हूडा आज पानीपत में

चित्र केवल सन्दर्भ के लिए

 

जनता का मूड और परिवर्तन की लहर का इसी से पता चलता है कि पानीपत में लोगो ने कई कई घंटे रोडो पर जेठ के महीने में हुड्डा के आने के इंतज़ार में बिताये । भूपिंदर सिंह हुड्डा की जनक्रांति यात्रा के समर्थन में शहर ,गांव व् कस्बे में होड़ लगी रही ,जनता समर्थन में गलियों और रोड पर आ गई । चारो तरफ फूलो की वर्षा और डोल नगाड़ो से स्वागत किया गया ।

आज जनता को विश्वास हो चूका है की कोई प्रदेश का भला कर सकता है तो वो केवल हुड्डा जी ही हैं क्योंकि हुड्डा जी के कार्यकाल में जितनी प्रगति और विकास हुआ उतना उनसे पहले 40 सालों में भी नहीं हुआ। हरियाणा के स्वर्णिम काल के रूप में याद किए जा रहे हैं वो साढ़े नौ साल। जिसमें ना कभी कोई बड़ा कर्मचारी आंदोलन हुआ ना ही किसान आंदोलन। हर वर्ग को साथ लेकर विकास कार्यों की रिकॉर्ड झड़ी लगी। हुड्डा सरकार ने हरियाणा को शिक्षण संस्थानों के हब के रूप में विकसित किया।लगभग हरेक जिले में विकासः कार्यो की झड़ी लगी, कोई भी जिला अछूता नहीं रहा जहा कोई ना कोई प्रोजेक्ट जरूर दिया IIM, IIT, IIIT, FDDI, NIFT, NID, AIIMS, डिफेन्स यूनिवर्सिटी आदि अनेकों राष्ट्रीय और विभिन्न शिक्षा क्षेत्रों के सैकड़ों प्रदेश स्तरीय संस्थान स्थापित किए गए। राजीव गांधी एजुकेशन सिटी जैसा विश्वस्तरीय संस्थान खोला गया आज ऐसा कोई शिक्षा क्षेत्र नहीं है जिसके लिए हरियाणा के बच्चों को प्रदेश से बाहर जाना पड़े। वो हुड्डा साहब के करिश्माई नेतृत्व का कमाल ही था हरियाणा के हिस्से अनेकों महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट आए रेल कोच फैक्टरी, परमाणु संयंत्र, विश्वस्तरीय सब्जी मंडी, कई हाईवे, शिक्षा व स्वास्थ्य क्षेत्र के माइलस्टोन हरियाणा के हिस्से आए। लेकिन मौजूदा सरकार इन परियोजनाओं को गति देने की बजाय ठप्प करने पर लगी है। हुड्डा साहब ने गुड़गांव, फरीदाबाद तक मेट्रो पहुँचाकर विकास को नई गति दी। बहादुरगढ़ तक मेट्रो मंजूर करवाई। लाखों करोड़ का हरियाणा में इन्वेस्टमेंट हुआ वर्तमान सरकार 6 लाख करोड़ के इन्वेस्टमेंट के दावे कर छह हजार से भी नीचे तक इन्वेस्टमेंट में सिमट गई जिसका RTI में खुलासा हुआ जबकि इतना इन्वेस्टमेंट हुड्डा साहब के कार्यकाल में पाइपलाइन में था।
हुड्डा जी के कार्यकाल में कई मेडिकल कॉलेज, 4-4 पावर प्लांट, नई नई iti’s, हजारों स्कूलों को अपग्रेड किया हर क्षेत्र में ऊंचाइयों को छुआ। मगर आज स्कूल को अपग्रेड करवाने के लिए भी बच्चियों को कई कई दिन तक भूखे प्यासे धरने पर बैठना पड़ रहा है।
हुड्डा साहब ने किसान-मजदूर के लिए 5 लाख का बीमा, 50000 का बीमा भैंस का, जो कोई सोच भी नही सकता था वो करके दिखाया। वृद्धों की सम्मान पेंशन में अभूतपूर्व 5 गुणा बढ़ोतरी की वृद्धों के लिए हरियाणा रोडवेज में किराया आधा कर सम्मान बढ़ाया। वर्तमान सरकार उसे बंद करने का आदेश दे चुकी थी पर चौतरफा विरोध के बाद आदेश को वापिस लिया। हजारों वृद्धों की पेंशन खा चुकी है। जनकल्याणकारी कार्यों को भी नफे नुकसान से तोल रही है।
1991 के बाद हुड्डा ऐसे पहले मुख्यमंत्री रहे जिनके कार्यकाल में नहीं हुआ किसान आंदोलन । भारतीय किसान यूनियन को बनाया था ,एक तरह से अप्रांसगिक,साढे नो साल में सरकार और किसानों के बीच नहीं हुआ किसी तरह का सीधा टकराव । जोकि भजनलाल,बंसीलाल और ओमप्रकाश चौटाला के शासनकाल में सबसे ज्यादा प्रासंगिक थी । और बहुत से आंदोलन हुए । और किसानों की जान गयी ।और बीजेपी सरकार में तो और भी बुरा हाल है सभी वर्ग ही आंदोलन की राह पर है

