समाज परिवर्तन के कार्यों को गति दें कार्यकर्ता : मोहन भागवत


तीन दिवसीय प्रवास के दौरान उत्तर क्षेत्र (दिल्ली, पंजाब, जम्मू- कश्मीर, हिमाचल, हरियाणा व केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़) प्रांत के संघ अधिकारियों से इन सभी छह प्रांतों की वर्तमान राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियों पर विचार करेंगे। पिछले दो सालों में पंजाब में संघ नेताओं को जिस तरह से हत्या की गई, उससे संघ की कार्यशैली भी कमजोर पड़ गई है।


नरेश शर्मा भरद्वाज

हरियाणा:

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत के दो दिवसीय फरीदाबाद प्रवास पर संघ ने दिल्ली एवं हरियाणा की प्रांत कार्यकारिणी के कार्यकर्ताओं की बैठक का आयोजन किया। बैठक में पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन, ग्राम विकास के आयाम, सामाजिक समरसता और जैविक खेती जैसे विषयों पर किए गए कार्य की समीक्षा व आगामी योजना पर विस्तारपूर्वक मंथन किया गया। वर्ष में एकबार होने वाली इस बैठक में संघ कार्य की समीक्षा करते हुए कार्य के विस्तार और दृढीकरण का विचार किया जाता है।

फरीदाबाद के सेक्टर 16 स्थित किसान भवन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की दिल्ली एवं हरियाणा के प्रांत कार्यकारिणी बैठक में प्रबुद्धजनों से श्रेणी अनुसार संपर्क किया गया जिसमें शिक्षाविद, डॉक्टर, उद्योगपति और समाज में सेवा संस्थाओं के प्रमुख उपस्थित रहे। बैठक के दूसरे दिन प्रात फरीदाबाद की सभी शाखाओं के मुख्य शिक्षक, कार्यवाहों से शाखाओं द्वारा उनके कार्य क्षेत्र में किस प्रकार के सेवा कार्य चल रहे हैं और व्यक्ति निर्माण के नाते किस प्रकार के कार्यक्रम शाखाओं में हो रहे हैं।

इन सभी विषयों पर विस्तारपूर्वक चर्चा की गई। इसके उपरांत हरियाणा और दिल्ली प्रांत स्तरीय कार्यकर्ताओं के साथ बैठक का क्रम रहा जिसमें पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन (परिवार से अ’छे संस्कार देने की व्यवस्था)जैसे विषयों पर प्रांत की विस्तृत योजना की समीक्षा की गई। विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम विकास के आयाम,सामाजिक समरसता और जैविक खेती जैसे विषयों पर कार्य करने का आहवान करते हुए उन्होंने कहा कि युवा किसानों को प्रशिक्षित करते हुए उन्हें आगे लाया जाए। इस प्रकार उनका प्रवास सभी कार्यकर्ताओं के लिए उत्साह वर्धक रहा।

पंजाब प्रवास पर मोहन भागवत

विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव में करारी हार के बाद पंजाब में अब लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) की पैनी नजर है। जिससे पंजाब के जालंधर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत तीन दिवसीय प्रवास पर हैं। मोहन भागवत आज जालंधर के विद्या धाम में पहुंच रहे हैं।

तीन दिवसीय प्रवास के दौरान उत्तर क्षेत्र (दिल्ली, पंजाब, जम्मू- कश्मीर, हिमाचल, हरियाणा व केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़) प्रांत के संघ अधिकारियों से इन सभी छह प्रांतों की वर्तमान राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियों पर विचार करेंगे। पिछले दो सालों में पंजाब में संघ नेताओं को जिस तरह से हत्या की गई, उससे संघ की कार्यशैली भी कमजोर पड़ गई है।

माता मनसा देवी मन्दिर परिसर में 10 से 18 अक्तूबर तक कानूनी साक्षरता शिविर आयोजित किए जाएगें

