Two full time professions will now go hand in hand for Politicians

Courtsey: Bar & Bench :

The Supreme Court today ruled that Members of Parliament and Members of Legislative Assemblies (MPs and MLAs) cannot be barred from practicing law.

The Court made it clear that Rule 49 of the the Bar Council of India Rules is applicable only to full-time salaried employees, and does not cover legislators within its ambit.

The judgment was delivered by a Bench of Chief Justice Dipak Misra and Justices AM Khanwilkar and DY Chandrachud in a petition filed by advocate and BJP Spokesperson Ashwini Kumar Upadhyay.

Upadhyay had filed the petition praying that legislators be debarred from practicing as Advocates (for the period during which they are Members of Parliament or State Assembly), in the spirit of Part-VI of the Bar Council of India Rules.

Senior Advocates Kapil Sibal and Dr. AM Singhvi are Parliamentarians representing the Congress Party.

In the alternative, he had sought for a direction to quash Rule 49 of the Bar Council of India Rules as ultra vires the Constitution and its basic structure, and to permit all Public Servants to practice as Advocates.

The Bar Council of India (BCI) too had issued notice to MPs, MLAs and MLCs who continue to practice law, following Upadhyay’s submission that since the legislators are being paid salary by the government, they cannot be allowed to practice, as per the Advocates Act and BCI Rules.

Interestingly, the Central government through Attorney General KK Venugopalhad opposed the petition,  contending that a Member of Parliament (MP) is an elected representative, and is not a full-time employee of the Government of India, and hence cannot be stopped from practicing law.

“They are doing a public service in their capacity as an MP. You can’t stop a person from practising a profession. It is a fundamental right to carry on a profession”, Venugopal had argued.

Senior Counsel Shekhar Naphade had represented the petitioner.

Questionable verdict. They are treated as public servants in corruption cases against them. There can be conflict of interest when a law which is to be enacted is against the interest of their clients and they vote against it even if it is in public interest.

Advocate/ legal profession is fulltime profession. Public representative viz. M.P./ MLA are bound to duty serve public full time. They can not say that they will serve/ perform their duties for part time either way.
In both position full time duty is badly required. So they should be banned from practising. According  to me, SC must review its Judgment.

When they are urgently required, either at Court or for Public duties, they are not available.
Even there are all possibilities of conflict of timing while dicharging their duties.
MLA-MP are getting undue advantages in profession. They are softly treated in court and they are getting government briefs.

तो क्या अब दाग अच्छे हैं ????


  • अब कानून तोड़ने वालों को होगी कानून बनाने कि आज़ादी

  • 1581 जन प्रतिनिधि आपराधिक मामलों में संलिप्त

  • राजनेताओं पर 3045 आपराधिक मामले दर्ज


25 सितम्बर, सारिका, पुरनूर :

उच्चतम न्यायालय ने अपने हाथ बंधे होने का हवाला देते हुए कहा कि राजनैतिक पार्टियाँ ही अपने दागी नेताओं को चुनाव लड़ने से रोकना चाहें तो रोक सकतीं हैं. इसके लिए नयायपालिका कि कुछ सीमाएं हैं इस लिए विधानपालिका ही इस पर क़ानून बना सकती है.

यह बात नयायपालिका उस समय कह रही है जबकि चुनाव टिकट बाँटने में अब समय नहीं बचा है.

उच्चतम न्यायलय ने ओउप्चारिकता निभाते हुए राजनैतिक नैतिकता पर सिर्फ भाषण दिया और कहा कि राजनैतिक अप्रधिकर्ण एक रिवाज बन गया है जो कि बहुत चिंता जनक है.

राज्य इस राजनैतिक आपराधिक व्यवस्था का शिकार न हों इसके लिए राजनैतिक पार्टियाँ ही तय करें कि क्या वह अपने दागी छवि वाले नेताओं को चुनावी मैदान  में उतारना चाहतीं हैं या नहीं, साथ ही उन्होंने कहा कि राजनैतिक  पार्टियाँ अपे दागी नताओं को और उनके खिलाफ चल रहे मामलों का पूरा ब्यौरा अपनी website पर डालें.

यह फैसला सुप्रीम कोरट के ही २००२ के फैसले का एक्सटेंशन है.