हुड्डा साहब ने गेंहू का MSP 640 से 1400 तक करवाया, गन्ने का भाव 117 से 310 किया। 15वें दिन पेमेंट दी। जबकि उनसे पिछली इनेलो+भाजपा सरकार के छह साल के राज में गन्ने का भाव 95 से 117 हुआ। अब भाजपा सरकार के तीन साल में 10 रुपए बढ़ा और पेमेंट भी अपनी सहयोगी इनेलो की तर्ज़ पर छह छह आठ आठ महीने में कर रही है। जब गेंहूँ का भाव 12% सालाना दर से बढ़ रहा था तब तो वर्तमान कृषि मंत्री धनखड़ कुर्ता निकालकर 2100 रुपये प्रति क्विंटल की मांग करते थे अब क्यों सांप सूंघ गया है? 2-4% सालाना बढ़ोतरी करवा के, बीमा लूट योजना शुरू करके अपनी पीठ थपथपा रहे हैं। प्राइवेट बीमा कंपनी के एजेंट बन कर रह गए हैं । बीमा कंपनियों को अनाप शनाप शर्त लगाकर कुछ सौ करोड़ क्लेम के देने पड़ें और कई कई हजार करोड़ का फायदा हो तो ये लूट नही तो क्या है? जबकि बीमा भी बैंकों से जबरदस्ती पैसे काटकर किया गया हो।

हुड्डा साहब ने तो धान, पॉपुलर, बाजरा, मूंग आदि सभी फसलों के उचित दाम दिलवाए। धान 6000 तक बिका जिससे जनता में एक कहावत बन गई थी ।”चौटाला तेरे राज जिरी गई ब्याज में और हुड्डा तेरे राज़ में जीरी गई जहाज़ में “पर खट्टर राज में न्यूनतम समर्थन मूल्य तक नही मिला। पॉपुलर के रेट 1200 से 200-250 रुपए प्रति क्विंटल तक पिट गए पर आमजन के लिए न तो प्लाईवुड सस्ता हुआ न चावल। ना ही किसी भी फसल के पुरे ही दाम मिले, सिर्फ बड़े बड़े व्यापारियों और सत्ता के दलालों ने लूट की।। भूपिंदर सिंह हुड्डा ने किसानो का डर निकाला था । काला कानून ख़त्म किया और कर्जे माफ़ किये ,कभी कोई नीलामी नहीं होने दी किसानो की जमीन की आज इस बेदर्द सरकार में बिलकुल विपरीत हो रहा है । किसान आत्महत्या करने की नौबत तक पंहुचा दिया है और कोई सुनने वाला नहीं है , ये सब किसान के बेटे से देखा नहीं गया उनका दुःख दर्द जानने के लिए जनक्रांति यात्रा के रूप में उनके बीच आ गया है ,तभी जनता में हुड्डा साब को देखकर मायूस जनता में भी जोश आ गया है , हमने भी जनता में आम लोगो को कहते सुना की “बीजेपी की गूंगी बहरी सरकार का गारंटी सुधा इलाज़ केवल ही केवल भूपिंदर सिंह हुड्डा हैं । क्योंकि

गरीब आदमियों के लिए भी वरदान साबित हुई थी हुड्डा सरकार। अनेक जनकल्याणकारी योजनाएं शुरू हुई थी गरीबों के बच्चों के लिए मुफ्त किताब, बैग और स्कॉलरशिप शुरू हुई। बीपीएल परिवार को 90000 रुपये की राशि मकान बनाने के लिए दी, पानी की टँकीया दी, मुफ्त में कनेक्शन दिए, इंदिरा गांधी आवासीय योजना शुरू कर 3.82 लाख 100-100 गज के प्लाट वितरित किए गए। वर्तमान सरकार ने एक प्लाट भी नही दिया। भोजन का अधिकार लागु करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य बना। लाडली योजना शुरू की जिसमें गरीब परिवार की लड़की की शादी में 51000 रुपए शगुन दिया। दूसरी लड़की के जन्म पर 5 साल तक प्रोत्साहन राशि दी।

स्पोर्ट्स में SPAT, मेडल पर नगद पुरस्कार योजना और सरकारी नौकरी का प्रावधान कर पूरी दुनियां में हरियाणा का ढंका बजवाया। हुड्डा सरकार ने 700 से जयादा खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी दी वर्तमान सरकार ने एक को भी नही सिर्फ गीता फौगाट कोर्ट के आदेश पर पदोन्नति हुई।

प्रति व्यक्ति आयऔर प्रति व्यक्ति निवेश में हरियाणा को 14वें नँबर से बड़े राज्यों में न.1 पर पहुंचाया।

