2361 लोगों को निजामुद्दीन मरकज से निकाला गया है और 617 लोगों को हॉस्पिटल भेजा गया है

कोरोना कि जंग में जिस तरह निजामूद्दीन कि भूमिका संदेहस्पद नहीं अपितु दुर्भाग्यपूर्ण है। राष्ट्र के स्वास्थ्य को लेकर हो रहे प्रयासों पर कुठाराघात है। इससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण है दिल्ली सरकार का निज़ामुद्दीन मरकज़ पर अपनी सफाई देना और यह बताना कि सब कुछ ठीक है। जबकि सच्चाई कुछ और ही है। जिस प्रकार से निज़ामुद्दीन इलाके में लोगों की धरपकड़ हो रही है उससे तो किसी भयानक साजिश की बू आ रही है। इसकी राष्ट्रिय अजेंसियों से सघन जांच होनी चाहिए। पहले शाहीन बाग और अब निजामद्दीन के साथ आम आदमी पार्टी के नेताओं का खड़े होना किस ओर इशारा करता है, सामने आना ही चाहिए।

नई दिल्ली: 

निजामुद्दीन मरकज में देश के तमाम राज्यों से लोग आए थे. आज सुबह चार बजे तक चले तलाशी अभियान ​​के बाद यहां से 2361 लोगों को निकाला गया है. यहां कई विदेशी और भारतीय नागरिक मिले, जो छुपकर रह रहे थे. 

वहीं दिल्ली के वजीराबाद जामा मस्जिद में निजामुद्दीन मरकज के 15 लोग छुपकर रह रहे थे, जिसमें 12 इंडोनेशियाई है और 3 भारतीय हैं. 21 मार्च को ये 15 लोग मरकज से वजीराबाद आ गए थे. फिलहाल सभी को ​मस्जिद में ही क्वारंटीन कर दिया गया है.

दिल्ली के मानसरोवर पार्क में भी 9 लोग मिले हैं, जो मरकज से यहां छुपकर रह रहे थे. 9 में से 7 म्यांमार के हैं और 2 असम के हैं. पुलिस अभी मौके पर ही मौजूद है और लोगों की तलाश कर रही है. 

बता दें कि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने निजामुद्दीन मरकज मामले पर जानकारी देते हुए बताया कि सुबह 4 बजे तक कार्रवाई हुई है. 2361 लोगों को निजामुद्दीन मरकज से निकाला गया है और 617 लोगों को हॉस्पिटल भेजा गया है. जिन लोगों को खांसी या सर्दी की शिकायत थी उन्हें तत्काल अस्पताल भेजा गया है. बाकी लोगों को क्वारंटीन किया गया है. 

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मैं इस मरकज में शामिल सभी लोगों से कहना चाहूंगा कि आप सब सामने आएं. अगर छुपाकर रखेंगे तो आपके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. सड़कों पर भीड़ जमा होना, राष्ट्रीय आपदा कानून के तहत अपराध माना जाएगा और ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.

निज़ामुद्दीन के दोषियों पर क्यों न लगे रसुका

अगर दिल्ली पुलिस ने समय समय पर मुख्यमंत्री को राज्य कि कानून व्यवस्था और निज़ामुद्दीन में जमावड़े के बारे में आगाह किया था फिर भी केजरीवाल ने अपने न में रुईं ठूंस ली और परिणाम स्वरूप संक्रमण फ़ेल गया तो क्यों न रासुका के तहत मामला दर्ज़ कर के मुख्यमंत्री को निजी तौर पर जिम्मेदार ठहराया जाये।

दिल्ली स्थित निज़ामुद्दीन कोरोना महामारी के नए स्रोत के रूप में सामने आया है। जब भारत प्रधानमंत्री मोदी के राष्ट्रव्यापी आव्हान पर 21 दिनों के लॉकडाउन में स्वयं को सुरक्षित महसूस करने लगा तब अचानक ही केजरीवाल की नाक के ठीक नीचे तबलीगी मरकज़ में हजारों की गिनती में मोलवी इकट्ठे हुए, देश विदेश से आए मौलवियों ने इस संकट की इस घड़ी में जब पूरे भारत में कर्फ़्यू से हालात हैं तब केंद्र सरकार के स्वास्थ्य जनित प्रयासों में सेंघमारी कि है। इस सबके कसूरवार स्थानीय विधायक और दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार और उनकी लीडरशिप है, जिन्होंने आज देश को एक भयानक स्थिति में खड़ा कर दिया है । आम आदमी पार्टी की लीडरशिप ने अपने वोट बैंक की खातिर मजहबी कट्टरता को फलने फूलने दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा करने से कई दिनों पहले तक दिल्ली लॉकडाउन की स्थिति से गुज़र रही थी। जहां 50 से ज़्यादा लोगों के किसी भी धार्मिक कार्यक्रम में जुटने की आज्ञा नहीं थी, फिर भी दिल्ली के निज़ामुद्दीन में तब्लीगी जमात कार्यक्रम के लिए 3400 से अधिक लोग एकत्रित हुए थे।

