बेगानी शादी में केजरीवाल फूफा


  • आम आदमी पार्टी के संभावित महागठबंधन से अलग होना भले ही राजनीति की कोई बड़ी घटना न हो लेकिन ये उतार-चढ़ाव मोदी सरकार के खिलाफ लामबंद होने वाले विपक्षी दलों की एकता की कलई खोलने का काम जरूर कर रहे हैं

  • सनद रहे यह वही केजरीवाल हैं जो कांग्रेस के खिलाफ इलैक्शन लड़ते हैं ओर फिर उसी कांग्रेस्स की सहायता से दिल्ली में सरकार बनाते हैं 

  • जिस कांग्रेस के खिलाफ इनहोने जंतर मंत्र पर अपनी लड़ाई का बिगुल ठोका था उसी कांग्रेस्स के साथजंतर मंत्र में मंच सांझा कर तूतनी फूंकते हैं 

  • जिस कांग्रेस के खिलाफ यह भ्रष्टाचार का आरोप लगते हैं उसी के साथ बहुमत को धता बता कर सत्ता पे काबिज कांग्रेस को कर्नाटक में मंच से बधाई देते हैं 

  • पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त, बहुत बार गुलाटी मारी जाएगी बहुत फिरकियाँ लीं जाएंगी

  • यह लड़की की शादी में रूठे फूफा हैं जिनहे पता है कि अब अगली पीढ़ी का फूफा आ रहा है ओर यही आखिर वक्त है नखरे दिखा लो.


संसद में विपक्षी एकता का एक और शक्ति परीक्षण धराशायी हो गया. अविश्वास प्रस्ताव में हार से हुई किरकिरी के बाद राज्यसभा के उप-सभापति चुनाव में भी हार का मुंह देखना पड़ा. सियासी गलियारों में सुगबुगाहट है कि विपक्ष ने एनडीए को कड़ी टक्कर देने का मौका गंवा दिया. सवाल कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की रणनीति और सक्रियता पर उठ रहे हैं लेकिन एक अजीब सा सवाल आम आदमी पार्टी भी उठा रही है.

आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा में उप-सभापति चुनाव में कांग्रेस का समर्थन नहीं किया. इसकी वजह है ‘झप्पी पॉलिटिक्स.’ AAP की शिकायत है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फोन कर के समर्थन नहीं मांगा. राहुल के ‘इग्नोरेंस’ को आम आदमी पार्टी ने दिल पे ले लिया है. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय  सिंह का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी संसद में पीएम मोदी को गले लगा सकते हैं लेकिन AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल को समर्थन के लिए फोन नहीं लगा सकते.

आम आदमी पार्टी का आरोप है कि एनडीए की तरफ से बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने अरविंद केजरीवाल से फोन कर समर्थन मांगा था लेकिन केजरीवाल ने समर्थन देने से इनकार कर दिया. जबकि राहुल ने एक बार भी फोन करना जरूरी नहीं समझा. अगर राहुल वोट के लिए समर्थन मांगते तो अरविंद केजरीवाल समर्थन जरूर देते.

फोन कॉल की तकरार में फंसा महागठबंधन

राहुल से आम आदमी पार्टी की ये शिकायत शादी-ब्याह के मौके पर रिश्तेदारों के रूठने की याद दिलाती है. अमूमन शादी ब्याह के मौके पर फूफाजी नाराज हो जाते हैं. पूरी शादी में उनकी एक ही शिकायत होती है कि किसी भी बड़े या छोटे काम के लिए ‘उनसे किसी ने कहा ही नहीं’. साल 2019 के चुनावी मंडप में भी विपक्षी रिश्तेदारों के बीच हालात कमोबेश वैसे ही हैं. कोई रूठा हुआ है, किसी को मनाया जा रहा है, तो कोई खुद को ही दूल्हा समझ रहा है.

फोन करके राहुल ने तवज्जो क्यों नहीं दी? अक्सर होता ये आया है कि फोन करके समर्थन मांगने वाली पार्टी ही खुद तब नाराज हुई है जब उसे समर्थन नहीं मिला लेकिन यहां मामला उलटा है. आम आदमी पार्टी इसलिए नाराज है क्योंकि कांग्रेस की तरफ से कोई कॉल नहीं आई. कॉल नहीं आई तो वोट का इस्तेमाल नहीं हो सका. वोट धरे रह गए और चोट गहरा गई. तभी आम आदमी पार्टी राज्यसभा में चुनाव के वक्त ‘मौका-ए-वोटिंग’ से गायब हो गई. कांग्रेस चुनाव हार गई. हाथ आया बड़ा मौका ‘हाथ’ से फिसल गया.

वोट के लिए समर्थन न मांगना तक तो ठीक था लेकिन इसके बाद कांग्रेस ने जिस तरह से आम आदमी पार्टी पर ‘संसद’ का गुस्सा उतारा वो वाकई किसी को भी तिलमिला कर रख दे. कांग्रेस के बड़े नेताओं ने आम आदमी पार्टी पर अवसरवादिता की राजनीति का आरोप लगाया. ये तक याद दिलाया कि अगर साल 2013 में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी को समर्थन नहीं दिया होता तो आज AAP इतिहास बन गई होती.

कांग्रेस का यही रवैया AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल को खल गया. तभी उन्होंने आनन-फानन में संभावित महागठबंधन से अलग होने का एलान करके कांग्रेस से हिसाब बराबर कर डाला. अरविंद केजरीवाल ने एलान कर दिया कि वो बीजेपी के खिलाफ बनने वाले संभावित महागठबंधन का हिस्सा नहीं होंगे.

आप को हल्के में लेना बड़ी भूल

केजरीवाल का ये एलान-ए-जंग कांग्रेस को झटका देने के लिए काफी है. भले ही आप के पास सांसदों की संख्या की ताकत न हो लेकिन सौदेबाजी की सियासत के दौर में AAP भी अहमियत रखती है. दिल्ली में लोकसभा की 7 और पंजाब में 13 सीटों के दंगल को देखते हुए भविष्य में  AAP को नजरअंदाज करने की भूल नहीं की जा सकती. महागठबंधन से अलग हो कर आम आदमी पार्टी दूसरे क्षेत्रीय दलों को भी ये संदेश दे रही है कि वो भी महागठबंधन पर पुनर्विचार करें.

