नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल हैं : उपेंद्र कुशवाहा

जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि आज की तारीख में नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं। जनता ने उनको प्रधानमंत्री बनाया है। अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन उनके अतिरिक्त और भी कई लोग हैं जो प्रधानमंत्री बनने की काबलियत रखते हैं। उसमें नीतीश कुमार का भी नाम है। कुशवाहा ने कहा कि स्वभाविक रूप से नीतीश कुमार को पीएम मैटेरियल कहा ही जाना चाहिए। ये कौन कहता है कि नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल नहीं हैं? हां जब तक नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं तब तक उनके पद को चुनौती देने की बात नहीं कह रहा हूं, हम लोग गठबंधन में उनके साथ हैं। लेकिन नीतीश कुमार में प्रधानमंत्री पद की सभी काबलियत है। उपेंद्र कुशवाहा अकेले नहीं है जिन्होंने ऐसी बात कही है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भी पिछले दिनों कहा था कि नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल हैं।

  • उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि नीतीश कुमार पीएम मैटेरियल हैं
  • कुशवाहा के बयान पर नीतीश कुमार मुस्कुराकर टाल गए
  • नीतीश ने दिल्ली में ओपी चौटाला से मुलाकात की
  • कुशवाहा के बयान और नीतीश की चौटाला से मुलाकात के बाद अटकलों का बाजार गर्म

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री पद का मैटेरियल बताने वाले जनता दल (यूनाइटेड) के नेता उपेंद्र कुशवाहा के बयान पर राजनीतिक हलके में राजनीति तेज हो गई है। कुशवाहा के बयान पर भाजपा ने कहा है कि अगले दस साल तक प्रधानमंत्री पद के लिए कोई वैकेंसी नहीं है। दरअसल, बीते दिनों उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि देश में प्रधानमंत्री पद के कई मैटेरियल नेता हैं और नीतीश कुमार उन्हीं में से एक हैं। इस पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “अपने पार्टी के साथी कुछ भी बोल देते हैं। हमारे बारे में ऐसा कहने की जरूरत नहीं है।”

इतना ही नहीं, कुशवाहा ने यह दावा भी किया था कि बिहार में अगर आज चुनाव हो तो JDU सबसे बड़ी पार्टी की भूमिका में होगी। कुशवाहा के इन बयानों पर भाजपा ने तीखा पलटवार किया है। बिहार सरकार में मंत्री और भाजपा नेता सम्राट चौधरी ने कहा कि अगले दस साल तक प्रधानमंत्री पद के लिए कोई वैकेंसी नहीं हैं।

वहीं, भाजपा प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने कहा था कि अगर नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के मैटेरियल हैं तो भाजपा में भी सीएम पद के कई मैटेरियल हैं। सिंह ने कहा कि मैटेरियल की कमी थोड़े ही है, लेकिन जनता के वोट से सरकारें बनती हैं और पीएम, सीएम बनते हैं। हम बिहार के हित मे गठबंधन की सरकार चला रहे हैं, अगर वे मजबूत होंगे तो गठबंधन भी मजबूत होगा।

कुशवाहा के पीएम मैटेरियल वाले बयान पर नीतीश कुमार ने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि हम ये बातें नहीं जानते हैं। हम पीएम पद पर क्यों रहेंगे? ऐसी बात नहीं है, वे (उपेंद्र कुशवाहा) बोल रहे हैं वो अलग चीज है। इन सब बातों में हमारी कोई दिलचस्पी नहीं है।

सम्राट चौधरी ने कुशवाहा को यह भी स्पष्ट किया कि 2020 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सबसे अ​धिक 74 सीटें मिली और जनता दल यूनाइटेड को केवल 43 सीटें। उन्होंने कहा कि इसके बाद भी हमने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकारा। चौधरी ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में बीजेपी स्वतंत्र सरकार चला रही है। जहाँ पर बीजेपी का नेतृत्व होता है उन राज्यों में सरकार चलाना आसान होता है।

वहीं, हरियाणा के पूर्व मुख्‍यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने रविवार को नीतीश कुमार को लंच पर बुलाया था, जहाँ दोनों के बीच बंद कमरे में चर्चा हुई। इस दौरान जदयू के महासचिव केसी त्‍यागी भी मौजूद थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, ओमप्रकाश चौटाला चाहते हैं कि नीतीश कुमार तीसरे मोर्चे का नेतृत्‍व करें।

महामारी में मरीजों का सहारा बनी आंध्रा एसोसिएशन

नयी दिल्ली (ब्यूरो) :

कोरोना की पहली व दूसरी लहर के दौरान हमने सभी ने माहमारी डटकर सामना किया हमने अपने आस पास के लोगों दुख से गुज़रते हुए देखा हर तरफ कोहराम मचा हुआ था बेरोज़गारी, तनाव, दुख, अकेलापन, बीमारी, मौतें और न जाने क्या क्या। लेकिन इस कठिन परिस्थिति में भी पूरे देश में कई संस्थायें थीं जिन्होंने समाजहित में पूर्ण रूप से कार्य किया चाहे फिर गरीबो को आर्थिक रूप से सहायता प्रदान करना हो, गरीबों को राशन देना हो, मेडिकल एड प्रदान करना हो या कोई और अन्य कार्य हो काजी संस्थायें बिना डरे, अडिग हुए समाज सेवा करने हेतु ततपर रहीं। और इन्ही में एक नाम आता है आंध्रा एसोसिएशन के हैल्थ केअर एंड डायग्नोस्टिक सेंटर का जहाँ कोरोना माहमारी के दौरान कोरोना मरीजों के इलाज के साथ साथ सामान्य मरीज़ का भी इलाज अच्छे से और पूर्ण रूप से सुरक्षित ढंग से किया गया।
यहां पर दूसरी लहर में सामान्य मरीज़ों के साथ कोरोना के 10000 मरीजों की रजिस्ट्रेशन हुई जिनका ख्याल अस्पताल के पूरे स्टाफ पूरी सावधानी बरतते हुए रखा और इसका नतीजा काफी साकारात्मक रहा क्योंकि जितने भी कोरोना मरीज़ इधर भर्ती थे वह सब लगभग ठीक हुए।
दिल्ली स्तिथ इस अस्पताल के सभी डॉ ने अपनी जान परवाह न करते हुए अपना सारा समय देशहित में दिया, एक ही समय पर 100 से ज़्यादा मरीज़ों को अटेंड किया और जितना अच्छा हो सका उतना अच्छा इलाज प्रदान करवाया। यहां की डॉ बताती है कि आस पास के वातावरण की वजह दूसरी लहर में कोरोना के काफी मामले सामने आए हैं जिस वजह से एक एक डॉ पर काफी बोझ था लेकिन फिर भी उन सबने काफी धैर्य रखते हुए अपना फर्ज अदा किया और लगभग सभी मरीज़ों काफी हद तक ठीक करके एक सकारात्मक परिणाम दिया ।
जब मरीज़ों के अटेंडेंट से बात की गई तोह उन्होंने भी यह बताया कि इस अस्पताल में किसी भी मरीज़ को ज़रा भी इंतज़ार नही करवाया जाता बल्कि साथ के साथ जानकारी प्राप्त करते हैं और मरीज़ को समझते हुए उसको एक बेहतरीन इलाज प्रदान करते हैं ।
अस्पताल का सारा स्टाफ यह कहता है कि यह कार्य सिर्फ एसोसिएशन के अध्यक्ष आर मणि नायडू की वजह से सम्भव हुआ है क्योंकि वह सदैव देशहित में, समाजहित में किसी भी प्रकार के कार्य हेतु ततपर रहते हैं।