निजामुद्दीन में धार्मिक आयोजन में भाग लेने के बाद तेलंगाना में छह लोगों की मौत हो गई है, जबकि महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हुई कुछ मौतों के भी इस घटना के लिंक हो सकते हैं।

यहाँ बताया गया है कि मरकज़ ने सरकारी तालाबंदी के आदेशों को कैसे ठुकरा दिया:

13 मार्च: निजामुद्दीन मार्काज़ में 3400 लोग एक धार्मिक सभा के भाग के रूप में एकत्रित हुए।

16 मार्च: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की कि दिल्ली में 31 मार्च तक 50 से अधिक लोगों के धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक जमावड़े की अनुमति नहीं है। निजामुद्दीन मरकज में लोग अब भी डेरा डाले रहते रहे।

20 मार्च: 10 इंडोनेशियाई जो दिल्ली में सभा में शामिल हुए, उन्होंने तेलंगाना में जांच में संक्रामण से ग्रसित पाया गया।

22 मार्च: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के आव्हान पर पूरे देश में ए दिन का जनता कर्फ़्यू मनाया जाता है, सारे राष्ट्र में कहीं पर भी सार्वजनिक सभा की अनुमति नहीं दी जा सकती थी।

23 मार्च: 1500 लोगों ने मरकज को खाली किया।

24 मार्च: पीएम मोदी ने 21 दिनों के लिए देशव्यापी तालाबंदी की घोषणा की। कोई भी सार्वजनिक सभा, किसी भी प्रकार के गैर-जरूरी आंदोलन के बाहर निवास की अनुमति नहीं है। केवल आवश्यक सेवाओं को कार्यात्मक बने रहने की अनुमति है।

24 मार्च: निजामुद्दीन पुलिस ने मार्कज में शेष लोगों को क्षेत्र खाली करने के लिए कहा।

25 मार्च: करीब 1000 लोग अभी भी लॉकडाउन के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं। एक मेडिकल टीम मरकज़ का दौरा करती है और संदिग्ध मामलों को इमारत के भीतर एक हॉल में अलग कर दिया जाता है। जमात के अधिकारी एसडीएम के दफ्तर जाते हैं। खाली करने की अनुमति के लिए एक आवेदन दायर करें। पास की तलाश के लिए वाहनों की सूची भी दी गई।

26 मार्च: दिल्ली में सभा में भाग लेने वाले एक भारतीय उपदेशक का सकारात्मक परीक्षण किया गया और उसकी श्रीनगर में मृत्यु हो गई।

26 मार्च: एसडीएम ने मार्काज का दौरा किया और जमात के अधिकारियों को जिलाधिकारी के साथ बैठक के लिए बुलाया।

27 मार्च: छह कोरोनावायरस संदिग्धों को मेडिकल चेकअप के लिए मार्काज़ से ले जाया गया और बाद में उन्हें झज्जर, हरियाणा में एक संगरोध सुविधा में रखा गया।

28 मार्च: एसडीएम के साथ एक विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम मरकज का दौरा करेगी। दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर अस्पताल में 33 लोगों को मेडिकल चेकअप के लिए ले जाया गया।

28 मार्च: एसीपी, लाजपत नगर, मार्कज को तुरंत खाली करने का नोटिस भेजता है।

29 मार्च: मार्काज़ अधिकारियों ने एसीपी के पत्र का जवाब देते हुए कहा कि किसी भी नए लोगों को देशव्यापी तालाबंदी की घोषणा करने की अनुमति नहीं है। वर्तमान सभा तालाबंदी से बहुत पहले शुरू हो गई थी और यह कि पीएम ने अपने भाषण में कहा था, जो कह रहे हैं, जहां भी रहो (जहां भी रहो)।

29 मार्च की रात: पुलिस और स्वास्थ्य अधिकारी मार्काज़ से लोगों को निकालना शुरू करते हैं और उन्हें अस्पतालों और संगरोध सुविधाओं में भेजते हैं।

दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि उन्होंने मस्जिद कमेटी को दो नोटिस भेजे थे, लेकिन उन्होंने अभी भी अपना रास्ता नहीं छोड़ा। 23 मार्च और 28 मार्च को नोटिस भेजे गए थे।

सूत्रों ने कहा, 23 मार्च को, लगभग 1500 लोगों को मार्काज़ से उनके संबंधित राज्यों में भेजा गया था। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि उनमें से कितने कोरोनोवायरस सकारात्मक थे। मस्जिद समिति ने कहा कि उन्होंने 23 मार्च को पुलिस को पत्र लिखकर वाहनों की अनुमति मांगी ताकि लोगों को भेजा जा सके।

