सूर्यग्रहण पर कोरोनाग्रहण : लगा 3 दिनों का कर्फ़्यू

कुरुक्षेत्र में कोरोना की बढ़ती रफ्तार को देखते हुए जिला प्रशासन ने तीन दिन के लिए जिले में कर्फ्यू लगाने के आदेश जारी कर दिए है। कर्फ्यू 19 जून की रात्रि 9 बजे से लेकर 21 जून की शाम 6 बजे तक रहेगा।

कुरुक्षेत्र(ब्यूरो), – जून 18:

कुरुक्षेत्र में होने वाले सूर्य ग्रहण मेले पर कोरोना का ग्रहण लग चुका है। कोरोना(Corona) की बढ़ती रफ्तार को देख जिला प्रशासन ने 19, 20 व 21 तीन दिन के लिए जिले में कर्फ्यू लगाने के आदेश जारी कर दिए है। 19 जून की रात्रि 9 बजे से लेकर 21 जून की शाम 6 बजे तक कर्फ्यू(Curfew) रहेगा। हालांकि दिन में 2-3 घंटे के लिए कर्फ्यू में रियायत दी जाएगी ताकि लोग जरूरी खाद्य सामान खरीद सके। जिला में किसी भी बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा।

उपायुक्त धीरेन्द्र खडगटा ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी को लेकर इस वर्ष 21 जून को कुरुक्षेत्र में सूर्यग्रहण मेले का आयोजन नहीं किया जाएगा। पुराने राीति रिवाज के अनुसार ब्रह्मसरोवर पर एक छोटा से अनुष्ठान का आयोजन किया जाएगा जिसमें लगभग 100 ब्राह्मण एवं साधु शामिल होंगे। अनुष्ठान में शामिल होने वाले ब्राह्मणों एवं साधुओं का पहले कोविड टेस्ट किया जाएगा और इनके बकायदा पास जारी किए जाएंगे। ये ब्राह्मण ब्रह्मसरोवर पर सोशल डिस्टेंस के तहत हवन-यज्ञ व शांति पाठ करेंगे।

उपायुक्त ने कहा कि सभी लोग सूर्य ग्रहण के दिन अपने-अपने घरों में रहकर शांतिपाठ करे, क्योंकि ब्रह्मसरोवर व आसपास के सरोवरों में किसी भी व्यक्ति को आने की इजाजत नहीं दी जाएगी। सूयग्रहण के महत्व को देखते हुए ब्रह्मसरोवर पर हजारों लोग स्नान के करने के लिए पहुंचते है। लोग सूर्यग्रहण की पूर्व संध्या पर ही आने शुरू हो जाते है। कोरोना महामारी के चलते कुरुक्षेत्र आने वाले श्रद्धालुओं के कारण संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। इसी को देखते हुए कुरुक्षेत्र में तीन के लिए कर्फ्यू लगाया गया है। इसके लिए प्रदेश के सभी जिलों में भी सूचित कर दिया गया है कि वे भी अपने-अपने जिलों में प्रचार करे कि सूर्यग्रहण पर कुरुक्षेत्र में 21 जून को मेला नही लगेगा।

ग्रहण की अवधि तीन घंटे की रहेगी

सूर्य ग्रहण 21 जून रविवार को आषाढ़ अमावस्या के दिन होगा। कुरुक्षेत्र में सूर्य ग्रहण का समय 10 बजकर 21 मिनट 03 सेकंड से 13 बजकर 47 मिनट 26 सेकंड तक होगा। भारतीय मानक समय अनुसार सूर्य ग्रहण का आरंभ 21 जून की सुबह 9 बजकर 15 मिनट से दोपहर बाद 15 बजकर 04 मिनट तक रहेगा। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण रहेगा। इसका सूतक 20 जून की रात 9 बजे से आरंभ हो जाएगा। ग्रहण का मध्य 12 बजकर 29 मिनट दोपहर पर होगा। इसका मोक्ष दोपहर 2 बजकर 7 मिनट पर होगा। ग्रहण की अवधि तीन घंटे की रहेगी और यह अधिकांश भूमंडल पर दिखाई देगा।

पुलिस प्रशासन की तरफ से की जाएगी नाकाबंदी

पुलिस अधीक्षक आस्था मोदी ने कहा कि विश्व विख्यात सूर्य ग्रहण के दौरान किसी को स्नान करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पूरा विश्व वैश्विक कोरोना महामारी से जूझ रहा है। इसी दौरान 21 जून को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। वैश्विक कोरोना महामारी के प्रकोप को देखते हुए तीर्थराज कुरुक्षेत्र के 48 कोस की परिधि में पड़ने वाले किसी भी स्थान पर किसी को भी स्नान करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके लिए पुलिस प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। जिला में 52 जगहों पर नाकाबंदी की जाएगी। इसके साथ-साथ सभी तीर्थ स्थानों पर पैट्रोलिंग भी लगाई गई जायेगीं। इसके लिए सभी स्थानों पर करीब 7 सौ अधिकारी/ कर्मचारियो को ड्यूटी लगाया जायेगा। सूर्य ग्रहण अवधि के दौरान सभी सरोवरों के आसपास प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। अगर किसी ने इस दौरान निषेधाज्ञा का उल्लघंन करने का प्रयास करेगा तो उसके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई जाएगी।

नगर निगम से जुड़े प्रोजेक्ट्स की प्रगति को लेकर विकास सदन में हुई बैठक

 मनोज त्यागी, करनाल – 18 जून:

              उपायुक्त एवं नगर निगम आयुक्त निशांत कुमार यादव ने गुरूवार को शहर के विकास सदन में नगर निगम से जुड़ी भिन्न-भिन्न परियोजनाओं के कार्य एवं प्रगति की समीक्षा करते हुए कहा कि डेयरी शिफ्टिंग मामले में जिन डेयरी मालिकों ने निगम कार्यालय में अब तक पैसे जमा नहीं करवाए हैं, उन्हें अंतिम नोटिस देकर एक सप्ताह में पैसे जमा करवाने के लिए कहा जाए। उन्होंने निगम के डीएमसी धीरज कुमार व कार्यकारी अधिकारी दीपक सूरा को निर्देश दिए कि आगामी 15 जुलाई तक निर्देशों का पालन नहीं करने वालों की डेयरियां बंद करवा दें। जो लोग पिंगली स्थित डेयरी कॉम्पलैक्स में शिफ्ट करने जा रहे हैं, उनको भी नई टाईम लाईन दे दें। डीएमसी ने आयुक्त को बताया कि कुछ दिन पहले निगम में पैसा जमा ना करवाने वाले डेयरी संचालकों को जो नोटिस दिए गए थे, उसकी पालना में तीन और डेयरी मालिकों ने पैसे जमा करवाए हैं, जबकि ऐसे व्यक्ति जो अपना डेयरी का धंधा बंद करना चाहते हैं, के तहत 4 ने अपनी डेयरियां बंद कर दी हैं।

अवारा कुत्तों की नसबंदी का काम चढ़ेगा सिरे:

शहर की गली-मोहल्लो में पाए जाने वाले अवारा कुत्तों से अब नागरिकों को किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। इसके लिए नगर निगम की ओर से मध्य प्रदेश की एक एजेंसी को कुत्तों का सर्वे करने का काम दे दिया है, जो 25 जून से पहले-पहले सर्वे का काम शुरू करेंगे। सर्वे के बाद नया टैण्डर लगाकर कुत्तों की नसबंदी करवायी जाएगी।

स्लाटर हाऊस में दुकानो के साथ-साथ मीट विके्रताओं के बनेंगे बूथ- समीक्षा

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उपायुक्त ने डेयरी शिफ्टिंग, अवारा कुत्तों की नसंबदी, स्लाटर हाऊस में मीट विक्रेताओं के लिए बूथ, नगर निगम के नए भवन के आंतरिक व बाहरी कार्यों को पूरा करने, विज्ञापन होर्डिंग के लिए पॉलिसी में संशोधन तथा मानूसन से पहले नालों की सफाई मुकम्मल करने जैसे महत्वपूर्ण कार्यों की की गई समीक्षा।  

  बैठक में बताया गया कि काछवा रोड स्थित स्लाटर हाऊस में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से एन.ओ.सी. मिल जाने के बाद अब स्लाटरिंग की गतिविधियां सुचारू रूप से चलाई जाएंगी। आयुक्त ने बताया कि शहर में अब मीट के लिए किसी पशु का वध नहीं होगा, सभी की स्लॉटरिंग स्लाटर हाऊस में की होगी। जहां तक मीट की ब्रिकी का सवाल है, इस बारे आयुक्त ने बताया कि स्लाटर हाऊस में 7-8 दुकाने इस कार्य के लिए मौजूद हैं, लेकिन सभी दुकानदारों की जरूरत पूरी करने के लिए वहां उपलब्ध जगह पर छोटे-छोटे बूथ बनाकर उन्हें मीट विक्रेताओं को किराए पर दिया जाएगा।

      नगर निगम के नए भवन में आंतरिक व बाहरी दोनो तरह के जल्द होंगे काम:

शहर के सैक्टर-12 में बनाए गए नगर निगम कार्यालय के लिए पहले से ही तैयार स्ट्रक्चर में इंटीरियर व एक्सटीरीयर कामो को शुरू करके जल्द पूरा किया जाएगा। इसके लिए निगमायुक्त ने आज कार्यकारी अभियंता सतीश शर्मा को निर्देश देते कहा कि अब देरी किस बात की है। ठेकेदार के पास सारी सामग्री आ गई है, धौलपुरी का काम शुरू करें, बहुत हो चुका, अब प्रगति दिखनी चाहिए। कार्यकारी अभियंता ने आयुक्त को बताया कि इन कामो के लिए अनुमानित 10 करोड़ 75 लाख की लागत से अगले 8-9 महीने में सारा काम कम्पलीट हो जाएगा।

      शहर की सड़कों के सैंट्रल वर्ज पर प्लांटेशन से स्मार्ट सिटी की बढ़ेगी शोभा:

नगर निगम में एक्सईएन हाल्ॅटीकल्चर की दोबारा नियुक्ति से अब शहर की कुछ सड़कों की सैंट्रल वर्ज पर सुंदर दिखने वाले पौधे लगाए जाएंगे, इससे सड़कों के सौंदर्यकरण में वृद्धि होगी। महात्मा गांधी चौक से अस्पताल रोड व आई.टी.आई. चौक से आगे तक स्थित सैंट्रल वर्ज पर हरे-भरे पौधे लगाए जाएंगे। कुछ सड़कों की सैंट्रल वर्ज पर पहले से ही प्लांटेशन है। आयुक्त ने कार्यकारी अभियंता बागवानी को निर्देश दिए कि प्लांटेशन की साईट की पहचान कर लें, मानसून में पौधे लगाने का उपयुक्त समय आ रहा है।

      शहर के मुख्य-मुख्य स्थानो पर विज्ञापन होर्डिंग लगाने के लिए बनेगी नई पॉलिसी:

शहर के चयनित स्थानो पर विभिन्न कम्पनियों के विज्ञापन बोर्ड लगाने के लिए नगर निगम अन्य निगमो से रेट लेकर उन पर मंथन कर रहा है और इसके बाद जायज रेट तय किए जाएंगे, रिजर्व प्राईस कम होंगे। इस काम के लिए आयुक्त की ओर से एक कमेटी भी बनाई गई थी। नई पॉलिसी से यह काम जल्द सिरे चढ़ेगा।

