इसी सप्ताह में हो सकती हैं लोक सभा चुनावों की घोषणा

चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर में लोकसभा के साथ साथ विधान सभा कुनव करवाये जाने की तैयारियों का जायजा ले लिया है और संभवत: इसी सप्ताह चुनावों की घोषणा की जा सकती है।

चुनाव आयोग अगले कुछ दिनों में लोकसभा चुनावों की तारीखों का ऐलान कर सकता है. सूत्रों के मुताबिक 7 मार्च से 10 मार्च के बीच चुनावों की घोषणा की जा सकती है. इसके साथ ही आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम में विधानसभा चुनावों की घोषणा भी की जा सकती है.

जम्मू और कश्मीर विधानसभा चुनाव भी साथ ही कराए जा सकते हैं. इसके लिए चुनाव आयोग की तैयारियां पूरी कर ली हैं. पिछले कुछ चुनावों में भी तारीखों का ऐलान करने को लेकर आयोग लगातार विपक्षी दलों के निशाने पर रहा है. साल 2018 में पांच राज्यों के चुनाव में अधिसूचना जारी होने में देरी से खासतौर से कांग्रेस पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधती रही है.

उल्लेखनीय है कि साल 2014 में लोकसभा चुनाव 7 अप्रैल से 12 मई के बीच कुल 9 चरणों में कराए गए थे. 16 मई को चुनावी नतीजे घोषित हुए थे, जिसमें मोदी सरकार को बहुमत के साथ ही बड़ी जीत मिली थी.

प्रधानमंत्री मोदी ने 26 मई 2014 को शपथ ग्रहण किया था. पिछले चुनाव में अधिसूचना 5 मार्च को जारी की गई थी जो 7 अप्रैल को होने वाले पहले मतदान से 25 दिन पहले था. साल 2009 के लोकसभा चुनाव 16 अप्रैल से 13 मई के बीच पांच चरणों में हुए थे.

कौन है समझौता ब्लास्ट को हिन्दू आतंकवाद से जोड़ने की खौफनाक साजिश के पीछे

Sarika Tiwari, Panchkula. 7th March 2017:

आगामी सप्ताह में सम्झौता ब्लास्ट मामले में फैसला सुना दिया जाएगा। अभी अदालत ने  यह फैसला अपने पास सुरक्शित रखा है। यह एक एतेहासिक मामला है जिसमें हिन्दू आतंकवाद जैसा शब्द निर्मित किया गया। 18 फरवरी 2007 में आधी रात के समय पानीपत में यह ब्लास्ट हुआ जिसमें स्वामी असीमानंद और साध्वी प्रज्ञा को आरोपित किया गया । लेकिन आधिकारिक खुलासों के अनुसार इस केस में पाकिस्तानी आतंकवादी पकड़ा गया था, उसने अपना गुनाह भी कबूल किया था लेकिन महज 14 दिनों में उसे चुपचाप छोड़ दिया।

18 फरवरी 2007 को समझौता एक्सप्रैस में ब्लास्ट हुआ था इसमें 68 लोग मारे गए। इस केस में दो पाकिस्तानी संदिग्ध पकड़े गए, इनमें से एक ने गुनाह कबूल किया लेकिन पुलिस ने सिर्फ 14 दिन में जांच पूरी करके उसे बेगुनाह करार दिया। अदालत में पाकिस्तानी संदिग्ध को केस से बरी करने की अपील की गई और अदालत ने पुलिस की बात पर यकीन किया और पाकिस्तानी संदिग्ध आजाद हो गया। फिर कहां गया ये किसी को नहीं मालूम….क्या ये सब इत्तेफाक था या फिर एक बड़ी राजनीतिक साजिश थी?