1999 के चुनावों में इनेलो किसानों के कर्जमाफी का वादा कर सत्ता में आई पर कर्जमाफी नहीं की पर हुड्डा साहब ने इनेलो के वादे को खुद पूरा कर कीर्तिमान स्थापित किया 1600 करोड़ के किसानों के कर्ज माफ किये जबकि सत्ता संभाली उस समय हरियाणा का वार्षिक बजट ही 2250 करोड़ था। बजट को बढ़ाकर 32000 करोड़ तक ले गए। तब से हरियाणा बना तब से केवल 60हज़ार करोड़ कर्ज़ा था ,साथ में हज़ारो प्रोजेक्ट लगे लेकिन बीजेपी सरकार ने कोई नया प्रोजेक्ट तो दिया नहीं ,लेकिन आज पौने चार साल में क़र्ज़ 160000 करोड़ कर दिया जिससे हरियाणा पूर्ण रूप से क़र्ज़ में डुबो दिया है बिना कोई नया बड़ा प्रोजेक्ट लगाये हुड्डा साहब के कार्यकाल में हर जिले को विकास कार्यों के लिए चौटाला से कई कई गुणा बजट दिया। पर अब खट्टर सरकार में तो गांव में विकास कार्यों के लिए एक एक रुपये को मोहताज होना पड़ रहा है। पंचायत की इनकम से छुट पुट काम हो रहे हैं।
मैं और मेरे जैसे लाखों युवा हुड्डा साहब की इन्ही नीति और नीतियों के कारण फैन हैं। हम क्या हरियाणा का हर आदमी हुड्डा जी का फैन हो जाएगा जो हुड्डा जी के द्वारा किए गए विकास और जनकल्याणकारी कार्यो की हुड्डा जी से पूर्व व वर्तमान सरकार के कार्यो से तुलना कर लेगा। वो हुड्डा जी के अलावा किसी और के बारे में नही सोचेगा। वर्तमान सरकार का तो एक ही फंडा है विपक्षियों को झूठा बदनाम करो समाज को बांटो और चंद झूठी घोषणाएं करो राज करो काम से कोई लेना देना नही। वोटों की राजनीति के चक्कर में ही खट्टर सरकार ने हरियाणा को तीन बार लहूलुहान किया, हालात बेकाबू किए गए सेना बुलानी पड़ी 80 से ज्यादा जानें गई पर हरियाणा का सदियों पुराना भाईचारा अब भी इन पर भारी पड़ रहा है इनके लाख यत्न के बाद नही टूट रहा है कामों की तुलना करके हुड्डा साहब को दोबारा हरियाणा की बागडोर सौंपने के लिए हरियाणा बेसब्री से चुनाव का इंतजार कर रहा है। ये विपक्षियों को भी पता है तभी अपनी दुकानदारी चालु रखने के लिए दिन रात हुड्डा साहब को निशाने पर रखते हैं। हुड्डा साहब का नाम लिए बिना हरियाणा के किसी भी विपक्षी की सभा न तो शुरू होती है और न ही खत्म।

हुड्डा साहब ने अपने साढ़े नौ साल के कार्यकाल में हरियाणा को जितना आगे बढ़ाया ।इस झूठी सरकार ने तो पीछे ही धकेला है। तभी तो हुड्डा साहब को हर वर्ग याद कर रहा है। इसका जोश और जूनून हमे जनक्रांति यात्रा में दिखा ।जहां भी जिस गाव व् शहर एवम क़स्बे से तपती धुप में गुज़रे ढोल नगाड़ों के साथ समाज के सभी वर्गों ने फूलों की वर्षा से स्वागत किया । अब लगता हरियाणा में परिवर्तन की लहर चल चुकी , हमारे जैसे लाखों चाहने वाले हुड्डा जी के साथ जुड़ चुके है ।आनेवाला समय हुड्डा जी का है जो हमारे प्रदेश वासियों के पुराने अच्छे दिन लौटायेंगे ।

Priyanka (ABC) Apologize, Still to Continue Telecast

Hindu nationalists in India have attacked movies and popular culture in the recent years. Earlier this year, a section of extremists made violent protests and threatened actors over the release of Bollywood film “Padmaavat”, which showed a Muslim ruler pursuing a Hindu queen. In 2016, an Indian super star Aamir Khan, after backlash over his comments on intolerance in India, was dropped as the ambassador of an online retail company: claims ABC

 

Chandigarh : DFD

 

After muslim extremists now former Miss India World is pronouncing Hindu sentiments as Hindu Terror; although the US television studio ABC has apologies to Indian fans of its crime drama “Quantico” after an episode featuring Indian nationalists trying to frame Pakistan in a terrorist plot sparked online outrage against Bollywood actor Priyanka Chopra, who plays a lead role in the show.

“The episode has stirred a lot of emotion, much of which is unfairly aimed at Priyanka Chopra, who didn’t create the show, nor does she write or direct it,” said Walt Disney-owned ABC in its statement.

