Film on the biography of Shaheed Bhagat Singh shown to NSS volunteers of Panjab University

Chandigarh March 23, 2022

दिनांक 23 मार्च 2022 को पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ के एन.एस.एस स्वयंसेवकों को शहीदी दिवस के उपल्क्ष में भगत सिंह के जीवन पर एक फिल्म दिखाई गई। इस फिल्म को दिखाने का मुख्य उद्देश्य यह था कि हमारे देश के सभी युवाओं को इस बात का पता चल सके कि भगत सिंह व उसके साथियों के द्वारा किस तरह से भारत को आजाद करवाने के लिए कठिन संघर्ष किया गया और हमारा भारत किन मुश्किल हालातो में आजाद हुआ।

इसके साथ ही सभी स्वयं सेवकों को कार्यक्रम के अंत में पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ के सभी कार्यक्रम अधिकारियों के द्वारा स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए यह कहा गया कि हमें शहीद भगत सिंह के द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने की जरूरत है क्योंकि आज हमारे देश का युवा काफी प्रगतिशील है आज सभी युवाओं को भगत सिंह के जीवन से प्रेरणा लेते हुए अपने जीवन में आगे बढ़ने की जरूरत है।

 आज अगर हम अपने इन महान स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन को ध्यान में रखते हुए भारत के विकास में अपना योगदान देंगे तो इससे निश्चित तौर पर भविष्य में भारत विश्व शक्ति जरूर बनेगा। इस अवसर पर एन.एस.एस के कार्यक्रम अधिकारी डॉ.रोहित कुमार शर्मा, डॉ. लोकेश कुमार, डॉ. विवेक कपूर, डॉ. रिचा शर्मा व डॉ. भारती गर्ग आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम के उपरांत भगत सिंह के जीवन पर स्वयंसेवकों के लिए एक क्विज प्रतियोगिता का आयोजन भी किया गया।

 इसके साथ ही दिनांक 24 मार्च 2022 से यूनिवर्सिटी के अंदर सात दिवसीय विशेष शिविर की शुरुवात भी की जा रही है।

 सभी स्वयं सेवक इस कैंप में भाग लेने ले लिए काफी उत्साहित हैं क्योंकि कोरोना काल के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी में अब इस वर्ष साथ दिवसीय कैंप का आयोजन हो रहा है। सभी कार्यक्रम अधिकारियो के द्वारा इसकी तैयारियां पूर्ण रूप से मुकम्मल कर ली गई हैं।

Inaugural of NSS Seven Day Camp get off to a Spectacular Start in Panjab University

Chandigarh March 23, 2022

Prof Raj Kumar, Vice-Chancellor, Panjab University inagurated the NSS  Seven Day Special Camp on theme ‘Swachh Bharat Abhiyan’ and ‘Jal Shakti Abhiyan’ today I.e. 23.03.2022 as Chief Guest.

Programme Officer, Dr. Shankar Sehgal welcomed the Chief Guest and other Dignitaries, followed by the address of NSS Coordinator Prof. Ashwani Koul. Prof. Raj Kumar, Vice-chancellor and the Chief Guest of the event at the outset appreciated the NSS team for conducting the camp and apprised the audience that it is the first biggest offline event post covid-19 after a span of almost two years in the university auditorium. He focused in instilling the true values of NSS in the volunteers and encouraged the volunteers to keep on participating in more and more NSS events. He desired that the volunteers shall come ahead for social entrepreneurship with a view to resolve the 21st century’s issue in a sustainable manner.

Naveen Kumar, Programme Officer proposed a vote of thanks. The dignitaries including Prof. Jagtar Singh (DSW), Prof. Prashant Gautam,  Directorate of Sports & Fellow, Dr. Nidhi Gautam (Fellow and Warden, Girls Hostel-5), Dr. Parveen Goyal (Fellow), Dr. Arun Singh Thakur(Warden, Boys Hostel-7), Dr. J.S. Sehrawat (Warden, Boys Hostel-3), Dr. Ravinder Kaur Dhaliwal (Warden, International Hostel). The event proceeded with the cultural performances by  NSS Volunteers to instil the value of true Indian within the volunteers. To mark the Shaheedi Diwas, some poems and performances were also recited.

यूपी – हिमाचल के बाद हरियाणा में जबरन धर्मांतरण पर 10 साल तक की सजा, ₹5 लाख तक जुर्माना: विधानसभा से बिल पारित, कॉन्ग्रेस ने किया विरोध

जबरन धर्मांतरण साबित होने पर अधिकतम दस साल कैद व न्यूनतम पाँच लाख रुपए का जुर्माना होगा। इसके अलावा यदि शादी के लिए धर्म छिपाया जाता है तो 3 से 10 साल तक की जेल और कम से कम 3 लाख रुपए जुर्माना लगेगा। वहीं सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में 5 से 10 साल तक की जेल और कम से कम 4 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। इस विधेयक के तहत किया गया प्रत्येक अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होगा।

चंडीगढ़ संवाददाता, डेमोक्रेटिक फ्रंट(ब्यूरो) – 22 मार्च :

हरियाणा विधानसभा ने बल, अनुचित प्रभाव अथवा लालच के जरिए धर्मांतरण कराने के खिलाफ एक विधेयक मंगलवार को पारित किया। कांग्रेस ने विधेयक पर विरोध जताया और सदन से बर्हिगमन किया। विधानसभा में चार मार्च को पेश किया गया यह विधेयक मंगलवार को चर्चा के लिए लाया गया। इसके मुताबिक, साक्ष्य पेश करने की जिम्मेदारी आरोपी की होगी।

सरकार ने जबरन धर्मांतरण के विरुद्ध विधेयक में कड़े प्रावधान किए हैं। हरियाणा गैर-कानूनी धर्मांतरण रोकथाम विधेयक, 2022 (Haryana Prevention of Unlawful Conversion of Religion Bill, 2022) के मुताबिक, अगर लालच, बल या धोखाधड़ी के जरिए धर्म परिर्वतन किया जाता है तो एक से पाँच साल तक की सजा और कम से कम एक लाख रुपए के जुर्माना का प्रावधान है।

विधेयक के मुताबिक, जो भी नाबालिग या महिला अथवा अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराता है या इसका प्रयास करता है तो उसे कम से कम चार साल जेल का सजा मिलेगी, जिसे बढ़ाकर 10 साल और कम से कम तीन लाख रुपए का जुर्माना किया जा सकता है।