पंचकूला 5 अक्तूबर:
जिला विधिक सेवांए प्राधिकरण द्वारा नवरात्र मेला के दौरान माता मनसा देवी मन्दिर परिसर में 10 से 18 अक्तूबर तक कानूनी साक्षरता शिविर आयोजित किए जाएगें।
इस संम्बंध में जानकारी देते हुए मुख्य दण्डाधिकारी एंव प्राधिकरण के सचिव विवेक गोयल ने बताया कि  इन शिविरों को सुचारू ढंग से सम्पन्न करवाने के लिए पैनल अधिवक्ता एंव पेरालिगल वॉलिंटियर की ड्यूटियां लगाई गई है। नवरात्र मेला के दौरान श्रद्धालुओं को जहां उन्हें दो शिफ्टों में कानूनी जानकारी दी जाएगी वहीं उनके अधिकारों के बारे में प्रचार सामग्री भी वितरित की जाएगी।
मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी ने बताया कि मेला में हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। श्रद्धालुओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने के लिए प्राधिकरण द्वारा व्यापक स्तर   पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा ताकि उनके अधिकारों का कोई हनन न हो सके।

श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी करती है माता मनसा देवी

भारत की सभ्यता एवं संस्कृति आदिकाल से ही विश्व की पथ-प्रदर्शक रही है और इसकी चप्पा-चप्पा धरा को ऋषि मुनियों ने अपने तपोबल से पावन किया है। हरियाणा की पावन धरा भी इस पुरातन गौरवमय भारतीय संस्कृति, धरोहर तथा देश के इतिहास एवं सभ्यता का उद्गम स्थल रही है। यह वह कर्म भूमि है, जहां धर्म की रक्षा के लिए दुनिया का सबसे बड़ा संग्राम महाभारत लड़ा गया था और गीता का पावन संदेश भी इसी भू-भाग से गुंजित हुआ है। वहीं शिवालिक की पहाडियों से लेकर कुरूक्षेत्र तक के 48 कोस के सिंधुवन में ऋषि-मुनियों द्वारा पुराणों की रचना की गई और यह समस्त भूभाग देवधरा के नाम से जाना जाता है।
इसी परम्परा में हरियाणा के जिला पंचकूला में ऐतिहासिक नगर मनीमाजरा के निकट शिवालिक पर्वतमालाओं की गोद में सिन्धुवन के अतिंम छोर पर प्राकृतिक छटाओं से आच्छादित एकदम मनोरम एवं शांति वातावरण में स्थित है – सतयुगी सिद्घ माता मनसा देवी का मंदिर। कहा जाता है कि यदि कोई भक्त सच्चे मन से 40 दिन तक निरंतर मनसा देवी के भवन में पहुंच कर पूजा अर्चना करता है तो माता मनसा देवी उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण करती है। माता मनसा देवी का चैत्र और आश्विन मास के नवरात्रों में मेला लगता है।
माता मनसा देवी के मंदिर को लेकर कई धारणाएं व मान्यताएं प्रचलित हैं। श्रीमाता मनसा देवी का इतिहास उतना ही प्राचीन है, जितना कि अन्य सिद्घ शक्तिपीठों का। इन शक्ति पीठों का कैसे और कब प्रादुर्भाव हुआ इसके बारे में शिव पुराण में विस्तृत वर्णन मिलता है। धर्म ग्रंथ तंत्र चूड़ामणि के अनुसार ऐसे सिद्घ पीठों की संख्या 51 है, जबकि देवी भागवत पुराण में 108 सिद्घ पीठों का उल्लेख मिलता है, जो सती के अंगों के गिरने से प्रकट हुए। श्रीमाता मनसा देवी के प्रकट होने का उल्लेख शिव पुराण में मिलता है। माता पार्वती हिमालय के राजा दक्ष की कन्या थी व अपने पति भगवान शिव के साथ कैलाश पर्वत पर उनका वास था। कहा जाता है कि एक बार राजा दक्ष ने अश्वमेध यज्ञ रचाया और उसमें सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया, परन्तु इसमें भगवान शिव को नहीं बुलाया, इसके बावजूद भी पार्वती ने यज्ञ में शामिल होने की बहुत जिद्द की। महादेव ने कहा कि बिना बुलाए वहां जाना नहीं चाहिए और यह शिष्टाचार के विरूद्घ भी है। अन्त मे विवश होकर मां पार्वती का आग्रह शिवजी को मानना पड़ा। शिवजी ने अपने कुछ गण पार्वती की रक्षार्थ साथ भेजे। जब पार्वती अपने पिता के घर पहुंची तो किसी ने उनका सत्कार नहीं किया। वह मन ही मन अपने पति भगवान शंकर की बात याद करके पश्चाताप करने लगी। हवन यज्ञ चल रहा था। यह प्रथा थी कि यज्ञ में प्रत्येक देवी देवता एवं उनके सखा संबंधी का भाग निकाला जाता था। जब पार्वती के पिता ने यज्ञ से शिवजी का भाग नहीं निकाला तो पार्वती को बहुत आघात लगा।  