The 35-year-old Bollywood star, has earlier been admired for her ability to cross over and achieve success in Hollywood, which has been rare for Indian actors.

But after the recent Quantico episode, she has faced online attacks at home, and even some calls to boycott her work and the brands that she endorses.

Others called on the government to black out the scene where Priyanka, who stars as an FBI agent in the series, holds up sacred Hindu prayer beads as evidence that the plotter in the episode, planning to detonate a nuclear bomb in New York, was an Indian nationalist.

“The myth of Hindu terror, by a fake story, enters American television with the help of Priyanka Chopra. Would any Pakistani actress betray Pakistan or Islam the way she betrays India and Hinduism?”, David Frawley, a Hindu scholar based in the United States, tweeted.

ABC, in its statement, said: “The show has featured antagonists of many different ethnicities and backgrounds, but in this case we inadvertently and regrettably stepped into a complex political issue. It was certainly not our intention to offend anyone,”

The statement further said that Priyanka Chopra had no involvement in the storylines depicted in the series.

Hindu nationalists in India have attacked movies and popular culture in the recent years. Earlier this year, a section of activists made violent protests and threatened actors over the release of Bollywood film “Padmaavat”, which showed a Muslim ruler pursuing a Hindu queen. In 2016, an Indian super star Aamir Khan, after backlash over his comments on intolerance in India, was dropped as the ambassador of an online retail company.

Shahela Accuses Media Haunting Khalid Over a Tweet

JNU student rights activist and former vice president of the JNU students union Shehla Rashid took a swipe at Union Minister for road transport and highways Nitin Gadkari saying the minister is getting “worked up” about a sarcastic tweet while another JNU scholar Umar Khalid, Rashid claims, is being hounded by the media.

Early Sunday, The Hindu is reporting that Umar Khalid has filed a complaint with the Delhi Police alleging that he received death threats from a man who identified himself as fugitive gangster Ravi Pujari.

Although Shehla Rashid does not specify which “sarcastic” tweet she is referring to, the recent stream on her Twitter handle points to her sharp reactions after news trickled in, via the Pune police, about an alleged assassination plot against Indian prime minister Narendra Modi.

Responding to Nitin Gadkari’s tweet saying he plans to take “legal action on anti-social elements who have made bizzare comments; attributing personal motives to me, regarding the assassination threat to PM @narendramodi”, Rashid asks: “Mr. Gadkari, will you also take action against Rahul Shivshankar?”

The Twitter brawl began with another Rashid tweet earlier Saturday saying that the RSS and Union Minister Nitin Gadkari were planning to assassinate Prime Minister Narendra Modi. Rashid has told India Today that the letter about a Modi assassination is “fake and to divert attention from government failures”

File photo of Shehla Rashid. Image courtesy CNN-News18

Rashid’s tweet comes in the context of a letter, allegedly written by Maoists, that carried details of plans to launch a ‘Rajiv Gandhi type incident’ to target Modi: “Looks like RSS/Gadkari is planning to assassinate Modi, and then blame it upon Muslims/Communists and then lynch Muslims #RajivGandhiStyle”.

Pune police claim to have seized a letter dated 18 April this year from five people arrested in connection with the Bhima Korean violence in which they talk of a “plot” to assassinate India’s prime minister Narendra Modi in a “Rajiv Gandhi-type” attack. Former Indian prime minister Rajiv Gandhi was killed in Sriperumbedur, Tamil Nadu, on 21 May, 1991 by a Sri Lankan suicide bomber.

Pune Police said the letter they intercepted was written by R to “comrade Prakash” was found in the laptop of Rona Wilson, an alleged Maoist. Wilson, Sudhir Dhawale, Surendra Gadling, Mahesh Raut and Shoma Sen were arrested Wednesday.

कपिल देव को राज्यसभा भेजने की तैयारी

 

1983 में भारत को पहली बार विश्व विजेता बनाने वाले कप्तान कपिल जल्द ही नई पारी शुरू कर सकते हैं. दुनिया के सबसे बेहतरीन ऑलराउंडर्स में से एक माने जाने वाले कपिल देव की यह नई पारी, राजनीतिक पारी होगी और इसकी शुरुआत उनकी राज्यसभा में उनकी एंट्री के साथ हो सकती है.

हाल ही में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की कपिल देव के साथ हुई मुलाकात के बाद इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि कपिल देव को जल्द ही राज्यसभा के लिए मनोनोत किया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक चूंकि इस तरह का मनोनयन राजनीति फैसला होते हुए भी राजनैतिक नहीं माना जाता है लिहाजा कपिल देव इस ऑफर को कबूल कर सकते हैं.

इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में कपिल देव को बीजेपी और उनके गृह राज्य पंजाब की पार्टी शिरोमणि अकाली दल की ओर से लोकसभा चुनाव लड़ने का ऑफर दिया गया था लेकिन कपिल देव ने उसे कबूल नहीं किया था.