जबरन धर्मांतरण साबित होने पर अधिकतम दस साल कैद व न्यूनतम पाँच लाख रुपए का जुर्माना होगा। इसके अलावा यदि शादी के लिए धर्म छिपाया जाता है तो 3 से 10 साल तक की जेल और कम से कम 3 लाख रुपए जुर्माना लगेगा। वहीं सामूहिक धर्म परिवर्तन के संबंध में 5 से 10 साल तक की जेल और कम से कम 4 लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। इस विधेयक के तहत किया गया प्रत्येक अपराध संज्ञेय और गैर-जमानती होगा।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विधेयक पर बोलते हुए कहा कि इसका उद्देश्य किसी धर्म के साथ भेदभाव करना नहीं है। यह केवल जबरन धर्मांतरण के मामलों में काम करेगा। विधेयक में उन विवाहों को अवैध घोषित करने का प्रावधान है, जो पूरी तरह से एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण के उद्देश्य से किए गए हों। 

मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले 4 सालों में जबरन धर्मांतरण के 127 मामले दर्ज हुए हैं। धर्मांतरण एक बड़ी समस्या है। कोई अपनी इच्छा से कानूनी तरीके से अपना धर्म बदल सकता है, लेकिन अवैध धर्मांतरण के लिए अधिनियम पारित किया गया है।

वहीं नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि मौजूदा कानूनों में ही जबरन धर्मांतरण कराए जाने पर सजा का प्रावधान है, ऐसे में एक नया कानून लाए जाने की कोई जरूरत नहीं थी। कॉन्ग्रेस की वरिष्ठ नेता किरण चौधरी ने कहा कि यह विधेयक एक एजेंडे के साथ लाया गया है। इसका उद्देश्य समुदायों के बीच विभाजन को गहरा करना है, जो कि ‘अच्छा विचार’ नहीं है।

बता दें कि हरियाणा कैबिनेट ने धर्मांतरण रोकथाम विधेयक 2022 को पहले ही इजाजत दे दी थी। 4 मार्च 2022 को गृह मंत्री अनिल विज ने इस संबंध में विधानसभा में बिल पेश किया था। विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने राज्य सरकार के इस कदम की सराहना की थी। वीएचपी के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन ने कहा था कि इस बिल से राज्य सरकार ने अपने दृढ़ संकल्प को दिखाया है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में यह कानून बन चुका है।  

 BJP पर हमलावर ममता बनर्जी,’…कोई छींक दे तो कोर्ट चले जाते हैं’

बेनर्जी ने यहां एक कार्यक्रम के दौरान यह भी कहा कि उन्हें जिले का अपना दौरा एक दिन के लिए स्थगित करना पड़ा क्योंकि ”अन्य राजनीतिक दल पहले से ही वहां जुटे हुए हैं।’ विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी के नेता घटनास्थल पर जाते समय ‘लंगचा’ (पड़ोसी बर्दवान जिले के शक्तिगढ़ क्षेत्र में बनने वाली मिठाई) का स्वाद लेने के लिए रुक गए।”

कॉलकत्ता/नयी दिल्ली(ब्यूरो) :

पश्चिम बंगाल के बीरभूम में टीएमसी नेता की हत्या के बाद हिंसा फैल गई. यहां गुस्साई भीड़ ने करीब एक दर्जन घरों को आग के हवाले कर दिया। इस हिंसा में 8 लोगों की जलकर मौत हो गई। मरने वालों में 3 महिलाएं और 2 बच्चे भी शामिल हैं. बंगाल में हुई इस हिंसा पर राजनीति भी छिड़ गई है। बीजेपी ने ममता सरकार के खिलाफ मोरचा खोल दिया है। बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल आज बीरभूम जा रहा है. इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद सामने आई हैं और उन्होंने कहा है कि वो खुद कल बीरभूम जाएंगी। उन्होंने कहा कि जिन्हें बीरभूम जाना है जाएं, किसी को रोका नहीं जाएगा क्योंकि ये बंगाल है यूपी नहीं। हमें हाथरस जाने से रोका गया, बंगाल में किसी को छींक भी आ जाए तो बीजेपी कोर्ट चली जाती है।

ममता खुद कल रामपुरहाट का दौरा करेंगी। इससे पहले उन्होंने कहा कि उन्हें हमारे राज्य के लोगों की चिंता है। बनर्जी ने कहा, “सरकार हमारी है, हमें अपने राज्य के लोगों की चिंता है। हम कभी नहीं चाहेंगे कि किसी को तकलीफ हो। बीरभूम, रामपुरहाट की घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। मैंने तुरंत ओसी, एसडीपीओ को बर्खास्त कर दिया है। मैं कल रामपुरहाट जाऊंगी।” 

राज्यपाल पर हमला बोलते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ”यहां एक लाट साहब बैठे हैं और हर बार बयान दे रहे हैं कि पश्चिम बंगाल में हालात खराब हैं।” पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बुधवार को बीरभूम हिंसा पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को फटकार लगाई और कहा कि यह टकराव के असंवैधानिक रुख पर फिर से विचार करने का समय है ताकि लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवाधिकारों को बहाल किया जा सके और लोगों को दमनकारी ‘डर’ और पीड़ा से राहत मिल सके। 

धनखड़ की टिप्पणी बनर्जी के पत्र के जवाब में आई जिसमें उन्होंने राज्यपाल से “अनुचित बयान देने से परहेज करने और प्रशासन को बीरभूम हिंसा की निष्पक्ष जांच करने की अनुमति देने का आग्रह” किया था। राज्यपाल ने आरोप लगाया कि बनर्जी डायवर्सन रणनीति अपना रही हैं।

बीरभूम घटना पर HC ने बंगाल सरकार से माँगी रिपोर्ट, 24 घंटे का समय

पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में टीएमसी के पंचायत नेता भादू शेख पर 4 बदमाशों ने बम से हमला कर दिया था। इस घटना में उनकी बाद में मौत हो गई थी। इसके बाद TMC नेताओं के एक गुट ने इलाके में हिंसा को अंजाम देना शुरू कर दिया। उन्होंने शक के आधार पर कई घरों को आग लगा दी गई, जिससे एक ही घर में जिंदा जलकर 8 लोगों की मौत हो गई।  भारी तनाव को देखते हुए मौके पर बड़ी संख्‍या में अतिरिक्‍त पुलिस बलों को तैनात किया गया है।

डेमोक्रेटिक फ्रंट,नयी दिल्ली/ कोलकत्ता :

पश्चिम बंगाल में 8 लोगों को जिंदा जलाए जाने के घृणित अपराध मामले में बंगाल हाई कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए बुधवार (23 मार्च 2022) को सुनवाई की। राज्य की ओर से पेश वकील ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि जाँच के लिए कदम उठा लिए गए हैं। फॉरेंसिंक टीम भी पड़ताल कर रही है। रिपोर्ट 1-2 दिन में आ जाएगी।