आपको बता दें राजनेताओं के विरूद्ध 1581 आपराधिक मामले विभिन्न न्यायालयों में लंबित हैं. ज़यादा मामले महिलाओं के प्रति अपराध के हैं.

आमतोर पर इन मामलों में केवल 40% मामलों ही में सजा हो पाती है उसी में भी यदि सजा 2 वर्ष से कम है तो उसी समय जमानत भी मिल जाती है. अन्य आपराधिक मामलों में केवल 30% मामलों ही में सज़ा हो पाती है. ऐसी स्थिति में न्याय पालिका कैसे सोच सकती है कि देश को स्वास्थ्य विधानपालिका मिल सकती है.

न्यायपालिका के 5 न्यायाधीशों कि बेंच ने फैसला लिया कि आरोप तय होने पर चुनाव लड़ने पर रोक लगाना सही नहीं.

आपको बता दें अब तक दो साल से अधिक कि सज़ा होने पर ही चुनाव लड़ने पर रोक का प्रावधान था, इसके अतिरिक्त कुछ ख़ास किस्म के आपराधिक मामलों में दो वर्ष से कम कि सजायाफ्ता नेताओं पर भी रोक लगाए जाने का प्रावधान था.

अब सवाल यह है कि बहुत से सामजिक मामलों में स्वयं संज्ञान लेने और पुराणी परम्पराओं को तोड़ने वाले बड़े फैसले सुनाने वाली न्यायपालिका के हाथ इन मामलों में कैसे बंध जाते हैं. पाने द्वारा ही अपराधी घोषित करने के बावजूद देश को आपराधि के हाथ सोंप देना और अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ना कहाँ तक तर्कसंगत है?  अपराधी राजनीतिज्ञों के मामलों में अपने बंधे हाथों का हवाला देते हुए न्यायलय ने गेंद संसद के पाले में दाल दी. अब देखना यह है कि संसद इस मामले में क्या करती है, क्योंकि कुछ राज्यों में तो चुनाव आचार संहिता लागो होने वाली है. ऐसे में तो कोई अध्यादेश भी जारी नहीं किया जा सकता है. सबसे बड़ी बात यदि राजनैतिक दल चाहते तो नौबत यहाँ तक आती ही क्यों? उससे भी ऊपर राजनैतिक दल स्वच्छ और स्वास्थ्य छवि वाले नेता कहाँ से लाय्न्गी.

यह मसला विधान पालिके में फैंकने कि बजाय न्यायालय ने अपने विवेक से फैसला देता तो सर्वदा मानी होता क्योंकि क़ानून कि नज़र में अपराधी अब देश कि बागडोर संभालेंगे.

संविधान सरंक्षक के बंधे हाथ हज़म नहीं हो रहे.

Protocol Revision: Prez loses ‘majesty’ status, no ‘honourable’ tag for ministers

Chandigarh: September 24, 2018: Department of General Administration, Punjab, has directed all government officers to stop using salutation for the President as “His/Her excellency ” and the ministers as “Honourable”.

From now on, the officers will use “Mahodya” and “Ji” during communications.

The directions have been issued on basis of a letter issued by Joint Secretary, Government of India, Daniel E Richards in which he drew attention to the office memorandum issued by the Home Ministry on January 31, 2013, which cited that official language be put into use instead of the usual salutations.

In the communique sent to officers in Punjab, it has been directed that the in the official communications, Governor should be addressed as “Rajyapal ji” and during public appearances, he/she should be addressed as “Rajyapal Mahodya”.

Similarly, Chief Minister should simply be addressed as “chief minister ji” in the official communications and be addressed as “chief minister Punjab” during public appearances. The President would be simply called “Rashtrapati ji” in official terms and “Rashtrapati Mahodya” during public appearances, functions, gatherings, etc.

As per the official language, the ministers shall be addressed on basis of departments under their jurisdiction. For example, minister of the health department be titled as “health minister”. During any public gatherings, “Ji” would be added to the title, for example, “health minister ji”.