राज्यसभा में राष्ट्रपति द्वारा कुल 12 सदस्यों को नामांकित किया जाता है और इनमे से सचिन तेंदुलकर, रेखा और अनु आगा की तीन सीटें इस वक्त खाली हो चुकी हैं.

केन्द्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति इन सीटों पर उन लोगों को नामांकित करते हैं जिन्होंने अपने क्षेत्र समाज के लिए उल्लखनीय योगदान किया हो. ओलंपिक मेडल जीतने वाली महिला बॉक्सर एमसी मेरीकॉम भी राज्यसभा की नामांकित सदस्य हैं.

खिलाडियों की कमाई पर क्या नियम बदलेगी हरियाणा सरकार

चंडीगढ,9जून:

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शुक्रवार को राज्य सरकार की नौकरी में रहते हुए पेशेवर खेलो और विज्ञापन आदि से होने वाली आय में से एक तिहाई हिस्सा राज्य खेल परिषद को देने के सेवा नियम को स्थगित करने का भले ही ऐलान कर दिया है लेकिन खेल विभाग के प्रधान सचिव अशोक खेमका का कहना है कि अभी नियम विधिवत लागू है। उन्होंने इस सम्बन्ध में जारी अधिसूचना को भी न्याय संगत बताया है।

हरियाणा सरकार की सेवा में रहते हुए पेशेवर कमाई करने वाले खिलाडियों की कमाई से एक तिहाई हिस्सा राज्य खेल परिषद को देने के नियम लागू करने के लिए अधिसूचना तो पिछले 30 अप्रेल को जारी की गई थी। लेकिन पिछले शुक्रवार को इस मुद्दे को लेकर पेशेवर खेलने वाले हरियाणा के खिलाडियों के साथ विपक्ष ने भी कडा विरोध दर्ज करवाया था। विरोध के चलते मुख्यमंत्री ने ऐलान किया था कि इस नियम को अगले आदेश तक स्थगित किया जाता है।

बहरहाल खेल विभाग के प्रमुख सचिव अशोक खेमका के बयान से बयान से इस बात के संकेत मिले हैं कि सरकार को जल्दी ही नियम में बदलाव के कदम उठाने होंगे। खेमका ने कहा है कि मैंने मुख्यमंत्री का बयान नहीं देखा और मात्र मीडिया रिपोर्ट के आधार पर वे प्रतिक्रिया भी नहीं देगें लेकिन इस नियम की अधिसूचना काफी विचार-विमर्श के बाद जारी की गई थी। यह अधिसूचना अभी लागू है। पंजाब सिविल सेवा नियमों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि इसमें साफ है कि यदि कोई कर्मचारी अन्य स्रोत से आय हासिल करता है तो इस पर सरकार का अधिकार है। यदि राज्य सरकार की सेवा में नियुक्त खिलाडी को पेशेवर स्पद्र्धा में खेलने या विज्ञापन में प्रस्तुति की अनुमति दी जाती है और उससे होने वाली कमाई का हिस्सा खेलों के विकास में लगाने की बात की जाती है तो इसमें गलत भी क्या है। उन्होंने कहा कि एक तिहाई हिस्सा तो काफी कम है और यह हिस्सा पचास फीसदी तक जा सकता है।

Tej Prtap hinted early retirement

 

RJD leader and former Bihar chief minister Tej Pratap Yadav on Saturday afternoon created a controvesry with a tweet hinting that he may retire from politics. The 29-year-old RJD leader who was a Cabinet Minister for Health in Government of Bihar, in a tweet, refered to ‘Mahabharat’ and said that he wishes to leave the empire for Arjun (Tejashwi Yadav) and go on a leave. Yadav added that, however, a few people are worried that he would be known as the ‘kingmaker’.

The tweet had led to the speculations of a rift between the brothers. However, while speaking to CNN-News 18, Tej Pratap Yadav said that he is not happy with the working of the party and admitted that a few people are trying to create a rift between him and Tejashwi Yadav.

“People in the party is trying to create a rift between us. They don’t even pick up my phone now,” he said.

Tej Pratap Yadav@TejYadav14

मेरा सोंचना है कि मैं अर्जुन को हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठाऊं और खुद द्वारका चला जाऊँ।

अब कुछेक “चुग्लों” को कष्ट है कि कहीं मैं किंग मेकर न कहलाऊं।।

।। राधे राधे।।

Tej Pratap dismissed the reports and said that Tejashwi is like a piece of my heart and there is nothing wrong between us. There has been no response from any of the RJD leaders or Tejashwi Yadav on Tej Pratap’s statement or tweet.

The party is facing a crisis since its president and former Bihar Chief Minister Lalu Yadav was jailed following his involvement in fodder scams. The over Rs 900-crore fodder scam cases are related to the illegal withdrawal of money from government treasury by the animal husbandry department in undivided Bihar in the 1990s when Prasad was the chief minister.