कांग्रेस की बेरुखी की वजह से ही आम आदमी पार्टी कह रही है कि एनडीए के खिलाफ विपक्षी एकता के लिए खुद राहुल गांधी ही सबसे बड़ा रोड़ा हैं तो बीजेपी के लिए पूंजी भी.

कुछ ही दिन पहले जंतर-मंतर पर विपक्षी एकता के प्रतीकात्मक प्रदर्शन के तौर पर इकट्ठे हुए सियासी नेताओं में अरविंद केजरीवाल भी मौजूद थे. वहीं कर्नाटक के सीएम की ताजपोशी के वक्त भी आम आदमी पार्टी ने मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता का झंडा उठाया था. इसके बावजूद कांग्रेस की बेरुखी के चलते आम आदमी पार्टी की हालत सियासत के बाजार में उस दुकानदार जैसी हो गई जहां उसके माल का खरीदार सिर्फ कांग्रेस थी और कांग्रेस की ही वजह से उसका माल बिक न सका.

केजरीवाल का महागठबंधन से तौबा क्यों?

अब केजरीवाल के महागठबंधन से अलग होने के फैसले को आसानी से समझा जा सकता है. केजरीवाल के सामने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने से ज्यादा जरूरी अपना गढ़ बचाना है. विपक्षी एकता और महागठबंधन के नाम पर इकट्ठा हो रही पार्टियों के पास दो दशक से ज्यादा पुराना राजनीतिक अनुभव और इतिहास है. इन पार्टियों का अपना कोर वोटर है और जमा हुआ आधार है. इनके मुकाबले आम आदमी पार्टी का वजूद बेहद छोटा है. आम आदमी पार्टी तभी राष्ट्रीय राजनीति के महामुकाबले में ‘बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना’ नहीं बनना चाहती है.

खुद केजरीवाल बोल चुके हैं कि वो न तो पीएम कैंडिडेट हैं और न ही वो महागठबंधन का हिस्सा बनेंगे. आम आदमी पार्टी को अपनी सीमाएं और संभावनाएं मालूम हैं. तभी वो मोदी विरोध की राजनीति में कांग्रेस विरोध की राजनीति को दफन नहीं करना चाहती. ये विडंबना ही है कि जिस जंतर-मंतर पर आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ शंखनाद किया था, सत्ता में आने के लिए उसी कांग्रेस से समर्थन लिया और अब मोदी सरकार के खिलाफ उसी कांग्रेस के साथ जंतर-मंतर पर एक मंच साझा किया.

साल 2019 के महामुकाबले में बड़ों की लड़ाई के बीच केजरीवाल अपना दुर्ग नहीं हारना चाहेंगे. बीजेपी और कांग्रेस के विरोध में हासिल हुए वोटबेस को केजरीवाल कांग्रेस के साथ खड़े हो कर गंवाना भी नहीं चाहेंगे. तभी केजरीवाल ने साल 2019 में अपने दम पर चुनाव लड़ने का एलान कर दांव चला है. आम आदमी पार्टी ये जानती है कि उसके पास साल 2019 में खोने को कुछ भी नहीं और पाने को बहुत कुछ होगा.

इधर, कांग्रेस की कमजोरी भी संसद में खुलकर दिख रही है. उप-सभापति पद के लिए कांग्रेस विपक्षी एकता के नाम पर दूसरे दलों में से एक नाम तक नहीं चुन सकी. ऐसा माना जा रहा है कि अगर उप-सभापति पद के लिए कांग्रेस की बजाए दूसरे दल के नेता को उम्मीदवार बनाया जाता तो कहानी दूसरी हो सकती थी.

यहां चूक गए कांग्रेस के ‘युवराज’

वहीं राहुल पर ये भी सवाल उठ रहे हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उप- सभापति पद के उम्मीदवार के लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार की तरह दूसरी पार्टियों से समर्थन के लिए सहयोग नहीं मांगा. आम आदमी पार्टी, पीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस की गैरमौजूदगी से साबित होता है कि राहुल ने इनसे संपर्क साधने की कोशिश नहीं की.वहीं एनडीए के नाराज सहयोगी अकाली दल और शिवसेना को भी कांग्रेस मोदी विरोध के नाम पर साथ नहीं ला सकी.

ऐसे में सवाल उठता है कि जब उप-सभापति पद पर विपक्ष में आम राय कायम नहीं हो सकी है तो फिर सीटों के बंटवारे और पीएम पद पर कैसे बात बनेगी?

बहरहाल, आम आदमी पार्टी के संभावित महागठबंधन से अलग होना भले ही राजनीति की कोई बड़ी घटना न हो लेकिन ये उतार-चढ़ाव मोदी के खिलाफ लामबंद होने वाले विपक्षी दलों की कलई खोलने का काम जरूर कर रहे हैं. साल 2019 से पहले संभावित महागठबंधन का ‘महाट्रेलर’ संसद में दो अहम मौकों पर दिख चुका है. अविश्वास प्रस्ताव और राज्यसभा में उप-सभापति के चुनाव में विपक्ष का भटकाव और बिखराव साफ दिखता है.