मरकज़ मस्जिद की ओर से मौलाना यूसुफ की ओर से लाजपत नगर एसीपी अतुल कुमार को संबोधित एक पत्र में कहा गया है कि कोई नई प्रविष्टि नहीं दी गई थी और जगह को खाली करने के प्रयास किए जा रहे थे, लेकिन जनता कर्फ्यू के बाद तालाबंदी के आदेश दिए गए।

पत्र में उल्लेख किया गया है कि दिल्ली सरकार को निजामुद्दीन में व्याप्त स्थिति के बारे में पता था।

निजामूद्दीन मरकज़ के लिए दिल्ली निज़ाम सोता रहा

दिल्ली में और खासतौर पर मस्जिदों में छुप छुप कर रहना अपने संक्रामण के बारे में सरकार से छुपाना और पड़े जाने पर यह कहाँ की जब फ़ारिशते नहीं बचा सकते तो डॉक्टर नर्सें क्या बचा लेंगे यह उस जमात के बोल हैं जो अनपढ़ जाहिल मुसलमानों को इल्म का रास्ता दिखा कर आगे बढ़ान चाहते हैं। दिल्ली में केजरीवाल की नाक के थी नीचे उनकी गोद में खेल रहे यह लोग न केवल कोरोना के खिलाफ भारत की जंग में एक बड़ा खुला दरवाजा हैं बल्कि मानवता के भी भयंकर अपराधी हैं। बस मोदी विरोध के चलते केजरीवाल हर वह कदम उठाते हैं जिससे चाहे पूरी मानवता का ही नुकसान हो जाए , दिल्ली- भारत की तो बात ही छोड़िए। केजरीवाल के संरक्षण में इन मौलवियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि इन्हे किसी भी ढाल कि ज़रूरत नहीं है फिर भी भारत के कुछ तथाकथित स्वयंभू पत्रकार इनके बचाव में कूद पड़े हैं।

दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात का 6 मंजिला इमारत भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण का सबसे बड़ा सोर्स बन कर उभरा है। वहाँ से निकाले गए लोगों में से अब तक 117 में संकमण की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से कई ऐसे हैं जिन्होंने तबलीगी जमात के कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था। सामने आए तथ्यों से स्पष्ट है कि तबलीगी जमात द्वारा सारे नियम-कायदों और सरकारी दिशा-निर्देशों की धज्जियाँ उड़ा कर मस्जिद में मजहबी कार्यक्रम आयोजित किए गए। बजाए इस घटना की निंदा करने के गिरोह विशेष के कई बड़े पत्रकार इसका बचाव करने में लग गए हैं। इनमें एक नाम राणा अयूब का भी है।

राणा अयूब ने तबलीगी जमात को क्लीन-चिट देने की कोशिश करते हुए एक खबर की लिंक साझा की है। साथ ही दावा किया है कि जब 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘जनता कर्फ्यू’ का ऐलान किया, तभी मरकज में सारे कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया गया। इसके बाद अयूब ने वहाँ इतनी संख्या में लोगों के छिपे होने के पीछे रेलवे का दोष गिना दिया है, क्योंकि देश भर में रेल सेवा बंद हो गई। उन्होंने लिखा है कि ‘अचानक से’ रेल सेवा बंद किए जाने के कारण कई यात्री मरकज में ही फँस गए। यहाँ सवाल ये उठता है कि अगर वो लोग सरकार के साथ सहयोग कर रहे थे (जैसा कि दावा किया गया है), तो फिर उन्हें लेने भेजी गई एम्बुलेंस को क्यों वापस लौटा दिया गया?

अब हम आपको बताते हैं कि मरकज में कैसे जनता कर्फ्यू और उसके बाद हुए लॉकडाउन के दौरान भी धड़ल्ले से कार्यक्रम चल रहे थे और मौलाना-मौलवी कोरोना वायरस की बात करते हुए न सिर्फ़ तमाम मेडिकल सलाहों की धज्जियाँ उड़ा रहे थे, बल्कि अंधविश्वास भी फैला रहे थे। 24 मार्च को यूट्यूब पर ‘असबाब का इस्तेमाल ईमान के ख़िलाफ़ नहीं- हजरत अली मौलाना साद’ नाम से ‘दिल्ली मरकज’ यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो अपलोड किया गया। इसमें मौलाना ने लोगों को एक-दूसरे के साथ एक थाली में खाने और डॉक्टरों की बात मानने की बजाए अल्लाह से दुआ करने की सलाह दी। यूट्यब पेज पर स्पष्ट लिखा है कि ये कार्यक्रम 23 मार्च को हुआ।