बारिश से हाल बेहाल

 

पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ एडवाईडजर जारी, कहीं छात्रों की बस डूबी, कही मकान बहे, देश दुनिया से मनाली कटा, टे्रनों में पानी भरा, आवाजाही ठप्प

चंडीगढ़। उत्तरी भारत में पिछले दो दिनों से हो रही लगातार बारिश से पंजाब, हरियाणा, हिमाचल व चंडीगढ़ में अलर्ट जारी कर दिया गया है। आई तेज बारिश से कहीं पर स्कूली छात्रों की बस पानी में बह गई है कहीं पर मकान गिरने से कई लोग दब गए है जबकि हिमाचल में कई जगह पहाडिय़ां गिरने से आवाजाही ठप्प हो गई है। जबकि मनाली देश के अन्य भागों से कट गया है। इसी प्रकार घग्गर नदी का जहां जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। वहीं पर प्रशासन ने बाढ़ आपदा प्रबंधन को सतर्क कर दिया है। वहीं हरियाणा व पंजाब में अलर्ट जारी कर दिया गया है।

इस बार बेहतर पैदावार की उम्मीद में बैठे किसानों के सपने टूट गए हैं। बारिश ने फसलों को बुरी तरह से प्रभावित किया है। असमय हुई बारिश का धान, कपास और अन्य फसलों पर काफी बुरा असर हुआ है। किसानों ने बारिश सेे खराब हुई फसलों की विशेष गिरदावरी कराकर मुआवजा देने की मांग की है।

हिमाचल प्रदेश के सभी जिलों में जनजीवन अस्तव्यस्त, भूस्खलन के चलते मार्ग हुआ अवरूद्ध…

शिमला। हिमाचल प्रदेश में बीते 48 घंटे में झमाझम बारिश हो रही है। प्रदेश के बारह जिलों में जनजीवन अस्तव्यस्त है। सबसे अधिक बारिश सूबे के चंबा जिले में हुई है। जबकि सबसे ज्यादा तबाही कुल्लू जिले में हुई है। यहां पर बस और ट्रक के अलावा कई वाहन बह गए हैं। आनी क्षेत्र में भूस्खलन के चलते आनी-शवाड-कराणा मार्ग हुआ अवरुद्ध है। चंडीगढ़-मनाली हाईवे मंडी से लेकर मनाली तक कई जगह से बंद है। मंडी जिले में भी बारिश का कहर देखने को मिला है। ओट के पास चंडीगढ़ मनाली हाईवे पर ब्यास नदी का पानी आने से इस हाईवे को बंद कर दिया गया है। वहीं, मंडी पंडोह और लारजी डैम के गेट खोले गए हैं। मंडी जिले में भी बारिश का कहर देखने को मिला है। ओट के पास चंडीगढ़ मनाली हाईवे पर ब्यास नदी का पानी आने से इस हाईवे को बंद कर दिया गया है। वहीं, मंडी पंडोह और लारजी डैम के गेट खोले गए हैं।

चंबा में रावी नदी पूर उफान पर है। कई संपर्क मार्ग बंद हो गए हैं। भारी बारिश औऱ रावी नदी में बाढ़ के चलते उपायुक्त चंबा ने की इमरजेंसी बैठक की है। नवोदय स्कूल के बच्चों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने के निर्देश जारी किए हैं। बालू पुल पर सब तरह के वाहनों और पैदल चलने वालों के लिए बन्द किया है। भारी बारिश औऱ रावी नदी में बाढ़ के चलते उपायुक्त चंबा ने की इमरजेंसी बैठक की है। नवोदय स्कूल के बच्चों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट करने के निर्देश जारी किए हैं। बालू पुल पर सब तरह के वाहनों और पैदल चलने वालों के लिए बन्द किया है। चम्बा तीसा मार्ग राठ के पास भूस्खलन की वजह से बन्द हो गया है।

कांगड़ा में सल्ली गांव पूरी तरह से भूस्खलन की चपेट में आ गया हैं। 300 लोगों ने आधी रात को घरों से भाग कर अपनी जान बचाई है। भूस्खलन से एक गांव में 300 लोगों को देर रात रेस्क्यू किया गया है. मंत्री सरवीण चौधरीं गज खड्ड का जायजा लेने पहुंचीं हैं। साथ ही कांगड़ा के रजोल जायजा लिया है।सिरमौर जिले में भारी बारिश का सिलसिला लगातार जारी है। जिला में कई संपर्क में यातायात के लिए पूरी तरह से बाधित हैं। यहां सिरमौर में गिरी नदी में महिला के बहने की खबर है। कई स्थानों पर जान जोखिम में डालकर लोग सफर कर रहे हैं।