आत्म-सम्मान के लिए गौरी ने अपने आपको यज्ञ की अग्नि में होम कर दिया। पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में प्राणोत्सर्ग करने के समाचार को सुन शिवजी बहुत क्रोधित हुए और वीरभद्र को महाराजा दक्ष को खत्म करने के लिए आदेश दिए। क्रोध में वीरभद्र ने दक्ष का मस्तक काटकर यज्ञ विघ्वंस कर डाला। शिवजी ने जब यज्ञ स्थान पर जाकर सती का दग्ध शरीर देखा तो सती-सती पुकारते हुए उनके दग्ध शरीर को कंधे पर रखकर भ्रान्तचित से तांडव नृत्य करते हुए देश देशातंर में भटकने लगे।
भगवान शिव का उग्र रूप देखकर ब्रह्मा आदि देवताओं को बड़ी चिंता हुई। शिवजी का मोह दूर करने के लिए सती की देह को उनसे दूर करना आवश्यक था, इसलिए भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से लक्ष्यभेद कर सती के शरीर को खंड-खंड कर दिया। वे अंग जहां-जहां गिरे वहीं शक्तिपीठों की स्थापना हुई और शिव ने कहा कि इन स्थानों पर भगवती शिव की भक्ति भाव से आराधना करने पर कुछ भी दुलर्भ नहीं होगा क्योंकि उन-उन स्थानों पर देवी का साक्षात निवास रहेगा। हिमाचल प्रदेश के कांगडा के स्थान पर सती का मस्तक गिरने से बृजेश्वरी देवी शक्तिपीठ, ज्वालामुखी पर जिव्हा गिरने से ज्वाला जी, मन का भाग गिरने से छिन्न मस्तिका चिन्तपूर्णी, नयन से नयना देवी, त्रिपुरा में बाई जंघा से जयन्ती देवी, कलकत्ता में दाये चरण की उंगलियां गिरने से काली मदिंर, सहारनपुर के निकट शिवालिक पर्वत पर शीश गिरने से शकुम्भरी, कुरूक्षेत्र में गुल्फ गिरने से भद्रकाली शक्ति पीठ तथा मनीमाजरा के निकट शिवालिक गिरिमालाओं पर देवी के मस्तिष्क का अग्र भाग गिरने से मनसा देवी आदि शक्ति पीठ देश के लाखों भक्तों के लिए पूजा स्थल बन गए हैं।
एक अन्य दंत कथा के अनुसार मनसा देवी का नाम महंत मंशा नाथ के नाम पर पड़ा बताया जाता है। मुगलकालीन बादशाह सम्राट अकबर के समय लगभग सवा चार सौ वर्ष पूर्व बिलासपुर गांव में देवी भक्त महंत मन्शा नाथ रहते थे। उस समय यहां देवी की पूजा अर्चना करने दूर-दूर से लोग आते थे। दिल्ली सूबे की ओर से यहां मेले पर आने वाले प्रत्येक यात्री से एक रुपया कर के रूप में वसूल किया जाता था। इसका मंहत मनसा नाथ ने विरोध किया। हकूमत के दंड के डर से राजपूतों ने उनके मदिंर में प्रवेश पर रोक लगा दी। माता का अनन्य भक्त होने के नाते उसने वर्तमान मदिंर से कुछ दूर नीचे पहाडों पर अपना डेरा जमा लिया और वहीं से माता की पूजा करने लगा। महंत मंशा नाथ का धूना आज भी मनसा देवी की सीढियों के शुरू में बाई ओर देखा जा सकता है।
आईने अकबरी में यह उल्लेख मिलता है कि जब सम्राट अकबर 1567 ई. में कुरूक्षेत्र में एक सूफी संत को मिलने आए थे तो लाखों की संख्या में लोग वहां सूर्य ग्रहण पर इकटठे हुये थे। महंत मंशा नाथ भी संगत के साथ कुरूक्षेत्र में स्नान के लिये गये थे। कहते हैं कि जब नागरिकों एवं कुछ संतों ने अकबर से सरकार द्वारा यात्रियों से कर वसूली करने की शिकायत की तो उन्होंने हिंदुओं के प्रति उदारता दिखाते हुए सभी तीर्थ स्थानों पर यात्रियों से कर वसूली पर तुरंत रोक लगाने का हुकम दे दिया, जिसके फलस्वरूप कुरूक्षेत्र एवं मनसा देवी के दर्शनों के लिए कर वसूली समाप्त कर दी गई।