राज्य वकील ने कोर्ट से अपील की कि इस केस को पहले ही दिन किसी और एजेंसी को न दिया जाए। उन्होंने अपनी तरह से कहा घटना का सारा सच सामने जल्द से जल्द आना चाहिए। चाहे जो करना पड़े। इस सुनवाई में सीबीआई ने भी कोर्ट को कहा कि वो ये केस लेने के लिए तैयार हैं। कोर्ट ने सुनवाई में चश्मदीद का नाम किसी कीमत पर न खोलने की बात की।

बार एंड बेंच के ट्वीट के अनुसार, सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस मामले में सबसे ज्यादा परेशान करने वाली चीज ही यही है कि इसमें पुलिस की भूमिका है। ऐसे में पुलिस को स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए निर्देश जारी करने की आवश्यकता है। कोर्ट ने मामले में हर पक्ष को सुनकर कहा कि निष्पक्ष जाँच सुनिश्चित करने के लिए और याचिकाओं को पंजीकृत किया गया है। घटना के लिए जिम्मेदार लोगों का पता लगाया गया है और कानून के हिसाब से उन्हें सजा दी जाएगी।

सुनवाई में बताया गया कि घटना के दो चश्मदीद थे। इनमें एक की मृत्यु हो गई और दूसरा नाबालिग है जिसे बचाने की सुरक्षित रखने की जरूरत है। याचिकाकर्ता की माँग है की सीएफएसएल दिल्ली की फॉरेंसिंक टीम को सबूत जुटाने के लिए बुलाया जाना चाहिए क्योंकि गठित की गई एसआईटी पर गंभीर संदेह है।

याचिका में उल्लेख है कि इस एसआईटी का एक सदस्य ज्ञानवंत सिंह भी है जिस पर साल 2007 में रिजवानुर रहमान नामक व्यक्ति के हत्या के आरोप हैं। वहीं अगला संजय सिंह है जिसे ईसीआई ने 2021 में चुनाव में हस्तक्षेप करने पर हटा दिया था। याचिका में दावा है कि जो भी एसआईटी गठित होती है उसमें इस ज्ञानवंत सिंह को जरूर शामिल किया जाता है।

दलीलों में कोर्ट के सामने ये भी कहा गया कि चश्मदीदों को पहले ही धमकी मिलने लगी है कि उन्होंने अपना गाँव तक छोड़ना शुरू कर दिया है। कोर्ट से स्थानीयों के लिए सुरक्षा की माँग की। कोर्ट ने इस पर आदेश दिए कि ग्रामीणों की सुरक्षा के लिए इंतजाम हों, उनकी विश्वास बहाली के लिए कदम उठाए जाएँ। कोर्ट ने माना कि डीजीपी जैसे अधिकारी बिन जाँच के बयान दे रहे हैं कि मामले में कोई राजनैतिक कोण नहीं है, जो कि बिलकुल गलत है।

पूरे मामले में पक्षों की दलील सुन कोर्ट ने राज्य सरकार को जाँच का मौका दिया है। कोर्ट ने कल 2 बजे तक इस संबंध में रिपोर्ट देने को कहा है। कोर्ट ने आदेश दिए हैं कि डिस्ट्रिक्ट जज की देखरेख में घटनास्थल पर पर्याप्त मेमोरी वाले कैमरे लगाए जाएँ और अगले आदेश तक इलाके की रिकॉर्डिंग की जाए। इसके अलावा दिल्ली से सीएफएसएल की टीम स्पॉट पर जाए और जरूरी सामग्रजी जुटा कर बिना देरी के जाँच करे।

बता दें कि अब इस मामले की सुनवाई कल यानी कि 24 मार्च को 2 बजे होगी। कोर्ट ने इन 24 घंटों (24 मार्च को 2 बजे तक के बीच) में राज्य को रिपोर्ट तैयार करने का समय दिया है और बाकी आदेशों का पालन करने को कहा है। कोर्ट ने ये भी सुनिश्चित करने को कहा है कि चश्मदीदों पर किसी तरह धमकाया न जाए और न ही कोई उन्हें प्रभावित करे। कोर्ट ने कहा कि सच जरूर सामने आना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल के बीरभूम के रामपुरहाट में टीएमसी नेता भादू शेख की बम हमले मौत के बाद हिंसा मचाई गई। उपद्रवियों ने टीएमसी नेता की मौत का बदला लेने के लिए इलाके के कई घरों को आग में झोंका जिसमें दावा है कि कुल 12 लोग जलकर मर गए। वहीं पुलिस मृतकों की संख्या 8 बताने में लगी है। सामने आए विजुअल्स बेहद परेशान करने वाले हैं जिसमें पुलिस घर के अंदर से मृतकों के कंकाल निकाल रही है। लोग इतना डरे हैं कि उन्होंने अपने घरों को छोड़कर दूसरी जगह जाना शुरू कर दिया है। स्थानीयों का कहना है कि वो भय से अपने घरों को छोड़ रहे हैं। पुलिस ने उन्हें किसी तरह की सुरक्षा नहीं दी। अगर दी होती तो ये सब नहीं होता।

अगर ‘हम’ हार गये तो राजनीति छोड़ देंगे : केजरीवाल

दिल्ली एमसीडी चुनाव को लेकर अरविंद केजरीवाल  ने एक बार फिर भाजपा पर हमला कर बोल दिया है। इस बार सीएम केजरीवाल ने भाजपा को खुला चैलेंज दे दिया है। उन्होंने चुनौती देते हुए कहा है कि भाजपा एमसीडी के चुनाव समय पर कराए और जीतकर दिखाए। केजरीवाल ने कहा कि अगर ‘हम’ (आआपा/अरविंदकेजरिवल) हार गये तो राजनीति छोड़ देंगे। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज शहीदी दिवस है। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु तीनों को आज फांसी पर लटकाया गया था। तीनों ने देश को आजाद कराने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी थी। देश आजाद हुआ, एक संविधान बना, संविधान में जनता को पूरी ताकत दी गई कि जनता अपनी सरकार चुनें और वह सरकार जनता के सपनों को पूरा करे।

नयी दिल्ली(ब्यूरो), डेमोक्रेटिक फ्रंट :