शिमला में बारिश की वजह से ठंड बढ़ गई है। यहां पारा लुढ़का है। शिमला के रामपुर, नारकंडा, कुमारसैन, सराहन ननखंडी में बीते तीन दिनों से लगातार बारिश से जनजीवन सामान्य है। कहीं से किसी नुकसान की खबर नहीं है। एहतियातन के तौर पर सभी स्कूल कालेज बंद हैं।सोलन में बारिश की वजह से नालागढ़ में नुकसान हुआ है। यहां पर रामशहर मार्ग पर भूस्खलन हुआ है। शिलणु पुल के पास सड़क पर पहाड़ी से मलबा गिरा है। यहा मार्ग बीते 10 घंटों से बंद है। लोगों को आने-जाने में भारी परेशानी हो रही है।

किन्नौर जिले में भी आसमान से सितम का बरसना जारी है। जिले की पहाडयि़ों में पर बर्फबारी और निचली क्षेत्रों में बारिश हो रही है। कई स्थानों पर एनएच अवरूध है। साथ ही सेब तुडान प्रभावित हुआ है। ऊना में भी जमकर बारिश हो रही है। हालांकि, यहां पर स्कूल और कॉलेज सामान्य दिनों की तरह खुले हुए हैं।बिलासपुर में लगातार भारी वर्षा के चलते सभी सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों में 24 सितम्बर को जिलाधीश विवेक भाटिया ने अवकाश घोषित किया है। साथ ही आम जनता को नदियों और नालों के तट पर ना जाने की अपील की है।  लाहौल स्पीति के केलांग में डेढ़ फुट बर्फबारी हुई है। केलांग इस वजह से देश और दुनिया से कट गया है. यहां पर जगह-जगह बिजली के पोल गिरे हैं। इस कारण बिजली सप्लाई बाधित हुई

28 से 30 सितंबर देश भर में पराक्र्म पर्व का आयोजन होगा

28 सितंबर से 30 सितंबर को देश भर में पराक्र्म दिवस मनाया जाएगा। यह पर्व भारत की सेना द्वारा पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की याद में मनाया जा रहा है। इसी दौरान सेना द्वारा फिल्मायी गयी सर्जिकल स्ट्राइक का वृत्तचित्र भी दिखाया जाएगा।

प्रधानमंत्री एवं रक्षा मंत्री इंडिया गेट में सेना और राष्ट्र के साथ इसमें उपस्थित रहेंगे।

जिस भी नेता के साथ भाजपा जुल्म और ज्यादती करेगी हम उसे कांग्रेस में शामिल कर खुद को गौरवान्वित महसूस करेंगे: प्रतापसिंह खाचरियावास

बाड़मेर के विधायक मानवेंद्र सिंह के बीजेपी छोड़ने के ऐलान के बावजूद पार्टी को उनके इस्तीफे का इंतजार है. वहीं कांग्रेस मानवेंद्र को गले लगाने को बेताब दिखाई दे रही है. जानकारों का मानना है कि मानवेंद्र के भाजपा छोड़ने के बाद अब मारवाड़ की राजनीति में नए जातीय और सामाजिक समीकरण बनकर उभरेंगे. इन समीकरणों में उनकी भूमिका अहम होगी.

मानवेन्द्र सिंह के पार्टी छोड़ने के बाद सीएम वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा के दौरान झुंझूनूं में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी स्वाभिमान रैली से अनजान बनते दिखाई दिए. मानवेंद्र सिंह के पार्टी छोड़ने के मुद्दे पर सैनी का कहना है कि उन्हें अभी तक सिंह का इस्तीफा नहीं मिला है. उनके पार्टी छोड़ने की उन्‍हें कोई खबर नहीं है.

स्वाभिमान रैली में गूंजे थे कांग्रेस जिंदाबाद के नारे:

इधर मानवेंद्र की स्वाभिमान रैली के बाद कांग्रेस उत्साहित दिखाई दे रही है. सिंह की स्वाभिमान रैली में कांग्रेस पार्टी जिंदाबाद के नारे खूब गूंजे थे. लिहाजा कांग्रेस के नेता पलक पावड़े बिछाकर उनका पार्टी में स्वागत करने को बेताब नजर आ रहे हैं. कांग्रेस नेता प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा मानवेंद्र सिंह जैसे नेताओं के लिए कांग्रेस में दरवाजे खुले हैं. जिस भी नेता के साथ भाजपा जुल्म और ज्यादती करेगी हम उसे पार्टी में शामिल कर खुद को गौरवान्वित महसूस करेंगे.