श्रीमाता मनसा देवी के सिद्घ शक्तिपीठ पर बने मदिंर का निर्माण मनीमाजरा के राजा गोपाल सिंह ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर लगभग पौने दो सौ वर्ष पूर्व चार वर्षो में अपनी देखरेख में सन 1815 ईसवी में पूर्ण करवाया था। मुख्य मदिंर में माता की मूर्ति स्थापित है। मूर्ति के आगे तीन पिंडीयां हैं, जिन्हें मां का रूप ही माना जाता है। ये तीनों पिंडीयां  महालक्ष्मी, मनसा देवी तथा सरस्वती देवी के नाम से जानी जाती हैं। मंदिर की परिक्रमा पर गणेश, हनुमान, द्वारपाल, वैष्णवी देवी, भैरव की मूर्तियां एवं शिव लिंग स्थापित है। इसके अतिरिक्त श्रीमनसा देवी मंदिर के प्रवेश द्वार पर माता मनसा देवी की विधि विधान से अखंड ज्योत प्रज्जवलित कर दी गई है। इस समय मनसा देवी के तीन मंदिर हैं, जिनका निर्माण पटियाला के महाराज द्वारा करवाया गया था। प्राचीन मदिंर के पीछे निचली पहाडी के दामन में एक ऊंचे गोल गुम्बदनुमा भवन में बना माता मनसा देवी का तीसरा मदिंर है। मदिंर के एतिहासिक महत्व तथा मेलों के उपर प्रति वर्ष आने वाले लाखों श्रद्घालुओं को और अधिक सुविधाएं प्रदान करने के लिए हरियाणा सरकार ने मनसा देवी परिसर को 9 सितम्बर 1991 को माता मनसा देवी पूजा स्थल बोर्ड का गठन करके इसे अपने हाथ मे ले लिया था।
श्री माता मनसा देवी की मान्यता के बारे पुरातन लिखित इतिहास तो उपलब्ध नहीं है, परन्तु पिंजौर, सकेतडी एवं कालका क्षेत्र में पुरातत्ववेताओं की खोज से यहां जो प्राचीन चीजे मिली हैं, जो पाषाण युग से संबंधित है उनसे यह सिद्घ होता है कि आदिकाल में भी इस क्षेत्र में मानव का निवास था और वे देवी देवताओं की पूजा करते थे, जिससे यह मान्यता दृढ होती है कि उस समय इस स्थान पर माता मनसा देवी मदिंर विद्यमान था। यह भी जनश्रुति है कि पांडवों ने बनवास के समय इस उत्तराखंड में पंचपूरा पिंजौर की स्थापना की थी। उन्होंने ही अन्य शक्तिपीठों के साथ-साथ चंडीगढ के निकट चंडीमदिंर, कालका में काली माता तथा मनसा देवी मदिंर में देवी आराधाना की थी। पांडवों के बनवास के दिनों में भगवान श्री कृष्ण के भी इस क्षेत्र में आने के प्रमाण मिलते हैं। त्रेता युग में भी भगवान द्वारा शक्ति पूजा का प्रचलन था और श्री राम द्वारा भी इन शक्ति पीठों की पूजा का वर्णन मिलता है।
हरिद्वार के निकट शिवालिक की ऊंची पहाडियों की चोटी पर माता मनसा देवी का एक और मदिंर विद्यमान है, जो आज देश के लाखों यात्रियों के लिये अराध्य स्थल बना हुआ है, परन्तु उस मदिंर की गणना 51 शक्तिपीठों में नहीं की जाती। पंचकूला के बिलासपुर गांव की भूमि पर वर्तमान माता मनसा देवी मदिंर ही सिद्घ शक्ति पीठ है, जिसकी गणना 51 शक्ति पीठों में होने के अकाट्य प्रमाण हैं। हरिद्वार के निकट माता मनसा देवी के मदिंर के बारे यह दंत कथा प्रसिद्घ है कि यह मनसा देवी तो नागराज या वासुकी की बहिन, महर्षि कश्यप की कन्या व आस्तिक ऋषि की माता तथा जरत्कारू की पत्नी है, जिसने पितरों की अभिलाषा एवं देवताओं की इच्छा एवं स्वयं अपने पति की प्रतिज्ञा को पूर्ण करने तथा सभी की मनोकामना पूर्ण करने के लिए वहां अवतार धारण किया था, सभी की मनोकामना पूर्ण करने के कारण अपने पति के नाम वाली जरत्कारू का नाम भक्तों में मनसा देवी के रूप में प्रसिद्घ हो गया। वह शाक्त भक्तों में अक्षय धनदात्रि, संकट नाशिनी, पुत्र-पोत्र दायिनी तथा नागेश्वरी माता आदि नामों से प्रसिद्घ है।
श्री माता मनसा देवी पूजा स्थल बोर्ड के मुख्य प्रशासक एवं उपायुक्त श्री मुकुल कुमार ने बताया कि बोर्ड द्वारा माता के दर्शन करने के लिए देश के कोने-कोने से आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पुख्ता प्रबंध किये गये है। उन्होंने बताया कि 10 से 18 अक्तूबर तक चलने वाले अश्विन नवरात्र मेले के दौरान मेले स्थल पर श्रद्धालुओं के आने के लिए विशेष बस सेवाये चण्डीगढ, जीरकपुर तथा आस-पास के क्षेत्रों से सीटीयू तथा हरियाणा रोडवेज की बसों की माता मनसा देवी व काली माता मंदिर कालका में मेला स्थल पर पहुंचने के लिए भी व्यवस्था की गई है ताकि श्रद्धालुओं को आने जाने में किसी प्रकार की असुवधिा न हो।