दिल्ली के तीनों नगर निगमों का चुनाव दिल्ली के उपराज्यपाल के आदेश से अनिश्चितकाल के लिए टाल दिया गया है। इस फैसले के बाद आम आदमी पार्टी लगातार मोदी सरकार पर हमलावर है। आम आदमी पार्टी का दावा है कि बीजेपी उनकी पार्टी से डर रही है, इसलिए उन्होंने चुनाव को टाल दिया। इसलिए इस मसले पर आप और बीजेपी एक-दूसरे के आमने-सामने आ गई है। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने तो पीएम मोदी को खुली चुनौती तक दे डाली है।

अरविंद केजरीवाल ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुलेआम चुनौती दी है, अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि “अगर भाजपा में हिम्मत हो तो वो एमसीडी के चुनाव समय पर करा कर और जीतकर दिखाएं, अगर ऐसा उन्होंने कर के दिखा दिया तो हम राजनीति छोड़ देंगे”

केजरीवाल ने बीजेपी को ललकारते हुए कहा कि दिल्ली नगर निगम के चुनाव टालना शहीदों का अपमान है जिन्होंने अंग्रेजों को देश से भगाकर देश में जनतंत्र स्थापित करने के लिए कुरबानियाँ दीं थीं। आज ये हार के डर से दिल्ली नगर निगम के चुनाव टाल रहे हैं, कल ये राज्यों और देश के चुनाव टाल देंगे। बीजेपी MCD के चुनाव टाल रही है कि दिल्ली के तीनों निगम एक कर रहे है क्या इस वजह से चुनाव टल सकते हैं? कल ये गुजरात हार रहे होंगे तो क्या ये कह कर टाल सकते हैं कि गुजरात और महाराष्ट्र को एक कर रहे हैं? क्या इसी तरह का कोई बहाना बना कर लोक सभा चुनाव टाले जा सकते हैं?

मीडिया रिपोर्ट्स द्वारा मिली जानकारी के अनुसार दावा किया जा रहा है कि केंद्र सरकार दक्षिण दिल्ली नगर निगम, उत्तर दिल्ली नगर निगम और पूर्व दिल्ली नगर निगम का विलय करके पुनः दिल्ली नगर निगम को स्थापित करना चाहती है। जिससे आप बेहद खफा नजर आ रही है। आआपा का कहना है कि इससे दिल्ली नगर निगम में सीटों की संख्या कम हो जाएगी जिस कारण एक बार फिर से सभी वार्ड के परिसीमन का कार्य शुरू होगा जो लम्बे समय तक चल सकता है।

पुष्कर सिंह धामी ने आज उत्तराखंड के 12वें मुख्यमंत्री

पुष्कर सिंह धामी ने आज उत्तराखंड के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्हें राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (रि.) ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। उनके साथ आठ मंत्रियों ने भी शपथ ली। शपथ ग्रहण समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा मौजूद हैं। इससे पहले, प्रदेश को रितु खंडूरी के रूप में पहली महिला स्पीकर मिली है। 

डेमोक्रेटिक फ्रंट, देहरादून(ब्यूरो) :

पुष्कर धामी की कैबिनेट को लेकर लगातार बने हुए सस्पेंस से परदा हट गया। धामी कैबिनेट में कौन मंत्री बनने जा रहा है। उन नामों का खुलासा होने के साथ ही बड़ी खबर यह है कि ऋतु खंडूड़ी को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है। खंडूड़ी पहली महिला होंगी, जो उत्तराखंड विधानसभा की अध्यक्ष बनेंगी। पिछली भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके सतपाल महाराज और धनसिंह रावत भी शपथ ग्रहण कर रहे हैं। लगातार दूसरी भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री के तौर पर धामी अपनी कैबिनेट के साथ बुधवार को शपथ ग्रहण करने जा रहे हैं। धामी के साथ उनके 9 मंत्री भी शपथ आज ले रहे हैं।

धामी कैबिनेट 2.0 में जिन चेहरों का शुमार हुआ है, उनमें सतपाल महाराज और धनसिंह रावत जैसे अनुभवी दिग्गजों के नाम शामिल हैं, तो इनके अलावा, बागेश्वर से लगातार चार बार विधायक बनने वाले चंदन राम दास भी शपथ ग्रहण समारोह के मंच पर हैं। उन्हें कैबिनेट में कौन सा विभाग मिलेगा, इसे लेकर अटकलें शुरू हो रही हैं। दलित समुदाय से आने वाले दास ने कहा कि वह अपनी भूमिका के लिए पूरी तरह तैयार हैं। बताया जा रहा है कि धामी की नयी टीम में युवाओं और अनुभवियों का संतुलन बनाया गया है।  शपथ लेने के क्रमानुसार धामी कैबिनेट के मंत्रियों के नाम देखिए।

एक नज़र में देखिए मंत्रियों के नाम

  1. सतपाल महाराज, चौबट्टाखाल विधायक
  2. गणेश जोशी, मसूरी विधायक
  3. धन सिंह रावत, श्रीनगर विधायक
  4. सुबोध उनियाल, नरेंद्रनगर विधायक
  5. रेखा आर्या, सोमेश्वर विधायक
  6. चंदन राम दास, बागेश्वर विधायक
  7. सौरभ बहुगुणा, सितारगंज विधायक

डीडीहाट से विधायक बिशन सिंह चुफाल कह चुके हैं कि अनुभवी नेताओं का नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। चुफाल पिछले मंत्रिमंडल में शामिल थे, लेकिन इस बार अब तक उन्हें कैबिनेट में शामिल किए जाने की सूचना नहीं है। इसके अलावा, ​पूर्व शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे के नाम को लेकर भी चर्चा रही, लेकिन शपथ लेने वालों में उनके नाम की पुष्टि भी अब तक नहीं हुई। वहीं, किच्छा के पूर्व विधायक राजेश शुक्ला ने कहा, नयी कैबिनेट में नये चेहरों को जगह मिलना चाहिए।

चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद में शहीदी दिवस पर दी वीर क्रांतिकारी सपूतों को श्रद्धांजलि।

संवाददाता जींद, डेमोक्रेटिक फ्रंट :

आज दिनांक 23 मार्च को चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद में वीर क्रांतिकारी शहीदों की याद में शहीदी दिवस के मौके पर श्रद्धा सुमन पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रोफेसर लवलीन मोहन व पूरे स्टाफ ने शहीद कैप्टन पवन खटकड़ की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि दी।

विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रोफेसर लवलीन मोहन ने सब को संबोधित करते हुए कहा कि आज के दिन का भारत के इतिहास में बहुत बड़ा महत्व है। आज हम सब भारत के उन वीर क्रांतिकारी सपूतों को समर्पित करते हैं जिन्होंने हमें आजादी दिलाने के लिए और अंग्रेजों से लोहा लेते हुए आज के दिन वीरगति को प्राप्त हो गए। आज पूरा देश उनकी शहादत को सलाम करता है। आज का दिन वह दिन है जब भगत सिंह उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी। यह दिन भारत के इतिहास में सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक हैं। उन्होंने बताया कि इन तीनों को बंधन पसंद नहीं था और छोटी सी उम्र में ही देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा और जुनून था। उन्होंने महात्मा गांधी के साथ मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी थी। वह उस समय के हर आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ हिस्सा लेते थे। अंग्रेजों में भी इन तीनों का खौफ इतना बढ़ गया था कि कोर्ट ने पहले 24 तारीख को फांसी देने का निर्णय किया था लेकिन उस समय ब्रिटिश सरकार को माहौल बिगड़ने का डर था। इसलिए उन्होंने उस समय यह सारे नियमों को दरकिनार करते हुए एक रात पहले तीनों क्रांतिकारियों को चुपचाप लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई। इन तीनों पर अंग्रेज अफसर सांडर्स की हत्या का आरोप था। यह बदला उन्होंने अपने क्रांतिकारी दोस्त चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु होने पर लिया था। इन क्रांतिकारी वीर सपूतों का बलिदान भारतवर्ष कभी नहीं भूल सकता। आज ऐसे ही वीर क्रांतिकारी सपूतों की वजह से हम लोग निडर होकर और खुली हवा में सांस ले रहे हैं। ऐसे वीर सपूतों को पूरा विश्व विद्यालय परिवार सलाम करता है और उनकी शहादत को दिल से नमन करता है।

इस मौके पर विश्वविद्यालय स्टेट ऑफिसर डॉ अजमेर, डॉ जसवीर सुरा, डॉ अनिल कुमार, डॉ नरेश देशवाल, डॉ जितेंद्र कुमार, डॉ प्रवीण गलावत , डॉ राकेश कुमार, डॉ जयपाल , डॉ राजेश कुमार, सिक्योरिटी ऑफिसर होशियार सिंह, कैंपस सुपरवाइजर समरजीत सिंह आदि मौजूद रहे।

गांधी और ‘CWC’ की आँख की किरकरी थे ‘शहीद भगत सिंह’

मोहन दास कर्मचंद गांधी ने कभी भी दिल से भगत सिंह की फांसी को रद्द करवाने का प्रयास नहीं किया।  18 फरवरी 1931 को उन्होंने खुद अपने एक लेख में ये माना था कि कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) कभी नहीं चाहती थी कि जब गांधी और वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच समझौते के लिए बातचीत शुरू हो तो इसमें भगत सिंह की फांसी को रद्द करवाने की शर्त जोड़ी जाए।  महात्मा गांधी ने ये जानते हुए भी उस समय भगत सिंह का खुल कर साथ नहीं दिया कि अंग्रेजी सरकार ने उनके खिलाफ एकतरफा मुकदमा चलाया था। वायसराय लॉर्ड इरविन ये भी कहा था कि “अगर गांधी इस पर उन्हें विचार करने के लिए कहते हैं, तो वो इस पर सोचेंगे।”

डेमोक्रेटिक फ्रंट :

सारिका तिवारी,

23 मार्च 1931 को महान क्रान्तिकारी भगत सिंह, सुखदेव थापर और शिवराम हरि राजगुरु को ब्रिटिश सरकार द्वारा लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी की सजा दी गई थी।  भगत सिंह कहते थे कि बम और पिस्तौल से क्रान्ति नहीं आती, क्रान्ति की तलवार विचारों की सान पर तेज़ होती है।  वो भारत को अंग्रेजों की बेड़ियों से आजाद देखना चाहते थे लेकिन आजादी से 16 साल 4 महीने और 23 दिन पहले ही उन्हें फांसी दे दी गई और उन्होंने भी हंसते हुए अपनी शहादत को गले लगा लिया।  इसी सिलसिले में ये जानना भी जरूरी है कि भगत सिंह, महात्मा गांधी की आंखों में चुभने क्यों लगे थे?

महात्मा गांधी का हुआ था विरोध

      भगत सिंह की फांसी से सिर्फ 18 दिन पहले ही महात्मा गांधी ने 5 मार्च 1931 को भारत के तत्कालीन Viceroy Lord Irwin के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे इतिहास में Gandhi-Irwin Pact कहा गया।  इस समझौते के बाद महात्मा गांधी का जमकर विरोध हुआ, क्योंकि उन पर यह आरोप लगा कि उन्होंने Lord Irwin के साथ इस समझौते में भगत सिंह की फांसी को रद्द कराने के लिए कोई दबाव नहीं बनाया।  जबकि वो ऐसा कर सकते थे।

      महात्मा गांधी ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ वर्ष 1930 में जो सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू किया था, वो कुछ ही महीनों बाद काफी मजबूत हो गया था।  इस आन्दोलन के दौरान ही महात्मा गांधी ने 390 किलोमीटर की दांडी यात्रा निकाली थी और उन्हें 4 मई 1930 को गिरफ्तार कर लिया गया था।

25 जनवरी 1931 को जब महात्मा गांधी को बिना शर्त जेल से रिहा किया गया, तब वो ये बात अच्छी तरह समझ गए थे कि अंग्रेजी सरकार किसी भी कीमत पर उनका आंदोलन समाप्त कराना चाहती है।  और इसके लिए वो उनकी सारी शर्तें भी मान लेगी।  और फिर 5 मार्च 1931 को ऐसा ही हुआ।

समझौते के दौरान नहीं हुई चर्चा

      वायसराय लॉर्ड इरविन ने गांधी-इरविन पैक्ट के तहत नमक कानून और आंदोलन के दौरान गिरफ्तार हुए नेताओं को रिहा करने पर अपनी सहमति दी तो महात्मा गांधी अपना आंदोलन वापस लेने को राजी हो गए।  लेकिन इस समझौते में यानी इस दौरान भगत सिंह की फांसी का कहीं कोई जिक्र नहीं हुआ।  1996 में आई किताब The Trial of Bhagat Singh में वकील और लेखक A.G. Noorani लिखते हैं कि महात्मा गांधी ने अपने पूरे मन से भगत सिंह की फांसी के फैसले को टालने की कोशिश नहीं की।  वो चाहते तो ब्रिटिश सरकार पर बने दबाव का इस्तेमाल करके तत्कालीन वायसराय को इसके लिए राजी कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. 1930 और 1931 का साल भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में काफी अहम साबित हुआ।