वहीं जानकार मानते हैं कि मानवेंद्र इस चुनाव में मारवाड़ की राजनीति में अहम किरदार साबित होंगे.

सिंह जल्द शुरू करेंगे अपना नया सियासी सफर:

मानवेन्द्र अपनी धन्यवाद यात्रा के बाद जल्द नए सियासी सफर का आगाज करेंगे. मानवेन्द्र का रास्ता कांटों भरा जरूर है, लेकिन उनके पास गिनाने के लिए भाजपा की नाइंसाफी है और हासिल करने के लिए जनता की सहानूभूति. नतीजे चाहे जो हों, मगर मारवाड़ की राजनीति में उनकी भूमिका खासी महत्वपूर्ण होने वाली है. उल्लेखनीय है कि मानवेन्द्र सिंह ने शनिवार को बाड़मेर के पचपदरा में स्वाभिमान रैली में बीजेपी छोड़ने की घोषणा कर दी थी.

रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के बारे में हम सिर्फ यही कहेंगे सूप बोले तो बोले, छलनी क्या बोले जिसमें एक हजार छेद हैं


कांग्रेस पार्टी ने पाकिस्तान के पीएम इमरान खान द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कहे गए अपशब्दों की आलोचना की है और उन्हें सेना-आईएसआई का मुखौटा बताया है


पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा भारत सरकार के बारे में दिए बयान की निंदा करते हुए कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि इमरान वहां की सेना और आईएसआई के मुखौटा हैं और उन्हें भारत की सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में ‘अपशब्द’ कहने का कोई अधिकार नहीं है.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के बारे में हम सिर्फ यही कहेंगे सूप बोले तो बोले, छलनी क्या बोले जिसमें एक हजार छेद हैं. जो आतंकवाद का जन्मदाता हैं उस पाकिस्तान को कोई अधिकार नहीं है कि भारत सरकार और प्रधानमंत्री के बारे में अपशब्द बोले. यह हमें कभी स्वीकार नहीं हो सकता.

उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जहां हमेशा शांति और भाईचारा पनपा है. जबकि पाकिस्तान ने आतंकवाद को बढ़ावा दिया है. वहां की सरकार और इमरान खान सेना एवं आईएसआई का मुखौटा है. इमरान कश्मीर की राग अलाप रहे हैं. हम उनकी बात को खारिज करते हैं.

दरअसल, प्रधानमंत्री खान ने एक ट्वीट में कहा, ‘शांति वार्ता फिर से शुरू किए जाने के लिए मेरे आह्वान पर भारत के अहंकारी और नकारात्मक रूख से निराश हूं.’

भारत द्वारा विदेश मंत्री स्तर की बैठक रद्द किए जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, ‘हालांकि मैंने अपने पूरे जीवन देखा है कि छोटे लोग बड़े पदों पर आसीन रहे हैं और उनके पास बड़ी तस्वीर देने का दृष्टिकोण नहीं हैं.

‘कमल का फूल बड़ी भूल’ : मानवेन्द्र सिंह ने थामा कांग्रेस का हाथ


कांग्रेस में जाने के सवाल पर मानवेंद्र ने कहा कि अब वह धन्यवाद यात्रा पर निकलेंगे, घर-घर जाकर लोगों को धन्यवाद देंगे और आगे की राजनीतिक राह भी उनकी राय से ही तय करेंगे


पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के बेटे और राजस्थान के शिव से बीजेपी विधायक मानवेंद्र सिंह जसोल ने शनिवार को पार्टी से औपचारिक रूप से नाता तोड़ लिया और कहा कि वह आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगे.

पचपदरा में अपनी बहु्प्रचारित स्वाभिमान रैली के बाद जसोल में मानवेंद्र ने कहा कि उन्होंने बीजेपी से नाता तोड़ लिया है और वह आगामी लोकसभा चुनाव घर (बाड़मेर-जैसलमेर सीट) से लड़ेंगे.