पेट्रोल डीजल पर केंद्र ने 2.50 रुपये की रिलीफ दी और राज्यों से भी इतनी ही कटौती करने की गुजारिश की


हमने देश मे तेल की कीमत घटाने के की प्रयास किये।

पेट्रोल और डीजल पर 2.50 रुपये की राहत देंगे।


आज वित्त मंत्री ने पत्रकार वार्ता में बताया कि वित्त मंत्रालय पेट्रोल और डीजल पर 2.50 रुपये की राहत देगा.

तेल की बढ़ती कीमतों से राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमत में 2.50 रुपये कटौती की घोषणा की है। जेटली ने कहा, ‘आज अंतरमंत्रालयी बैठक में हमने तय किया कि एक्साइज ड्यूटी 1.50 रुपये घटाया जाएगा। इसके अलावा ऑइल मार्केटिंग कंपनियां (ओएमसी) एक रुपया घटाएंगी। केंद्र सरकार की तरफ से हम 2.50 रुपये प्रति लीटर तुरंत उपभोक्ताओं को राहत देंगे।’ वित्त मंत्री ने राज्यों से भी इतनी ही कटौती करने की गुजारिश की है ताकि ग्राहकों को 5 रुपये की राहत मिले। वित्त मंत्री ने कहा कि कटौती से एक्साइज रेवेन्यू में इस साल 10,500 करोड़ रुपये का प्रभाव पड़ेगा।

बोले पिछले 4 साल में कच्चा तेल की कीमत सबसे ज्यादा। अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने का असर पड़ा। शेयर बाजार में गिरावट है। हमारी घरेलू आर्थिक स्तिथि मजबूत। महंगाई के आंकड़े हमारे पक्ष में है।

Justice Ranjan Gogoi is 46th CJ India.


President Ram Nath Kovind administered the oath to Justice Gogoi at a ceremony which took place in Rashtrapati Bhavan’s Darbar Hall.

Justice Gogoi’s father Sh. Keshab Chandra Gogoi was a Chief minister under the Indian National Congress regime in the state of Assam in the year 1982.