Police Fles, Chandigahr : 02 August

‘Purnoor’ Korel, CHANDIGARH – 02.08.2021

Action against violation of orders of DM, UT, Chandigarh

A case FIR No. 134, U/S 188, 269, 270 IPC & 58 Disaster Management Act 2005 has been registered in PS-MM, Chandigarh against owner of Nescafe namely Jason Bajwa R/o # 6173, Duplex, Mani Majra, Chandigarh who served hookah to customers at first floor common room of Booth No. 830D, NAC, Mani Majra, Chandigarh on 01.02.2021 and violated the orders of District Magistrate, UT, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Juvenile Justice Act

A case FIR No. 116, U/S 77, 78, 79 Juvenile Justice (care & protection of Children) Act 2015, 3/1 & 14/1A Child Labor Act has been registered in PS-Ind. Area, Chandigarh on the complaint of Mohd. Irshad, Distt. Child Protection Unit, Chandigarh against contractors namely Sanjay, Sandeep, Manoj Yadav & other employers of Liquor Factory No. 214, Ph-1, Ind. Area, Chandigarh. A joint labor drive was conducted by Distt. Child Protection Unit & AHTU in which 15 children were rescued under child labor category from Liquor Factory No. 214, Ph-1, Ind. Area, Chandigarh on 29.06.2021. Investigation of the case is in progress.

Accident

A case FIR No. 104, U/S 279, 337, 304A IPC has been registered in PS-31, Chandigarh on the statement of Brajesh Kumar Mishra R/o # 1589, Deep Complex, Hallo Majra, Chandigarh against driver of unknown car which sped away after hitting to a cyclist at Iron Market Chowk, Chandigarh on 30.07.2021. Cyclist Tarsem Lal R/o Ramdarbar, Chandigarh (age 50 years) got injured and admitted in GMCH-32, Chandigarh where he expired during the treatment on 31.07.2021. Investigation of the case is in progress.

लॉयंस क्लब सिरसा सुप्रीम ने एक साथ लगाए चार प्रोजेक्ट

सतीश बंसल, सिरसा:  

लायंस क्लब सिरसा सुप्रीम के निदेशक एवं डिस्ट्रिक्ट 321 ए-3 की आन-बान-शान  हरदीप सिंह भूटानी का जन्मदिन क्लब सदस्यों ने चार प्रोजेक्ट लगाकर मनाया। क्लब सचिव संजय मेहता व पीआरओ पुष्पिंद्र खट्टर ने संयुक्त रूप से बताया कि क्लब के संस्थापक व डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट सचिव भीम भुड्डी के मार्गदर्शन व प्रधान बलदेव कंबोज के नेतृत्व में लायंस क्लब सिरसा सुप्रीम ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय खैरपुर सिरसा में प्रोजेक्ट की शुरुआत की, जिसके अंतर्गत सिरसा के सभी प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च तथा वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों की पानी की टंकियों को मशीनों व कैमीकल से साफ किया जाना है,  का शुभारम्भ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर आरके शाह व उनकी धर्मपत्नी मधु शाह ने किया । इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रूप में जि़ला मौलिक शिक्षा अधिकारी आत्मप्रकाश मेहरा, निवर्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हरदीप सरकारिया व  भूतपूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चंद्र शेखर मेहता ने शामिल होकर कार्यक्रम को चार चांद लगा दिए । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर  शाह ने अपने सम्बोधन में डिस्ट्रिक्ट 321 ए-3 की आगामी रूप रेखा बताते हुए लायंस क्लब सिरसा सुप्रीम की टीम के इस प्रोजेक्ट की भरपूर सराहना करते हुए लायन भूटानी को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी। आत्मप्रकाश मेहरा ने अपने सम्बोधन में क्लब द्वारा किये जा रहे कार्यों की भूरी भूरी प्रशंसा की । निवर्तमान गवर्नर हरदीप सरकारिया ने क्लब सदस्यों को इस नेक कार्य को भूटानी के जन्मदिन के अवसर पर शुरुआत करने की शुभकामनाएं दी । सिरसा में लायनिज़्म को नई दिशा देने वाले भूतपूर्व गवर्नर चंद्रशेखर मेहता जी ने लायंस क्लब सिरसा सुप्रीम को सुप्रीम टीम बताया और क्लब सदस्यों व लायन भुड्डी की सोच को साधूवाद दिया।क्लब के कोषाध्यक्ष नरेश चावला ने लायंस क्लब सिरसा सुप्रीम द्वारा लगाए जा रहे चार प्रोजेक्ट्स की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि पहले प्रोजेक्ट के रूप में टंकियों की सफाई के इस प्रोजेक्ट के तहत अगस्त मास के पूरे महीने में शहर के व शहर के आस पास के गांवों के लगभग 30 से 35 राजकीय विद्यालयों की पीने के पानी की टंकियां बेहतर ढंग से साफ की जाएंगी जिसके प्रोजेक्ट चेयरमैन यश मेहता होंगे । क्लब के दूसरे प्रोजेक्ट में राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय खैरपुर सिरसा में प्रोजेक्ट चेयरमैन राजेश तनेजा के निदेशन में पौधरोपण का प्रोजेक्ट लगाया गया । क्लब के तीसरे प्रोजेक्ट में खैरपुर स्कूल को आवश्यकता के अनुसार चार पंखे भेंट स्वरूप दिए गए जिसके प्रोजेक्ट चेयरमैन संदीप चुघ थे । क्लब के अंतिम व चौथे प्रोजेक्ट में नेशनल महिला विंग कॉलेज को उनकी आवश्यकतानुसार एक आर.ओ. भेंट स्वरूप दिया गया जिनके प्रोजेक्ट चेयरमैन संजीव मेहता थे। लायंस क्लब सिरसा सुप्रीम ने लायन हरदीप भुटानीके जन्मदिन पर एक साथ चार प्रोजेक्ट लगातार लगाकर बेहतरीन मिसाल कायम की है। इस अवसर पर डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट कोषाध्यक्ष गोपाल जुनेजा, डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट सचिव बलविंद्र सिंह अपनी धर्मपत्नी संग, डिस्ट्रिक्ट कॉर्डिनेटर सुधा कामरा व मुकेश कामरा, रीजन चेयरमैन जयघोष विपन मेहता व विद्यालय की प्राचार्या कुलजीत कौर विशेष  रूप से शामिल हुए । क्लब सदस्यों में जीत भूटानी, सनप्रीत सोढ़ी, रितेश सेठी, जितेंद्र बजाज, सतीश सचदेवा, विनोद कंबोज, जितेन्द्र जीतू सहित सुप्रीम क्लब के अन्य सदस्य व अध्यापक करनैल कंबोज तथा विद्यालय के स्टाफ सदस्य भी शामिल हुए ।