सूत्रों के अनुसार उस समय की सरकार को 2 पाकिस्तानी संदिग्ध को छोड़ने की इतनी जल्दी क्यों थी फिर अचानक इस केस में हिन्दु आतंकवाद कैसे आ गया।

इस केस के पहले इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर थे इंस्पेक्टर गुरदीप सिंह जो कि अब रिटायर हो चुके हैं। गुरदीप सिंह ने 9 जून 2017 को कोर्ट में अपना बयान रिकॉर्ड करवाया है। इस बयान में इंस्पेक्टर गुरदीप से ने कहा है, ‘ये सही है कि समझौता ब्लॉस्ट में पाकिस्तानी अजमत अली को गिरफ्तार किया गया था। वो बिना पासपोर्ट के, बिना लीगल ट्रैवल डाक्यूमेंटस के भारत आया था। दिल्ली, मुंबई समेत देश के कई शहरों में घूमा था। मैं अजमत अली के साथ उन शहरों में गया जहां वो गया था। उसने इलाहाबाद में जहां जाने की बात कही वो सही निकली लेकिन अपने सीनियर अधिकारियों, सुपिरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस भारती अरोड़ा और डीआईजी के निर्देष के मुताबिक मैने अजमत अली को कोर्ट से बरी करवाया।’ इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर ने कोर्ट को जो बयान दिया वो काफी हैरान करने वाला है

ऊपर से आदेश आयापाकिस्तानी संदिग्ध छोड़ा गया

पुलिस अधिकारी ऐसा तभी करते हैं जब उन पर ऊपर से दवाब आता है। आखिर इतने सीनियर अधिकारियों को पाकिस्तानी संदिग्ध को छोड़ने के लिए किसने दबाव बनाया? एक ब्लास्ट केस में सिर्फ 14 दिन में पुलिस ने ये कैसे तय कर लिया कि आरोपी बेगुनाह है और उसे छोड़ देना चाहिए?

अजमत अली है कौन?

कोर्ट में जमा डॉक्युमेंट्स के मुताबिक अजमत अली पाकिस्तानी नागरिक था। उसे भारत में अटारी बॉर्डर के पास से GRP ने अरेस्ट किया था। उसके पास न तो पासपोर्ट था, न वीजा था और ना ही कोई लीगल डॉक्यूमेंट। इस शख्स ने पूछताछ में कबूल किया कि वो पाकिस्तानी है और उसके पिता का नाम मेहम्मद शरीफ है। उसने अपने घर का पता बताय़ा था- हाउस नंबर 24, गली नंबर 51, हमाम स्ट्रीट जिला लाहौर, पाकिस्तान।

सबसे बड़ी बात ये कि ब्लास्ट के बाद दो प्रत्यक्षदर्शियों ने बम रखने वाले का जो हुलिया बताया था वो अजमत अली से मिलता जुलता था। प्रत्यक्षदर्शी के बताने पर स्केच तैयार किए गए थे, और उस स्केच के आधार पर ही अजमत अली और मोहम्मद उस्मान को इस केस में आरोपी बनाया गया था। इंस्पेक्टर गुरदीप ने भी कोर्ट को जो बयान दिया था उसमें कहा है कि ट्रेन में सफर कर रहे शौकत अली और रुखसाना के बताए हुलिए के आधार पर दोनो आरोपियों के स्केच बनाए गए थे।

समझौता ब्लास्ट 18 फरवरी 2007 को हुआ था। पुलिस ने अजमत अली को एक मार्च 2007 को अटारी बॉर्डर के पास से बिना लीगल डॉक्युमेंट्स के गिरफ्तार किया था। उस वक्त वो पाकिस्तान वापस लौटने की कोशिश कर रहा था। गिरफ्तारी के बाद अजमत अली को अमृतसर की सेंट्रल जेल में भेजा गया। वहीं से समझौता ब्लास्ट की जांच टीम को बताया गया था कि समझौता ब्लास्ट के जिन संदिग्धों के उन्होंने स्केच जारी किए हैं उनमें से एक का चेहरा अजमत अली से मिलता है। इसके बाद लोकल पुलिस ने अजमत अली को कोर्ट में समझौता पुलिस की जांच टीम को हैंडओवर कर दिया।

जांच टीम ने 6 मार्च 2007 को कोर्ट से अजमत अली की 14 दिन की रिमांड मांगी। हमारे पास वो ऐप्लिकेशन हैं, जो पुलिस ने कोर्ट में जमा की थी। इस एप्लिकेशन में जांच अधिकारी ने साफ साफ लिखा है कि समझौता ब्लास्ट मामले में गवाहों की याददाश्त के मुताबिक संदिग्धों के स्केचेज़ बनाकर टीवी और अखबारों को जारी किए गए थे। अटारी जीआरपी ने इस स्केच से मिलते जुलते संदिग्ध अजमत अली को गिरफ्तार किया। इसने पूछताछ में बताया कि वो तीन नवंबर 2006 को बिन पासपोर्ट और वीजा के भारत आया था। इसी आधार पर कोर्ट ने अजमत अली को 14 दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया था।

