तुम अख़बार हो तो बेखबर मैं भी नहीं

‘पुरनूर’ कोरल, चंडीगढ़ :

मीडिया में बाज़ार का दखल प्रत्यक्ष रूप में बढ़ता जा रहा है हालांकि कुछ अखबारें हमेशा से ही स्वयं को उपभोग वस्तु की श्रेणी में शामिल करती रही है जैसे कि लिख देना अ प्रोडक्ट ऑफ ….। लेकिन खबरों से ज़्यादा विज्ञापनों को स्थान देने के लिए अखबार के पन्नों में इज़ाफ़ा कर दिया गया।

अब अखबार मिशन नहीं व्यवसाय बन गया है । आजकल मिशन रखने वाले पत्रकारों को पागल कहते हैं अखबार रंगदार हो गए। धन और ताकत का स्रोत बन गए हैं । असल मे वर्ष 1995 में तत्कालीन वित्तमंत्री मनमोहन सिंह ने उदारीकरण के नाम पर अर्थव्यवस्था खोल दी थी यह उसी का नतीजा है।

अमर्यादित तरीके से विज्ञापन हथियाने के लिए राजनेताओं और व्यवसायियों की चाटूकारिता करना , जहाँ ये न चले वहाँ ब्लैकमेलिंग के हथियार खुलकर इस्तेमाल किये जाते हैं।

बहुत बदल गया है मीडिया

आज माँ से बात कर रही थी तो उन्होंने बताया कि पहले सम्पादक स्वयं एक संस्था होते थे जो अब कमज़ोर हो गई पहले सम्पादक अपने संवादाताओं से अक्सर कहते थे इन विज्ञापन वालों से दूर रहना । बहुत चिढ़ते थे अखबार की मार्केटिंग टीम से लेकिन अब सब बदल गया। अखबारों के प्रबंधन किसी सम्पादक की नियुक्ति के समय टारगेट बाँध देते है और इसी तरह सम्पादक भी अपने अधीनस्थ पत्रकारों के टारगेट फिक्स कर देते हैं। जनरल मैनेजर (मार्केटिंग) सम्पादक का पर्याय बन गया है।

मीडिया में बाज़ारवाद का प्रभाव इस कद्र बढ़ गया है कि दौलत का अंबार ठिकाने लगाने के लिए इन संस्थाओं द्वारा अलग नामों से नित्य नए अखबार और चैनल चलाये जा रहे हैं।

एक और चीज़ ” मीडिया ट्रायल”

बहुत ही भयानक साबित होता है कई बार। हालांकि कई मामलों में यह कारगार भी साबित हुआ लेकिन ज़्यादातर सेल्फ स्टाइल्ड जासूसी पत्रकार जल्दबाजी में कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।

समाचारों और विचारों में बाज़ार इस कदर हावी है कि ख़बर और विज्ञापन में अन्तर कर पाना मुश्किल लगता है। यहाँ तक कि कुछ अख़बार तो श्राद्ध पक्ष के दौरान भी पुष्य नक्षत्र के आगमन के प्रायोजित समाचार छापकर पाठकों को बेवकूफ़ बनाने से बाज नहीं आते. तमाम अख़बार ख़रीदारी के लिए तरह-तरह के मेले लगाने को अपना परम कर्त्तव्य मान बैठे हैं. यह पाठकों के खिलाफ़ एक गहरी मीडियाई साजिश है।

रौनकें कहाँ दिखायी देती हैं अब पहले जैसी,
अख़बारों के इश्तेहार बताते हैं, कोई त्यौहार आया है!

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Panchang

पंचांग 25 जुलाई 2021

आज रात्रि 10.48 से पंचक प्रारम्भ हो रहे हैं। पंचक काल में तृण, काष्ठ, धातु का संचय व भवन निर्माण और नवीन कार्य तथा यात्रा आदि कर्म वर्जित होते हैं।पंचक काल में शव दाह का भी निषेध होता है। चूंकि शव को इतनी लंबी अवधि हेतु रोकना देश काल परिस्थिति के अनुसार मुश्किल हैं, अतः योग्य वैदिक ब्रह्मण की सलाह लेकर पंच पुतलों का दाह और पंचक नक्षत्रों की शांति विधि पूर्वक करानी चाहिए। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि मृतक व्यक्ति के परिवार व संबंधियों में से ही पाॅच व्यक्तियों के अकाल मृत्यु होने की आशंका बनी रहती है।

विक्रमी संवत्ः 2078, 

शक संवत्ः 1943, 

मासः श्रावण़, 

पक्षः कृष्ण पक्ष, 

तिथिः प्रतिपदा प्रातः 05.51 तक है। 

वारः रविवार, नक्षत्रः श्रवण प्रातः 11.18 तक हैं, 

योगः आयुष्मान रात्रि 12.42 तक, 

करणः कौलव, 

सूर्य राशिः कर्क, 

चंद्र राशिः मकर, 

राहु कालः सायंः 4.30 से सायं 6.00 बजे तक, 

सूर्योदयः05.42, 

सूर्यास्तः07.12 बजे।

नोटः द्वितीया तिथि का क्षय है।

विशेषः आज पूर्व दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर रविवार को पान खाकर लाल चंदन, गुड़ और लड्डू का दान देकर यात्रा करें।