बहाली की मांग को लेकर बर्खासित पीटीआई का संघर्ष जारी

सतीश बंसल, सिरसा   :

अपनी बहाली की मांग को लेकर बर्खासित पीटीआई का संघर्ष लगातार जारी है और आज उन्हें धरने पर बैठे हुए 414  दिन हो गए  है पर सरकार इस मामले में अभी तक मूक दर्शक  बनी हुई है , प्रदेश के मुख्यामंत्री  कई वार आश्वासन दे चुके है पर अभी तक बर्खासित पीटीआई   की बहाली नहीं हो सकी I हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने 6 अक्टूबर  2020  को पीटीआई के साथ बैठक करके   वायदा किया था कि मैं  पीटीआई अधयापकों के चुल्हे ठन्डे नहीं होने दूंगा पर आज 9 महीने बीत चुके है ,मुख्यमंत्री ने जो वायदा किया था ,उस वायदे को वह भूल गए हैं I उन्होंने चेतावनी दी  कि  अगर सरकार 4 अगस्त को हाईकोर्ट में पीटीआई मामले की अच्छे ढंग से पैरवी नहीं करती तो  संघर्ष को दुबारा तेज किया जायेगा  जिसके लिए हरियाणा  सरकार जिम्मेवार होगी I

   यह बात आज लघु सचिवालय में अपनी बहाली की मांग को लेकर पिछले 414  दिनों से धरने पर बैठे  बर्खासित पीटीआई को सम्बोधित करते हुए हरियाणा शारीरिक शिक्षक संघ के जिला प्रधान कुलवंत सिंह खीवा ने कही I आज के धरने की अगुवाई सर्व कर्मचारी संघ  के जिला प्रधान   मदन लाल खोथ ने की I  इस मौके पर मदन लाल खोथ ने कहा कि सरकार कि मंशा अब साफ हो जाएगी  और हम पीटीआई के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगे , जहाँ पीटीआई का पसीना गिरेगा वहां  हमारा खून गिरेगा I उन्होंने कहा कि  भाजपा सरकार लोगों को बड़े बड़े  सपने दिखाकर अपने जाल में फंसाकर  सत्ता में आई और अपने तानाशाही रवैये अपनाकर लोगों का जीना मुहाल कर रही है I  इस मौके  पर विनोद  बंटी , भरत भूषण  ,जगदीश  , रमेश कुमार   ,जगसोहन सिंह,    सुरेन्दर , जीवन , रवि नैन   , महेन्दर कुमार , रविराज  , रोहित लिम्बा  , उषा रानी, सुमन , बलजिंदर  कौर , संतोष , सरिता , राजेश , राधिका    आदि  उपस्थित रहे  I

एलएम पंचायत समित के सरपंच सतपाल एवं उसके भाई राम प्रताप रिश्वत लेने ए आरोप में गिरफ्तार

करणीदानसिंह राजपूत सूरतगढ़ 2 अगस्त 2021

भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के एक दल ने सोमवार को श्रीगंगानगर जिले के सूरतगढ़ के एक सरपंच को उसके भाई के जरिये करीब 15,000 रुपये की कथित रिश्वत लेते हुए रंगें हाथों गिरफ्तार किया।

ब्यूरो के महानिदेशक भगवान लाल सोनी ने बताया कि सूरतगढ़ तहसील के 1 एलएम पंचायत समित के सरपंच आरोपी सतपाल एवं उसके भाई राम प्रताप शिकायतकर्ता को नरेगा श्रमिकों को मिलने वाली मजदूरी की राशि में से बतौर कमीशन आधी राशि रिश्वत के रूप में मांगकर परेशान कर रहे थे।

उन्होंने बताया कि दल ने सोमवार को रामप्रताप को अपने भाई सरपंच सतपाल के लिये शिकायतकर्ता से 15,120 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगें हाथों गिरफ्तार किया है। उन्होंने बताया कि मामले में दोनों को गिरफ्तार किया गया है।

उन्होंने बताया कि आरोपियों के निवास एवं अन्य परिसरों की तलाशी जारी है। आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर जांच की जा रही है।

रेप सर्वाइवर और दोषी के विवाह से अपराध कम नहीं होता : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल के कोट्टियूर बलात्कार मामले की पीड़िता द्वारा दायर एक आवेदन पर विचार करने से इनकार किया, जिसमें पूर्व कैथोलिक पादरी रॉबिन वडक्कमचेरी से शादी करने की इच्छा व्यक्त की गई थी, जिसे POCSO के तहत 20 साल की कैद की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने रॉबिन वडक्कुमचेरी की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें उसने पीड़िता से शादी करने पर सजा पर रोक लगाने की मांग की थी। पीड़िता ने उसकी याचिका का समर्थन करते हुए कहा कि वह सामाजिक कलंक से बचने और यौन अपराध से पैदा हुए बच्चे को वैधता देने के लिए शादी करना चाहती है।

विधि बेंच, डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम :

कोर्ट ने कहा कि बलात्कार पीड़िता से शादी करने के लिए रॉबिन की सजा को निलंबित करने से इनकार करने वाले उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने का कोई कारण नहीं दिखता है। न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने अभियोजक से उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी शिकायत उठाने के लिए कहा। वरिष्ठ अधिवक्ता किरण सूरी ने कहा कि पीड़िता बच्चे की वैधता के लिए आरोपी से शादी करना चाहती है। अपनी याचिका में दावा किया कि बच्चा स्कूल जाने की उम्र का है और इसलिए स्कूल प्रवेश आवेदन पत्र में पिता के नाम का उल्लेख करने की आवश्यकता है।