इस वीडियो की डेट देखिए, ये कार्यक्रम मरकज़ की इमारत में मार्च 23, 2020 को हुआ था

इस वीडियो में बीच-बीच में लोगों की खाँसने की आवाज़ भी आ रही है। इसका मतलब है कि समस्या को जानबूझ कर नज़रअंदाज़ किया गया। स्थिति ये है कि तमिलनाडु और तेलंगाना से लेकर दिल्ली तक के कई मुसलमानों में कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए हैं, जिन्होंने मरकज के कार्यक्रमों में शिरकत की थी। अगर आप ‘दिल्ली मरकज’ के यूट्यब पेज पर जाएँगे तो आपको पता चलेगा कि 17 मार्च से लेकर अब तक वहाँ 24 से भी अधिक वीडियो अपलोड किए गए हैं। सभी वीडियो में स्थान दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज इमारत को ही बताया गया है। इनमें से कई वहाँ हुए कार्यक्रमों के फुल वीडियो हैं तो कई शार्ट क्लिप्स।

https://www.youtube.com/channel/UCCWuKj1-cZrKLwdKcBiZLSA/videos

कोई भी व्यक्ति उन लोगों का खुलेआम बचाव कैसे कर सकता है, जो सार्वजनिक रूप से सरकारी दिशा-निर्देशों और मेडिकल सलाहों को धता बताते हों? ऐसा नहीं है कि उन्हें समझाया नहीं गया था। दिल्ली पुलिस ने 23 मार्च को ही उन्हें समझाया था कि मरकज में हमेशा डेढ़-दो हजार की गैदरिंग होती है, इसे रोकना चाहिए। मौलानाओं को बुला कर कैमरे और सीसीटीवी के सामने ही पुलिस ने समझाया था। पुलिस ने बता दिया था कि सारे धार्मिक स्थान बंद हैं और 5 लोगों से ज्यादा की गैदरिंग पर रोक है। पुलिस ने समझाया था कि ये आपलोगों की सुरक्षा के लिए हैं, हमारी सुरक्षा के लिए नहीं है। मौलानाओं को बताया गया था कि सोशल डिस्टेंसिंग का जितना पालन किया जाएगा, उतना अच्छा रहेगा क्योंकि ये कोरोना वायरस कोई धर्म या मजहब देख कर आक्रमण नहीं करता है। पुलिस ने मौलानाओं को नोटिस थमाते हुए कहा गया था कि सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाए। उस समय भी मरकज के लोगों ने स्वीकार किया था कि उनकी इमारत में 1500 लोग मौजूद हैं और 1000 लोगों को वापस भेजा जा चुका है। इनमें लखनऊ और वाराणसी से लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों के लोग शामिल हैं। दिल्ली मरकज में हमेशा ऐसे कार्यक्रम चलते रहे हैं और हज़ारों लोग जुटते रहे हैं। पुलिस ने इन्हें सख्त शब्दों में चेतावनी दी थी, लेकिन इसका कोई असर नहीं पड़ा।

दिल्ली सरकार ने 13 मार्च को ही आदेश जारी कर 200 लोगों की किसी तरह की गैदरिंग पर रोक लगा दी थी। उस समस्य इस आदेश की समयावधि 31 मार्च तक रखी गई थी। बावजूद इसके मरकज में कार्यक्रम आयोजित किए गए। 16 मार्च को ख़ुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया कि दिल्ली में कहीं भी 50 लोगों से ज्यादा की भीड़ नहीं जुटेगी। फिर 21 मार्च को 5 से ज्यादा लोगों के जुटान पर रोक लगा दी गई। बावजूद इसके मरकज में हज़ारों लोग रोजाना होने वाले कार्यक्रमों में शिरकत करते रहे। वहाँ लोग रहते रहे। 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाया गया। इसके एक दिन बाद भी वहाँ 2500 लोग मौजूद थे, जिनमें से 1500 के चले जाने का दावा मौलाना ने किया है। अब सोचिए, इनमें से कई कोरोना कैरियर होंगे, जिन्होंने हजारों-लाखों लोगों तक संक्रमण फैलाया होगा।

25 मार्च को लॉकडाउन के दौरान भी 1000 मुसलमान वहाँ मौजूद थे। 28 मार्च को एसीपी ने दिल्ली मरकज को नोटिस भेजी लेकिन उन्होंने जवाब देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने अपील की थी कि जो जहाँ है वहीं रहे, इसीलिए वहाँ लोग रुके हुए हैं। साथ ही दावा किया गया कि इतने लोग काफ़ी पहले से यहाँ पर मौजूद हैं। उपर्युक्त सभी बातों से स्पष्ट पता चलता है कि दिल्ली मरकज ने हर एक सरकारी आदेश की धज्जियाँ उड़ाई और जान-बूझकर इस संक्रमण के ख़तरे को नज़रअंदाज़ कर पूरे देश को ख़तरे में डाल दिया। अकेले तमिलनाडु में 50 ऐसे लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण हो गया है, जो मरकज के कार्यक्रमों में शामिल हुए थे। देशभर में ये संख्या और बढ़ेगी, ऐसी आशंका जताई जा रही है। फिर भी कुछ मजहबी ठेकेदार पत्रकारों की वेशभूषा में इनका बचाव करने में लगे हुए हैं।