      रोड स्वीपिंग मशीन से रोजाना 28 से 30 किलोमीटर तक सड़कों की हो रही सफाई-

बैठक में मुख्य सफाई निरीक्षक ने आयुक्त को बताया कि रोड स्वीपिंग मशीन एक शैड्यूल के तहत रोजाना शहर की 28 से 30 किलोमीटर तक सड़कों को सुचारू रूप से साफ करने में लगी है, यह काम रात के 10 बजे के बाद शुरू होता है।

      शहर की मुख्य एंट्री पर महापुरूषों के नाम से निर्माणाधीन गेटों के कार्य की समीक्षा की गई-

कार्यकारी अभियंता सतीश शर्मा ने आयुक्त को बताया कि करनाल-इन्द्री रोड पर जैन मुनि की स्मृति में श्री घण्टाकर्ण द्वार का काम शुरू हो गया है, अगले 2-3 महीनो में गेट और दूसरे काम पूरे किए जाएंगे। बाकि के 2 गेटों के कार्य प्रगति पर चल रहे हैं। मेरठ रोड पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय के नाम से निर्माणाधीन गेट पर शटरिंग खोलने के बाद फाईबर का काम किया जाएगा। इसी प्रकार महाराजा कर्ण के नाम से निर्माणाधीन व भव्य गेट पर फाईबर का काम शुरू हो गया है। दूसरी ओर नमस्ते चौक पर ही साईनेज के काम के लिए नगर निगम में सम्बंधित एजेंसी को नेगोशिएशन के लिए बुलाया गया है, जल्द ही इस प्रोजेक्ट पर भी काम शुरू होगा।

मानसून से पहले नालों की सफाई का काम होगा मुकम्मल

       इस कार्य की समीक्षा के दौरान निगम के एक्सईएन एल.सी. चौहान ने आयुक्त को बताया कि राम नगर काछवा रोड से एन.एच.-44 को जाने वाले मार्ग पर सैनी ढाबा तक नाले की सफाई का काम जोरों से चल रहा है, यह 25 जून तक पूरा हो जाएगा। सफाई के बाद मानसून के मौसम में बरसाती पानी की निकासी अच्छे से हो सकेगी, जल भराव नहीं होगा। इसके साथ अन्य नालों की सफाई का काम भी चल रहा है।

निगम कार्यालय में स्थापित तकनीकि प्रयोगशाला में निर्माण सामग्री की टैस्टिंग का काम दोबारा होगा चालू:

       निगम आयुक्त ने मुख्य अभियंता रामजी लाल को निर्देश दिए कि निगम कार्यालय में स्थापित तकनीकि प्रयोगशाला को दोबारा चालू करें। इस पर मुख्य अभियंता ने बताया कि इसकी योजना बना ली गई है, प्रयोगशाला में कुछ मशीने पहले से ही मौजूद हैं, एक-आध मशीन आएगी। वरिष्ठ इंजीनियरों की उपस्थिति में सड़क व भवन निर्माण में प्रयुक्त सामग्री की टैस्टिंग की जाएगी, ताकि कार्यों में पारदर्शिता व क्वालिटी बनाई रखी जा सके।  

सीवरेज के लिए मैनपावर का टैण्डर दोबारा लगेगा:

       आयुक्त ने निगम के कार्यकारी अभियंता एल.सी. चौहान को निर्देश दिए कि इस कार्य के लिए टैण्डर में अनावश्यक देरी क्यों हो रही है। असंतुष्टी जताते हुए उन्होंने कहा कि इस तरह की देरी के लिए अगली समीक्षा बैठकों में सम्बंधित अधिकारी को बिना किसी संकोच के नोटिस दिए जाएंगे।  

रांवर रोड व नूर महल रोड के कार्य की हुई समीक्षा:

      बैठक में कार्यकारी अभियंता अक्षय भारद्वाज ने आयुक्त को अवगत कराया कि रांवर रोड पर अमरूत में सीवरेज व बरसाती पानी की निकासी का कार्य पूरा हो गया है। अब सी.सी. रोड बनेगी। शुक्रवार को सड़क के काम का टैण्डर खुलेगा। इसी प्रकार बुड़ाखेड़ा से नूर महल तक सीवरेज के कार्य पूरे हो जाने के बाद अब वहां सड़क बनाने का काम किया जा रहा है।

50 एमएलडी एस.टी.पी. का काम पूरा, अब होगा बिजली कनैक्शन:

       चीफ इंजीनियर रामजी लाल ने समीक्षा बैठक में आयुक्त को अवगत कराया कि सैक्टर-4 के पीछे 50 एमएलडी एस.टी.पी. का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। अब बिजली कनैक्शन लिया जाएगा, इसके लिए निगम की ओर से विद्युत कार्यालय में 17 लाख रूपये की राशि जमा करवा दी गई है। कनैक्शन हो जाने के बाद एस.टी.पी. का ट्रायल किया जाएगा। आयुक्त ने मुख्य अभियंता से कहा कि शहर में सड़कों पर थर्मोप्लास्टिक पेंट व कैटआई लगाए जाने जैसे कार्य भी पूरे करवाए जाएं।  

मेरठ रोड स्थित नगर निगम स्टोर में पड़े कंडम सामान की होगी नीलामी:

       इस बारे आयुक्त ने कार्यकारी अधिकारी दीपक सुरा को निर्देश दिए कि मेरठ रोड पर नगर निगम के स्टोर में जितना भी कंडम सामान पड़ा है, उसकी नीलामी करवा दें, यह काम जल्द हो जाना चाहिए।        

गरीबों के राशन में सेंध लगाने वाले सभी व्यक्तियों को किया जाए बेनकाब : तरलोचन सिंह

  • मुख्य मंत्री को पत्र लिखकर साधा निशाना 
  • गरीबों को अनाज बंटवारे को लेकर किए गए सर्वे केबारे में मुख्य मंत्री को लिखा पत्र            