पीठ ने पक्षकारों की उम्र के बारे में पूछा। आरोपी की ओर से पेश वकील अमित जॉर्ज ने कोर्ट को बताया कि आरोपी की उम्र 45 साल से ज्यादा है और पीड़िता की उम्र करीब 25 साल है। एडवोकेट जॉर्ज ने तर्क दिया कि जमानत याचिका में शादी करने के उनके मौलिक अधिकार को बाधित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उनके विवाह के प्रस्ताव के संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा की गई व्यापक टिप्पणियों के साथ उनके द्वारा जेल अधीक्षक को किए गए किसी भी आवेदन को उस अंग पर देखा जाएगा।

पीठ ने पक्षकारों की उम्र के बारे में पूछा। आरोपी की ओर से पेश वकील अमित जॉर्ज ने कोर्ट को बताया कि आरोपी की उम्र 45 साल से ज्यादा है और पीड़िता की उम्र करीब 25 साल है। एडवोकेट जॉर्ज ने तर्क दिया कि जमानत याचिका में शादी करने के उनके मौलिक अधिकार को बाधित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि उनके विवाह के प्रस्ताव के संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा की गई व्यापक टिप्पणियों के साथ उनके द्वारा जेल अधीक्षक को किए गए किसी भी आवेदन को उस अंग पर देखा जाएगा।

बेंच ने जवाब दिया कि आपने इसे खुद आमंत्रित किया है।

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सुनील थॉमस की एकल पीठ ने आरोपी की शादी की सजा को निलंबित करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि जब निचली अदालत का निष्कर्ष है कि नाबालिग के साथ बलात्कार हुआ है, शादी को न्यायिक मंजूरी नहीं दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले के सभी पहलुओं की जांच करने के बाद उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की और कहा कि वह उस आदेश को बाधित नहीं करना चाहता है।

जब अपराध हुआ तब रॉबिन सेंट सेबेस्टियन चर्च, कोट्टियूर, वायनाड जिले के पादरी थे। पीड़िता ने फरवरी 2017 में एक बच्ची को जन्म दिया। पादरी को फरवरी 2017 में कनाडा भागने के प्रयास में हवाई अड्डे से पुलिस ने गिरफ्तार किया था। 2019 में विशेष POCSO कोर्ट थालास्सेरी द्वारा दी गई सजा के खिलाफ उनकी आपराधिक अपील केरल उच्च न्यायालय में लंबित है। आरोपी ने पिछले साल केरल उच्च न्यायालय के समक्ष एक आवेदन दिया, जिसमें सर्वाइवर से शादी करने की सजा को निलंबित करने की मांग की गई, जो तब तक विवाह योग्य आयु प्राप्त कर चुकी थी।

उच्च न्यायालय ने उक्त आवेदन को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट के कई उदाहरणों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि बलात्कार के मामलों को बलात्कारी और सर्वाइवर के बीच विवाह को मंजूरी देकर नहीं सुलझाया जा सकता है। हाईकोर्ट के इस आदेश को चुनौती देते हुए रॉबिन ने सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटीशन दाखिल की है, जिसमें पीड़िता ने मौजूदा अर्जी दाखिल की है।


ममता ने शुरू किया इस्लामिक शहर बसाने का प्रोजेक्ट और अरेंगी मुगलिस्तान का समर्थन : जेनेट लेवी

जेनेट लेवी ने अपने लेख में लिखा है कि “बंटवारे के वक्त भारत के हिस्से वाले पश्चिमी बंगाल में मुसलमानों की आबादी 12 फीसदी से कुछ ज्यादा थी, जबकि पाकिस्तान के हिस्से में गए पूर्वी बंगाल में हिंदुओं की आबादी 30 फीसदी थी. आज पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़कर 27 फीसदी हो चुकी है. कुछ जिलों में तो ये 63 फीसदी तक हो गई है. वहीँ दूसरी ओर बांग्लादेश में हिंदू 30 फीसदी से घटकर केवल 8 फीसदी ही बचे हैं.”

जेनेट लेवी के americanthinker.com में प्राषित लेख से साभार

अमेरिका से आयी बंगाल के बारे में ऐसी खौफनाक रिपोर्ट, जिसने पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया है। कभी भारतीय संस्कृति का प्रतीक माने जाने वाले बंगाल की दशा आज क्या हो चुकी है, ये बात तो किसी से छिपी नहीं है. हिन्दुओं के खिलाफ साम्प्रदायिक दंगे तो पिछले काफी वक़्त से होना शुरू हो चुके हैं और अब तो हालात ये हो चुके हैं कि त्यौहार मनाने तक पर रोक लगाई जानी शुरू हो गयी है।  बंगाल पर मशहूर अमेरिकी पत्रकार जेनेट लेवी ने अब जो लेख लिखा है और उसमे जो खुलासे किये हैं, उन्हें देख आपके पैरों तले जमीन खिसक जायेगी।

जेनेट लेवी का दावा – बंगाल जल्द बनेगा एक अलग इस्लामिक देश

जेनेट लेवी ने अपने ताजा लेख में दावा किया है कि कश्मीर के बाद बंगाल में जल्द ही गृहयुद्ध शुरू होने वाला है, जिसमे बड़े पैमाने पर हिन्दुओं का कत्लेआम करके मुगलिस्तान नाम से एक अलग देश की मांग की जायेगी। यानी भारत का एक और विभाजन होगा और वो भी तलवार के दम पर और बंगाल की वोटबैंक की भूखी ममता बनर्जी की सहमति से होगा सब कुछ।

जेनेट लेवी ने अपने लेख में इस दावे के पक्ष में कई तथ्य पेश किए हैं। उन्होंने लिखा है कि “बंटवारे के वक्त भारत के हिस्से वाले पश्चिमी बंगाल में मुसलमानों की आबादी 12 फीसदी से कुछ ज्यादा थी, जबकि पाकिस्तान के हिस्से में गए पूर्वी बंगाल में हिंदुओं की आबादी 30 फीसदी थी। आज पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की जनसंख्या बढ़कर 27 फीसदी हो चुकी है। कुछ जिलों में तो ये 63 फीसदी तक हो गई है। वहीँ दूसरी ओर बांग्लादेश में हिंदू 30 फीसदी से घटकर केवल 8 फीसदी ही बचे हैं।”