The RJD chief was convicted in connection with the fraudulent withdrawal of Rs 89.27 lakh and Rs 3.13 crore from the Deoghar Treasury and the Dumka treasury respectively. He was sentenced to imprisonment for more than 10 years.

RSS Sikh member part of Sangh’s efforts to rebrand itself

Ludhiana, Punjab:

While the visuals of a Sikh man donning the uniform of the Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) may have astounded many, over the proverbial mixing of oil and water, the truth is that the Hindu nationalist organisation has had dedicated wings for Sikhs and Muslims for years now.

On Thursday, former president Pranab Mukherjee presided over an RSS event in Nagpur. Arguably, the most talked about photograph from the event is that of a middle-aged Sikh man dressed in the right-wing organisation’s trademark khaki, speaking on the dais. Given the RSS’ image of a hardliner Hindutva organisation, seeing a follower of another religion at such a high-profile event in its headquarter in Nagpur left people perplexed.

RSS Sikh member Gajendra Singh at the event in Nagpur. Twitter@RSSOrg

RSS Sikh member Gajendra Singh at the event in Nagpur. Twitter@RSSOrg

But those who know RSS well were not surprised. While the Rashtriya Sikh Sangat was created in 1986 to promote brotherhood between Hindus and Sikhs especially in Punjab, the Muslim Rashtriya Manch was formed in 2002 to woo Muslims who had remained aloof from the ideology of the Sangh.

The Sikh who shared the stage with RSS chief Mohan Bhagwat and Pranab Mukherjee on Thursday was Gajendra Singh, prant sanghchalak of RSS in Uttarakhand. He is the additional advocate general at Nainital High Court.

The re-branding of RSS

Although known for vigorously promoting the Hindutva ideology, RSS has been working to bring a change in its image as a Hindu-only outfit and become a nationalist brand instead. For this, the RSS is running a campaign where Sikhs and Muslims are made members of the organisation and persuaded that its ideology is not to harm people from other religions who are nationalists.

Punjab’s RSS secretary Yash Giri claims that all religions originating from the Indian sub-continent have the same source. He told Firstpost that Hindus, Muslims, Sikhs and even Christians living in India share the same ancestors and that the “RSS is working only to remind them of this fact”.

“We only say that those living in India are Hindus. Even if they go to mosques, gurudwaras or any other place of worship. They are still Hindus because they share the same ancestry. While a nationalist Muslim is welcomed in RSS, we are against those who support the ideology of conversion,” he said.

He said that the holy book of Sikhs, Guru Granth Sahib, has the word ‘Hindustan’ written several times that makes it clear that Sikhs also have the same history as Hindus in India. “We are getting a good response from Sikhs in Punjab who are joining the wing for the community,” said Giri.

Rashtriya Sikh Sangat vs Akal Takht

However, the Rashtriya Sikh Sangat has come under attack, verbal as well as fatal, multiple times in the past. In 2004, the then chief of Akal Takht, the highest body of Sikhs, declared the wing of the RSS as anti-Sikh and asked the members of the community not to have any association with them.

In 2009, Rulda Singh, a senior leader of Rashtriya Sikh Sangat, was shot dead in front of his house in Patiala by members of a Sikh militant group.

Jasbir Singh, Rashtriya Sikh Sangat’s kshetriya sanghathan mantri of Punjab, said the exact number of members of the organisation cannot be disclosed. “We have memberships in thousands but those people do not come out openly due to threats from radical elements. Many Sikhs have joined our organisations as the RSS believes in Hinduism not as a religion but as a nationality,” said Singh.

The leaders of Rashtriya Sikh Sangat have received threats many times from fundamentalist organisations. “Our aim is not conversion. A Sikh will go to a gurudwara like a Muslim goes to a mosque. Our aim is to bring both of them in the mainstream nationalism without threatening their religious practices,” he said.

The increase in activities of the Rashtriya Sikh Sangat in Punjab is also believed to be linked to the upcoming 2019 Lok Sabha elections. The Bharatiya Janata Party (BJP), considered as the political wing of the RSS, often seeks help from Sangh workers in different regions of the country for political campaigning. It is common knowledge how RSS workers mobilised support for Prime Minister Narendra Modi during the last Lok Sabha elections.

How successful is RSS with Muslims?

On the other hand, Muslim Rashtriya Manch (MRM), the Muslim wing of RSS, is working in states with substantial Muslim population such as Uttar Pradesh, Jammu and Kashmir, Kerala and West Bengal.

While the wing is not much popular among Muslims due to their differing ideology with RSS, it still has membership from the community. RSS had recently rejected the idea of allowing its Muslim wing to host an iftar party at its Nagpur headquarters. The MRM had organised an iftar party in Mumbai on 4 June, which was boycotted by many Muslim organisations in the city.

One of the Muslim members of RSS, Amir Rasheed, had announced a reward of Rs 51,000 last month to the person who removes the portrait of Muhammad Ali Jinnah from the Aligarh Muslim University. He also sought permission from the vice-chancellor of the university to allow him to launch an RSS shakha on the campus but was denied.