वो भगत सिंह का दौर था

      ये वो समय था, जब देश में लोगों की ज़ुबान पर महात्मा गांधी का नहीं बल्कि शहीद भगत सिंह का नाम था।  लोगों को ऐसा लगने लगा था कि महात्मा गांधी देश को अंग्रेजों से आजाद तो कराना चाहते हैं लेकिन इसके लिए वो अंग्रेजों के बुरे भी नहीं बनना चाहते।  जबकि भगत सिंह का मकसद बिल्कुल साफ था।  वो अंग्रेजों को किसी भी कीमत पर देश से भगाना चाहते थे।  और बड़ी संख्या में लोगों का प्यार और समर्थन भी उन्हें मिल रहा था।

       23 March को जब लाहौर सेंट्रल जेल में भगत सिंह को फांसी की सजा दी गई, तब इससे कुछ ही घंटे पहले महात्मा गांधी ने लॉर्ड इरविन (Lord Irwin) को एक चिट्ठी लिखी थी इसमें उन्होंने लिखा था कि ब्रिटिश सरकार को फांसी की सजा को कम सजा में बदलने पर विचार करना चाहिए।  उन्होंने लिखा था कि इस पर ज्यादातर लोगों का मत सही हो या गलत लेकिन लोग फांसी की सजा को कम सजा में बदलवाना चाहते हैं।  उन्होंने ये लिखा था कि अगर भगत सिंह और दूसरे क्रान्तिकारियों को फांसी की सजा दी गई तो देश में आंतरिक अशांति फैल सकती है।  लेकिन उन्होंने इस चिट्ठी में कहीं ये नहीं लिखा कि भगत सिंह को फांसी की सजा देना गलत होगा।  उन्हें बस इस बात का डर था कि लोग इसके खिलाफ हैं और अगर ये सजा दी गई तो हिंसा जैसा माहौल बन सकता है।  महात्मा गांधी इस चिट्ठी में बताया कि वायसराय लॉर्ड इरविन ने पिछली बैठक में अपने फैसले को बदलने से मना कर दिया था।  लेकिन उन्होंने ये भी कहा था कि अगर गांधी इस पर उन्हें विचार करने के लिए कहते हैं, तो वो इस पर सोचेंगे।

कांग्रेस वर्किंग कमेटी क्या चाहती थी?

      महात्मा गांधी ने कभी भी दिल से भगत सिंह की फांसी को रद्द करवाने का प्रयास नहीं किया।  18 फरवरी 1931 को उन्होंने खुद अपने एक लेख में ये माना था कि कांग्रेस वर्किंग कमिटी (CWC) कभी नहीं चाहती थी कि जब गांधी और वायसराय लॉर्ड इरविन के बीच समझौते के लिए बातचीत शुरू हो तो इसमें भगत सिंह की फांसी को रद्द करवाने की शर्त जोड़ी जाए।  महात्मा गांधी ने ये जानते हुए भी उस समय भगत सिंह का खुल कर साथ नहीं दिया कि अंग्रेजी सरकार ने उनके खिलाफ एकतरफा मुकदमा चलाया था।

अंग्रेजों की पुख्ता साजिश और दिखावा

      भगत सिंह को फांसी की सजा ब्रिटिश पुलिस अफसर John Saunders की हत्या के लिए हुई थी।  लेकिन इस मामले में अंग्रेजी सरकार मुकदमा शुरू होने से पहले ही भगत सिंह के खिलाफ अपना फैसला सुना चुकी थी।  इसके लिए तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन ने 1 मई 1930 को एक अध्यादेश पास किया था।  जिसके तहत हाई कोर्ट के तीन जजों का स्पेशल Tribunal बनाया गया जिसका मकसद था भगत सिंह को जल्दी से जल्दी फांसी की सजा देना।  बड़ी बात ये थी कि इन तीनों जजों के फैसले को भारत की ऊपरी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती थी।  अपील के लिए सिर्फ एक विकल्प दिया गया था जो काफी मुश्किल था।  इसमें इंग्लैंड की Privy Council में ही इस फैसले को चुनौती देने की छूट थी।  यानी ये विकल्प पूरी तरह दिखावटी था।

महात्मा गांधी सब जानते थे फिर भी चुप रहे

      इसके अलावा जब भगत सिंह के खिलाफ हत्या का मुकदमा चलाया जा रहा था।  तब उनके वकील राम कपूर ने अदालत से 457 गवाहों से सवाल पूछने की इजाजत मांगी थी।  लेकिन उन्हें सिर्फ पांच लोगों से ही सवाल पूछने की मंजूरी मिली।  यानी भगत सिंह के खिलाफ एकतरफा मुकदमा चला और ब्रिटिश सरकार ने न्याय के सिद्धांत का भी गला घोंट दिया।  और इस तरह 7 अक्टूबर 1930 को भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी की सजा सुना दी गई।  लेकिन इससे भी ज्यादा हैरानी की बात ये है कि महात्मा गांधी ये सारी बातें जानते थे. उन्हें पता था कि अंग्रेजी सरकार भगत सिंह को मौत की सजा देने के लिए बेकरार है।  लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी भगत सिंह की फांसी रद्द करवाने के लिए कोई आन्दोलन, कोई हड़ताल नहीं की।

महात्मा गांधी को दिखाए गए थे काले झंडे

      और ये बात उस समय के भारत के लोगों को काफी चुभ रही थी।  और यही वजह है कि इस फांसी के तीन दिन बाद जब 26 मार्च 1931 को कराची में कांग्रेस का अधिवेशन शुरू हुआ, उस समय महात्मा गांधी के फैसले से नाराज लोगों ने उन्हें काले झंडे दिखाने शुरू कर दिए।  माना जाता है कि महात्मा गांधी इस विरोध से बचने के लिए ट्रेन में भगत सिंह के पिता को अपने साथ ले गए थे।  और उन्होंने इस अधिवेशन के दौरान एक प्रस्ताव में भगत सिंह के भी कुछ विचारों को शामिल करने पर अपनी सहमति दी थी, जिससे उनके खिलाफ नाराजगी कम हो सके।

साभार’डीएनए”

Rashifal

राशिफल, 23 मार्च 2022

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी भी व्यक्ति के बारे में जानने के लिए उसकी राशि ही काफी होती है। राशि से उस या अमूक व्यक्ति के स्वभाव और भविष्य के बारे में जानना आसान हो जाता है। इतना ही नहीं, ग्रह दशा कोअपने विचारों को सकारात्मक रखें, क्योंकि आपको ‘डर’ नाम के दानव का सामना करना पड़ सकता है। नहीं तो आप निष्क्रिय होकर इसका शिकार हो सकते हैं। आपका कोई पुराना मित्र आज कारोबार में मुनाफा कमाने के लिए आपको सलाह दे सकता है, अगर इस सलाह पर आप अमल करते हैं तो आपको धन लाभ जरुर होगा। घरेलू मामलों पर तुरंत ध्यान देने की ज़रूरत है। आपकी ओर से की गयी लापरावाही महंगी साबित हो सकती है। आपके प्रिय/जीवनसाथी का फ़ोन आपका दिन बना देगा।

aries
मेष/aries

23 मार्च 2022:  

