“आयुष” की मती नहीं है ‘कोरोनिल’ में
नौकरशाही किसी की बपौती नहीं। भारत के आज़ाद होने से पहले से लेकर आज तक कोई भी सरकार आए नौकर शाह वहीं हैं वही हैं। भारत में अपनि प्राचीन आयुर्वेद को एक नए सिरे से उठा कर एक नए कीर्तिमान स्थापित करने वाले रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने आज जब कोरोना महामारी की दावा का लोकार्पण किया तो अपनी नाकामी से हताश, कुंठित आयुष विभाग पर मानों घड़ों पानी पड़ गया। इधर राम देव अपनी दवा का पत्रकार जगत के सामने लोकार्पण आर रहे थे तो वहीं नोकरशाहों के पाँव तले ज़मीन सरकती जा रही थी। अपनी असफलताओं की शर्मिंदगी या फिर हताशा का जो भाव है क्या उसका कारण बड़ी बड़ी विदेशी कंपनियाँ तो नहीं? कहीं आयुर्वेद की एक दवा एक “आऊटसाइडर” कैसे ला सकता है। अब पूरी दुनिया आयुर्वेद का लोहा मानेगी? कहीं ऐसा भी होता है? रामदेव कैसे एक “स्थानीय जोगड़ा” इतनी बड़ी दवा कंपनियों के रहते यह दुस्साहस। नौकरशाहों ने रामदेव को दावा के प्रचार से रोक दिया। जिस बात पर मानवता को गर्व होना चाहिए था उस पर नौकरशाहों को शर्म आ गयी।
नयी दिल्ली (ब्यूरो) – 23 जून:
बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद द्वारा कोरोना वायरस के संक्रमण का इलाज करने का दावा करने वाली आयुर्वेदिक दवा कोरोनिल को लॉन्च करने के बाद, आयुष मंत्रालय ने कंपनी से इस दवा की संरचना का विवरण और इसे तैयार करने से पहले किए गए शोध को प्रस्तुत करने के लिए कहा है। इसके साथ ही आयुष मंत्रालय ने मीडिया की खबरों पर संज्ञान लेते हुए फिलहाल पंतजलि आयुर्वेद लिमिटेड को इस दवा यानी, ‘कोरोनिल’ का विज्ञापन और ऐसे दावे को प्रकाशित करने से रोक दिया है।
आयुष मंत्रालय ने पतंजलि की दवा पर स्टेटमेंट जारी करते हुए कहा है कि मंत्रालय को इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। मंत्रालय ने पतंजली कम्पनी से कहा है कि पहले वो अपने कागज मंत्रालय में जमा करवाएँ और तब तक किसी भी तरह का विज्ञापन या दावा करने से बचें, जब तक इस पर जाँच पूरी नहीं होती।
आयुष मंत्रालय ने राज्य सरकार, उत्तराखंड से भी इस दवाई कोरोनिल को लेकर जरूरी जानकारी माँगी है। मंत्रालय ने राज्य लाइसेंसिंग ऑथोरिटी को लाइसेंस कॉपी और प्रोडक्ट को मंजूर किए जाने से जुड़े सभी डॉक्यूमेंट माँगे हैं।
आयुष मंत्रालय ने 21 अप्रैल को जारी गैजेट नोटिफिकेशन का हवाला देते हुए कहा कि आयुर्वेदिक दवाओं की रिसर्च को लेकर बाकायदा नियम कानून जारी किए गए थे उसी के तहत कोरोना वायरस पर रिसर्च की जा सकती है।
आयुष मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा- “पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को COVID उपचार का दावा करने वाली दवाओं के नाम और संरचना के शुरुआती विवरणों को प्रदान करने के लिए कहा गया है; जगह / अस्पताल, जहाँ COVID-19 के लिए शोध अध्ययन आयोजित किया गया था; प्रोटोकॉल, सैंपल साइज, इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी क्लीयरेंस, सीटीआरआई (CTRI) रजिस्ट्रेशन, स्टडी और रिजल्ट, और तब तक इस तरह के दावों का विज्ञापन / प्रचार करना बंद कर दें, जब तक कि इस मुद्दे की विधिवत जाँच नहीं हो जाती।”
गौरतलब है कि आज ही हरिद्वार में योग गुरु स्वामी रामदेव ने कोरोना वायरस की दवा ‘कोरोनिल’ को लॉन्च करते हुए दावा किया था कि आयुर्वेद पद्धति से जड़ी-बूटियों के गहन अध्ययन और अनुसंधान के बाद बनी यह दवा कोरोना वायरस के इलाज में सक्षम है।
पतंजली का दावा- 3 से 7 दिनों के भीतर ‘100% रिकवरी रेट’
कोरोनिल बनाने वाली आयुर्वेदिक कंपनी पतंजली का दावा है कि यह नोवेल कोरोना वायरस या SARS-CoV-2 वायरस के कारण होने वाली साँस की बीमारी यानी, COVID -19 के इलाज का पहला आयुर्वेदिक इलाज है।
पतंजलि योगपीठ बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कोरोना वायरस से जंग को ‘दिव्य कोरोनिल टैबलेट’ समेत तीन दवाइयाँ लॉन्च की हैं। इस ‘कोरोना किट’ में कोरोनिल के अलावा श्वासारी वटी और अणु तेल भी हैं। रामदेव का कहना है कि तीनों को साथ इस्तेमाल करने से कोरोना का संक्रमण खत्म हो सकता है और महामारी से बचाव भी संभव है।
पतंजली कंपनी के अनुसार, कोरोना किट, जो 30 दिनों के लिए है, केवल ₹545 में उपलब्ध कराया जाएगा। रामदेव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस दवा ने 3-7 दिनों के भीतर ‘100 फीसदी रिकवरी रेट’ दिखाया है।
बाबा रामदेव ने कहा कि पूरा देश और दुनिया जिस क्षण की प्रतीक्षा कर रहा था वह आज आ गया है, कोरोना की पहली आयुर्वेदिक दवा तैयार हो गई है। बाबा रामदेव ने कहा कि मेडिसिन के ट्रायल के दौरान तीन दिन के अंदर 69% संक्रमित इससे ठीक हो गए। इसके अलावा, मेडिसन के ट्रायल के दौरान सात दिन में 100% कोरोना मरीज नेगेटिव हो गए।