Justice Ranjan Gogoi took oath as the as the 46th Chief Justice of India on Wednesday as he succeeded Justice Dipak Misra.

President Ram Nath Kovind administered the oath to the 63-year-old Justice Gogoi at a ceremony which took place in Rashtrapati Bhavan’s Darbar Hall.

Justice Gogoi’s father Sh. Keshab Chandra Gogoi was a Chief minister under the Indian National Congress regime in the state of Assam in the year 1982.

Justice Gogoi will have a tenure of a little over 13 months and would retire on November 17, 2019.

He was appointed as a judge of the Supreme Court on April 23, 2012.

Born on November 18, 1954, Justice Gogoi was enrolled as an advocate in 1978. He practised in the Gauhati High Court on constitutional, taxation and company matters.

He was appointed as a permanent judge of the Gauhati High Court on February 28, 2001. On September 9, 2010, he was transferred to the Punjab and Haryana High Court.

He was appointed as Chief Justice of Punjab and Haryana High Court on February 12, 2011.

Justice Gogoi was one of the four Supreme Court judges who had revolted against CJI Misra earlier this year. The other three were Justice J. Chelameswar, Justice Madan B. Lokur and Justice Kurian Joseph.

In an unprecedented move, the four senior-most judges of the apex court had held a press conference in January this year raising, among other things, questions over assigning cases to different judges by the CJI.

Earlier in September, CJI Misra had recommended Justice Gogoi as his successor as per the established practice of naming for the post the senior-most judge after the CJI.

The appointment of members of the higher judiciary is governed by the Memorandum of Procedure, which says “appointment to the office of the Chief Justice of India should be of the senior-most judge of the Supreme Court considered fit to hold the office”.

The protocol stipulates that the law minister will, at an appropriate time, seek recommendation of the outgoing CJI for the appointment of a successor. Once the CJI makes the recommendation, the law minister puts it before the Prime Minister who then advises the President on the matter.

After President Ramnath Kovind signed warrants of Justice Gogoi’s appointment , a notification was issued announcing his appointment.

स्टेट क्राईम ब्रांच मानव तस्करी निरोधक सैल की टीम ने गुमशुदा बच्चे को उसके भाई बहिन से मिलवाया

क्राईम ब्रांच मानव तस्करी निरोधक सैल की टीम बच्चे को सैक्टर-2 बाल स्थित निकेतन में डाक्टर मधु शर्मा को सुपुर्द करते हुए।

पंचकूला 1 अक्तूबर:
स्टेट क्राईम ब्रांच मानव तस्करी निरोधक सैल की टीम ने, जिसमें एस आई मुकेश रानी, एएसआई राजेश कुमार व एचसी कर्मचंद है, गांव रामगढ़ पंहुचकर, एक लडक़ा, जिसकी उम्र करीब 9 वर्ष है, उससे पूछताछ की गई। पूछताछ के दौरान उस लडके ने बताया कि मेरे माता पिता की मृत्यु हो चुकी है और हम पंाच भाई बहन हैं। लडक़े ने  अपना नाम अर्जुन पुत्र धानेस गांव मनसा देवी बताया।
गौर तलब है कि इसी टीम ने पिछले दिनों दो अनाथ बच्चों को बाल स्नेहालय पंहुचाया था. आज मिला बच्चा इन्हीं 5 भाई बहिनों में तीसरा है. बाकी 2 कि भी तलाश जारी है.
टीम नेे बच्चे को अपने साथ लेकर डीडीआर चौकी में करवाई व मैडिकल करवाकर सीडब्लूसी को पेश करके सैक्टर-2 बाल स्थित निकेतन में डाक्टर मधु शर्मा को सुपुर्द किया। इससे पूर्व  भी टीम द्वारा 28 सितंबर को दो बच्चे इसी बाल निकेतन में पहुंचाए गए थे। यह तीनों सगे बहन भाई है। इनके माता पिता का साया इनके ऊपर से उठ गया है। टीम ने नागरिकों से आग्रह करते हुए कहा कि कोई भी लावारिश बच्चा यदि किसी को मिलता है तो पुलिस विभाग के मुकेश रानी के मोबाईल नम्बर म्8728922676 तथा राजेश के मोबाईल नम्बर 9417567221 पर सूचित करें।