आज आप उम्मीदों की जादुई दुनिया में हैं। पैसे की अहमियत को आप अच्छे से जानते हैं इसलिए आज के दिन आपके द्वारा बचाया गया धन आपके बहुत काम आ सकता है और आप किसी बड़ी मुश्किल से निकल सकते हैं। आपको बच्चों या ख़ुद से कम अनुभवी लोगों के साथ धैर्य से काम लेने की ज़रूरत है। बहुत ख़ूबसूरत और प्यारे इंसान से मिलने की प्रबल संभावना है। आज अनुभवी लोगों से जुड़कर जानने की कोशिश करें कि उनका क्या कहना है। कार्यक्षेत्र के किसी काम में खराबी की वजह से आज आप परेशान रह सकते हैं और इस बारे में सोचकर अपना कीमती वक्त बर्बाद कर सकते हैं। आज आपको अपने जीवनसाथी से एक बार फिर प्यार हो जाएगा।

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वृष/Taurus

23 मार्च 2022:  

ख़ुद को सेहतमंद और दुरुस्त रखने के लिए वसायुक्त और तली-भुनी चीज़ों से दूर रहें। दिन की शुरुआत में ही आज आपको कोई आर्थिक हानि हो सकती है जिससे सारा दिन खराब हो सकता है। आपके बच्चे के पुरुस्कार वितरण समारोह का बुलावा आपके लिए ख़ुशनुमा एहसास रहेगा। वह आपकी उम्मीदों पर खरा उतरेगा और आप उसके ज़रिए अपने सपने साकार होते हुए देखेंगे। व्यक्तिगत संबंध संवेदनशील और नाज़ुक रहेंगे। यह उन कुछ दिनों में से एक है, जब आपकी रचनात्मकता अपने चरम पर होगी। आपकी संप्रेषण अर्थात कम्यूनिकेशन की क्षमता प्रभावशाली साबित होगी। जीवनसाथी की ख़राब सेहत के चलते आप चिंताग्रस्त हो सकते हैं।

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मिथुन/Gemini

23 मार्च 2022 :  

आपमें आज चुस्ती-फुर्ती देखी जा सकती है। आपका स्वास्थ्य आज पूरी तरह से आपका साथ देगा। आज किसी पार्टी में आपकी मुलाकात किसी ऐसे शख्स से हो सकती है जो आर्थिक पक्ष को मजबूत करने के लिए आपको अहम सलाह दे सकता है। रिश्तेदारों और दोस्तों से अचानक उपहार मिलेगा। प्यार-मोहब्बत के मामले में जल्दबाज़ी में क़दम उठाने से बचें। दफ़्तर में कोई आपकी योजनाओं में अड़ंगा लगा सकता है- इसलिए आँखें खोलकर रखिए और अपने चारों तरफ़ हो रही गतिविधियों के प्रति सजग रहिए। जीवन की पेचीदिगियों को समझने के लिए आज घर के किसी वरिष्ठ शख्स के साथ आप वक्त गुजार सकते हैं। वैवाहिक जीवन के कुछ साइड इफ़ेक्ट्स भी होते हैं; आज आपको इनका सामना करना पड़ सकता है।

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कर्क/Cancer

23 मार्च 2022:  

निराशावादी रवैये से बचें क्योंकि न सिर्फ़ यह आपकी संभावनाओं को कम कर देगा, बल्कि शरीर के आंतरिक संतुलन को भी बिगाड़ देगा। आपका धन आपके काम तभी आता है जब आप फिजूलखर्ची करने से खुद को रोकते हैं आज ये बात आपको अच्छी तरह से समझ में आ सकती है। आपके परिवार वाले किसी छोटी-सी बात को लेकर राई का पहाड़ बना सकते हैं। आज आपकी मुस्कान बेमानी है, हँसी में वो खनक नहीं है, दिल धड़कने में आनाकानी कर रहा है; क्योंकि आप किसी ख़ास के साथ की कमी महसूस कर रहे हैं। व्यावसायिक साझीदार सहयोग करेंगे और आप साथ मिलकर टलते आ रहे कामों को पूरा कर सकते हैं। घर पर मिले किसी पुराने सामान को देखकर आज आप खुश हो सकते हैं और सारा दिन उस सामान को साफ करने में बिता सकते हैं। आप अपने जीवनसाथी के साथ रोमानी दिन गुज़ार सकते हैं, इससे आपका रिश्ता मज़बूत होगा।

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Leo
सिंह/Leo

23 मार्च 2022 :

आपको काफ़ी समय से चल रही बीमारी से छुटकारा मिल सकता है। आपकी लगन और मेहनत पर लोग ग़ौर करेंगे और आज इसके चलते आपको कुछ वित्तीय लाभ मिल सकता है। दिन के दूसरे हिस्से में कुछ दिलचस्प और रोमांचक काम करने के लिए बढ़िया वक़्त है। आज आपके और आपके प्यार के बीच कोई आ सकता है। कामकाज के मोर्चे पर आपको सबसे स्नेह और सहयोग प्राप्त होगा। जो लोग बीते कुछ दिनों से काफी व्यस्त थे उन्हें आज अपने लिए फुर्सत के पल मिल सकते हैं। परिवार के सदस्यों के साथ थोड़ी दिक़्क़त का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन दिन के आख़िर में आपका जीवनसाथी आपकी परेशानियों को सहलाएगा।

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कन्या/Virgo

23 मार्च 2022 :   

सेहत की तरफ़ ज़रा ज़्यादा ग़ौर करने की ज़रूरत है। आप घूमने-फिरने और पैसे ख़र्च करने के मूड में होंगे- लेकिन अगर आपने ऐसा किया तो बाद में आपको पछताना पड़ सकता है। परिवार के सदस्य आपके नज़रिए का समर्थन करेंगे। प्रेम निःसीम होता है, सभी सीमाओं के परे; आपने ये बातें पहले भी सुनी होंगी। लेकिन आज वह दिन है जब आप अगर चाहें तो यह ख़ुद महसूस कर सकते हैं। आप क़ामयाबी ज़रूर हासिल करेंगे – बस एक-एक करके महत्वपूर्ण क़दम उठाने की ज़रूरत है। बेवजह की उलझनों से दूर होकर आज आप किसी मंदिर, गुरुद्वारे या किसी भी धार्मिक स्थल पर अपना खाली समय बिता सकते हैं। जीवनसाथी से निकटता आज आपको ख़ुशी देगी।