केजरीवाल की तुष्टीकरण नीति बनाम स्वास्थय संकट

मोदी के राष्ट्रव्यापी आव्हान ” जो जहां है वहीं रहे” के पश्चात, शाहीन बाग और मोदी शाह विरोध की राजनीति की बदौलत दिल्ली के मुख्य मंत्री बने केजरीवाल लाखों मजदूरों को पूर्वी दिल्ली के बार्डर पर बसों में लाद कर छोड़ देते हैं वहीं तबलिगी जमात में बिना स्वास्थ्य जांच के 3400 लोगों को रहने देते हैं। जिनमें से कई कोरोना वाइरस से न केवल संक्रमित मिलते हैं अपितु काइयों की तो मौत का कारण भी यही संक्रामण है। सूत्रों की मानें तो मुख्य मंत्री को तबलिगी जमात की गतिविधियों की पल पल की खबर थी, लेकिन इस जमात के प्रति केजरीवाल के मोह ने एक भयंकर स्थिति उत्पन्न करवा दी है। जहां राष्ट्र एकजुट हो कर इस महामारी से लगभग जीत ही चुका था वहीं अब इस कृत्य ने हमें और भी गहन संकट में दाल दिया है।

कोई धर्म कानून तोड़ने की बात नहीं करता. कोई धर्म देश को धोखा देने के लिए नहीं कहता. कोई धर्म झूठ बोलने के लिए नहीं कहता. लेकिन भारत को कोरोना वायरस के नए खतरे की तरफ धकेलने वाले तबलीगी जमात ने धर्म के नाम पर यही सब किया है. तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज से 1548 लोग निकाले गए हैं. इन सभी लोगों को डीटीसी की बसों से दिल्ली के अलग अलग अस्पतालों और क्वारंटाइन सेंटर में ले जाया गया है.

तबलीगी जमात से जुड़े 24 लोग कोरोना पॉजिटिव हैं. दिल्ली में 714 लोग कोरोना के शुरुआती लक्षणों की वजह से अस्पतालों में भर्ती हैं, इनमें 441 लोग तबलीगी जमात के हैं. यानी तबलीगी जमात ने दिल्ली को कोरोना वायरस का हॉटस्पॉट बना दिया. इस जमात से जुड़े करीब 8 लोगों की, देश के अलग अलग हिस्सों में मौत हो चुकी है. अब तक देश भर में जमात से जुड़े 84 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. इनमें दिल्ली के 24, तेलंगाना के 15 और तमिलनाडु के 45 लोग हैं.

तबलीगी जमात से जुड़े हज़ारों लोग देश के अलग अलग हिस्सों में गए हैं. इनकी पहचान करना, इनके संपर्क में आए लोगों की पहचान करना, इन्हें अलग करना . ये बहुत कठिन चुनौती है. तबलीगी जमात के विदेशी और घरेलू प्रचारक, इस जमात के कार्यकर्ता सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, लखनऊ, पटना, रांची जैसे शहरों में भी मिले. कई जगहों पर इन्होंने खुद को छुपाया और इन्हें पकड़ने के लिए पुलिस को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. निजामुद्दीन मरकज की सफाई ये है कि पहले जनता कर्फ्यू लगा फिर लॉकडाउन का ऐलान हो गया इसलिए ये लोग यहीं फंसे रह गए. यहां ये बताना ज़रूरी है कि पुलिस के मुताबिक आयोजकों को दो दो बार नोटिस दिया गया था. देश में लगातार सोशल डिस्टेंसिंग की बात हो रही थी. प्रधानमंत्री खुद लगातार ये कह रहे थे कि लोगों को घरों में ही रहना चाहिए. सबको भीड़ से दूर रहना चाहिए. देश ही नहीं पूरी दुनिया में यही बात हो रही थी लेकिन धर्म का चश्मा लगाए इन लोगों को कुछ दिखाई और सुनाई नहीं पड़ा.

21 मार्च को तबलीगी जमात के निजामुद्दीन मरकज में 1746 लोग लोग मौजूद थे. इनमें 216 विदेशी और 1530 भारतीय थे. इसके अलावा तबलीगी जमात के 824 विदेशी प्रचारक देश के अलग अलग हिस्सों में प्रचार के लिए गए थे . इनमें उत्तर प्रदेश में 132, तमिलनाडु में 125, महाराष्ट्र में 115, हरियाणा में 115, तेलंगाना में 82, पश्चिम बंगाल में 70, कर्नाटक में 50, मध्य प्रदेश में 49, झारखंड में 38, आंध्र प्रदेश में 24, राजस्थान में 13 और ओडीशा में 11 विदेशी प्रचारक तबलीगी जमात की गतिविधियों में शामिल थे .

तबलीगी जमात के करीब 2100 भारतीय प्रचारक भी देश के अलग अलग हिस्से में प्रचार करने के लिए गए थे. अलग अलग राज्यों में इन 2100 लोगों की पहचान कर ली गई है. लेकिन सबसे बड़ी चुनौती ये पता लगाना है कि इन लोगों ने पूरे देश में घूम-घूम कर कितने लोगों के लिए खतरा पैदा कर दिया है?

