उद्धव राज में दो साधुओं की निर्मम हत्या के बाद शवों का अपमान
हिन्दूहृदयसम्राट बाला साहेब ठाकरे के पुत्र और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे द्वारा शासित महाराष्ट्र में भगवा वस्त्रधारी साधुओं की हत्या से वैसे भी संत समाज आक्रोशित और उद्धेलित था और अब उनके देहांत के बाद जिस प्रकार से उनके शवों के साथ अपमानजनक हरकत की गई वो इस आक्रोश को और भी ज्यादा बढाने वाली है. अभी तक इस कृत्य को करने वाले किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि ऐसा कर के उन्होंने अपनी मंशा को हिन्दू साधू संतों के खिलाफ जगजाहिर किया है। सवाल ये भी है कि ये मंशा केवल अधिकारियो भर की ही है या सीधे सरकार को खुश करने के लिए किये गये कृत्य हैं।
महाराष्ट्र(ब्यूरो):
महाराष्ट्र के पालघर जिले के एक गांव में जूना अखाड़े के दो साधुओं समेत तीन लोगों की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। वहीं, पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए ग्रामीणों और 110 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिनमें से 101 को 30 अप्रैल तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है और नौ नाबालिगों को एक किशोर आश्रय गृह में भेज दिया गया है।
साधुओं की निर्मम हत्या को लेकर साधु-संतों सहित नेताओं ने रोष जताया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी ने रविवार को इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा की और चेतावनी दी कि अगर हत्यारों की शीघ्र गिरफ्तारी नहीं की गई तो महाराष्ट्र सरकार के विरुद्ध आंदोलन किया जाएगा।
प्रयागराज में प्रवास कर रहे अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि महाराष्ट्र के पालघर जिले के एक गांव में ब्रह्मलीन संत को समाधि देने जाते साधु-संतों पर पुलिस की मौजूदगी में एक धर्म विशेष के लोगों ने हमला कर कथित तौर पर हत्या कर दी थी। उन्होंने बताया कि पालघर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से फोन पर बात कर अखाड़ा परिषद ने अपना विरोध जता दिया है और आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है।
महंत गिरी ने कहा कि लॉकडाउन के बाद अखाड़ा परिषद हरिद्वार में बैठक कर आंदोलन की रणनीति बनाएगी। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार को चेताया कि यदि सरकार ने हत्यारों के विरूद्ध कार्रवाई नहीं की तो सभी अखाड़े बैठक कर महाराष्ट्र सरकार के विरूद्ध आंदालन का शंखनाद करेंगे। साथ ही उन्होंने भक्तों से लॉकडाउन में ब्रह्मलीन हुए किसी साधु को समाधि देने जाते समय सीमित संख्या में ही जाने की अपील की है।
दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा: मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने ट्वीट कर पालघर की घटना पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। दरअसल मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से किए गए ट्वीट में कहा गया है कि पालघर की घटना पर कार्रवाई की गई है। पुलिस ने उन सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है जिन्होंने अपराध के दिन 2 साधुओं, 1 ड्राइवर और पुलिस कर्मियों पर हमला किया था। एक अन्य ट्वीट में कहा कि ऐसी शर्मनाक घटना को अंजाम देने वाले दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
फडणवीस ने कड़ी कार्रवाई की मांग की
दूसरी तरफ महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी साधुओं की हत्या पर दुख जताया है और आरोपियों के खिलाफ जल्द से जल्द कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।
फडणवीस ने ट्वीट किया, ‘पालघर में भीड़ हिंसा की घटना का वीडियो हैरान करने वाला और अमानवीय है। ऐसे संकट के समय इस तरह की घटना और भी ज्यादा परेशान करने वाली है। मैं राज्य सरकार से गुजारिश करता हूं कि वह इस मामले की उच्च स्तरीय जांच करवाएं और जो दोषी हैं उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो।’
भाजपा उपाध्यक्ष बैजयंत पांडा ने घटना को शर्मनाक बताया
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और प्रवक्ता बैजयंत पांडा ने भी घटना को लेकर रोष जताया है। उन्होंने इस घटना को शर्मनाक बताया और उद्धव सरकार को निशाने पर लिया। पांडा ने ट्वीट किया, ‘पालघर में पुलिस के सामने भीड़ हिंसा की घटना का वीडियो दहला देने वाला है। वह भी तब जब कुछ ही दिन पहले उद्धव सरकार के शासन में एक पुलिसकर्मी और डॉक्टर पर हमला हुआ था। मीडिया के एक वर्ग ने इसे ‘संतों के भेष में चोरों’ का मामला बताकर घटना को कमतर दिखाया।’
क्या था मामला?
जूना अखाड़े के दो साधु अपने ड्राइवर के साथ मुंबई से गुजरात के सूरत में अपने साथी के अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे। तभी पालघर के एक गांव में गांव वालों ने इन्हें डकैत समझ कर पीट-पीट कर मार डाला। ये तीनों मुंबई के कांदिवली इलाके से मारुति ईको कार में सवार होकर सूरत निकले जहां उनके साथी की मौत हो गई थी। दोनो साधुओं को ही उनका अंतिम संस्कार करना था। जब इनकी गाड़ी महाराष्ट्र-गुजरात बॉर्डर पर पहुंची तो पुलिस ने उन्हें रोक कर वापस भेज दिया। इसके बाद तीनों ने अंदरूनी जंगल वाले रास्ते से होकर आगे बढ़ना तय किया।
इस बीच पालघर जिले के कई गांवों में अफवाह फैल गई कि लॉकडाउन का फायदा उठाकर अपराधी तत्व बैखौफ होकर चोरी डकैती को अंजाम दे रहे हैं। लोगों का अपहरण कर उनकी किडनी निकाल रहे हैं। इस अफवाह के चलते गांव वालों ने बिना कुछ सोचे समझे इनकी गाड़ी देख इन पर हमला कर दिया और गाड़ी को पलट दिया।
पुलिस को इस घटना की सूचना दी गई। पुलिस ने वहां पहुंचकर इन तीनों को अपनी गाड़ी में बैठाया लेकिन गांव वालों की भारी भीड़ के सामने पुलिसकर्मियों की संख्या काफी कम थी, इसलिए तीनों घायलों को छोड़कर पुलिसकर्मी भाग खड़े हुए। इसके बाद गुस्साई भीड़ ने इन्हें पीट-पीट कर मार डाला।
कलेक्टर कैलाश शिंदे ने बताया कि घटना से संबंधित एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें यह देखा जा सकता है कि ग्रामीणों ने मृतक की कार को लाठी, पत्थर और अन्य वस्तुओं से क्षतिग्रस्त कर दिया। पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची लेकिन फिर भी ग्रामीणों ने तीनों लोगों पर हमला जारी रखा।
उन्होंने कहा कि तीनों को अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। आगे की जांच की जा रही है। घटना में हमारे पुलिसकर्मी भी घायल हो गए हैं। लगभग 110 ग्रामीणों को पूछताछ के लिए पुलिस थानों में लाया गया है।