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Libra
तुला/Libra

23 मार्च 2022 :   

मुमकिन है कि आपको किसी अंग मे दर्द या तनाव से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़े। आर्थिक दृष्टि से आज का दिन मिलाजुला रहने वाला है। आज आपको धन लाभ तो हो सकता है लेकिन इसके लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी। आज के दिन औरों की राय सुनना और उनपर अमल करना महत्वपूर्ण होगा। एकतरफ़ा लगाव आपके लिए सिर्फ दिल तोड़ने का काम करेगा। अपने काम और प्राथमिकताओं पर ध्यान एकाग्र करें। आप उन लोगों की तरफ़ वादे का हाथ बढ़ाएंगे, जो आपसे मदद की गुहार करेंगे। जीवनसाथी की वजह से आपको अनमने ढंग से बाहर जाना पड़ सकता है, जो बाद में आपकी झल्लाहट की वजह बनेगा।

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वृश्चिक/Scorpio

23 मार्च 2022 : 

अगर आप बहुत ज़्यादा तनाव महसूस कर रहे हैं, तो बच्चों के साथ अधिक समय बिताएँ। उनके प्यार भरे आलिंगन और मासूम मुस्कुराहट आपकी सभी परेशानियों को ख़त्म कर देंगे। आपको कई स्रोतों से आर्थिक लाभ होगा। बहन की शादी की ख़बर आपके लिए ख़ुशी का सबब लेकर आएगी। हालाँकि उससे दूर होने का ख़याल आपको उदास भी कर सकता है। लेकिन आपको भविष्य के बारे में सोचना छोड़ वर्तमान का पूरा आनंद लेना चाहिए। आप के दिल की धड़कनें आपके प्रिय के साथ कुछ ऐसे चलेंगी कि आज जीवन में प्यार का संगीत बज उठेगा। आपकी अन्दरूरनी ताक़त कार्यक्षेत्र में दिन को बेहतर बनाने में मददगार साबित होगी। अपने जिगरी यारों के साथ आज आप खाली समय का आनंद लेने का विचार बना सकते हैं। जीवनसाथी की मासूमियत आपके दिन को ख़ास बना सकती है।

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धनु/Sagittarius

23 मार्च 2022 :  

स्वास्थ्य का ख़याल रखें, नहीं तो लेने के देने पड़ सकते हैं। अगर आप घर से बाहर रहकर जॉब या पढ़ाई करते हैं तो ऐसे लोगों से दूर रहना सीखें जो आपका धन और समय बर्बाद करते हैं। आपका गर्मजोशी भरा बर्ताव घर का माहौल ख़ुशनुमा कर देगा। कुछ ही लोग ऐसे इंसान के आकर्षण से बच सकते हैं, जिसके पास इतनी प्यारी मुस्कान हो। जब आप लोगों के साथ होंगे, तो आपकी महक फूलों की तरह चारों ओर फैलेगी। आपका प्रिय आपको ख़ुश रखने के लिए कुछ ख़ास करेगा। साझीदार से संवाद क़ायम करना बहुत कठिन सिद्ध होगा। आज आप फुर्सत के क्षणों में कोई नया काम करने का सोचेंगे लेकिन इस काम में आप इतना उलझ सकते हैं कि आपके जरुरी काम भी छूट जाएंगे । मुमकिन है कि आज आपका जीवनसाथी ख़ूबसूरत शब्दों में यह बताए कि आप उनके लिए कितने क़ीमती हैं।

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1मकर/Capricorn

23 मार्च 2022 : 

दोस्तों के साथ शाम सुखद रहेगी लेकिन ज़्यादा खाने और मदिरापान से बचें। पैसे कमाने के नए मौक़े मुनाफ़ा देंगे। घर बदलने के लिए बढ़िया दिन है। आपको अपने प्रिय को ख़ुद के हालात समझाने में दिक़्क़त महसूस होगी। साझीदार से संवाद क़ायम करना बहुत कठिन सिद्ध होगा। रात के समय आज आप घर के लोगों से दूर होकर अपने घर की छत या किसी पार्क में टहलना पसंद करेंगे। जन्मदिन भूलने जैसी किसी छोटी-सी बात को लेकर जीवनसाथी से तक़रार मुमकिन है। लेकिन अन्ततः सब ठीक हो जाएगा।

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कुम्भ/Aquarius

23 मार्च 2022 : 

मानसिक तौर पर आप स्थिर महसूस नहीं करेंगे- इसलिए इस बात का ख़याल रखें कि दूसरों के सामने आप कैसे बर्ताव करते और बोलते हैं। बिना किसी की मदद के भी आप धन कमा पाने में सक्षम हो सकते हैं बस आपको खुद पर विश्वास करने की जरुरत है। किसी दूर के रिश्तेदार से अचानक मिली ख़बर आपका दिन बना सकती है। विवाहेतर प्रेम संबंध आपकी प्रतिष्ठा धूमिल कर सकते हैं। ऐसे लोगों से हाथ मिलाएँ जो रचनात्मक हैं और जिनके ख़यालात आपसे मिलते हैं। अगर आप ख़रीदारी पर जाएँ तो ज़रूरत से ज़्यादा जेब ढीली करने से बचें। आपकी बीती ज़िन्दगी का कोई राज़ आपके जीवनसाथी को उदास कर सकता है।

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मीन/Pisces

23 मार्च 2022 : 

तरोताज़ा होने के लिए अच्छी तरह से आराम करें। इस राशि केे कुछ लोगों को आज संतान पक्ष से आर्थिक लाभ होने की उम्मीद है। आज आपको अपनी संतान पर गर्व महसूस होगा। दोस्तों के साथ कुछ करते वक़्त अपने हितों को अनदेखा न करें – हो सकता है कि वे आपकी ज़रूरतों को ज़्यादा गंभीरता से न लें। आज के दिन अपने प्रिय से कोई तल्ख़ बात न कहें। जब तक आपको तसल्ली न हो जाए कि सारा काम पूरा हो चुका है, दस्तावेज़ अपने वरिष्ठ को न दें। जीवन की पेचीदिगियों को समझने के लिए आज घर के किसी वरिष्ठ शख्स के साथ आप वक्त गुजार सकते हैं। ठीक कम्यूनिकेशन न होने के चलते परेशानी खड़ी हो सकती है, लेकिन मिल-बैठकर बात करने से चीज़ें सुजझाई जा सकती हैं।

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