पाबंदियों के बावजूद कार्यक्रम में शामिल हुए लोग

पाबंदियों के बावजूद तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए लोगों ने सिर्फ देश की राजधानी दिल्ली को ही संकट में नहीं डाला है, बल्कि यहां से सैंकड़ों की संख्या में लोग देश के दूसरे हिस्सों में भी पहुंचे और अब उन इलाको में भी इस महामारी के तेज़ी से फैलने का खतरा है. निजामुद्दीन से निकल कर हजारों लोग कैसे देश के अलग अलग हिस्सों में फैल गए ये आपको मैप के जरिए समझना चाहिए.

सबसे बड़ा आंकड़ा तमिलनाडु का है जहां मरकज से लौटने वालों की सख्या 501 है लेकिन ये भी कहा जा रहा है कि तमिलनाडु के 1500 से ज्यादा लोगों ने तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. तमिलनाडु में निजामुद्दीन से लौटे 45 लोगों में कोरोना वायरस की पुष्टि हो चुकी है .

कार्यक्रम से तेलंगाना पहुंचे 15 लोगों में भी संक्रमण की पुष्टि

इस कार्यक्रम से तेलंगाना पहुंचे 15 लोगों में भी संक्रमण की पुष्टि हो गई है . इसके अलावा निजामुद्दीन से असम पहुंचे लोगों की संख्या करीब 216 है, जबकि उत्तर प्रदेश में ये संख्या 156 है . इसके अलावा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और हैदाराबाद जैसे इलाकों में भी बड़ी संख्या में ऐसे लोग पिछले दिनों पहुंचे हैं, जिन्होंने निजामुद्दीन के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था. बाकी के जो राज्य इससे प्रभावित हुए हैं उन्हें आप मैप पर इस समय देख सकते हैं. लेकिन तबलीगी जमात की वजह से इस महामारी के फैलने का खतरा सिर्फ भारत में ही नहीं है, बल्कि दुनिया के कई देश इससे प्रभावित हो चुके हैं.

माना जाता है कि इसकी शुरुआत पाकिस्तान से हुई थी जहां इसी महीने लाहौर में तबलीगी जमात का एक बड़ा कार्यक्रम हुआ था . इस कार्यक्रम में 80 देशों से आए धर्म प्रचारक शामिल हुए थे और इसमें लाखों लोगों ने हिस्सा लिया था. सूत्रों के मुताबिक इसमें भारत से गए कुछ प्रचारक भी शामिल थे.

इस संस्था ने इस साल फरवरी में मलेशिया में भी एक कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसकी वजह से वहां भी कोरोना के नए मामले तेज़ी बढ़ने लगे थे . पाकिस्तान और मलेशिया के अलावा किर्गिस्तान, गाज़ा, ब्रुनेई और थाइलैंड में भी इस वायरस के तेज़ी से फैलने की बड़ी वजह जमात के कार्यक्रमों को ही माना जा रहा है. कुल मिलाकर निजामुद्दीन इस मामले में भारत का लाहौर साबित हो रहा है और ये इस महामारी के खिलाफ लड़ाई में अच्छा संकेत नहीं है.

पूरा देश जहां लॉकडाउन की लक्ष्मण रेखा का पालन कर रहा है. अपने अपने घरों में रहकर देश को उस स्टेज में जाने से बचा रहे हैं, जिसमें सामुदायिक संक्रमण होने लगता है और महामारी को रोकना मुश्किल हो जाता है. ऐसे वक्त में इस तरह के लोग अगर धर्म के नाम पर और धर्म के प्रचार के नाम पर भारत को एक बड़े खतरे की तरफ धकेलने में लगे हैं तो ऐसे लोगों पर सवाल उठाने ही चाहिए लेकिन जब ऐसे लोगों पर सवाल उठाए जाते हैं तो एक खास गैंग सवाल उठाने वालों पर ही आरोप लगाने लगता है कि कोरोना के नाम पर ध्रुवीकरण किया जा रहा है. हिंदू-मुसलमान किया जा रहा है. हम ये मानते हैं कि देश के मुसलमान भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश के साथ खड़ा है. लेकिन ये मुट्ठी भर लोगों में धार्मिक कट्टरता की ऐसी पट्टी बंधी है जो पट्टी ये लोग उतारना नहीं चाहते, जबकि ये देश का संकटकाल है. पूरी दुनिया पर खतरा है.