नारात्रों के आगाज़ और माता मनसा देवी की शोभा यात्रा कि तैयारियों कि समीक्षा कि गई

माता मनसा देवी शोभा यात्रा का फाइल फोटो

पंचकूला, 1 अक्तूबर:
श्री माता मनसा देवी पूजा स्थल बोर्ड द्वारा 10 से 18 अक्तूबर तक चलने वाले नवरात्र मेले के दौरान श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए व्यापक स्तर पर प्रबंधन किये गये है ताकि श्रद्धालुओं को माता के दर्शन करने में किसी प्रकार की असुविधा न हो।
इस संबंध में जानकारी देते हुए श्री माता मनसा देवी पूजा स्थल बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री एस पी अरोड़ा ने बताया कि बोर्ड द्वारा नवरात्रे मेले के उपलक्ष्य में 2 अक्तूबर को दोपहर बाद एक बजे मंदिर परिसर में स्थित पटियाला मंदिर से शोभा यात्रा का शुभाारंभ किया जायेगा। इस शोभा यात्रा में विभिन्न सेक्टरों के मंदिर एवं मार्केंट एसोसिएशनों का सहयोग लिया गया है और उनके द्वारा तैयार झाकियां भी इसमें शामिल की गई है।
श्री अरोड़ा ने बताया कि यह शोभा यात्रा शहर के विभिन्न महत्वपूर्ण स्थानों से होती हुई सायं 7 बजे श्री माता मनसा देवी मंदिर परिसर में वापिस पंहुचेगी। यह शोभा यात्रा सिंह द्वार से होती हुई सैक्टर-7, 8 की मार्केट, सैक्टर-9 मन्दिर व मार्केट सैक्टर 10 मन्दिर, सैक्टर 10, 11 के डिवाईङ्क्षडग, सैक्टर -5 मन्दिर, सैक्टर 4 मार्केट, तथा सैक्टर 2, 6 में स्थित मन्दिर से होती हुई श्रीमाता मन्दिर परिसर में पहुंचेगी।

रंजीता मेहता द्वारा आयोजित महिला अधिकार सम्मलेन आपसी गुटबाजी की भेंट चढ़ा 

प्रदेश में कांग्रेस महिला नेता और स्वयं को टिकेट कि प्रबल दावेदार मानने वाली रंजीता मेहता द्वारा महिला अधिकार सम्मलेन आयोजित किया गया.

इस राजनीति से प्रेरित कार्यक्रम को कांग्रेस कि अंदरूनी और क्षेत्रीय राजनीति ने ही लील लिया.

बड़े बड़े होर्डिंग्स जिन पर रंजीता मेहता कि तस्वीर के साथ सुमित्रा चौहान कि तस्वीरें लगीं थीं दिख पड़ते थे. बहुत ढूँढने पर भी शहर कि किसी दूसरी नामचीन महिला राजनेता कि तस्वीर दिखाई न पड़ी.

कल शहर में अचानक ही सुधा भरद्वाज के पोस्टर्स दीखने लगे. सुधा भरद्वाज बसपा से कांग्रेस में आया एक बड़ा नाम है.

सूत्रों के मुताबिक बीती शाम शैलजा ने अपनी भागीदारी से मना कर दिया कारण कोई भी हो परन्तु प्रत्यक्ष यह कहा गया कि  सुधा भारद्वाज को इतनी अधिक तवज्जो दिए जाने से शैलजा खफा है.

सुरजे वाला ने भी 12 बजे के बाद आने कि बात कही है, वहीँ अंदरूनी सूत्र यह भी कह रहे थे कि हूडा का आना भी संदेहास्पद है.

11:30 am, ख़बर लिखे जाने तक क्षेत्रीय नेताओं का अभाव था.

लोकपाल के अध्यक्ष और इसके सदस्यों के नामों की सिफारिश करने के लिए आठ सदस्यीय एक खोज समिति का गुरुवार को गठन किया गया


 

खोज समिति की नियुक्ति करने वाली चयन समिति में प्रधानमंत्री मोदी, चीफ जस्टिस दीपक मिश्र, लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता और प्रसिद्ध कानूनविद मुकुल रोहतगी शामिल हैं


केंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार रोधी संस्था लोकपाल के अध्यक्ष और इसके सदस्यों के नामों की सिफारिश करने के लिए आठ सदस्यीय एक खोज समिति का गुरुवार को गठन किया. समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई करेंगी.