आप यहाँ जेनेट का पूरा लेख खुद भी पढ़ सकते हैं। http://www.americanthinker.com/articles/2015/02/the_muslim_takeover_of_west_bengal.html

बढ़ती हुई मुस्लिम आबादी को ठहराया जिम्मेदार

 बता दें कि जेनेट ने ये लेख अमेरिकन थिंकर’ मैगजीन में लिखा है. ये लेख एक चेतावनी के तौर पर उन देशों के लिए लिखा गया है, जो मुस्लिम शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे खोल रहे हैं। जेनेट लेवी ने बेहद सनसनीखेज दावा करते हुए लिखा है कि किसी भी समाज में मुस्लिमों की 27 फीसदी आबादी काफी है कि वो उस जगह को अलग इस्लामी देश बनाने की मांग शुरू कर दें।

उन्होंने दावा किया है कि मुस्लिम संगठित होकर रहते हैं और 27 फीसदी आबादी होते ही इस्लामिक क़ानून शरिया की मांग करते हुए अलग देश बनाने तक की मांग करने लगते हैं। पश्चिम बंगाल का उदाहरण देते हुए उन्होंने लिखा है कि ममता बनर्जी के लगातार हर चुनाव जीतने का कारण वहां के मुस्लिम ही हैं। बदले में ममता मुस्लिमों को खुश करने वाली नीतियां बनाती है।

सऊदी से आने वाले पैसे से चल रहा जिहादी खेल?

जल्द ही बंगाल में एक अलग इस्लामिक देश बनाने की मांग उठने जा रही है और इसमें कोई संदेह नहीं कि सत्ता की भूखी ममता इसे मान भी जाए। उन्होंने अपने इस दावे के लिए तथ्य पेश करते हुए लिखा कि ममता ने सऊदी अरब से फंड पाने वाले 10 हजार से ज्यादा मदरसों को मान्यता देकर वहां की डिग्री को सरकारी नौकरी के काबिल बना दिया है। सऊदी से पैसा आता है और उन मदरसों में वहाबी कट्टरता की शिक्षा दी जाती है।

ममता ने शुरू किया इस्लामिक शहर बसाने का प्रोजेक्ट?

गैर मजहबी लोगों से नफरत करना सिखाया जाता है। उन्होंने लिखा कि ममता ने मस्जिदों के इमामों के लिए तरह-तरह के वजीफे भी घोषित किए हैं, मगर हिन्दुओं के लिए ऐसे कोई वजीफे नहीं घोषित किये गए। इसके अलावा उन्होंने लिखा कि ममता ने तो बंगाल में बाकायदा एक इस्लामिक शहर बसाने का प्रोजेक्ट भी शुरू किया है।

पूरे बंगाल में मुस्लिम मेडिकल, टेक्निकल और नर्सिंग स्कूल खोले जा रहे हैं, जिनमें मुस्लिम छात्रों को सस्ती शिक्षा मिलेगी। इसके अलावा कई ऐसे अस्पताल बन रहे हैं, जिनमें सिर्फ मुसलमानों का इलाज होगा। मुसलमान नौजवानों को मुफ्त साइकिल से लेकर लैपटॉप तक बांटने की स्कीमें चल रही हैं। इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि लैपटॉप केवल मुस्लिम लड़कों को ही मिले, मुस्लिम लड़कियों को नहीं।

जेनेट ने मुस्लिमों को आतंकवाद का दोषी ठहराया

जेनेट लेवी ने लिखा है कि बंगाल में बेहद गरीबी में जी रहे लाखों हिंदू परिवारों को ऐसी किसी योजना का फायदा नहीं दिया जाता। जेनेट लेवी ने दुनिया भर की ऐसी कई मिसालें दी हैं, जहां मुस्लिम आबादी बढ़ने के साथ ही आतंकवाद, धार्मिक कट्टरता और अपराध के मामले बढ़ने लगे।

आबादी बढ़ने के साथ ऐसी जगहों पर पहले अलग शरिया क़ानून की मांग की जाती है और फिर आखिर में ये अलग देश की मांग तक पहुंच जाती है। जेनेट ने अपने लेख में इस समस्या के लिए इस्लाम को ही जिम्मेदार ठहरा दिया है। उन्होंने लिखा है कि कुरान में यह संदेश खुलकर दिया गया है कि दुनिया भर में इस्लामिक राज स्थापित हो।

तस्लीमा नसरीन का उदाहरण किया पेश

जेनेट ने लिखा है कि हर जगह इस्लाम जबरन धर्म-परिवर्तन या गैर-मुसलमानों की हत्याएं करवाकर फैला है। अपने लेख में बंगाल के हालातों के बारे में उन्होंने लिखा है. बंगाल में हुए दंगों का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा है कि 2007 में कोलकाता में बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन के खिलाफ दंगे भड़क उठे थे। ये पहली कोशिश थी जिसमे बंगाल में मुस्लिम संगठनों ने इस्लामी ईशनिंदा (ब्लासफैमी) कानून की मांग शुरू कर दी थी।

भारत की धर्म निरपेक्षता पर उठाये सवाल

1993 में तस्लीमा नसरीन ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों और उनको जबरन मुसलमान बनाने के मुद्दे पर किताब लज्जा’ लिखी थी। किताब लिखने के बाद उन्हें कट्टरपंथियों के डर से बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था। वो कोलकाता में ये सोच कर बस गयी थी कि वहां वो सुरक्षित रहेंगी क्योंकि भारत तो एक धर्मनिरपेक्ष देश है और वहां विचारों को रखने की स्वतंत्रता भी है।

मगर हैरानी की बात है कि धर्म निरपेक्ष देश भारत में भी मुस्लिमों ने तस्लीमा नसरीन को नफरत की नजर से देखा। भारत में उनका गला काटने तक के फतवे जारी किए गए। देश के अलग-अलग शहरों में कई बार उन पर हमले भी हुए। मगर वोटबैंक के भूखी वामपंथी और तृणमूल की सरकारों ने कभी उनका साथ नहीं दिया। क्योंकि ऐसा करने पर मुस्लिम नाराज हो जाते और वोटबैंक चला जाता।

बंगाल में हो रही है ‘मुगलिस्तान’ देश की मांग

जेनेट लेवी ने आगे लिखा है कि 2013 में पहली बार बंगाल के कुछ कट्टरपंथी मौलानाओं ने अलग मुगलिस्तान’ की मांग शुरू कर दी। इसी साल बंगाल में हुए दंगों में सैकड़ों हिंदुओं के घर और दुकानें लूट लिए गए और कई मंदिरों को भी तोड़ दिया गया। इन दंगों में सरकार द्वारा पुलिस को आदेश दिये गए कि वो दंगाइयों के खिलाफ कुछ ना करें।

हिन्दुओं का बहिष्कार किया जाता है?