“After this entire incident, the Muslim community has boycotted me and even my family wants to disown me. The marriage proposals that had come for me have been terminated due to my allegiance with RSS. However, the support from RSS is allowing me to take all the pressure,” Rasheed said over the phone.

Admitting that he hated RSS like many other Muslims, what changed his heart was a reply from RSS chief Mohan Bhagwat to a letter that he had written seeking answers regarding the organisation.

While the number of Sikhs and Muslims in RSS may be few, they are not bound to attend shakhas and rigorous training given to other Hindu members of the RSS. “We have many Muslim and Sikh members in RSS but they do not prefer to come out in the open. While there are shakhas even for them in different parts of the country, their frequency is less. They have the same ideology as ours,” said senior leader and prant sanghchalak of RSS Brigadier (retired) Suchait Singh based in Jammu.

 

भाजयुमो की बाईक रैली कल

चंडीगढ़

9 जून, 2018

भाजयुमो की बाईक रैली 10 जून दिन रविवार को एक विशाल बाइक रैली शाम 5:00 बजे सेक्टर 33 स्थित पार्टी कार्यालय कमलम से प्रारंभ होगी व सेक्टर 34-35 की मार्किट से किसान भवन चौक से होते हुए से. 22 मार्किट को व वहां से अरोमा लाइट प्वाईंट सेक्टर-22 से होती हुई सेक्टर 17-18 लाइट प्वाईट से होकर सेक्टर 17 में समाप्त होगी।

अभय चौटाला व हुड्डा पर लटकी खतरे की तलवार, स्पेशल कोर्ट की पड़ सकती है मार ।

 

दिल्ली

9 जून, 2018

पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा व विपक्ष नेता अभय चौटाला दोनों पर खतरे की बड़ी तलवार लटकती नजर आ रही है सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर बनाई गई स्पेशल कोर्ट की मार दोनों नेताओं पर पड़ सकती है जिसके चलते अगले विधानसभा चुनाव से पहले दोनों नेताओं के खिलाफ फैसला आने पर दोनों नेताओं को जेल जाना पड़ सकता है। भूपेंद्र हुड्डा और अभय चौटाला दोनों ही cm बनने की हसरत रखते हैं ऐसे में अगर दोनों नेताओं के खिलाफ स्पेशल कोर्ट का फैसला आता है तो प्रदेश की राजनीति में हड़कंप मच जाएगा।

क्या है मामला ?

सुप्रीम कोर्ट के सामने एक गंभीर बात सामने आई कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ बड़ी संख्या में मामले सालों से लंबित चल रहे हैं। इस बारे में जब कोर्ट ने केंद्र सरकार से जानकारी मांगी तो 36 फ़ीसदी सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित होने की बात सामने आई। इतने अधिक संख्या में सालों से मामले लंबित होने के कारण सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए 12 दिसंबर 2017 को ला मेकर्स के खिलाफ लंबित मामलों को शीघ्र निपटाने के लिए 12 विशेष अदालतों का गठन करने के निर्देश जारी किए।

इन 12 स्पेशल कोर्ट में से दो स्पेशल कोर्ट दिल्ली में गठित करने को कहा गया। 10 अन्य कोर्ट आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराषट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, यूपी व पश्चिम बंगाल में गठित करने के आदेश जारी किए गए। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को मानते हुए सभी 12 स्पेशल कोर्ट के गठन को मंजूरी दे दी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने क्या किया?

दिल्ली उच्च न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसरण में राजनेताओं से जुड़े आपराधिक मामलो के शीघ्र निपटारे के लिए दो विशेष अदालतें स्थापित की हैं। एक प्रशासनिक आदेश में 1 नवंबर, 2017 और 14 दिसंबर, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में दिल्ली उच्च न्यायालय की एडिशनल मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और अन्य न्यायाधीशों ने राजनेताओं के मामलों के शीध्र निपटारे के लिए दो अदालतों को विशेष अदालतों के रूप में नामित किया है।

उच्च न्यायालय ने विशेष अदालतों की अध्यक्षता करने के लिए पटियाला हाउस कोर्ट के विशेष सीबीआई न्यायाधीश अरविंद कुमार और अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल को नामित किया।

दिल्ली उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल दिनेश कुमार शर्मा के माध्यम से जारी 23 फरवरी के आदेश में कहा गया है कि विशेष अदालतें 1 मार्च से पटियाला हाउस कोर्ट कॉम्प्लेक्स में काम करेगी।
इस अदालत के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीशों ने यह आदेश दिया है कि विभिन्न अदालतों में सांसदों / विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों को 1 मार्च से पहले इन दो अदालतों में स्थानांतरित कर दिया जाए और ऐसे मामलों को तेजी से ट्रैक पर रखा जाए और 1 साल के अंदर निपटाने के प्रयास किए जाएं।