भाजपा हर रूप में किसान विरोधी पार्टी है, किसान हित का एक भी काम नहीं गिना सकते: हुडा

फोटो राकेश शाह

चण्डीगढ़ 10 अगस्त 2018
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिह हुड्डा ने आज प्रदेश की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा हर रूप में किसान विरोधी पार्टी है। भाजपा के पास गिनाने के लिए एक भी काम नहीं है, जो किसान हित में लिया गया हो। हम यह सवाल नहीं उठा रहे कि खट्टर साहब ने खेती की या नहीं पर इतना जरूर कहेंगे कि मुख्यमंत्री बन कर उन्होंने किसान का दर्द कभी नहीं समझा। उनके मुख्यमंत्री बनते ही – ‘‘जिकर चला था गाणां म्है – खाद बंटी थी थाणां म्हैं‘‘। मुख्य मंत्री दावा करते हैं कि उन्होंने खेती की है और सब्जी भी बेची है तो फिर भाजपा राज में टमाटर, आलू और प्याज आदि सब्जियों की दुर्गत क्यूं हुई ? यदि सरकार ने किसान का दर्द समझा होता तो आज गन्ना उत्पादक किसान शुगर मिलों में अपने बकाये के लिये दर-दर की ठोकरें नहीं खा रहे होते और सरसों, बाजरा, सूरजमुखी और सोयाबिन जैसी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर पूरी की पूरी खरीद होती और दादुपुर-नलवी नहर को पाटने की बजाये उसका निर्माण पूरा करवाया जाता, पर ऐसा कुछ नहीं हुआ।

हुड्डा ने कहा कि हरियाणा में किसान के दर्द को हमने समझा। 2005 में हमारी सरकार बनने पर हमने किसानों पर बोझ बने 1600 सौ करोड़ रूपये बिजली के बकाया बिल माफ किये, जबकि किसानों को बिजली के बिल न भरने का नारा इनेलो और भाजपा का था। हमने कृषि क्षेत्र के लिये 10 पैसे प्रति यूनिट दर तय की और स्लैब प्रणाली बहाल की। हमने फसली ऋण पर ब्याज जीरो प्रतिशत किया और किसानों की गिरफ्तारी पर रोक लगाई। हमारे समय में धान, पॉपुलर और कपास का किसानों को इतना अच्छा भाव मिला कि किसान कर्ज मुक्त हो गया था। हमने किसान के हित में जमीन अधिग्रहण का नया कानून बनाया। जिसमें मुआवजे के साथ विकसित क्षेत्र में किसान का हिस्सा सुनिश्चित किया, चाहे वह अधिग्रहण रिहायशी उद्देश्य के लिये हुआ हो और चाहे व्यवसायिक रहा हो और 33 वर्ष तक रॉयलटी देने का प्रावधान किया।

भाजपा सरकार केवन नाम बदलने में माहिर है। हमारी सरकार में करनाल में कल्पना चावला मेडिकल विश्वविद्यालय की स्वीकृति दी थी, परन्तु भाजपा सरकार ने इसका नाम बदल कर पण्डित दीनदयाल उपाध्याय मेडिकल विश्वविद्यालय कर दिया है। इसी तरह हमारे समय चल रही और बहुत सी स्कीमों के भी नाम बदल दिये हैं, परन्तु जनहित में कोई नई स्कीम या संस्था धरातल पर नहीं आई।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि विधान सभा चुनाव के वक्त भाजपा नेताओं ने कर्मचारियों को अनेकों आश्वासन दिए, पर अब कर्मचारी सरकार की कर्मचारी विरोधी नीतियों के कारण खून के आंसु बहा रहे हैं। कर्मचारी सरकार चलाने की महत्वपूर्ण मशीनरी है, पर भाजपा राज में दफ्तरों की बजाये सड़कों पर हैं। सरकारें कच्चे कर्मचारियों को तो पक्का करती हैं, पर भाजपा तो पक्के कर्मचारियों को भी कच्चा कर रही है। सरकार ईवेंट मैनेजमैंट कम्पनी लगती है। बेशक करोड़ों रूपये विज्ञापनों पर खर्च कर रही है, पर धरातल पर कुछ नहीं है। सरकार ने एक लाख साठ हजार करोड़ रूपये का कर्ज तो उठा लिया, पर यह नहीं बता रही कि वो खर्च कहां किया गया ?

पूर्व मुख्यमंत्री ने इनेलो पर भी हमला बोला और कहा कि वो एसवाईएल निर्माण को लेकर नकली लड़ाई लड़ रही है। हरियाणा के लोग जानते हैं कि एसवाईएल न बनने का एक मात्र कारण इनेलो की सियासत रही है। उन्होंने
कहा कि –
इनेलो का देखो खेल-घर बैठे भर रहे जेल,
नकली गिरफ्तारी – नकली बेल,
जेल भरो आन्दोलन हो गया फेल
जाँच हो तो साफ हो जायेगा की पहले इनेलो और अब भाजपा का निराशाजनक रवैया एसवाईएल निर्माण में बड़ी बाधा है। मेरा कहना है कि एसवाईएल की आड़ में इनेलो अपने पारिवारिक झगड़े में लोगों को न घसीटे।

हुड्डा ने कहा कि हरियाणा को जलाने व सामाजिक सद्भाव खराब करने की असली दोषी भाजपा है। सरकार इतनी ही पाक साफ है तो क्यूं प्रकाश सिंह कमेटी की रिपोर्ट को कूड़ेदान में डाल दिया गया ? भाजपा सरकार की विफलता इस बात से स्पष्ट हो जाती है कि उसके वरिष्ठ मंत्री स्वयं यह कह रहे हैं कि जाट आरक्षण आन्दोलन के दौरान हिंसा रोकने के लिए जो कदम उठाये जाने चाहियें थे, वह सरकार ने नहीं उठाये। अतः इसमें कोई संदेह नहीं कि हरियाणा भाजपा सरकार ही पूर्ण रूप से दोषी है। नूंह के बाल गृह और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का मुद्दा भी भाजपा धार्मिक ध्रुवीकरण और नफरत फैलाने की नियत से उठा रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने 12 अगस्त को पांचवें चरण की जन क्रान्ति यात्रा, जो महेन्द्रगढ से शुरू हो रही है, को अपनी आँखों से देखने के लिए पत्रकारों को आमंत्रित किया। जहां आपको अहसास होगा कि हरियाणा का हर वर्ग प्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ आक्रोश से भरा बैठा है और उन्हें विकल्प के तौर पर केवल कांग्रेस ही दीख रही है।