कांग्रेस में जाने के सवाल पर मानवेंद्र ने कहा कि अब वह धन्यवाद यात्रा पर निकलेंगे, घर-घर जाकर लोगों को धन्यवाद देंगे और आगे की राजनीतिक राह भी उनकी राय से ही तय करेंगे. इससे थोड़ी देर पहले ही मानवेंद्र ने कहा, ‘मैं अब बीजेपी में नहीं हूं.’

वहीं बाड़मेर के पास पचपदरा में अपनी बहुप्रचारित रैली में मानवेंद्र ने ‘कमल का फूल, बड़ी भूल’ कहते हुए पार्टी से नाता तोड़ने का संकेत दिया था.

इस स्वाभिमान रैली में बड़ी संख्या में राजपूत व अन्य वर्ग के लोग पहुंचे. रैली को संबोधित करते हुए मानवेंद्र ने कहा कि पार्टी आलाकमान व बड़े नेताओं के कहने पर वे साढ़े चार साल से धैर्य रखे हुए थे, लेकिन अब उनका धैर्य टूट गया है. उन्होंने कहा कि अपनी चिंताओं व मुद्दों के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व पार्टी अध्यक्ष को अवगत करवाया था. मानवेंद्र ने कहा,‘जब निर्णय लेने वाले निर्णय नहीं कर पाते तो धैर्य टूट जाता है.’

रैली में कांग्रेस जिंदाबाद के नारों के बीच मानवेंद्र ने ‘कमल का फूल, बड़ी भूल’ कहा.

मानवेंद्र और बीजेपी के रिश्ते बीते चार साल से तल्ख बने हुए थे. इसकी शुरुआत 2014 के आम चुनाव में पार्टी द्वारा जसवंत सिंह को टिकट नहीं दिए जाने से हुई. राजस्थान में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं.

“Disappointed at the arrogant and negative response by India to my call for resumption of the peace dialogue,” Khan


India’s decision came following nation-wide outrage over the brutal killings of Indian security personnel by Pakistan-based entities.


Lashing out at Prime Minister Narendra Modi in response to India’s decision to stay away from the peace dialogue, Pakistan’s new Prime Minister Imran Khan on Saturday said he was “disappointed at the arrogant and negative response by India”.

“Disappointed at the arrogant and negative response by India to my call for resumption of the peace dialogue,” Khan tweeted.

“However, all my life I have come across small men occupying big offices who do not have the vision to see the larger picture,” he added.


Imran Khan

@ImranKhanPTI

Earlier on Friday, New Delhi called off a meeting between Indian External Affairs Minister Sushma Swaraj and Pakistan Foreign Minister Shah Mehmood Qureshi which was scheduled to be held on the sidelines of the UN General Assembly (UNGA) session later this month.

The decision came following nation-wide outrage over the brutal killings of Indian security personnel by Pakistan-based entities.

India also lashed out at Pakistan’s new Prime Minister Imran Khan, saying his “true face” has been revealed to the world in his first few months in office.

The cancellation of the foreign ministers’ meeting came within 24 hours of India announcing that it has accepted the Pakistan PM’s request to Prime Minister Narendra Modi in a letter for such a meeting.

In a strongly-worded statement, External Affairs Ministry spokesperson Raveesh Kumar noted that since Thursday’s announcement of a meeting between the two foreign ministers, two deeply disturbing developments have taken place.

“The brutal killings of our security personnel by Pakistan-based entities and the recent release of a series of 20 postage stamps by Pakistan glorifying a terrorist and terrorism confirm that Pakistan will not mend its ways,” he said.

The spokesperson said the decision to agree to Pakistan’s proposal for a meeting between the foreign ministers was in response to the spirit reflected in the letters from the new Prime Minister and his Foreign Minister.

It is learnt that senior officials of the PMO and the External Affairs Ministry held a meeting on Friday afternoon and took note of the nation-wide outrage over the mutilation of the body of the BSF jawan near Jammu and the abduction and killing of three J-K policemen.