अबतक की कहानी साफ है समझौता ट्रेन में ब्लास्ट हुआ, इस ब्लास्ट के दो आईविटनेसेज़ ने ट्रेन में बम रखने वालों का हुलिया बताया, उसके आधार पर दो लोगो के स्केच बने, उन्हें अटारी रेलवे पुलिस ने गिरफ्तार किया और फिर पूछताछ करने के बाद समझौता ब्लास्ट की जांच कर रही टीम को सौंप दिया। इस टीम ने भी उसका चेहरा स्केच से मिला कर देखा, चेहरा मिलता जुलता दिखा, तो उसे गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया। कोर्ट ने इसे 14 दिन की पुलिस रिमांड में भेज दिया। 14 दिन की पुलिस रिमांड में पूछताछ हुई।

पूछताछ और जांच के बाद उम्मीद थी कि कुछ कंक्रीट निकल कर सामने आएगा लेकिन 14 दिन बाद, 20 मार्च को जब पुलिस ने दुबारा अजमत अली को कोर्ट में पेश किया तब उम्मीद थी कि पुलिस दुबारा उसका रिमांड मांगेगी, लेकिन हुआ उल्टा। पुलिस ने कोर्ट को बताया कि उनकी जांच पूरी हो गयी है, अजमत अली के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं, इसलिए उसे इस केस से डिस्चार्ज कर दिया जाए। कोर्ट ने पुलिस की दलील पर भरोसा किया और कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा कि अजमत अली की रिहाई की अर्जी पुलिस ने ये कहते हुए दी है कि कि मौजूदा केस की जांच में इसकी कोई जरूरत नहीं है। जब जांच टीम ने ही ये कह दिया कि तो कोर्ट ने अजमत अली को रिहा कर दिया।

करनाल में जांच अधिकारी गुरदीप सिंह ने बताया कि शुरुआती जांच के बाद ही अजमत को छोड़ दिया गया था। उन बड़े अफसरों के बारे में भी बताया जो इस टीम का हिस्सा थे जिन्होंने इस केस की जांच की और पाकिस्तानी नागरिक को छोड़ा गया। अब यहां एक बड़ा सवाल तो ये है कि इतने सारे शहरों में पुलिस ने जांच सिर्फ 14 दिन में कैसे पूरी कर ली। अजमत अली का न तो नार्को टेस्ट हुआ, न ही पोलीग्राफी टेस्ट किया गया। सिर्फ 14 दिन की पूछताछ के बाद पुलिस ने ये मान लिया कि समझौता ब्लास्ट में अजमत अली का हाथ नहीं है…ये शक तो पैदा करता है।

अजमत अली को छोड़ देना तो एक बड़ा मोड था लेकिन इससे भी बड़ा ट्विस्ट इस केस की शुरुआती जांच में आया था। शुरुआत में उस वक्त की मनमोहन सरकार ने कहा था कि समझौता ब्लास्ट के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ है लेकिन जांच बढ़ने के कुछ ही दिन बाद इस केस में भगवा आतंकवाद का नाम आया।

इस केस में शुरुआत में जांच में जल्दी-जल्दी ट्विस्ट आए इसपर हमारे कुछ सवाल हैं…

क्या एक पाकिस्तानी नागरिक जो बम धमाके का आरोपी हो उसे इतनी आसानी से छोड़ा जा सकता है? अक्सर छोटे क्राइम में भी पकड़े गए पाकिस्तानी नागरिक की जांच में भी ऐसी जल्दीबाजी नहीं होती उससे पूछताछ होती है, उसकी बातों को वैरीफाई किया जाता है लेकिन समझौता ब्लास्ट के केस में अजमत अली को तुरंत छोड़ दिया गया।

आखिर सरकार की तरफ से अजमत को छोड़ने की ऐसी जल्दबाजी क्यों की गयी? क्या पुलिस को अजमत अली का नार्को या पोलीग्राफी टेस्ट करके सच निकलवाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए थी? पहले जब इंटेलिजेंस और जांच एजेंसियों ने इस धमाके को लश्कर का मॉड्यूल बताया तो फिर एकाएक इसे हिंदू टेरर का नाम कैसे दिया गया?