पार्षद राजबाला के इशारे पर नगर निगम दस्ते की ओल्ड बुक मार्केट पर अनुचित कार्यवाही

 

फोटो राकेश शाह

राकेश शाह

चंडीगढ़ 10 अगस्त, 2018:

आज ओल्ड/न्यू बुक मार्किट विरोध स्वरूप बन्द रही जिसके कारण बहुत से विद्यार्थियों को बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा। पंजाब विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग की छात्रा हरनूर ने डेमोक्रेटिक फ्रण्ट को बताया कि अपने पाठ्यक्रम की किताबों के लिए वह इन्हीं दुकानों पर निर्भर हैं क्योंकि यहाँ उन्हें कम कीमत पर किताबें मिल जाती हैं पर आज दुकाने बन्द देख कर उन्हें बहुत निराशा हुई। संदीप जो कि सेक्टर 11 के राजकीय कालेज के छात्र हैं ने कहा कि वह पिछले दो वर्षों से यहीं से किताबें खरीद रहे हैं। उन्होंने कहा कि किताबों की कीमत बहुत ज़्यादा होने की वजह से सभी विद्यार्थी नई किताबें नहीं खरीद सकते। इनके अलावा बहुत से ऐसे ही विद्यार्थी आज निराश हो कर यहाँ से वापिस गए।

फोटो राकेश शाह

दुकानें बन्द होने और धरने पर बैठने का कारण पूछने पर सम्बन्धित दुकानदारों ने बताया कि नगर निगम द्वारा उनके काउंटरों को अतिक्रमण बता कर हटा दिया गया। आरोप है कि पूर्व महापौर और वर्तमान पार्षद राज बाला मलिक के इशारे पर निगम कर्मियों द्वारा यह कार्यवाही की गई। उनका आरोप है कि इसी मार्किट के एक व्यक्ति सुनील जो कि बूथ नम्बर 2 में दुकान चलाते हैं के कहने पर पार्षद ने यह काम करवाया है। दुकानदारों का आरोप है कि समय समय पर सुनील जो कि इस मार्किट के प्रधान रहे हैं इस बार हुए चुनावों में मौजूदा प्रधान से काफी ज़्यादा वोटों से हार गए। कहा जाता है कि इसी बात से राजबाला मलिक इस मार्किट से नाराज हैं।
नगर निगम द्वारा कल की गई कार्यवाही में दुकान नम्बर 2 को छोड़ कर सभी काउन्टर हटा दिए गए।
दुसरी और जब डेमोक्रेटिक फ्रण्ट ने सुनील कुमार और पार्षद राजबाला से बात करने के लिए उनके फोन पर सम्पर्क किया परन्तु वह बात करने के लिए उपलब्ध नहीं थे।

फोटो राकेश शाह

आज धरने के समर्थन में कांग्रेस के नेता प्रदीप छाबड़ा भी पहुंचे और दुकानदारों का साथ देने का  आश्वासन दिया
आपको बता दें कि पार्षद राजबाला मलिक भाजपा में आने से पहले काँग्रेस की ओर से महापौर रही हैँ।

लोक सभा सत्र में मंत्री के गुमराह बयान पर नाईपर के पूर्व रजिस्टरार को बचाने का आरोप


घोटाले को उजागर करने वाले नाईपर से निकाले गये चार पूर्व कर्मियो का आरोप हाईकोर्ट और सीबीआई के दिशानिर्देशों की हुई अनदेखी 

नाईपर के पूर्व रजिस्टरार पीजेपी वडैच सीबीआई की नाईपर मल्टी करोड घोटाले की जांच में साबित हो चुके हैं दोषी