कल जब निजामुद्दीन में हज़ारों लोग नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए पकडे गए तब एक खास समुदाय और एक वर्ग मीडिया से नाराज़ हो गया. आपने भी गौर किया होगा आज दिन पर सोशल मीडिया पर Media Virus हैशटैग भी ट्रेंड कर रहा था और ये लोग कह रहे हैं कि मीडिया ने एक वायरस को भी धर्म से जोड़ दिया और ये ठीक नहीं है . यही लोग जब टीवी पर दोबारा से दिखाई जा रही. रामायण का विरोध करते हैं तब क्या ये लोग धर्म निरपेक्षता की मिसाल पेश कर रहे होते हैं ? नहीं, बिल्कुल नहीं. बल्कि सच तो ये है कि ये लोग खुद हर चीज़ को धर्म के चश्मे से देखते हैं और धर्म की आड़ में कानून, नियमों और संविधान की धज्जियां उड़ाना चाहते हैं. क्योंकि इनके मन लॉकडाउन में है जिस पर वैचारिक ताला लटका है.

तबलीगी जमात के लोगों में भारतीय और विदेशी दोनों होते हैं, जो देश भर में पूरे साल प्रचार करते हैं. अलग अलग देशों से तबलीगी जमात के लोग भारत आते हैं और निजामुद्दीन के अपने हेडक्वॉर्टर में रिपोर्ट करते हैं. राज्यों में इनकी धर्म प्रचार की गतिविधियां और कार्यक्रम आयोजित करने के लिए राज्य स्तर और ज़िला स्तर पर लोग होते हैं. निजामुद्दीन मरकज को लेकर एक बड़ा सवाल दिल्ली पुलिस पर भी है क्योंकि तबलीगी जमात का हेडक्वार्टर, निजामुद्दीन पुलिस स्टेशन से सिर्फ 18 मीटर दूर है. इसकी दीवार पुलिस स्टेशन से लगी हुई है. इसलिए सवाल उठ रहा है कि क्या ये दिल्ली पुलिस की लापरवाही है? या फिर इस कार्यक्रम को रोकने की पुलिस की हिम्मत ही नहीं हुई ? पुलिस के मुताबिक उन्होंने कई बार आयोजकों से कहा लेकिन वो माने नहीं.

आज का राशिफल

Aries

01 अप्रैल 2020: आप किसी नतीजे या फैसले का इंतजार कर रहे हैं तो शांति रखें, सब ठीक हो जाएगा. नियमित काम से हटकर कुछ करने की कोशिश करेंगे तो सफल रहेंगे. मेहनत से सफलता मिलने के योग हैं. कोई बड़ा फायदा भी हो सकता है. मनचाहे कामों को पूरे करने के लिए आपको थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है. परिवार के साथ समय बिताने की कोशिश करेंगे. बिजनेस के लिहाज से दिन अच्छा है.

Taurus

01 अप्रैल 2020: अपनी राय और बातों से आप ज्यादातर लोगों पर प्रभाव जमा सकते हैं. अपने से छोटे लोगों की टेंशन हो सकती है. उलझे हुए काम सुलझाने के लिए स्थितियां आपके फेवर में हो सकती है. आपके सोचने के तरीके में बदलाव हो सकता है. दोस्तों से समय पर मदद मिल सकती है. घर परिवार के काम निपटाने में भी मन लगेगा.

Gemini

01 अप्रैल 2020: रोजमर्रा का कामकाज निपटाने के लिए एक्स्ट्रा कोशिश करें. अपनी जिम्मेदारियों को ध्यान में रखें. अपने समय और धैर्य का पूरा इस्तेमाल करें. आज इसकी जरूरत होगी. अपने ही दम पर और शांत मन से जो काम करेंगे, उसमें आपको सफलता मिल सकती है. पॉजिटिव रहने की कोशिश करें.

Cancer

01 अप्रैल 2020: पैसा कमाने की कोशिश में सफलता मिल सकती है. कोई पार्ट-टाइम काम भी आपको मिल सकता है. एक्स्ट्रा काम में किसी की मदद मिल सकती है. पुराने कुछ मामलों में अनबन खत्म हो सकती है. दूसरों का नजरिया समझने की कोशिश करें. आपको किसी अच्छी खबर का इंतजार रहेगा.

Leo

01 अप्रैल 2020: आज कोई भी काम न टालें. आज आपको अपने नौकरी या बिजनेस के टारगेट पर ही पूरा ध्यान देना चाहिए. एकाग्रता से काम निपटाने की कोशिश करें. नए व्यक्ति से मुलाकात या दोस्ती होने के योग हैं. परिवार के कुछ लोगों से अपने कामकाज और प्लानिंग शेयर कर सकते हैं. परिवार के सदस्यों के साथ अच्छा समय बीतेगा, परिवार की मदद से ही आपकी आर्थिक समस्या सुलझ सकती है. दिल और दिमाग पर कंट्रोल करने की कोशिश करें.

Virgo

01 अप्रैल 2020: आज आपका दिन अच्छा रहेगा है. अपनी भावनाओं पर कंट्रोल करेंगे तो फायदा होगा. विपरीत लिंग के लोगों के साथ बातचीत कुछ ज्यादा हो सकती है. ऐसे लोगों से मदद मिलने के भी योग हैं. प्रेम जताने के लिए दिन ठीक है. समय पर काम पूरे हो सकते हैं. किसी के मेंटल सपोर्ट से आपकी मानसिक स्थिति में संतुलन रहेगा.