सुप्रीम कोर्ट के द्वारा किए गए उपरोक्त फैसले के अनुरूप एवं दिल्ली हाईकोर्ट की एक बेंच के निर्देशानुसार इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला का केस तीस हजारी कोर्ट से पटियाला हाउस में स्थित विशेष अदालत में स्थानांतरित हो चुका है। उच्चतम न्यायालय के अनुसार पदों पर बैठे विधायकों व सांसदों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में निर्णय 1 साल के अंदर-अंदर किया जाना जरूरी है। अभय चौटाला का केस फरवरी 2018 के अंतिम सप्ताह में तीस हजारी से पटियाला हाउस ट्रांसफर हो चुका है।

अगर 26 फरवरी 2018 के हिसाब से 1 साल का समय गिना जाए तो अगली 25 फरवरी से पहले आय से अधिक संपत्ति के मामले में अभय चौटाला को फैसले का सामना करना पड़ सकता है। जो मामले ढीले चल रहे होंगे उनको दैनिक कार्रवाई की सुनवाई में शामिल किया जाएगा । अभय चौटाला के केस की भी दैनिक सुनवाई की श्रेणी में आने की पूरी संभावना नजर आती है।

अगर इस मामले में अभय चौटाला के खिलाफ फैसला आया तो अगले चुनाव से पहले उनको सत्ता की बजाय जेल का सामना करना पड़ सकता है। अभय चौटाला के खिलाफ इस मामले में फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार 1 साल के अंदर आने की पूरी संभावना नजर आती है।

अभय चौटाला की तरह पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा भी आधा दर्जन मामलों में कानूनी कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। उनके खिलाफ सीबीआई तेजी से जांच कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार अगर कोर्ट ने तेजी से इन मामलों में सुनवाई की तो अगले चुनाव से पहले भूपेंद्र हुड्डा को भी फैसलों का सामना करना पड़ेगा और खिलाफ फैसले आने के हालात में उनको भी जेल जाने को मजबूर होना पड़ सकता है।

खरी खरी बात यह है कि हरियाणा की सियासत में इस समय पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा और विपक्ष के नेता अभय चौटाला दोनों अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं।

अभय चौटाला सी एम् बनने के लिए बसपा के साथ चुनावी गठबंधन करने के अलावा एसवाईएल मामले पर जेल भरो आंदोलन छेड़े हुए हैं,
दूसरी तरफ पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा भी कांग्रेस हाईकमान को झुकाने के लिए जन क्रांति रथ यात्रा के जरिए शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं। अगर दोनों नेताओं के खिलाफ कोर्ट के फैसले आए तो प्रदेश की राजनीति में उथल पुथल मच जाएगी। इससे जहां दोनों ही नेताओं के समर्थकों को जोर का झटका लगेगा वहीं दूसरे दलों व नेताओं को चमकने का गोल्डन चांस मिल जाएगा।

Delegation of Akali Dal ignored the plight of SC’s in Punjab while meeting PM – Kainth

 

Chandigarh, 09th June

A delegation led by Shiromani Akali Dal president Sukhbir Singh Badal and Harsimrat Kaur Badal met Prime Minister Narendra Modi. ‘While the meeting was held to discuss various issues like crop support prices, exemption of GST on ‘Langar’, loan relief for farmers etc, the delegation forgot to discuss about issues of the scheduled castes community in Punjab. There was not a single topic of concern relating to the plight of the SC community in Punjab, which has the highest population of scheduled castes in India.’ said Paramjit Singh Kainth, President of the National Scheduled Castes Alliance, a socio-political organization championing the cause of the scheduled castes community in Punjab.

“Most of the schemes relating to the improvement in the social, economic, political condition of the scheduled castes are governed by the Centre government currently led by Prime Minister Narendra Modi’s BJP party. The Central Government provides impetus to schemes like post-matric scholarship, Scheduled Castes Sub Plan (SCSP), Stand-up India etc and while all these schemes have been brought to improve the condition of the scheduled castes community, these rarely have been implemented properly by various state governments and sometimes misgoverned by the central government due to political reasons.” said Kainth.

“Shiromani Akali Dal has actively alleged that the current Congress government’s performance has been dismal in all fronts but their own attitude towards one of the largest community in Punjab has been disappointing to say the least. There was an opportunity to highlight the ongoing political and social crisis relating to the Scheduled Castes community in Punjab and also through the PM, the delegation could have raised the concern over the implementation of the various schemes for the development of the community in the State but as has been the case always, these political parties only become the champions for the plight of the scheduled castes when the elections are near.” alleged Kainth.

Lakhs and thousands of students from the community are suffering currently due to the delay in dispensing the post-matric scholarship as the State government is not actively pursuing the Centre to release the corpus for the scheme.

The National Scheduled Castes Alliance further demanded that the 3 MLA’s from Adampur, Banga and Phillaur who belong to the scheduled community should condemn the attitude of their leadership. They should resign from the party and so should the other leaders from the Akali-Dal BJP alliance who belong from the scheduled castes community.