चंडीगढ, 10 अगस्त, 2018:
शैक्षिणिक संस्थानों में भ्रष्ट अधिकारियों और राजनेताओं के नैक्सस को जीता जागता उदाहरण देते हुये नाईपर से अनैतिकपूर्ण तरीके से निकाले गये चार कर्मियों ने गत दिनों लोक सभा सत्र में रसायन और उर्वरक केन्द्रीय राज्य मंत्री मनसुख लाला मांडविया के उस बेबुनियाद और गुमराह करने वाले बयान का खंडन किया है जिसमें वे एक मल्टी करोड घोटाले में लिप्त और सीबीआई की जांच में दोषी घोषित मोहाली स्थित नाईपर संस्थान के पूर्व रजिस्टरार पीजेपी सिंह वडैच का स्पष्ट बचाव करते दिख रहे हैं। इस घोटाले को उजागर करने वाले चारों निकाले गये कर्मचारी डा परिक्षित बंसल (पूर्व ऐसिसटेट प्रोफेसर, इंटलैक्चुअल प्रोपर्टी मैनेजमेंट), डा नीरज कुमार (पूर्व एसिसटेंट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ फार्मस्यिुटिक्स), ले कर्नल एसके तागर (पूर्व चीफ मैनेटेनेंस इंजीनियर) और कैप्टन क्षितिज शर्मा (पूर्व सैक्योरिटी और ईस्टेट आफिसर) ने मंत्री पर आरोप लगाये हैं कि उनके बयान माननीय पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट और सीबीआई के दिशानिर्देशों तक की अवहेलना कर रहे हैं। वडैच मोहाली स्थित नैश्नल इंस्टीच्यूट ऑफ फार्मास्यिुटिकल एज्यूकेशन एंड रिसर्च (नाईपर) में केन्द्र सरकार द्वारा शिक्षा और शोध के लिये पारित फंडो का दुरपयोग करने मे दोषी करार हुये थे। ‘आईआईटी ऑफ फार्मा’ कहे जाने वाला यह संस्थान वर्ष 1994 में गठित किया गया था।
वडैच को सीबीआई ने अंडर सैक्शन 120 बी के अपराधिक मामलों के अंर्तगत आईपीसी की विभिन्न धारओं में सैक्शन 420 (धोखाधडी), 409 (क्रिमिनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट) 467 (जालसाजी), 471 (वास्तिविक दस्तावेज पेश कर जो कि झूठे साबित हुये) के आधार पर सीबीआई एफआईआर आरसीसीएचजी2016ए0005 दिनांक 14 जनवरी 2016 को दोषी साबित किया था।
प्रश्न नम्बर 3445 के अंतर्गत शिव सेना सांसद राहुल शिवाले द्वारा पूछे गये सवाल कि क्या नाईपर के निदेशक ने नाईपर के रस्टिरार को निलंबित कर दिया है तो मंत्री मांडविया ने जवाब में कहा कि नाईपर के निदेशक ने 14 जुलाई की बोर्ड ऑफ गर्वनेंस के चैयरमेन के आर्डरों को लागू नहीं किया है जोकि पीजेपी सिंह वडैच के निलंबन के रद्द करने के संदर्भ में है।
मंत्रालय ने निदेशक को लिखा की वे वडैच के निलंबन खारिच करे और उसे वापिस ले। डायरेक्टर को इस बात को न मानने से मंत्रालय ने उसे अनुशासनात्मक नियमों के अनुसार शो कॉज नोटिस जारी कर दिया और अगले ही दिन लोक सभा में गुमराह करने वाला बयान दिया। इससे यह बात स्पष्ट है कि नाईपर में होने वाले करोडो रुपये के घोटाले का हिस्सा उपर मंत्रालय तक पहुंचाया गया ।
लोक सभा में मंत्री द्वारा दिये गये बयान इसलिये निराधार थे क्योंकि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले के अनुसार वडैच को 31 जुलाई 2018 को संस्थान से निकाल दिया गया था । फैसले के अनुसार वडैच की नियुक्ति 2011 में पांच साल के लिये 2016 तक की गई थी। कोर्ट द्वारा शुरु की नियुक्ति ही गलत पाई गई थी और उसे 2012 में रद्द कर दिया गया था परन्तु वडैच को स्टे मिलने पर वह नौकरी पर कायम था। 2018 के फैसले में हाई कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि नियुक्ति ही जब 2016 तक थी तो उसके बाद उसे नौकरी पर बनाये रखना गैर कानूनी है और स्टे को रद्द कर दिया। इस बात की जानकारी मंत्रालय को थी पर वे इस पर कोई कार्यवाही नहीं कर रही थी और उसे बचाने का प्रयास कर रही थी।
मंत्री ने लोक सभा में यह भी स्पष्ट नहीं किया कि पीजेपी सिंह पहले ही सीबीाई द्वारा आंवटित फंडों के व्यापक स्तर पर दुरपयोग के चलते अपराधिक मामलों के अंर्तगत दोषी करार दिये जा चुके हैं। वे सदन को यह भी बताने से बचते रहे कि सीबीआई की जांच के बाद उनके निलंबन के दिशानिर्देश के बाद निदेशक द्वारा उनका निलंबन हुआ क्योंकि वे जांच में खलल डालने और गवाहों को धमका रहे थे।
वर्ष 2016 में सीबीआई ने वडैच, नाईपर के दो निदेशकों और मंत्रालय के कई अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर करी थी और जांच बेहद संवेदनशील स्थिति में पहुंच गई है। इस समूचे प्रकरण में मंत्री की सीधी भागीदारी एक पूरे नैक्सस को उजगार करती है।
डा बंसल ने बताया कि बावजूद इसके मंत्री और मंत्रालय दो नाईपर प्रोफेसरों के कैरियर और आजीविका के प्रति पूरी तरह मौन हैं जिन्होंने इस घोटले को उजागर करने पर वर्ष 2013 में निलंबित कर दिया गया और वे पिछले पांच सालो के अपने परिवारजनों के साथ बदहाली की पीडा झेल रहे हैं। इसके साथ ही दो सैन्यकर्मियों कैप्टन क्षितिज और ले कर्नल तागर को भी इस घोटाले को ओर अधिक उजागर करने के लिये वर्ष 2015 में अपनी नौकरियों से हाथ धोना पडा। सभी ने आरोप लगाये है कि मंत्रालय ने भी इस दिशा में भी उन्हें कोई न्यान नहीं दिया हे।

रैडक्रॉस सोसायटी के माध्यम से प्रदेश में 100 जन औषधि केंद्र खोले जाएंगे: विज

Haryana Health Minister, Mr. Anil Vij addressing a press conference in Chandigarh on December 6, 2017. Principal Secretary, Health and Family Welfare Department, Mr. Amit Jha is also seen in the picture.

 

चंडीगढ़, 10 अगस्त- हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज ने कहा कि लोगों को उचित एवं सस्ती दरों पर दवाईयां उपलब्ध करवाने के लिए रैडक्रॉस सोसायटी के माध्यम से प्रदेश में 100 जन औषधि केंद्र खोले जाएंगे।

श्री अनिल विज आज कैथल में जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए वचनबद्ध है। प्रदेश में इन सुविधाओं के विस्तार के लिए 136 स्वास्थ्य केंद्रों के भवनों को मंजूरी दी गई है, जिन पर 643 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त प्रदेश में 2 विश्वविद्यालय तथा 4 मैडिकल कॉलेज भी स्थापित किए जा रहे हैं। राज्य के अस्पतालों में विभिन्न बीमारियों की जांच के लिए आधुनिक उपकरण भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं।

श्री विज ने एक अन्य सवाल जवाब में कहा कि हरियाणा सरकार को दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविंद केजरीवाल से कोई सलाह लेने की जरूरत नही है, जो केजरीवाल दिल्ली में फेल हो चुका हो, उसे स्वयं ज्ञान लेने की जरूरत है।

जिला कष्ट निवारण समिति में वीज ने दो अधिकारियों को किया सस्पेंड


-दो पर चली अनिल विज की जांच तलवार

-जिला कष्ट निवारण समिति में दो अधिकारियों को किया सस्पेंड

-पीडब्ल्यूडी विभाग के EX.EN. राजकुमार व पशुपालन विभाग के क्लर्क संजय को किया सस्पेंड