मनोज त्यागी,  करनाल – 18 जून :

  जिला कांग्रेस कमेटी करनाल के   संयोजक  तरलोचन सिंह ने मुख्य मंत्री को पत्र लिखकर  निशाना साधा कि पिछले महीने आपकी सरकार द्वारा एक सर्वे करवाया गया था यह जानने के लिए कि कितने ऐसे गरीब लोग हैं, जिनको खाद्य सामग्री की सख्त जरूरत है। इस सर्वे में हर बूथ स्तर पर एक एक भाजपा का कार्यकर्ता, बी.एल.ओ, आंगनवाड़ी की कार्यकर्ता व अन्य दो लोगों की कमेटी बनाकर सर्वे की जिम्मेवारी दे दी गई। लेकिन सर्वे के बाद जो तस्वीर उभरकर आई कि जो सर्वे रिपोर्ट है, वह गरीब व्यक्तियों के साथ मेल नहीं खाती। काफी जगह तो अच्छे लोगों को जिनको सरकार की तरफ से अनाज की जरूरत नहीं थी उनके नाम भी लिस्ट में डाल दिए गए और जिनको जरूरत थी वह वंचित रह गए।

बुड्ढा खेड़ा, मंगल कॉलोनी, मंगलपुरा, गामडी, राजीव पुरम, रावर रोड, शिव कॉलोनी व अन्य जगह से शिकायतें आई। गरीब व्यक्तियों का अनाज अमीर व्यक्तियों को दे दिया गया और जितने टोकन बांटे गए उतना अनाज डिपो तक नहीं पहुंचा। और जो तिथि निश्चित की गई थी उस तिथि को कई डिपो तक अनाज नहीं पहुंचा। काफी लोगों को जो टोकन दिए गए वह उन डिपो के थे जो उनके घरों से काफी दूर थे अभी कुछ पार्षदों ने इस बंदर-बांट को फर्जीवाड़ा बताते हुए अपनी नाराजगी भी प्रकट की। लेकिन उनको पार्टी हित की दुहाई देकर मेंबर पार्लिमेंट ने उनकी जबान पर ताले लगा दिए।

एक सीनियर पत्रकार ने इस सारे घपले की तह तक जाकर जब यह जाना की यह घपला कैसे हुआ, तो मालूम पड़ा कि जो लोग सर्वे कर रहे थे काफियों ने घर बैठकर ही लिस्टे बना ली। सर्वे नहीं किया। जब उसी पत्रकार ने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से बात की तो उन्होंने भी यह माना कि गलती हुई है। और कमेटी के एक उच्च अधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा कि यह सब सॉफ्टवेयर की खराबी से हुआ। जबकि जो सर्वे था उसमें सॉफ्टवेयर का कोई भी काम नहीं था। मुख्यमंत्री महोदय भले ही आप के पार्षद मजबूरी की वजह से चुप कर जाएं और आपके सरकारी मुलाजिम नौकरी की वजह से चुप कर जाएं और आपके भाजपा के कई नेता आपके डर की वजह से चुप कर जाएं। लेकिन करनाल का हर गरीब व्यक्ति व जनमानस यह समझता है कि सर्वे एक फर्जीवाड़ा था क्या आप इसमें संज्ञान लेंगे या आटा घोटाला व आई.टी.आई लाठी चार्ज की तरह यह भी दबा दिया जाएगा।

आपसे निवेदन है कि कृपया गरीबों के राशन में सेंध लगाने वाले सभी व्यक्तियों को बेनकाब किया जाए व दंडित किया जाये

निजी संस्थानों में आरक्षण दिलाने के नाम पर सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास तो नहीं कर रहे दुष्यंत

हरियाणा में नहीं मिल सकेंगे कंपनियों में काम करने के लिए 75 फ़ीसदी युवा आरक्षण बिल का पहले से ही विरोध कर रहे औद्योगिक प्रतिष्ठान

जंगशेर राणा, चंडीगढ़ – 18 जून:

प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला द्वारा राज्य की निजी कंपनियों में स्थानीय युवाओं को रोजगार के लिए 75 फीसदी आरक्षण पॉलिसी लागू करने के लिए प्रदेश सरकार पर लगातार बनाए जा रहे दबाव के बीच उद्योगपतियों और जागरुक नागरिकों ने मंथन शुरु कर दिया है। जागरूक नागरिकों का कहना है कि सामान्य रुप  से देखने में तो पॉलिसी का लाभ हरियाणा के युवाओं को प्राप्त होने के आसार व्यक्त किए जा रहे हैं लेकिन क्या प्रदेशभर के औद्योगिक प्रतिष्ठान इस पालिसी को स्वीकार कर सकेंगे यह प्रश्न लोगों के जेहन में है। उनका कहना है कि पूर्व से ही कामकाज की बेहतर गुणवत्ता और उत्पादन को लेकर उद्योगपतियों द्वारा इस पॉलिसी का विरोध किया जाता रहा है। उद्योगपतियों द्वारा बार-बार स्पष्टीकरण दिया जा रहा है कि उनके समक्ष ऐसा प्रतिबंध लागू करने से सीधे तौर पर उनका कामकाज प्रभावित होगा। उधर आंकड़ों के मुताबिक इस समय पंचकूला की करीब 1000 छोटी-बड़ी कंपनियों के अलावा पूरे हरियाणा प्रदेश में करीब 30 हजार से अधिक ऐसे औद्योगिक प्रतिष्ठान हैं जिनमें करीब 25 से 30 फ़ीसदी कर्मचारी ही स्थानीय है और करीब 70 फीट की कर्मचारी अन्य प्रांतों के हैं। हरियाणा प्रदेश में बेरोजगार युवाओं की संख्या का आंकलन करते हुए देखा जाए तो करीब 50 फ़ीसदी आरक्षण भी लागू किया जाए तो प्रदेश के सभी युवाओं को रोजगार प्राप्त हो सकेगा 75 फ़ीसदी आरक्षण की पालिसी लाने का क्या औचित्य? जागरुक नागरिकों का कहना है कि यह सारे आंकड़े सरकार के जेहन में है इसके बावजूद पालिसी को लाने के लिए जल्दीबाजी करने का मतलब है कि दुष्यंत चौटाला ऐसा करके राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के चक्कर में पड़े हैं। 

टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट द्वारा सर्वे कराए जाने को लेकर उद्योगपतियों में अफरा-तफरी का माहौल

हरियाणा सरकार और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के आदेश पर 75 फ़ीसदी आरक्षण पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए दिए गए निर्देश पर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट द्वारा पंचकूला के साथ, गुड़गांव, हिसार, रोहतक और फरीदाबाद के विभागीय अधिकारियों से जवाब तलब किया है कि कंपनियों ने एग्रीकल्चर जमीन का चेंज ऑफ लैंड यूज (सीएलयू) लेकर कितने प्रतिशत हरियाणा निवासियों को अपनी कंपनी में रोजगार दिया है। इसकी जांच शुरु होने के साथ उद्योगपतियों में असंतोष का माहौल है। उद्योगपतियों द्वारा अंदरखाने चर्चा की जा रही है कि लॉकडाउन के दौरान घोर आर्थिक तंगी से जूझ रहे औद्योगिक संस्थानों पर आरक्षण पालिसी थोपने का बेवजह दबाव बनाया जा रहा है।   

यह आंकड़ा तैयार कर रहा टीसीपी डिपार्टमेंट

टीसीपी डिपार्टमेंट ने स्कूल, यूनिवर्सिटी, इंडस्ट्रीज, वेयर हाउस, पेट्रोल पंप, सीएनजी स्टेशन, ढाबा, होटल, रेस्तरां, मोटल, स्पोर्ट्स सेंटर और हॉट मिक्स प्लांट को लेकर सीएलयू जारी किए हैं। सीएलयू में शर्त है कि उन्हें तकनीकी को छोड़कर 75 प्रतिशत रोजगार हरियाणा के डोमोसाइल प्राप्त निवासियों को देना है। हर 3 महीने के बाद इसकी जानकारी उपलब्ध करवानी है। अब डायरेक्टर ने सभी एसटीपी से पूछा है कि कितने सीएलयू जारी किए गए हैं और किस तरह का काम उनमें किया जा रहा है? कितने प्रतिशत गैर तकनीकी कर्मचारी ऐसे हैं, जिनके पास हरियाणा का डोमोसाइल है?

इसी आरक्षण के नाम पर दुष्यंत को मिला जनादेश

हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान जननायक जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में युवाओं को प्राइवेट क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने का ऐलान किया था। दूसरी तरफ भाजपा ने भी अपने संकल्प पत्र में निजी क्षेत्र की नौकरियों में आरक्षण देने का वादा किया था। गठबंधन की सरकार के सत्ता में आने के बाद दोनों दलों के नेताओं द्वारा इस बारे में विचार विमर्श करके करके साझा ड्राफ्ट तैयार किया गया।

क्रीमी लेयर के पदों पर आरक्षण ना देना भी आरक्षण के नाटक का हिस्सा

आरक्षण पालिसी लागू करने के लिए तैयार किए जा रहे ड्रॉफ्ट में प्रावधान है कि आरक्षण 50 हजार से कम मासिक वेतन वाली नौकरियों पर ही लागू होगा। इससे अधिक वेतन अर्थात क्रीमी लेयर की नौकरियों के मामले में सरकार कंपनियों पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाएगी। जागरूक नागरिक इसे भी आरक्षण के नाम पर किए जा रहे नाटक का एक हिस्सा करार दे रहे हैं। उनका कहना है कि कंपनियों में करीब 90 से 95 फ़ीसदी कर्मचारी 50,000 मासिक से कम वेतन पर काम कर रहे हैं। ऐसे में केवल 5 से 10 फ़ीसदी पदों पर आरक्षण ना देने की घोषणा करने का क्या मतलब।

“लोकल के लिए वोकल” वास्तविक स्वरूप में कितनी है सार्थकता ? : सुशील पंडित

‘देशी आंदोलन’ मात्र बोलने या सुनने से ही राष्ट्र भक्ति की भावना जागृत होना हम सब के लिए स्वाभविक सी बात है, स्वदेशी वस्तुओं के उत्पादन व बिक्री से कोई अन्य वर्ग लाभान्वित हो या शायद न भी हो परन्तु आम जनता को इसका आर्थिक व सामाजिक दृष्टि से लाभ सीधे तौर पर हो सकता है। हो भी क्यों न पराधिनता के सफ़र में स्वदेशी आंदोलन ने अपनी विशेष भूमिका निभाई है। तत्कालीन परिस्थितियों में इस रणनीति के अंतर्गत ब्रिटेन में निर्मित उत्पादों का बहिष्कार करना था तथा स्वदेश में बने उत्पाद का अधिकाधिक प्रयोग करके अंग्रेजी हकूमत को नुकसान पंहुचाना व भारत के लोगों के लिए रोजगार का सृजन करना स्वदेशी आंदोलन का एकमात्र उद्देश्य था। पराधिनता की विषमताओं में भारतवासियों के लिए यह सब एक बहुत बड़ी चुनौती रही होगी क्योंकि हम जिस शासन के आधीन हो और उसी हकूमत के द्वारा निर्मित वस्तुओं का बहिष्कार कर तत्कालीन शासन की आर्थिक पृष्टभूमि पर अंकुश लगाने का कार्य करना सच में साहसपूर्ण था। परन्तु वर्तमान के परिदृश्य में हालात विपरीत है।