Libra

01 अप्रैल 2020: तुला राशि के लोग अपने हालातों को बदलने की कोशिश कर सकते हैं. हिम्मत और दिमाग से बिगड़ी हुई स्थिति को संभालने में बहुत हद तक सफल भी हो सकते हैं. अच्छे व्यवहार के कारण कुछ लोगों की मदद मिल सकती है. रुके हुए काम पूरे होने की संभावना है. कुछ खास काम निपटाने में आप सफल हो सकते हैं. काम में भी मन लगेगा. आपको संयम में रहना होगा.

Scorpio

01 अप्रैल 2020: बहुत से काम आसानी से पूरे हो सकते हैं और आपका अच्छा असर लोगों पर होगा. जो काम और बातें अटक रही हैं, उनके लिए कोई बीच का रास्ता भी निकल सकता है. कामकाज में सफलता के योग बन रहे हैं. बहुत सारा काम निपटाने की कोशिश आप कर सकते हैं. जीवनसाथी से मदद मिल सकती है. घर के मामले सुलझा लेंगे. सबसे विनम्र होकर बात करें. बुजुर्गों का आशीर्वाद भी आज आपको मिल सकता है.

Sagittarius

01 अप्रैल 2020: आज ऐसे काम पूरे हो सकते हैं जिनके बारे में आप पिछले कुछ दिनों से प्लानिंग कर रहे हैं. लंबे समय से अधूरी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं. अपनी कोशिशों में आप सफल रहेंगे. कुछ नया सीखने को मिलेगा. नए स्थान पर भी जा सकते हैं. आप मीठा बोलकर सारे काम पूरे करवा सकते हैं. किस्मत का साथ भी आज आपको मिल सकता है. दूसरों की जरूरतों और मूड का अंदाज आप आसानी से लगा सकेंगे. अपने आप पर भरोसा रखें.

Capricorn

01 अप्रैल 2020: बेरोजगार लोगों को नौकरी मिल सकती है. उन मामलों को टाल दें जिनको निपटाने में आप परेशान हो रहे हैं. जरूरी काम निपटाने में कुछ लोगों की मदद मिल सकती है. बड़ा कदम उठाने के पहले अच्छी तरह विचार कर लें. किसी अनुभवी से भी सलाह ले लें. शारीरिक परेशानियां खत्म हो सकती हैं. बिजनेस में अच्छी स्थिति बन सकती है. कोशिश करने पर रुका हुआ पैसा मिल सकता है.

Aquarius

01 अप्रैल 2020: आपके लिए दिन सामान्य रहेगा. परेशानी में खुद को संभाल लें. विपरीत लिंग वाले लोगों से भावनात्मक बातचीत हो सकती है. आपको मदद भी मिल सकती है. विवाद के मामलों से खुद को दूर रखने की कोशिश करें. कुछ विवादों में समझौते हो सकते हैं. पैसों के क्षेत्र में प्रगति होगी. पुराने अटके कामों में भी गति आ सकती है. कोई अच्छी खबर भी आपको मिल सकती है.

Pisces

01 अप्रैल 2020: रोजमर्रा और पार्टनरशिप के काम समय से पूरे हो सकते हैं. दोस्तों और भाइयों की मदद मिलने के योग बन हैं. किसी तरह का कन्फ्यूजन खत्म हो सकता है. पैसों और अन्य मामलों में फायदे वाला दिन है. आज आप कामकाज में व्यस्त रहेंगे. आपके सामने कई जिम्मेदारी वाले काम भी आ सकते हैं. मानसिक तौर पर आप सक्रिय रहेंगे. रोजमर्रा के कामकाज में बदलाव की कोशिश हो सकती है. अपने कामकाज में सुधार करने का दिन है.

आज का पंचांग

विक्रमी संवत्ः 2077, 

शक संवत्ः 1942, 

मासः चैत्र, 

पक्षः शुक्ल पक्ष, 

तिथिः अष्टमी रात्रि 03.41 तक है, 

वारः बुधवार, 

नक्षत्रः आद्र्रा सांय 07.29 तक, 

योगः शोभन सांय 04.56 तक, 

करणः विष्टि, 

सूर्य राशिः मीन, 

चंद्र राशिः मिथुन, 

राहु कालः दोपहर 12.00 बजे से 1.30 बजे तक, 

सूर्योदयः 06.16, 

सूर्यास्तः 06.35 बजे।

नोटः आज श्रीदुर्गाष्टमी, भवान्युत्पत्ति, अशोका अष्टमी एव बुधाष्टमी योग है।

विशेषः आज उत्तर दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर बुधवार को राई का दान, लाल सरसों का दान देकर यात्रा करें।