अजय कुमार

10 अगस्त,2018, कैथल :

गुहला विधायक कुलवंत बाजीगर और उसके भतीजे नगरपालिका सचिव अशोक कुमार पर मारपीट करवाने के आरोप लगाने वाले जन स्वास्थ्य विभाग के एसडीओ वेदपाल श्योकंद को स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने सस्पेंड कर दिया। उनके खिलाफ केस दर्ज करके गिरफ्तारी करने के आदेश भी एसपी को दिए। एक अन्य शिकायत में डिलीवरी के बाद बच्चे की मृत्यु के एक मामले में लापरवाही बरतने पर स्वास्थ्य विभाग की दो नर्स, एक चालक और एक टेक्नीशियन को भी सस्पेंड करने के आदेश दिए हैं। विज शुक्रवार को कैथल में कष्ट निवारण समिति की बैठक लेने आए थे।

विज ने जन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से यह भी पूछा कि काम करने के लिए विभाग में कितना रेट (रिश्वत) चल रहा है। जवाब में विभाग के एसई अनिल कुमार पाहवा ने कहा कि कोई रेट नहीं है। विज ने कहा कि आप झूठ बोल रहे हैं। एसई ने एसडीओ के खिलाफ की गई कार्रवाई पर भी छानबीन के बाद ही पर्चा दर्ज करने और सस्पेंड करने की गुजारिश की, लेकिन मंत्री नहीं माने।


लापरवाही के लिए दो नर्स सहित चार सस्पेंड

मंत्री विज ने गांव कौल निवासी विकास कुमार की शिकायत पर स्वास्थ्य विभाग की दो नर्स, एक एंबुलेंस चालक और एक इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन को सस्पेंड करने के आदेश भी सिविल सर्जन को दिए। समिति में पिछले वर्ष 14 नवंबर को यह शिकायत दी गई थी। इसकी जांच एसडीएम कैथल और प्रबुद्ध सदस्य शैली मुंजाल, मोहित राठी कर रहे थे। जांच में चारों को लापरवाही बरतने का आरोपी पाया गया है।


औरंगजेब का राज अच्छा था : एसडीओ

एसडीओ ने अपना पक्ष रखने का पुरजोर प्रयास किया, लेकिन विज ने एक नहीं सुनी। एसडीओ ने मंत्री के सामने ही फाइल लहराते हुए यहां तक कहा कि आपसे के राज से तो औरंगजेब का राज अच्छा था। यहां तो सरेआम लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा है। जिस पर विज खफा हो गए और उन्होंने तुरंत एसडीओ को बाहर करते हुए गिरफ्तार करने के आदेश दिए। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने एसडीओ को हाल से बाहर कर दिया। हालांकि मंत्री ने यह भी कहा कि अगर आरोप झूठे हुए तो शिकायतकर्ता के खिलाफ वह खुद पर्चा दर्ज करवाएंगे और उनको जेल भिजवाएंगे।


विधायक से नहीं जुड़ा मामला 

शिकायतकर्ता दिग्विजय ¨सह का कहना है कि वह जन स्वास्थ्य विभाग का ठेकेदार है। उनका मामला तो 30 मार्च से कष्ट निवारण समिति में लंबित था। विधायक, उसके भतीजे और एसडीओ के बीच चल रहा विवाद कुछ दिन पुराना है। उनकी शिकायत तो एसडीओ के वर्क आर्डर देने के लिए 20 प्रतिशत रिश्वत मांगने के आरोप थे। इस पर मंत्री ने कार्रवाई करते हुए उन्हें सस्पेंड किया है।

60 हजार पौधे 60 हजार घरों में मात्र 60 मिनट में लगाएंगे 6 हजार युवा


  • हर घर संजीवनी को मूर्त रूप देने के लिए तैयार बादली हलके के वर्कर

  • कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड की अनूठी पहल से जुड़ेगा हर घर

  • बादली में एक साथ लगेंगे 60 हजार नींबू के पौधे

  • पर्यावरण के प्रति एक मंत्री की अनूठी संजीदगी


चंडीगढ़/झज्जर:

आपने शायद ही ऐसा सुना या देखा हो कि किसी मंत्री ने पर्यावरण के प्रति संजीदगी के लिए अपने हलके में एक साथ 60 हजार पौधे रोपित करने का लक्ष्य हासिल किया हो। अब ऐसा सच होने जा रहा है। हरियाणा के कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड ऐसे मंत्री हैं जो अपने हलके में एक साथ 60 हजार घरों में 60 हजार पौधे 60 मिनट में लगवाएंगे। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए छ: हजार युवाओं की टीम समर्पित रहेगी और ये अनूठा रिकाड्र्र 11 अगस्त को प्रात: 9 से 10 बजे के बीच बनेगा। इसके लिए व्यापक तैयारियां की गई हैं। खास बात यह है कि इस अनूठे अभियान में पार्टी के वर्कर, ग्रवित के स्वयं सेवक, आम गा्रमीण युवा, प्रकृति प्रेमी और जिले के नेता भी शरीक हो रहे हैं। स्वेच्छा से जुड़े इन युवाओं में गजब को जोश है।
पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी निभाने की अनूठी मिसाल हरियाणा के कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ 11 अगस्त को प्रस्तुत करने वाले हैं। बादली हलके के लगभग सभी एक सौ गांवों में तकरीबन 60 हजार घरों में एक साथ नींबू का पौधा लगाया जाएगा। दरअसल इसके लिए 60 मिनट का समय तय किया गया है। मगर इन साठ मिनटों के काम के पीछे बड़ी मेहनत है। मानसून में पौधारोपण हर वर्ष होता है। लगाए गए पौधों का पालन कम होने से पर्यावरण को नुकसान होता है। मगर इस बार पौधों का पूरी तरह से पालन हो, इसके लिए हर घर संजीवनी अभियान चलाने का निर्णय लिया। इस अभियान की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि स्वयं कृषि मंत्री ने तकरीबन सभी गांवंों में पहुंच कर लोगों को इस अभियान से जोड़ा। जहां वे स्वयं नहीं पहुंच पाए वहां मंत्री के पुत्र आदित्य धनखड़ पहुंचे और लोगों को अभियान के साथ जोड़ा। लोग विशेषकर युवा आगे आए और उन्होंने इस पुनीत कार्य में हिस्सेदारी करने की बात इच्छा जताई। जिसके चलते पांच-पांच प्रकृति प्रेमी युवाओं की 1200 टीमों का गठन पूरे हलके में किया गया। यह टीमें हलके के 60 हजार घरों में पौधा पहुंचाएंगी और हर घर में परिवारवालों के साथ पौधा लगाएंगे। विशेष बात यह भी है कि प्रत्येक पचास घरों में पौधा पहुंचाने के लिए एक टीम काम करेगी। यानि प्रत्येक युवा एक घंटे के समय में अपने हिस्से के दस घरों में पौधा पहुंचाएगा और लगवाएगा। इसके लिए प्रत्येक गांव में गलीवार ये कमेटियां बनाई गई हैं।
पूरे हलके को कलस्टरों में बांटकर जिम्मेदारियां भी तय की गई हैं। एक आम वर्कर से लेकर हलके के पदाधिकारी भी इस अभियान का हिस्सा हैं। कलस्टर की बात करें तो जिला परिषद के चेयरमैन परमजीत और बंटी सलौध्ण्धा, बाढसा कलस्टर को रायसिंह और विनोद बाढसा, बादली कलस्टर को राजीव कटारिया और मंडल अध्यक्ष कृष्ण कुमार, जहांगीरपुर कलस्टर में सतपाल कादियान और जयपाल जिम्मेदारी निभाएंगे। दादरी तोए कलस्यट के लिएउ जिला परिषद के उपाध्यक्ष और भाजयुमो के उपाध्यक्ष योगेश सिलानी के साथ सुनील गुलिया कार्य देखेंगे। कासनी में पातूराम और मातूराम साहब कलस्टर में युवाओं के साथ सक्रिय रहेंगे। सुबाना में प्रेम सुबाना, आदित्य धनखड़ और सुरेंद्र छपार, माछरौली में सुभाष और जितेंद्र, पटोदा में वीरेंद्र टीनू और विनोद भटेड़ा, सिलानी में अशोक राठी और परमजीत जाहिदपुर और डावला कलस्टर में पवन छिल्लर, सोमबीर और ओमबीर की जिम्मेदारी तय की गई हैं। इस पूरे अभियान में कृषि मंत्री ने एक एक दिन में दस दस गांवों में पहुंचकर लोगों को जिस तरह से स्वेच्छा के साथ जोड़ा वह सबकी अपनी जिम्मेदारी तय करता है। इस अभियान में जुड़े 6 हजार युवा इस अभियान की ताकत हैं इसमें कोई संदेह नहीं है। स्वयं कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ कहते हैं कि ये सभी युवा इस अभियान को अंजाम तक पहुंचाएंगे। जिस तरह से युवाओं ने इस अभियान को अपना मानकर तैयारी की है वह बेमिसाल है। धनखड़ कहते हैं कि नींबू के एक साथ इतने पौधे लगने से बादली की अलग बनेगी।
जिले के पदाधिकारी भी जुड़े अभियान से: इस अनूठे अभियान के बारे में जानकारी मिलने के बाद जिले भर के भाजपा नेताओं ने भी इस अभियान के जुडऩे की चाह दिखाई। स्वयं विधायक नरेश कौशिक माजरी गांव को संजीवनी गांव बनाने के लिए जुटेंगे। इसी प्रकार पूर्व मंत्री, पूर्व विधायक, जिलाध्यक्ष, पूर्व जिलाध्यक्ष के अलावा अनेक पदाधिकारी इस अभियान में सक्रिय रहेंगे। जिले के अनेक नेता भी एक-एक गांव में पहुंचकर अभियान में सहभागिता करने वाले हैं। बहरहाल, हर घर संजीवनी अपनी तरह का पहला और अनूठा अभियान है जिसे मूर्त रूप 11 अगस्त को मिलेगा। जिसका श्रेय युवाओं को जायेगा।

अब मोबाइल एप्प से दिखाएंगे वाहन के कागजात ओर डीएल


परिवहन विभाग ने डिजिटल व्यवस्था को प्रोत्साहित करते हुए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विकसित डिजी-लॉकर सुविधा रखने की अधिसूचना जारी की है

बता दें कि चंडीगढ़ ओर बहुत से शहरों में यह सुविधा पहिले से ही उपलब्ध है


आई टी एक्ट और मोटर वेहिकल एक्ट,1988 के एक  प्रावधान के तहत अब आपको बतौर यात्री ड्राइविंग लाइसेंस(डीएल) और वाहन निबंधन प्रमाणपत्र (आरसी) की हार्ड कॉपी साथ रखने की जरूरत नहीं है.

सड़क परिवहन मंत्रालय ने ट्रैफिक पुलिस और राज्य परिवहन विभाग से जांच के लिए ड्राइविंग लाइसेंस और रेजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की हार्ड कॉपी होने की अनिवार्यता पर रोक लगा दी है.

मंत्रालय ने विभाग से कहा है कि वह इसकी जगह सरकार द्वारा शुरू की गई डिजी-लॉकर व्यवस्था को लोगों के बीच लोकप्रिय बनाने में हमारी मदद करें. परिवहन विभाग ने डिजिटल व्यवस्था को प्रोत्साहित करते हुए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विकसित डिजी-लॉकर सुविधा रखने की अधिसूचना जारी की है.