सुशील पंडित (पत्रकार), यमुनानगर – जून 18

सुशील पंडित

सोमवार रात्रि को भारत चीन सीमा पर हुुुई हिंसक झड़प में जहाँ हमारे 20 जवान शहीद हुए वहीं एक बार फिर से चीन के इस घिनौने कृत्य नेे सम्पूूर्ण भारत के नागरिकों के समक्ष चीन का अमानवीय चेहरा उजागर हुआ। ऐसा क्यों होता है कि जब हम मानसिक या शारीरिक रूप किसी की प्रताड़ना का शिकार होते हैं तब हम कुछ क्षण के लिए उसका विरोध करते हैं परन्तु परिस्थिति सामान्य होने पर हम सहज रूप से सब भूल कर फिर से उसी धारा प्रवाह में बहने लगते हैं। मेरे इस लेख का एकमात्र उद्देश्य है आप सभी का ध्यान केंद्रित करना कि वर्तमान में स्वदेशी आंदोलन कितना सार्थक है और यदि नही है तो यह जिम्मेदारी किसकी है। क्या केवल आम जनता की या फिर वर्तमान सत्ता या पूर्व में सत्ता सुख भोग चुके राजनीतिक दल या पूंजीपतियों की।

‘देशी आंदोलन’ मात्र बोलने या सुनने से ही राष्ट्र भक्ति की भावना जागृत होना हम सब के लिए स्वाभविक सी बात है, स्वदेशी वस्तुओं के उत्पादन व बिक्री से कोई अन्य वर्ग लाभान्वित हो या शायद न भी हो परन्तु आम जनता को इसका आर्थिक व सामाजिक दृष्टि से लाभ सीधे तौर पर हो सकता है। हो भी क्यों न पराधिनता के सफ़र में स्वदेशी आंदोलन ने अपनी विशेष भूमिका निभाई है। तत्कालीन परिस्थितियों में इस रणनीति के अंतर्गत ब्रिटेन में निर्मित उत्पादों का बहिष्कार करना था तथा स्वदेश में बने उत्पाद का अधिकाधिक प्रयोग करके अंग्रेजी हकूमत को नुकसान पंहुचाना व भारत के लोगों के लिए रोजगार का सृजन करना स्वदेशी आंदोलन का एकमात्र उद्देश्य था। पराधिनता की विषमताओं में भारतवासियों के लिए यह सब एक बहुत बड़ी चुनौती रही होगी क्योंकि हम जिस शासन के आधीन हो और उसी हकूमत के द्वारा निर्मित वस्तुओं का बहिष्कार कर तत्कालीन शासन की आर्थिक पृष्टभूमि पर अंकुश लगाने का कार्य करना सच में साहसपूर्ण था। परन्तु वर्तमान के परिदृश्य में हालात विपरीत है आज हम हर प्रकार से सक्षम है  राष्ट्र पर किसी बाहरी शक्ति का दबाव या प्रभाव भी नही है। फिर ऐसा क्यों लगता है कि हमें अपने ही देश में अपने ही स्वदेशी उत्पादों की बिक्री के लिए जागरण के माध्यम से जागरूक किया जाने पर भी बहुत अच्छे परिणाम नजर नहीं आ रहे क्या कारण है कि हम अपने घर में निर्मित की जा रही वस्तुओं में भारत के लोगों की विश्वसनीयता नही हासिल कर पा रहे हैं। स्वदेशी जैसे अनुकरणीय औऱ उदात्त विचार के प्रति लोगों में गंभीरता नाममात्र ही दिखाई देती है। जहां एक ओर स्वदेशी जागरण मंच व अन्य संगठनों व संस्थाओं के माध्यम से दिन रात प्रचार प्रसार किया जा रहा है वहीं देश के कुछ वर्ग विदेशी कंपनियों की चाटूकारिता करते हुए निरन्तर आर्थिक विकास पर टिप्पणी करने में लगे हुए हैं।

मेरे इस लेख का आशय प्रधानमंत्री के द्वारा दिए गए भाषण “लोकल के लिए वोकल होने” से भी है परन्तु भाषण को वास्तविकता के पटल पर क्रियान्वित करना वास्तव मे चुनौती पूर्ण प्रयास होता है स्वदेशी की सार्थकता तो हमें स्वदेशी बन कर ही सिद्ध करनी होगी। विदेशी परिधान पहन कर स्वदेशीकरण की बात करना ये किसी भी भारतीय को शोभा नहीं देता एक ओर हमारे नेताओं अभिनेताओं के द्वारा स्वदेशी जागरण का अलख जगाया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ वही नेता अभिनेता सुबह उठने से लेकर और रात को सोने तक के समय में विदेशी कंपनियों के द्वारा बनाई गई लग्जरी वस्तुओं का भोग करने से नही चूकते। क्या स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग केवल आम जनता के लिए है? यदि ऐसा है तो कोई अधिकार नहीं है इन वर्गों को बड़े बड़े मंचो से स्वदेशी का ढिंढोरा पीटने का।