कार्मिक मंत्रालय (पर्सनल मिनिस्ट्री) द्वारा जारी एक आधिकारिक आदेश के मुताबिक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की पूर्व अध्यक्ष अरुंधति भट्टाचार्य, प्रसार भारती के अध्यक्ष ए सूर्य प्रकाश और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) प्रमुख एएस किरन कुमार खोज समिति के सदस्य हैं.

उनके अलावा इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस सखा राम सिंह यादव, गुजरात पुलिस के पूर्व प्रमुख शब्बीरहुसैन एस खंडवावाला, राजस्थान कैडर के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ललित के पवार और रंजीत कुमार समिति के अन्य सदस्यों में शामिल हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि लोकपाल के गठन की दिशा में खोज समिति एक बड़ा कदम है. समिति जल्द ही अपना कामकाज शुरू करेगी.

खोज समिति की नियुक्ति करने वाली चयन समिति में प्रधानमंत्री मोदी, चीफ जस्टिस दीपक मिश्र, लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन और सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता और प्रसिद्ध कानूनविद मुकुल रोहतगी शामिल हैं.

हालांकि, खड़गे पैनल के पूर्ण सदस्य नहीं थे और उन्होंने इस साल पांच बार चयन समिति की बैठक का बहिष्कार किया और जोर देकर कहा था कि वह तब तक ऐसा करना जारी रखेंगे जब तक कि सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के नेता को पैनल में सदस्य की मान्यता दी जाती.

वैदिक शिक्षा पद्धति के लिए बोर्ड के गठन पर विचार करेगी केंद्र सरकार: अमित शाह


शिक्षा की वैदिक पद्धति को ही सर्वांगीण विकास का मार्ग दिखाने वाला बताते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार देश के सर्वांगीण विकास के प्रति संकल्पबद्ध होकर काम कर रही है


बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि योगगुरु स्वामी रामदेव ने ‘आचार्यकुलम’ के रूप में वैदिक शिक्षा का विकल्प देकर मैकाले की शिक्षा पद्धति से देश को मुक्ति का मार्ग दिया है और केंद्र सरकार वैदिक शिक्षा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बोर्ड गठन के प्रस्तावित प्रारूप पर विचार करेगी.

यहां आचार्यकुलम का उद्घाटन करते हुए शाह ने कहा कि केंद्र और प्रदेश की बीजेपी सरकारें स्वामी रामदेव और पतंजलि योगपीठ के इस संकल्प को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगी.

शिक्षा की वैदिक पद्धति को ही सर्वांगीण विकास का मार्ग दिखाने वाला बताते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार देश के सर्वांगीण विकास के प्रति संकल्पबद्ध होकर कार्य काम कर रही है.

शाह ने कहा कि अंग्रेजों ने मैकाले शिक्षा पद्धति को लागू कर समाज को बांटने का काम किया था. उन्होंने आश्वासन दिया कि वैदिक शिक्षा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर बोर्ड गठन के प्रस्तावित प्रारूप पर विचार करेगी.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश भैयाजी जोशी ने कहा कि स्वयं रामदेव ने वैदिक शिक्षा प्रणाली और आधुनिक शिक्षा का समन्वय कर क्रांतिकारी कदम उठाया है. उन्होंने कहा कि आचार्य बालकृष्ण की अगुवाई में आचार्यकुलम नये भारत का निर्माण करेगा. स्वामी रामदेव ने केंद्र सरकार से शीघ्र वैदिक शिक्षा बोर्ड गठित किये जाने का आग्रह किया.

आचार्यकुलम के उदघाटन अवसर पर हरिद्वार से सांसद रमेश पोखरियाल निशंक, राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी, जूना अखाड़ा के पीठाधीशा महामंडलेशवर स्वामी अवधेशानंद और आचार्य बालकृष्ण ने भी समारोह को संबोधित किया. बीजेपी अध्यक्ष शाह ने पतंजलि अनुसंधान केंद्र सहित फूड पार्क व योगग्राम का निरीक्षण भी किया.