हम आपको बताते है कि हिंदू टेरर का नाम कैसे आया, इसका जवाब भी पुलिस अधिकारियों की एक मीटिंग की नोटिंग में मिला। 21 जुलाई 2010 को बंद कमरे में कुछ अधिकारियों की मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग ये तय हुआ था कि हरियाणा पुलिस समझौता एक्सप्रैस ब्लास्ट की जांच में किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही है इसलिए इसे नेशनल इनवेस्टिगेटिव एजेंसी को सौंप देना चाहिए। इसी मीटिंग में ये बात भी हुई थी कि इस केस की जांच हिंदू ग्रुप के इन्वॉल्वमेंट पर भी होना चाहिए। नोटिंग में लिखा है कि एसएस (आईएस) को याद होगा, उनके चेंबर में इस बात पर डिस्कशन हुआ था, कि इसकी जांच हिंदू ग्रुप के ब्लास्ट में शामिल होने की संभावना पर भी होनी चाहिए।

पुलिस की नोटिंग से सवाल ये उठता है कि  किसके कहने पर हिंदू टेरर ग्रुप का नाम इस धमाके से जोड़ने का आइडिया आया? बंद कमरे में वो कौन-कौन ऑफिसर थे जिन्होंने इस धमाके को हिंदू टेरर का एंगल देने की कोशिश की? इन अफसरों के नाम सामने आना जरूरी हैं, उनसे पूछताछ होगी, तभी पता चलेगा कि उनपर किसका दबाव था… बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने कहा कि ये देश के साथ विश्वासघात है। उन्होंने कहा कि सिर्फ हिंदू आतंकवाद का नाम देने के लिए ये पूरी साजिश रची गयी थी।

बता दें कि तत्कालीन गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने AICC की मीटिंग में भगवा आतंकवाद की बात करके सबको चौंका दिया था बाद में पी चिदंबरम ने और दिग्विजय सिंह ने बार-बार बीजेपी को बैकफुट पर लाने के लिए इस जुमले का इस्तेमाल किया। समझौता ब्लास्ट के केस में जिस तरह से पहले लश्कर ए तैयबा का नाम आया फिर उस वक्त की सरकार ने पाकिस्तानियों को छोड़ दिया और स्वामी असीमानंद को आरोपी बनाकर इस केस को पूरी तरह पलट दिया….इसके पीछे एक सोची समझी साजिश थी।

अब ये साफ है कि भगवा आतंकवाद का जुमला क्वाइन करने के लिए, हिन्दू आतंकवाद का हब्बा खड़ा करने के लिए इस केस में पाकिस्तानियों को बचाया गया और भारतीय हिंदुओं को फंसाया गया। अब सवाल सिर्फ इतना है कि इस साजिश के पीछे किसका शातिर दिमाग था।

फैसला चाहे जो आए लेकिन साजिश कर्ताओं  का पर्दा फ़ाश होना अति आवश्यक है।

तथागत सत्पथेय: राजनीति से पत्रकारिता की ओर

तथागत सत्पथी (Tathagata Satpathy): जिस दौर में पत्रकारिता को सीढ़ी बनाकर तमाम लोग विधायक-सांसद और मंत्री बनकर सत्ता का सुख लेने की कोशिश करते हैं, जिसके ढेरों उदाहरण भी हैं, उस दौर में इस सांसद ने पत्रकारिता के लिए राजनीति से संन्यास लेकर नजीर पेश की है.