चीन ने भारतीय बाजारों में अपनी पकड़ बना रखी है इसका कारण है कम गुणवत्ता वाले उत्पादों को कम मूल्यों पर लोगों की पहुंच तक उपलब्ध करना और यह सब तभी संभव होता है जब किसी राष्ट्र का बाजारीकरण की व्यवस्था सुस्त हो चीन के साथ भारत के व्यपारिक सम्बंध 80 के दशक से तेज हुए है तथा वर्तमान समय की बात की जाए तो चीन ने तो कभी भारतीय उत्पाद को महत्व नहीं दिया। भारत लगभग 160 देशों के साथ व्यपार करता है जिनसे 60 प्रतिशत घाटा होता है जिसमें अकेले चीन से 42 प्रतिशत का नुकसान हमें उठाना पड़ता है इस बात से यह प्रतीत होता है कि राजनैतिक व पूंजीपतियों की निजी महत्वाकांक्षा का ही परिणाम है जो हम वर्तमान में स्वदेशी आंदोलन को अधिक सफ़ल नही कर पाए। लोकल को वोकल बनाने के लिए बाजारीकरण की नीति में सुधार लाने की अति आवश्यकता है। विदेशी मानसिकता रखने वाले कुछ वर्गों को यदि छोड़ दिया जाए तो भारत का हर आम आदमी मौजूदा व्यवस्था से यही अपेक्षा रखता है कि उन्हें अपने ही देश में बनी हुई वस्तुएँ उनके बजट में उपलब्ध हो सके परन्तु बड़े बड़े शोरूम पर बिकने वाले स्वदेशी उत्पाद अपने अत्यधिक मूल्यों के कारण आम आदमी की पहुँच से कोसों दूर है, भारत में निर्मित यह उत्पाद विदेशी वस्तुओं के दामों की अपेक्षा कही अधिक है जिसके चलते यहाँ भी परिस्थिति स्वदेशी आंदोलन के प्रतिकूल हो जाती है कुछ ऐसे स्वदेशी उत्पाद बाजार में उपलब्ध है जो कहने में और देखने में स्वदेशी हो सकते परन्तु उनके मूल्यों पर ध्यान दिया जाए तो वह भी अन्य विदेशी वस्तुओं की भांति ही दिखाई देते हैं।

जो लोग,वर्ग या दल आन्तरिक रूप से विदेशी उत्पादों का उपयोग करते हैं या इन्हें बढ़ावा देने में लगे हुए हैं वह मानसिक रूप से आज भी ग़ुलाम ही कहे जा सकते हैं या संभवत ये सब  उन संस्थाओं या सगठनों से जुड़े हैं जो विदेशी कंपनियों को बढ़ावा देने के लिए चंदा प्राप्त कर रहे है। यदि स्वदेशी वस्तुओं का प्रयोग का केवल भाषण या सोशल मीडिया पर बखान न करके अपितु इन्हें वास्तविक जीवन में स्थान देंगे तो केवल देश की अर्थव्यवस्था ही ठीक नहीं होगी साथ ही लाखों बेरोजगारों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे स्थानीय प्रतिभा को आगे बढ़ने का मौका मिल सकता है। स्वदेशी केवल उत्पाद से जुड़ा विषय नही है यह वर्तमान भारत का आंदोलन भी है स्वदेशी के आभाव में राजनीतिक,आर्थिक,सांस्कृतिक और मानसिक स्वतंत्रता असंभव है। इस अभियान की सार्थकता तभी संभव हो सकती है जब सभी राजनैतिक दल सामाजिक सगठन व बुद्धिजीवी वर्ग के लोग एक मंच पर एकत्रित हो कर निजी स्वार्थ त्याग एक स्वर में स्वदेशी को बढ़ावा देने के लिए आवाज बुलंद करने का सकारात्मक प्रयास करेंगे।

केवल मात्र भाषण या विभिन्न प्रकार के मंचो पर परिचर्चा कर स्वदेशी आंदोलन को सफ़ल करना संभव नहीं है अपितु आम जनता व भारत के लघु व कुटीर उद्योगों से जुड़े लोगों के हितों को भी ध्यान में रखते हुए धरातल पर कार्य कर तथा वास्तविकता को आधार बनाकर ही “लोकल के लिए वोकल” का नारा सही दिशा में कारगर हो सकता है।

एबीवीपी पंचकूला इकाई ने सिटी मैजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा

आज एबीवीपी पंचकूला इकाई द्वारा सिटी मैजिस्ट्रेट सुशील कुमार को ज्ञापन सौंपा गया इस ज्ञापन में सरकार से छात्रों की समस्याओं पर ध्यान देने के लिए आग्रह किया गया इस ज्ञापन में छात्रों की वर्तमान समस्याओं का उल्लेख किया गया है.

ज्ञापन का विषय था परीक्षा संबंधित समस्याएं व उनके समाधान निकालना

इन समस्याओं के समाधान हेतु माननीय राज्यपाल मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री को भी ज्ञापन प्रेषित किया गया था एबीवीपी द्वारा ज्ञापन मैं प्रदेश के 10000 विद्यार्थियों से बातचीत करने के पश्चात अनेक सुझाव सरकार के सामने रखे थे परंतु सरकार द्वारा उन मामलों पर कोई उचित निर्णय नहीं लिया गया सरकार के द्वारा परीक्षा से संबंधित पत्र क्रमांक KW 18/79- 2020 UNP(4) दिनांक 12 जून 2020 को जारी इस पत्र में कुछ बिंदु अव्यावहारिक है

सिटी मेजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपते हुए एबीवीपी पंचकुला के कार्यकर्ता
  1. अंतिम वर्ष की परीक्षाएं हरियाणा के छात्रों के लिए तो अनिवार्य हैं हरियाणा से बाहर के विद्यार्थियों के लिए आवश्यक नहीं एक ही कक्षा के विद्यार्थियों के लिए दोहरा मापदंड क्यों?
  2. परीक्षा की घोषणा तथा परीक्षा की तिथि में केवल 15 दिन का अंतर है करो ना कि ऐसी स्थिति में छात्र मानसिक रूप से तुरंत परीक्षा देने के लिए तैयार नहीं है
  3. विभाग के पत्र के अनुसार परीक्षा देने वाले छात्र हॉस्टल में नहीं ठहर पाएंगे ऐसे में दूरदराज ग्रामीण क्षेत्र तथा दूर के जिलों से आने वाले परीक्षार्थी कैसे परीक्षा दे पाएंगे विशेषकर छात्राओं के लिए तो यह और भी कष्टदायक होगा
  4. जिन छात्रों के परिवार क्वॉरेंटाइन है वह विद्यार्थी परीक्षा देने कैसे आएगा इस विकट परिस्थिति में कोई गरीब छात्र ना तो टैक्सी करके परीक्षा देने आ पाएगा ना ही उसे कोई किराए पर घर देने को तैयार होगा