ममता को डर था कि मुसलमानों को रोका गया तो वो नाराज हो जाएंगे और वोट नहीं देंगे। लेख में बताया गया है कि केवल दंगे ही नहीं बल्कि हिन्दुओं को भगाने के लिए जिन जिलों में मुसलमानों की संख्या ज्यादा है, वहां के मुसलमान हिंदू कारोबारियों का बायकॉट करते हैं। मालदा, मुर्शिदाबाद और उत्तरी दिनाजपुर जिलों में मुसलमान हिंदुओं की दुकानों से सामान तक नहीं खरीदते।

यही वजह है कि वहां से बड़ी संख्या में हिंदुओं का पलायन होना शुरू हो चुका है। कश्मीरी पंडितों की ही तरह यहाँ भी हिन्दुओं को अपने घरों और कारोबार छोड़कर दूसरी जगहों पर जाना पड़ रहा है। ये वो जिले हैं जहां हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं।

आतंक समर्थकों को संसद भेज रही ममता

इसके आगे जेनेट ने लिखा है कि ममता ने अब बाकायदा आतंकवाद समर्थकों को संसद में भेजना तक शुरू कर दिया है। जून 2014 में ममता बनर्जी ने अहमद हसन इमरान नाम के एक कुख्यात जिहादी को अपनी पार्टी के टिकट पर राज्यसभा सांसद बनाकर भेजा। हसन इमरान प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का सह-संस्थापक रहा है।

हसन इमरान पर आरोप है कि उसने शारदा चिटफंड घोटाले का पैसा बांग्लादेश के जिहादी संगठन जमात-ए-इस्लामी तक पहुंचाया, ताकि वो बांग्लादेश में दंगे भड़का सके। हसन इमरान के खिलाफ एनआईए और सीबीआई की जांच भी चल रही है।

लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) की रिपोर्ट के मुताबिक कई दंगों और आतंकवादियों को शरण देने में हसन का हाथ रहा है। उसके पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से रिश्ते होने के आरोप लगते रहे हैं। जेनेट के मुताबिक़ बंगाल का भारत से विभाजन करने की मांग अब जल्द ही उठने लगेगी। इस लेख के जरिये जेनेट ने उन पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है, जो मुस्लिम शरणार्थियों को अपने यहाँ बसा रहे हैं, कि जल्द ही उन्हें भी इसी सब का सामना करना पडेगा।

बंगाल में चुनाव के बाद,जनवरी 1990 की याद ताजा हो गईं,जब 6 लाख कश्मीरी पंडितों को मस्जिदों से चेतावनी दी गई कि यदि आप जीवित रहना चाहते हैं तो अपने परिवार की महिलाओं को (बेटियों, बहनों, पत्नियों) को छोड़कर कश्मीर से भाग जाओ, तब देश में वी पी सिंह की सरकार बनी थी, उनके गृह मंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद थे, और कश्मीर में कांग्रेस के समर्थन से फारुख अब्दुल्ला की सरकार थी। मुस्लिमो ने उनकी संपत्ति हड़प ली और महिलाओं का लगातार बलात्कार होता रहा, और कत्लेआम  होता रहा, किसी मीडिया ने कोई News नहीं दिखाई, फलस्वरूप कश्मीर से हिंदू समाज को अपनी संपत्ति और महिलाओं को छोड़कर भागना पड़ा, वही स्थिति आज बंगाल में होने जा रही है, भाजपा के नेता भी लगभग नपुंसक हो गये हैं, सारी शक्ति हाथ में होते हुए भी लगभग असहाय हो रहे हैं। हिंदुओं के ऊपर होते हुए अत्याचार  देख कर सभी तथाकथित सेकुलर नेता चुप है। यही नेता किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति के साथ उनकी ही गलती से कोई खंरोच भी आती तो छाती पीटते हुए सारे देश की नाक में दम कर देते हैं, और UNO तक शिकायत करके देश की छवि बिगाड़ने में भी संकोच नहीं करते। पूरा अंतरराष्ट्रीय मीडिया भारत के विरुद्ध दुष्प्रचार में एकजुट हो जाता है।  

हिंदू समाज को इतना ज्ञान होना चाहिए कि भारत का जन्म 1947 में नहीं हुआ था बल्कि भारत 5000 वर्ष पुरानी हमारी संस्कृति है, हम पूरे विश्व को अपना परिवार मानते हैं जिसमें पशु पक्षी वृक्ष सभी प्राणी शामिल हैं व धरती को अपनी माता मानते हैं। लगभग आधे से अधिक विश्व पर हमारा शासन था। लेकिन अपनी उदारता के कारण हम अपनी जमीन पर दूसरों को बसाते गये और खुद बेघर होते गए। हिंदू घटता गया तो देश बंटता गया। यदि हमें सुरक्षित रहना है तो हनुमान जी की तरह अपनी शक्ति को पहचाना होगा। हमें मंदिरों में केवल मनोकामनाएं पूर्ती के लिए ही नहीं जाना बल्कि हमें अपने देवी-देवताओं से सीखना भी है,वो एक हाथ में माला रखते थे वे दूसरे हाथ में भाला भी रखते थे, हमें शास्त्र के साथ साथ शस्त्र का भी ज्ञान होना चाहिए।  हिंदू समाज को अपनी आत्मरक्षा के बारे में सोचना चाहिए। केवल सरकार व पुलिस के ऊपर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए।

हिंदू समाज अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए मंदिर के अलावा कहीं भी जा सकता है चाहे वो धरती के नीचे गड़े हुए मुर्दे ही क्यों न हो, वहां भी बढ़े शान से चादर चढ़ाकर आता है जबकि अन्य कोई भी समाज ऐसा नहीं करता। हमें अपने भविष्य को बचाना है या अपने अस्तित्व को समाप्त करना है ॽ

रौशनी एक्ट, जिसने जम्मू – काश्मीर में सरकार द्वारा प्रायोजित भ्रष्टाचार का अंधेरा फैला दिया