तथागत सत्पथी ने पत्रकारिता करने के लिए राजनीति से लिया संन्यास
बीजद से चार बार के सांसद हैं तथागत सत्पथी
जब पत्रकार से लोग नेता बनते हैं, तब सांसद ने रची मिसाल

मिलिए ऐसे सांसद से, जिन्होंने पत्रकारिता के लिए राजनीति से संन्यास लेकर चौंकाया
तथागत सत्पति (Tathagata Satpathy), ओडिशा के BJD सांसद, ने पत्रकारिता के लिए राजनीति से लिया संन्यास…
खास बातें

नई दिल्ली: तथागत सत्पति (Tathagata Satpathy) ऐसा नाम है, जिन्होंने विरला ही काम कर दिखाया है. दरअसल, देश में पत्रकार से नेता बनने के अतीत और वर्तमान में बहुत से उदाहरण हैं. मगर कोई नेता अगर पत्रकारिता में आने के लिए राजनीति से तौबा कर ले, तो बात मायने रखती है. यह बात, तब और भी खास हो जाती है, जब ऐसा फैसला लेने वाला शख्स कोई हाशिये पर पहुंचा नेता होने की जगह पार्टी और इलाके का एक सक्रिय सांसद हो और पूर्व मुख्यमंत्री का बेटा भी. 80 और 90 साल की उम्र में भी जब कई नेता राजनीति से संन्यास नहीं लेते, तब 62 साल की उम्र मे ही इस सांसद ने राजनीति को अलविदा कह दिया है. बात हो रही है ओडिशा के सत्ताधारी BJD के सांसद की. चार बार के सांसद तथागत सत्पति (Tathagata Satpathy) ने पत्रकारिता की दुनिया में फिर लौटने के लिए राजनीति से संन्यास लेने का मंगलवार को ऐलान कर सबको चौंका दिया है.

काबिलेगौर है कि सांसद तथागत सत्पति (Tathagata Satpathy) की मां नंदिनी सत्पथी प्रख्यात लेखिका के साथ ओडिशा की मुख्यमंत्री रह चुकीं हैं. वे 14 जून, 1972 से 16 दिसम्बर, 1976 तक राज्य की मुख्यमंत्री रहीं. चार अगस्त 2006 को भुवनेश्वर में नंदिनी का निधन हो गया था. तथागत सूबे के ढेंकनाल निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सांसद हैं. उन्होंने टि्वटर पर कहा, ‘‘अब पत्रकारिता में और निडर आवाजों की जरुरत है. पत्रकारिता पर फिर से ध्यान केंद्रित करने के लिए अपने आप को राजनीति से दूर कर रहा हूं. इतने वर्षों में सहयोग के लिए अपने नेता नवीन पटनायक का आभारी हूं. यह अहसास हुआ कि लोगों की सेवा करने के लिए राजनीति एकमात्र जरिया नहीं है.’

एक अन्य ट्वीट में तथागत ने अपने उन वोटर्स का भी आभार जताया, जिन्होंने उन्हें हमेशा समर्थन और प्यार दिया. उन्होंने कहा कि देश में सामाजिक नेतृत्व का अभाव है और यह समय है युवा नेतृत्व को भी मौका देने का.

Women’s Rights Day celebrated at PU

            Centre for Human Rights and Duties, Panjab University, Chandigarh in collaboration with State Legal Services Authority, U.T. Chandigarh celebrated International Women’s Day, here today by organizing a panel discussion on ‘Human Rights Advocacy for Acid Attack survivors’. 

            Dr Namita Gupta, Chairperson, Centre for Human Rights and Duties, PU stated that International Women’s Day is celebrated on March 8 every year with a purpose to create an equitable society. The theme of this year’s International Women’s Day, is “Balance for Better”. A balance cannot be maintained in a society which inflict violence or discriminate against half of the population of the world. Acid attack on women is one of the most heinous forms of violence against women and time has come to raise a voice against any violence against women in the society.

            Hon’ble Mr. Justice A.B. Chaudhri, Judge Punjab and Haryana High Court while elaborating on the theme said that it is a matter of shame that though there have been various laws and policies framed to protect women from various forms of violence but the ground reality is totally different and the State still fails in shielding the women in the manner it should be. There has been lack of speedy trial and assistance to victims which makes it more difficult for them to go through various hardships. Making references to various cases dealt by him, he asserted that there is an urgent need to amend various laws not only to ensure the safety of women but also to compensate and rehabilitate victims of violence.