तो ऊपर दिए गए इन्हीं कुछ बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए अभाविप पंचकूला इकाई ने आज सिटी मजिस्ट्रेट यानी कि सुशील कुमार जी को ज्ञापन सौंपा और उसमें उनसे आग्रह किया कि वह दि गई मांगों को मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री तक पहुंचाएं

उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुए विद्यार्थी परिषद मांग करती है कि

  1. उच्चतर शिक्षा विभाग की नई गाइड लाइन के अनुसार परीक्षाएं 1 जुलाई से शुरू होंगी वर्तमान परिस्थितियां देखते हुए यह परीक्षाओं के लिए अनुकूल समय नहीं है इसलिए परीक्षा पर्याप्त समय देकर करवाई जाएं एवं परीक्षाओं के विभिन्न विकल्पों पर विचार किया जाए
  2. परीक्षा केंद्र विद्यार्थियों के निकटतम के स्थानों पर बनाए जाएं
  3. प्रत्येक विश्वविद्यालय दूर के विद्यार्थियों के लिए जो उसके क्षेत्र में नहीं आता वह वहां के केंद्र पर एक परीक्षा केंद्र बनवाएं
  4. परीक्षाओं की स्थितियों पर कोविड-19 महामारी के चलते यदि छात्र संक्रमित होता है या कोई अनहोनी होती है तो इस स्थिति में छात्र का 20 लाख का बीमा होना चाहिए
  5. कोरोना महामारी के चलते कुछ छात्र दिया प्रिय का फॉर्म भरने से वंचित हो गए हैं उन्हें रिअपीयर का फॉर्म भरने के लिए 1 सप्ताह का समय दिया जाए
  6. महामारी के चलते विद्यार्थियों का सिलेबस पूरा नहीं हो पाया है इसलिए सिलेबस को उसी अनुपात में कम किया जाए
  7. आगामी सत्र में दाखिला एवं प्रवेश परीक्षा की प्रक्रिया क्या रहेगी इसे तुरंत स्पष्ट किया जाए
  8. छात्रों की परीक्षा से संबंधित समस्याओं के लिए महाविद्यालय विश्वविद्यालय या कुछ हेल्पलाइन नंबर या कुछ व्हाट्सएप नंबर जारी करें जिससे छात्र सीधा अपनी समस्या की जानकारी महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालयों को दे सके
  9. परीक्षा होने से 1 माह पहले डेट शीट जारी की जाए
  10. अगला सत्र वार्षिक किया जाए ताकि अगले सत्र की परीक्षाओं की तैयारियों के लिए छात्रों को पर्याप्त समय मिल सके
  11. पुरानी रिअपीयर वाले विद्यार्थी जिनके पास पेपर पास करने का वर्तमान समय में अंतिम अवसर है एवं अन्य सेमेस्टर में भी रिअपीयर वाले विद्यार्थियों को नियमित विद्यार्थियों से संबंधित बनाई जाने वाली परीक्षा पद्धति को अपनाकर ही उन्हें अवसर मिलना चाहिए ताकि उनका 1 वर्ष व्यर्थ ना हो

रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के मंडल प्रतिनिधि ने आज जिला अधिकारी से मुलाकात कर एक ज्ञापन दिया

राहुल भारद्वाज, सहारनपुर:

सहारनपुर आपको बतादे रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के मंडल प्रतिनिधि ने किसानों और मजदूरों की गम्भीर समस्या को लेकर आज जिला अधिकारी से मुलाकात कर एक ज्ञापन दिया गया जिसमें पार्टी ने मांग की है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री किसान एव सर्वहित बीमा योजना प्रदेश में चला रखी थी जिसमे कोई भी दुर्घटना से मृत्यु पर 5 लाख रुपये सहायता दी जाती थी इस योजना की जिम्मेदारी ओरिएंटल बीमा कंपनी को दी गयी थी किंतु खेद के विषय ये रहा कि बीमा कंपनी द्वारा अपनी कंपनी को लाभ पहोचने के उद्देश्य से योजना पात्र पीड़ितों तक कंपनी द्वारा योजना का कोई लाभ नही दिया गया साथ ही सरलता से मिलने वाली आर्थिक सहायता गरीब आश्रित परिवारों को इस योजना का लाभ नही मिल सका इसमें अधिकतर अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग के लोग है.

पिछले कई वर्ष में कई बार ए डी एम एफ से मुलाकात के बाद समीक्षा बैठक बुलाई गई समीक्षा बैठक में दावों को पास कर भुगतान के आदेश भी किये गए लेकिन बीमा कंपनी ने समीक्षा बैठक की भी धज्जियां उड़ाते हुए अभी तक कोई भुगतान नही किया है जो कि चिंता का विषय है. बीमा कंपनी द्वारा ये एक बहोत बड़ा घोटाला है जो सीधा सीधा यू पी सरकार को बदनाम करने का काम कर रहा है,  इसलिय रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया ने अपनी मांग की है कि बीमा कंपनी के खिलाफ समीक्षा बैठक बुलाकर कानूनी कार्यवाही की जाए। जिससे इस योजना से संबंधित पात्रो को इस योजना का लाभ मिल सके। जिला अधिकारी ने पार्टी से बात कर उनको आश्वासन दिया कि समीक्षा बैठक बुलाकर पुन इस पर विचार किया जाएगा।

ज्ञापन देने वालो में अरविंद मौर्य मण्डल अध्यक्ष, सन्नी मौर्य, दीपक लाम्बा, सुशील लाम्बा, इन्द्रराज, कमलेश, अश्वनी, बृजेश, आदि मौजूद रहे।