वर्ष 2001 में फारूक अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे। तब विधानसभा में रोशनी एक्ट पास हुआ था। इसका मकसद ये था कि जिनके पास निश्चित समय के लिए सरकारी जमीन लीज पर है या कोई चालीस वर्ष से सरकारी जमीन पर रह रहा है तो ये जमीन हमेशा के लिए उन्हें दे दी जाए। यानी उन्हें जमीन का मालिक बना दिया जाए. इसके बदले में सरकार बाजार मूल्य पर पैसा लेगी. इस तरह से जो पैसा सरकारी खजाने में आएगा उससे जम्मू-कश्मीर में घर-घर बिजली की योजना चलाई जाएगी. यानी घर घर रोशनी पहुंचाई जाएगी। इसलिए इसे रोशनी एक्ट नाम दिया गया. इस एक्ट के ज़रिए करीब 25 हज़ार करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य रखा गया था।

जम्मू/काश्मीर संवाददाता, डेमोक्रेटिकफ्रंट॰कॉम :

जम्मू-कश्मीर के सबसे बड़े 25 हजार करोड़ के रोशनी भूमि घोटाले में किस तरह बंदरबांट हुई थी इसका पर्दाफाश अब होने लगा है। हाई कोर्ट के आदेश में सोमवार को उन नेताओं की पहली सूची सार्वजनिक हुई है, जिन्होंने सरकार की संपत्ति को अपनी और परिवार की संपत्ति में बदल दिया था। जांच में पीडीपी सरकार में वित्त मंत्री रहे डा. हसीब द्राबू समेत कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के पूर्व मंत्रियों, नौकरशाहों, व्यापारियों और इनके रिश्तेदार भी शामिल हैं। इन्होंने गरीबों के घर रोशन करने के नाम पर बनाए गए कानून की आड़ लेकर करोड़ों की सरकारी जमीन हड़प ली। बताया जाता है कि अभी तीन से चार और सूची आएंगी। जाहिर है कि कई और नाम सामने आएंगे। यह एक ऐस घोटाला था जिस पर मीडिया की कभी नज़र ही नहीं पड़ी और अगर पड़ी भी तो बंदरबाँट के चलते इसके बारे में आपको विस्तार से कुछ बताया नहीं गयायह रौशनी एक्ट के नाम से कुख्यात है।

आज एक ट्वीट के सामने आने से इस मामले की पूरी जानकारी एक बार फिर सामने आ गयी।

हाई कोर्ट ने नौ अक्टूबर को अपने आदेश में तमाम आवंटनों को रद करते हुए सीबीआइ को घोटाले की जांच सौंपी थी। इसके बाद सीबीआइ ने घोटाले की परतें उघेडऩा शुरू कर दिया है। जांच में सार्वजनिक हुई पहली सूची में पीडीपी नेता रहे हसीब द्राबू और उनके परिजनों का नाम है। पूर्व गृहमंत्री सज्जाद किचलू, पूर्व मंत्री अब्दुल मजीद वानी, असलम गोनी, नेशनल कांफ्रेंस के नेता व पूर्व मंत्री सईद आखून और जेके बैंक के पूर्व चेयरमैन एमवाई खान नाम प्रमुख हैं।

इसे रोशनी घोटाला क्यों कहते हैं?

वर्ष 2001 में फारूक अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री थे। तब विधानसभा में रोशनी एक्ट पास हुआ था। इसका मकसद ये था कि जिनके पास निश्चित समय के लिए सरकारी जमीन लीज पर है या कोई चालीस वर्ष से सरकारी जमीन पर रह रहा है तो ये जमीन हमेशा के लिए उन्हें दे दी जाए। यानी उन्हें जमीन का मालिक बना दिया जाए। इसके बदले में सरकार बाजार मूल्य पर पैसा लेगी. इस तरह से जो पैसा सरकारी खजाने में आएगा उससे जम्मू-कश्मीर में घर-घर बिजली की योजना चलाई जाएगी। यानी घर घर रोशनी पहुंचाई जाएगी. इसलिए इसे रोशनी एक्ट नाम दिया गया। इस एक्ट के ज़रिए करीब 25 हज़ार करोड़ रुपये हासिल करने का लक्ष्य रखा गया था।

यानी सरकारी जमीन बेच कर बिजली के लिए पैसे का इंतजाम होना था. लेकिन रोशनी एक्ट घोटाले में कैसे बदल गया ये आपको जानना चाहिए.

सूत्रों द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार जम्मू के सुंजवान में फारूक अब्दुल्ला का बंगला है। वर्ष 1998 में फारूक अब्दुल्ला ने इस बंगले को बनाने के लिए करीब 16 हजार स्क्वायर फीट जमीन खरीदी थी। उन पर आरोप है कि उन्होंने इसके आस पास की 38 हजार स्क्वायर फीट जंगल की जमीन पर भी कब्जा कर लिया। जिस पर ये आलीशान बंगला बनाया गया। हालांकि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अपनी वेबसाइट पर इस प्लॉट की जानकारी नहीं दी है।

ऐसा ही कुछ श्रीनगर में भी हुआ। श्रीनगर में फारुक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस का दफ्तर है, जिसमें नवा-ए-सुबह नामक एक ट्रस्ट का ऑफिस भी है।

वर्ष 2001 में जमीन की कीमत डेढ़ करोड़ रुपए थी। लेकिन मात्र 58 लाख रुपए जमा कर जमीन हमेशा के लिए नवा-ए-सुबह ट्रस्ट के नाम करवा दी गई। ऐसा करने में रोशनी एक्ट का इस्तेमाल किया गया। आतनवाद से ग्रसित होने ए बावजूदआज इस जमीन की कीमत करीब 25 करोड़ रुपए है।

हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेंस का कहना है कि उन्हें जो कीमत सरकारी विभाग ने वर्ष 2001 में बताई, वही जमा करके इस जमीन का मालिकाना हक हासिल किया गया था।

वैसे नेशनल कॉन्फ्रेंस का कहना है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है. सब कानून (शायद इसी रौशनी एक्ट)के मुताबिक हुआ है।

घोटाला हुआ कैसे?