            Professor Shankarji Jha, Dean of University Instructions, Panjab University empathized with the acid attack victims specially the Ritu Saini. He stated that it is the law of ocean that the stronger species always try to control the weaker ones. However, in a civilized society, we should work for the protection of the weaker sections of the society.

            Ms. Ritu Saini, an Acid Attack Survivor and a social worker from Delhi, shared her horrifying experiences. She narrated her story and revealed that she was only eighteen years old when her cousin paid someone to throw acid on her. She said that she was a state Volleyball player and has ambitions like any other girl. However, one incident changed her life. She has suffered not only physically but mentally too. She asserted that why are men in our society not able to accept rejection. She shared her campaign “Stop Acid Attack” and also about the ‘Sheroes Hangout Café’ run by the acid attack survivors in Lucknow and Agra.

            Ms. Veena Kumari, State Director, Human Rights Law Network (HRLN), Chandigarh, stated that acid attack is an extreme kind of violence perpetuated against women. She made reference to various cases especially Supreme Court Judgment of 2013 in Laxmi vs. Union of India. She stated that acid sale is regulated by law rather than banning the sale of acid.  She talked about various entitlements which should be given to the acid attack victims mainly focusing on adequate compensation. There should be an immediate compensation to be given to the victim which has to be paid by the perpetrator.

            Ms. Navpreet Kaur, Founder member, Stop Sale Acid Campaign shared experiences of her research on Acid Attack victims and discussed various cases that she has studied. She drew a conclusion of her study that one of the prominent reasons behind such crime is patriarchy embedded in the society.

            Dr. Upneet Kaur Mangat, Assistant Professor, Centre for Human Rights and Duties, focused on the gender neutrality of the issue. She drew attention towards the gender neutral dimension that should be considered which framing legal measures, policy measures and rehabilitation mechanism.

            Prof. Rajesh Gill, Chairperson, Department of Sociology, chair of the panel while concluding the session threw light on the poor viability of the compensation aspect. She said, “Law is necessary but not enough. It is the society that has to play an important role in mainstreaming the vulnerable section of the society.” She also asked the men in the audience to redefine masculinity in them. She complemented the individualistic attitude of men who have accepted the acid attack victims.

            The event was well attended by the faculty members, researchers and students from different departments. Sh Mahavir Singh, Member Secretary, State Legal Services Authority, Chandigarh was also present on this occasion.           

Research on fungal infection in Grapes granted

Dr Kashmir Singh, Associate Professor from Biotechnology Department, Panjab University Chandigarh has been granted a project on “Genome-wide Identification and Functional Analysis of Long Non-coding RNAs associated with biotic stress in Vitis vinifera  (Grapevine)” by SERB,  New Delhi. The total cost of project is around 50 lac which  will cover the cost of equipments, consumables and manpower. Dr Singh will work on 
identification of LncRNAs responsive to fungal infection in grapes.  These LncRNAs  will be used further for improvement of disease resistance in grapes. 

Interactive session with multilingual author Shri Om Parkash Gaaso

Chandigarh March 6, 2019

            School of Punjabi Studies, Panjab University, Chandigarh along with Punjabi Sahit Sabha organized an interaction with multilingual author Shri Om Parkash Gaaso ji.  Dr.Yog Raj Angrish, Chairperson of the Department introduced the guest personality as a pen writing in various forms of literature.  Gaaso’s collections include critique, poetry, fiction and prose.  The resource person highlighted the aesthetical values of life, that can easily witnessed through eyes of literature.  Eighty-six year old young man expressed his experiences and thoughts in his own style of act and story-telling. In the end, Dr. Sarabjeet Singh delivered thanks words to the guest.  Stage was conducted by Jaspal Singh, General Secretary, Sahit Sabha.  On this occasion, Dr. Pawan Kumar and Dr. Ashwani Kumar, research scholars and students of department were present.

शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में भारत एक बार फिर से विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर-शिक्षा

राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सेक्टर-1 में 4 करोड़ 70 लाख रुपये की लागत से बनेगा 4 मंजिला छात्रवास-रामबिलास शर्मा
-शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में भारत एक बार फिर से विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर-शिक्षा मंत्री

मंत्रीपंचकूला, 6 मार्च:

शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने आज राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सेक्टर-1 में 4.11 करोड़ रुपये की लागत से बनाये गये आई0टी0 ब्लाॅक का उद्घाटन किया। उन्होंने काॅलेज प्रबंधन की मांग पर इस महाविद्यालय में चार मंजिला छात्रावास बनाने के लिये 4 करोड़ 70 लाख रुपये की राशि उपलब्ध करवाने की घोषणा की और पुलिस हाउसिंग काॅर्पोंरेशन के अधिकारियों को यह छात्रावास शीर्घ तैयार करने के निर्देश दिये। उन्होंने बताया कि 29278 वर्ग फुट क्षेत्र में बने आई0टी0 ब्लाॅक में विद्याार्थियों के लिये दो कंप्यूटर लैब के साथ-साथ सेमिनार हाॅल, लेक्चर रूम, परीक्षा हाॅल सहित सभी आवश्यक सुविधायें उपलब्ध करवाई गई है।

  उपस्थित विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि हजारों वर्ष पहले से भारत शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में विश्व गुरु रहा है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के राखीगढ़ी की खुदाई के दौरान मिले प्रमाणों से भी देश की सभ्यता और ज्ञान के विकास के प्रमाण सामने आते है। उन्होंने कहा कि पिछले लंबे कार्यकाल में शिक्षा क्षेत्र की अनदेखी के कारण शिक्षा का स्वरुप बदल रहा था और वर्तमान सरकार ने इसमें मूलभूत सुधार करके गुणात्मक शिक्षा पर बल दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार के प्रयासों से शिक्षा में उल्लेखनीय सुधार आये है और भारत फिर से विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि बच्चों को प्रतियोगी शिक्षा के साथ-साथ संस्कारित शिक्षा देने के भी प्रयास आरंभ किये गये है, जिनमें कुछ कक्षाओं में संस्कृत भाषा को अनिवार्य करना, पाठयक्रमों में महान पुरुषों की जीवनियों को शामिल करना इत्यादि उल्लेखनीय है।

उन्होंने कहा कि भारत की भूमि वीरों की भूमि है और समय आने पर भारतीय युवाओं ने अपने शौर्य का परिचय दिया है। उन्होंने कहा कि 2016 में उड़ी क्षेत्र में आतंकी हमले का जवाब देने के लिये प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के निर्णय पर सेना द्वारा सर्जिकल स्ट्राईक करके पड़ोसी देश की सीमा में जाकर आतंकियों को सबक सिखाया था। अब पुलवामा में आतंकियों द्वारा की गई कायरतापूर्ण कार्यवाही के लिये भी भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकी ठिकानों को नष्ट किया है। उन्होंने विंग कमांडर अभिनंदन की बहादुरी को भी सराहा और कहा कि उनकी देश भक्ति की भावना को पूरा देश सलाम कर रहा है। अभिनंदन ने 1972 में पुरानी तकनीक से बने मिड-21 से जिस तरह पाकिस्तान के अमरीकी नवीन तकनीक से बने एफ-16 विमान को धवस्त किया है, वह उनकी बहादुरी की एक बड़ी मिसाल है। उन्होंने कहा कि कुछ राजनैतिक दल विज्ञापन की राजनीति करते है लेकिन भाजपा वास्तविक प्रदर्शन की राजनीति में विश्वास करती है।

उन्होंने कहा कि कुछ राजनैतिक दल भारतीय सैनिकों की बहादुरी की सराहना करने की बजाय सर्जिकल स्ट्राईक के सबूत मांगने में लगे हुए है।  शिक्षामंत्री ने इस मौके पर विद्याार्थियों द्वारा बनाई गई सुंदर व आकर्षक रंगोली की सराहना की और रंगोली बनाने वाले विद्याार्थियों को नगद पुरस्कार देकर सम्मानित किया।

इस मौके पर पंचकूला विधायक एवं मुख्य सचेतक ज्ञानचंद गुप्ता, महाविद्यालय की प्रिंसीपल श्रीमती अर्चना सूद, जिला शिक्षा अधिकारी एच0एस सैनी सहित प्रशासन के अन्य अधिकारी व काॅलेज के प्राध्यापक उपस्थित रहे।

Neelam Mansingh bereaved, husband Pushi passes away

Chandigarh, March 5, 2019 : Renowned theater director Neelam Mansingh’s husband Pushwinder Chowdhry @Pushi passed away at his residence in Sector 4 here on Monday evening. He was 73 . Pushi is survived by his wife and sons Anghad Chowdhry and Kabir Chowdhry.The cremation will take place at 5 pm on Tuesday ( March 5 ) at cremation ground Sector 25, Chandigarh .