सरकार द्वारा शुरू की गई डिजी-लॉकर या एम परिवहन एप के जरिए लोग अपने असली कागजों की इलेक्ट्रॉनिक प्रति को मूलप्रति के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे लोगों को हर जगह अपने असली कागजात कैरी करने से छुटकारा मिल जाएगा और वो आसानी से इनको एक एप में रख सकते हैं. इसका एक और फायदा यह भी होगा कि पूर्व में जैसे यात्री हर जगह अपने असली कागजात लेकर चला करते थे, तो इससे उसके खो जाने का डर भी ज्यादा रहता था. अब आप बिना किसी चिंता के अपने सारे जरूरी कागजातों को डिजी-लॉक के जरिए सेफ और सुरक्षित रख सकते हैं.

इस एप को ऐसे करें डाउनलोड :

– फोन में गूगल प्ले स्टोर से डिजी लॉकर मोबाइल एप को इंस्टॉल करें.

– इसे अपने आधार से लिंक करें.

– एप में ड्राइविंग लाइसेंस नंबर डालें

– फिर जरूरत अनुसार नाम, जन्मतिथि और पिता का नाम साझा करें.

– सिस्टम आपकी अन्य जानकारियां सर्च कर लेगा और सही जानकारी मैच होने पर आपके डॉक्यूमेंट लोड हो जाएंगे.

भाग कर शादी करने वालों को कोर्ट की निर्देशिका


पति अपनी पत्नियों के नाम से करें कम से कम 50 हजार से लेकर 3 लाख रुपए का फिक्स्ड डिपोजिट


पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने घर से भागकर शादी करने वाले जोड़ों के लिए एक खास निर्देश जारी किया है. कोर्ट ने कहा है कि ऐसे जोड़े जो अपने घरवालों की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी करते हैं, उन्हें लेकर अक्सर हमारे पास यह शिकायत आती है कि शादी के कुछ महीने या सालों बाद पति पत्नी को अकेला छोड़कर भाग जाता है. लड़की अकेली रह जाती है.

किसी किसी मामले में उसके साथ छोटे-छोटे बच्चे भी होते हैं. ऐसे में महिला असहाय या लाचार ना रह जाए, यह सुनिश्चित करते हुए हाई कोर्ट ने पतियों को अपनी पत्नी के नाम से कम से कम 50 हजार से लेकर 3 लाख रुपए का फिक्स्ड डिपोजिट करने का आदेश दिया है. यह आदेश उन्हीं जोड़ो पर लागू होता है जो परिवार और समाज के खिलाफ जाकर शादी करते हैं और पुलिस सुरक्षा के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हैं.

 

बता दें कि औसतन हर रोज 20-30 जोड़े हाईकोर्ट का रुख करते हैं. इन मामलों में दो अलग-अलग जातियों से ताल्लुक रखने वाले लोग एक-दूसरे के प्यार में पड़ जाते हैं. फिर घर, बिरादरी और समाज के लोग जब इनकी शादी के खिलाफ हो जाते हैं तो इनके पास भागने के अलावा कोई चारा नहीं बचता. ऐसे में ये भाग तो जाते हैं पर इज्जत और प्रतिष्ठा में अंधे घर-परिवार और समाज के लोग इनकी जान के पीछे पड़ जाते हैं और कुछ इसी तरह अपनी जान को बचाने के लिए ये जोड़े पुलिस सुरक्षा के लिए कोर्ट का रुख करते हैं.

पूर्व में तो कोर्ट ऐसे मामलों में केवल पुलिस को सुरक्षा देने का आदेश दे देती थी. लेकिन इधर कुछ दिनों से वह फिक्स्ड डिपोजिट करवाने का निर्देश भी देने लगी है.

पी.बी बजनथारी ने 27 जुलाई से लेकर अब तक कुल 4 मामलों में ऐसे निर्देश दे दिए हैं.


चलते चलते: 

अरे भाई लोग कैसे भाग कर शादी कर लेते हैं, हम को तो बिस्तर से उतर कर चार्जर लेने में ही मौत आ जाती है।

 

‘खट्टर हम से सीख ले, कि सही मायनों में विकास कैसे होता है’: केजरीवाल


  • महागठबंधन में शामिल पार्टियों की  देश के विकास में कोई भूमिका नहीं रही है: केजरीवाल

  • चुनाव अकेले लड़ने की घोषणा 


महागठबंधन में शामिल पार्टियों की  देश के विकास में कोई भूमिका नहीं रही है: केजरीवाल

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यह ऐलान किया है कि 2019 का लोकसभा चुनाव उनकी पार्टी अकेले ही लड़ेगी. वह बीजेपी के खिलाफ बनी संभावित महागठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी. केजरीवाल ने कहा कि जो पार्टियां संभावित महागठबंधन में शामिल हो रही हैं, उनकी देश के विकास में कोई भूमिका नहीं रही है. उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार ने दिल्ली में कराए जाने वाले विकास कार्यों में रोड़े अटकाए हैं.

केजरीवाल ने गुरुवार को रोहतक में कुछ संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी हरियाणा में विधानसभा चुनाव के साथ-साथ लोकसभा की सभी सीटों पर भी चुनाव लड़ेगी.

केजरीवाल ने दिल्ली के रुके हुए कामों के लिए केन्द्र की मोदी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि उनके हर उस कदम को रोका गया जो आम जनता की भलाई के लिए कहा था. उन्होंने दावा किया, ‘हमने दिल्ली में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्रों में क्रांतिकारी काम किए हैं.’

उधर बीजेपी को निशाना बनाते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी धर्म के नाम पर सिर्फ दिखावा कर रही है. उसे लोगों की भावनाओं से कोई लेना-देना नहीं है. हरियाणा की बीजेपी सरकार को भी आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने दिल्ली के मुकाबले हरियाणा को विकास के क्षेत्र में जहां पिछड़ा हुआ करार दिया तो वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री को सलाह भी दे डाली कि ‘वो हम से सीख ले कि सही मायनों में विकास कैसे होता है.’

केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार जब पूर्ण राज्य न होते हुए भी बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति ला सकती है तो हरियाणा में खट्टर सरकार ऐसा क्यों नहीं कर सकती है. केजरीवाल ने अंबाला के शहीद हुए जवान के परिवार के लिए हरियाणा सरकार से एक करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता की मांग की है.