माया कि माय को भेदना आसान नहीं


गुरुवार को मायावती ने कांग्रेस के बागी अजीत जोगी के साथ छत्तीसगढ़ में गठबंधन कर लिया, जिसके बाद कांग्रेस ने कहा कि वह राज्य में अकेले ही चुनाव लड़ेगी, मध्य प्रदेश में भी वो अकेले मैदान में उतरने की तैयारी में हैं


बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती संभवतः समाजवादी पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के साथ मिल कर तीसरा मोर्चा बना सकती हैं. यह तीसरा मोर्चा आगामी राजस्थान चुनावों को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा. माना जा रहा है कि अगले साल लोकसभा चुनाव से पहले बीएसपी की ओर से कांग्रेस को यह तीसरा झटका होगा.

गुरुवार को मायावती ने कांग्रेस के बागी अजीत जोगी के साथ छत्तीसगढ़ में गठबंधन बना लिया. जिसके बाद कांग्रेस ने कहा कि वह राज्य में अकेले चुनाव लड़ेगी. मध्य प्रदेश में भी उन्होंने अब तक 22 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है.

राजस्थान के प्रभारी और सीपीआई के राष्ट्रीय सचिव अतुल कुमार अंजान ने इस खबर की पुष्टि की है. उन्होंने कहा, ‘पार्टी गठबंधन के लिए मायावती के संपर्क में है. जेडीएस और एसपी के साथ वामपंथी दलों ने तीसरा मोर्चा बनाया है. बीएसपी के भी इसमें शामिल होने पर हमें खुशी होगी. हम बीएसपी नेतृत्व के संपर्क में हैं. हालांकि बसपा कांग्रेस के साथ भी सीटों के मुद्दे पर संपर्क में है.’

छत्तीसगढ़ के उलट, जहां कांग्रेस गठबंधन करना चाह रही थी, वहीं राजस्थान में बीएसपी को साथ लेने के लिए तैयार नहीं है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने किसी भी गठबंधन के खिलाफ खुल कर सामने आए, क्योंकि पार्टी राज्य में अधिक आत्मविश्वास से लबरेज है, जहां हर पांच साल पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सत्ता परिवर्तन का इतिहास है.

अभी भी कांग्रेस के संपर्क में मायावती

हालांकि, बीएसपी के विश्वसनीय सूत्रों ने कहा कि मायावती अभी भी कांग्रेस हाई कमान के संपर्क में हैं और राज्य इकाई के स्टैंड के बावजूद दोनों के बीच गठबंधन पूरी तरह से इनकार नहीं किया गया है.

एक वरिष्ठ बीएसपी कार्यकर्ता ने कहा, ‘हम कांग्रेस और अन्य गैर-बीजेपी दलों के संपर्क में हैं. लेकिन, हम राजस्थान चुनावों में अकेले जाने की गंभीरता पर विचार कर रहे हैं.’ बता दें कि पिछले चुनावों में भी बीएसपी ने राज्य में गठबंधन में शामिल होने से इनकार कर दिया था और साल 2013 में 199 सीटों पर चुनाव लड़ा था. उसने 3 सीटें जीती थी और लगभग 5 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया था.

विश्लेषकों का कहना है कि इन तीनों राज्यों में हुए मौजूदा राजनीतिक परिवर्तनों से पता चलता है कि साल 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए कांग्रेस के लिए बीजेपी विरोधी गठबंधन बनाना आसान नहीं होगा. हवा बदले में गैर-बीजेपी और गैर-कांग्रेस पार्टियों के तीसरे मोर्चे की ओर उड़ सकती है.

हरियाणा में आईएनएलडी से हाथ मिला चुकी हैं मायावती

हरियाणा में भी बीएसपी-भारतीय राष्ट्रीय लोक दल के साथ आ गई है. हालांकि राज्य में विधानसभा चुनाव आम चुनाव के बाद हैं, पिछले महीने आईएनएलडी अध्यक्ष के साथ मायावती की बैठक साल 2019 के चुनावों के लिए बहुत महत्व रखता है.

प्रमुख राजनीतिक राज्य उत्तर प्रदेश में एसपी और बीएसपी दोनों सीट साझा करने में कांग्रेस को समायोजित करने के विचार से असहज हैं. आने वाले विधानसभा चुनावों में यह दिखेगा कि साल 2019 में सीट साझा करने की बातचीत कैसे होगी. एक मजबूत कांग्रेस बनी तो अधिक सीटों की मांग करने के लिए उसे सौदेबाजी करने की ताकत देगी और अन्य विपक्षी पार्टियां यह नहीं चाहेंगी.