बुआ – बबुआ देंगे कॉंग्रेस को नव जीवन

उत्तर प्रदेश में अपने दम पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस अब जमीनी हकीकत से रु – ब -रु हो चुकी है। कांग्रेस अब माया अखिलेश गठबंधन में शामिल होगी और अखिलेश माया ने बड़ा दिल दिखाते हुए कांग्रेस को 9 सीटों की पेशकश की है।

कांग्रेस और एसपी-बीएसपी गठबंधन के बीच यूपी में बैक चैनल बात हुई है. कांग्रेस को गठबंधन ने 9 सीटें ऑफर की हैं. इनमें से 2 सीटें अमेठी और रायबरेली हैं. यूपी में कांग्रेस के धीमे हुए प्रचार अभियान के पीछे एक वजह यह भी है.

प्रियंका गांधी 20 दिनों पहले लखनऊ गई थीं उसके बाद चुनाव प्रचार नहीं किया बस शहीद के परिवार से मिलने पश्चिमी उत्तर प्रदेश गई थीं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी फिलहाल यूपी से दूर हैं.

एयर स्ट्राइक के बाद बदली परिस्थितियों में विपक्ष को एकजुट रखने की कोशिश के तहत नई प्रक्रिया शुरू की गई है. राष्ट्रीय स्तर के 2 बड़े नेताओं ने यूपी में विपक्ष को एकजुट रखने के लिए कांग्रेस और सपा-बसपा से बात की.

प्रियंका गांधी 8 मार्च के आसपास से यूपी दौरे का दूसरा चरण शुरू कर सकती हैं. अंतिम फैसला कुछ दिनों में किए जाने की संभावना है. प्रियंका की वजह से ही 2017 में विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर के ज़रिए यूपी में सपा से गठबंधन किया गया था. अन्य राज्यों में भी कांग्रेस नए सिरे से गठबंधन की कोशिश करेगी.

राहुल गांधी द्वारा गठबंधन मामलों के लिए बनाई एके एंटोनी कमेटी सभी राज्यों में गठबंधन की संभावना को नए सिरे से देख रही है. दिल्ली में इसी क्रम में आप से भी गठबंधन के विकल्प पर चर्चा हो रही है. झारखंड, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, बिहार में गठबंधन पर बातचीत अंतिम चरण में है. अगले दो हफ्ते में कांग्रेस सभी राज्यों में तस्वीर साफ कर देगी.

ज़िंदा है मसूद: फयाज-उल-हसन

हाल ही में ऐसी खबरें सामने आई हैं कि आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर की मौत हो चुकी है. हालांकि पाकिस्तान के संस्कृति मंत्री फयाज-उल-हसन ने दावा किया है कि आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर जिंदा है. फयाज-उल-हसन ने कहा है कि वो जिंदा है और उसकी मौत की कोई खबर नहीं है.

वहीं पाकिस्तानी मीडिया का भी कहना है कि भारत का सबसे वांछित आतंकवादी और जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर जिंदा है. पाकिस्तानी मीडिया की एक खबर में अजहर के परिवार के करीबी सूत्रों के हवाले से यह बात कही गई. जियो उर्दू न्यूज ने बताया कि जिन मीडिया रिपोर्टों में जैश-ए-मोहम्मद के नेता के मारे जाने का दावा किया गया है, वे झूठे हैं. यह खबर सोशल मीडिया पर चल रही उन अटकलों के बीच आई है कि इस आतंकी संगठन के संस्थापक की मौत हो गई.

हालांकि, अभी किसी तरह की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं है. मसूद अजहर के परिवार के करीबी अज्ञात सूत्रों का हवाला देते हुए चैनल ने कहा कि अजहर जिंदा है. उसकी सेहत के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. अजहर के बारे में पाकिस्तानी सरकार ने कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है.