनलाल ने उसे भला फुसलाकर धोखे से शादी की क्योंकि वह पहले से शादीशुदा था। पिंजौर के वार्ड नं 3 से पार्षद सुरजीत कौर इस व्यक्ति की पहली पत्नी है जिससे इसको तीन बच्चे हैं ।

चमनलाल और शिवानी का 10 अक्तूबर 1997 में अम्बाला के एक मंदिर में प्रेम विवाह हुआ। उस विवाह से 20 जून 1999 को इन दोनों की बेटी का जन्म हुआ। विवाह के बाद एक दो वर्ष सब कुछ ठीक चलता रहा लेकिन फिर हर छोटी छोटी बात पर चमनलाल पत्नी से मारपीट करने लगा और तलाक के लिए दबाव डालने लगा। रोज रोज की मारपीट से तंग आकर आखिर शिवानी तलाक के लिए तैयार हो गई। परन्तु यह उसकी समस्याओं का अंत नहीं था। चमनलाल उसे अकेली और कमजोर देख कर जब तब उसके घर आता जाता और जबरदस्ती कर शारीरिक संबंध स्थापित करता। शिवानी के अनुसार बाद में पता चला कि यह व्यक्ति पहले से शादीशुदा था और इतने वर्ष उसे धोखा देता रहा।

‌ इस शिकायत के बारे में जब इस रिपोर्टर ने जब चमनलाल से बात की तो उन्होंने शिवानी के चरित्र पर शंका जताते हुए कहा कि उनकी पूर्व पत्नी शिवानी की आदत है शिकायत दर्ज कराने की। पिंजोर और चंडीगढ़ में दर्जनों शिकायतें दर्ज करवा चुकी हैं। वह केवल अपने पूर्व पति यानी चमनलाल ही नहीं अन्य लोगों की भी शिकायत देती रहती है । वह पूर्व में चंडीगढ़ में एक व्यक्ति के खिलाफ में शोषण का मामला दर्ज करवा चुकी है।

शिवानी ने बताया कि चमन लाल और शिवानी की बेटी को पढ़ाई के लिए विदेश भेजने पर चमनलाल ने पैसे खर्च किए ,जिसके बाद से अक्सर उससे से मारपीट करता रहता है और कहता है के शिवानी अपना मनीमाजरा और उसकी माँ पिंजौर घाटी वाला स्थित मकान भी बेच कर उसे पैसे दे क्योंकि उसने भारी खर्च करके उसकी बेटी (जिसका पिता चमनलाल है) को विदेश भेजा है ।

शिवानी का कहना है कि पुलिस उनसे कागज़ नहीं ले रही जिससे साबित होता है कि चमनलाल ने उससे धोखे से शादी की।

इस बाबत जब थाने में सम्पर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि जाँच अधिकारी का दूसरी जगह तबादला हो गया है।

पुलिस कार्रवाई करने मे ढील कर रही है जिससे के चमनलाल जैसा व्यक्ति जोकि किसी भी वक्त शिवानी के साथ मारपीट कर सकता हैं कभी भी शिवानी को कोई भी नुकसान पहुँचा सकता है। पुलिस किस चीज का इंतजार कर रही है?