जमीन के मार्केट रेट और सरकार को दिए गए पैसे के अंतर में ही रोशनी घोटाला छिपा है। आरोप है कि सरकार मे बैठे लोगों ने एक्ट बनाया- फिर महंगी जमीनों के सरकारी रेट बेहद कम करवा दिए और जमीनें कम कीमत पर खरीद लीं। जिससे सरकार को घाटा हुआ और घोटालेबाजों को फायदा।

रोशनी एक्ट के नाम पर कानूनी तरीके से गैरकानूनी काम किया गया। हाई कोर्ट ने रोशनी एक्ट को असंवैधानिक बताया है। सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। अब बड़े बड़े लोगों के नाम सामने आ रहे हैं।

इन दिनों गुपकार गैंग जिस तरह से अनुच्छेद 370 की वापसी के लिए सक्रिय है, उससे साफ है कि ये लोग अपने वही दिन वापस चाहते हैं जिससे ये सरकारी जमीनों पर कब्जा कर सकें, राज्य के संसाधनों को लूट सकें। सरकारी बंगलों और सिक्योरिटी का इस्तेमाल कर सकें। लेकिन अनुच्छेद 370 हटने के बाद शायद उनकी कोई चाल कामयाब नहीं हो पा रही है।

रोशनी घोटाले में जम्मू-कश्मीर प्रशासन जैसे जैसे नाम सार्वजनिक कर रहा है वैसे वैसे नेशनल कॉफ्रेंस, पीडीपी, और कांग्रेस के नेताओं और उनके रिश्तेदारों के नाम सामने आने लगे हैं। कई सरकारी अधिकारी, व्यापारी और कारोबारियों के नाम भी इस लिस्ट में शामिल हैं।

राजनीतिक दलों ने इस संगठित लूट की ज़मीन कैसे तैयार की ?

वर्ष 2001 में जब रोशनी एक्ट बना। तब जमीन पर कब्जे का कट ऑफ ईयर 1990 रखा गया था।

वर्ष 2005 में मुफ्ती मोहम्मद सईद की सरकार ने इस समय सीमा को बढ़ाकर वर्ष 2004 कर दिया। मतलब वर्ष 1990 से 2004 के बीच जिन लोगों ने सरकारी ज़मीन लीज़ पर ली उन्हें भी मालिक बनने का मौका मिल गया। नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के बाद कांग्रेस को भी तब मौका मिला जब गुलाम नबी आज़ाद वर्ष 2005 में जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री बने।

वर्ष 2007 में गुलाम नबी आज़ाद ने जमीन पर कब्जे की सीमा बढ़ाकर वर्ष 2007 कर दी।

मतलब जो भी सरकार में आया उसने अपने फायदे के लिए या अपने लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए एक्ट में संशोधन किया।

वर्ष 2013-14 में CAG की रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ था कि जम्मू कश्मीर सरकार ने इससे कमाई का 25 हजार करोड़ रुपए का जो लक्ष्य रखा था, उससे सरकार को सिर्फ 76 करोड़ रुपये की कमाई हुई और जम्मू कश्मीर में में रौशनी फैलाने के नाम पर भ्रष्टाचार का अंधेरा फैला दिया गया। अब आपको इस घोटाले से जुड़ी लगभग हर बात समझ आ गई होगी।

e – RUPI लॉंच से क्या VISA, Master Card, American Express का खेल खत्म हो जायेगा?

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के जरिए ट्वीट कर इसके कुछ बेनिफिट्स की जानकारी भी दी थी। ट्वीट में उन्होंने बताया कि e-RUPI कैशलेस और कॉन्टैक्टलेस डिजिटल पेमेंट सर्विस होगी। यह सर्विस स्पॉन्सर्स और बेनिफिशियरीज को डिजिटली कनेक्ट करेगा। साथ ही अलग-अलग वेलफेयर सर्विसेज की लीक-प्रूफ डिलीवरी को भी सुनिश्चित करेगा।

नई दिल्ली:

e-RUPI Launch: भारत डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में आज एक और बड़ा कदम उठाने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ई-वाउचर-बेस्ड डिजिटल पेमेंट सॉल्यूशन e-RUPI लॉन्च करेंगे. इसके जरिए लाभार्थियों को मिलने वाले फायदे बिना लीकेज उन तक पहुंच सकेंगे, यानी बीच में कोई बिचौलिया या मध्यस्थ नहीं होगा. It means VISA, Master Card, American Express k Khel khatam.
e-RUPI क्या है?

अब समझते हैं कि ये e-RUPI क्या चीज है. दरअसल ये एक कैशलेस और कॉन्टैक्टलेस तरीका है. यह एक QR code या SMS स्ट्रिंग बेस्ड ई-वाउचर है, जिसे लाभार्थियों के मोबाइल पर भेजा जाता है. इस वन टाइम पेमेंट मैकेनिज्म के यूजर्स को वाउचर रिडीम करने के लिए सर्विस प्रोवाइडर पर किसी कार्ड, डिजिटल पेमेंट ऐप या इंटरनेट बैंकिंग को एक्सेस करने की जरूरत नहीं होगी.

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट के जरिए ट्वीट कर इसके कुछ बेनिफिट्स की जानकारी भी दी थी। ट्वीट में उन्होंने बताया कि e-RUPI कैशलेस और कॉन्टैक्टलेस डिजिटल पेमेंट सर्विस होगी। यह सर्विस स्पॉन्सर्स और बेनिफिशियरीज को डिजिटली कनेक्ट करेगा। साथ ही अलग-अलग वेलफेयर सर्विसेज की लीक-प्रूफ डिलीवरी को भी सुनिश्चित करेगा।

किसी मध्यस्थ की जरूरत नहीं

e-RUPI बिना किसी फिजिकल इंटरफेस के डिजिटल तरीके से लाभार्थियों और सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ सर्विसेस के स्पॉन्सर्स को आपस में जोड़ता है और यह भी सुनिश्चित करता है कि लेन-देन पूरा होने के बाद ही सर्विस प्रोवाइडर को पेमेंट किया जाए. प्रीपेड होने की वजह से यह किसी भी मध्यस्थ को शामिल किए बिना सर्विस प्रोवाइडर का समय पर भुगतान करता है. सेवाओं की लीक-प्रूफ डिलीवरी (Leak-Proof Delivery) सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक क्रांतिकारी कदम हो सकता है.
इन योजनाओं को होगा फायदा

e-RUPI प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कई सामाजिक कल्याण योजनाओं में हो सकता है. आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, फर्टिलाइजर सब्सिडी जैसी योजनाओं के तहत मदर एंड चाइल्ड वेलफेयर स्कीम्स, टीबी उन्मूलन कार्यक्रमों, दवाओं और निदान के तहत दवाएं और पोषण सहायता देने के लिए योजनाओं के तहत सर्विस देने के लिए भी किया जा सकता है. यहां तक कि निजी क्षेत्र भी अपने कर्मचारी कल्याण और कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में इन डिजिटल वाउचर का इस्तेमाल कर सकते हैं.

डिजिटल पेमेंट सॉल्युशन e-RUPI को लॉन्च करने का मुख्य मकसद है ऑनलाइन पेमेंट को ज्यादा आसान और सुरक्षित बनाना. इस प्लेटफॉर्म को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने वित्तीय सेवा विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के साथ मिलकर तैयार किया है.