हरियाणा के खिलाडियों को जल्द मिलेगी नौकरी : विज

आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में देश के लिए मेडल जीतकर आये हरियाणा के 22 खिलाड़ियों को अभी भी सरकार से पुरस्कार रूपी शाबाशी का इंतजार है। खिलाड़ियों को सम्मानित करने के लिए रखा गया कार्यक्रम रद्द होने के बाद सरकार अभी तक ईनाम राशि को लेकर कोई ठोस फैसला नहीं ले पाई है। आगे भी खेलों के पुरस्कारों को लेकर सरकार ने कुछ प्लानिंग की थी। जिसके बाद से सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर है।

सभी विवादों पर विराम लगाने के लिए अब हरियाणा के खेल मंत्री अनिल विज ने मुख्यमंत्री को एक प्रस्ताव बनाकर भेजा है। जिसमें विज ने खेल नीति में कुछ सुधार करने की वकालत की है। उम्मीद है जल्दी ही खिलाड़ियों का इंतजार खत्म होगा। इस मुद्दे पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए खेल मंत्री अनिल विज ने कहा कि खिलाड़ियों की अच्छाई के लिए हम नियमित काम करते रहते हैं। खेल नीति में संशोधन के लिए मुख्यमंत्री को प्रस्ताव भेजा गया है। हमारी खेल नीति में ईनाम देने के लिए, क्वालीफाई करने के लिए दो नियम थे एक तो हरियाणा का डोमिसाइल होना चाहिए और दूसरा हरियाणा की तरफ से खिलाड़ी नेशनल गेम्स में खेला होना चाहिए। इसी से थोड़ा कुछ खिलाड़ियों का ऑब्जेक्शन आ रहा था तो इसके बाद हरियाणा की तरफ से खिलाड़ी नेशनल गेम्स खेला होना चाहिए वाले क्लॉज को हटाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेजा है। उम्मीद है मुख्यमंत्री जी इसे स्वीकृति प्रदान करते हुए इसे कैबिनेट से अप्रूव करवाएंगे।

हॉकी खिलाड़ियों समेत अन्य कई खिलाड़ियों को अभी तक नौकरी न दिए जाने के सवाल का जवाब देते हुए खेल मंत्री अनिल विज ने कहा कि आने वाले समय मे बहुत से खिलाड़ियों को सरकार नौकरी देने जा रही है। इसकी नोटिफिकेशन जल्दी ही होने जा रही है। खेलों के क्षेत्र में बड़े बदलाव होने जा रहे हैं।

स्न्दोआ पर माइनिंग माफिया ने किया जानलेवा हमला

चंडीगढ,21जून:

पंजाब में माइनिंग माफिया बेकाबू हो गए है। विपक्ष के तमाम शोर के बावजूद सरकार लगाम लगाने में नाकाम रही है। अभी सरकार दो दिन पहले मोहाली जिले में माइनिंग माफिया द्वारा ब्लाॅक फाॅरेस्ट आफीसर पर किए गए हमले के सदमे से उबरने के लिए फाॅरेस्ट कर्मियों को हथियार देने पर विचार कर ही रही थी कि गुरूवार को रोपड से आम आदमी पार्टी के विधायक अमरजीत सिंह संदोआ पर माफिया ने हमला कर दिया।

विधायक संदोआ बीहारा गांव में अवेध माइनिंग रोकने गए थे कि उन पर हमला कर दिया गया। संदोआ की छाती पर पत्थर से चोट पहुंचाई गई। उन्हें आनन्दपुर साहिब के अस्पताल में दाखिल कराया गया है। संदोआ गुरूवार दोपहर बाद कुछ पत्रकारों को क्षेत्र में चल रहे अवैध माइनिंग को दिखाने गए थे। माइनिंग माफिया को विधायक की इस योजना की पहले से जानकारी मिल गई और उन्होंने मौके से मशीनें व वाहन पहले से हटा दिए। जैसे ही विधायक अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे माफिया के लोगों ने उन पर लोहे की राॅड व पत्थरों से हमला कर दिया। विधायक के सशस्त्र अंगरक्षक को भी मारपीट का शिकार बनाया गया। आनन्दपुर साहिब अस्पताल के डाॅक्टरों ने विधायक को छाती में दर्द और ईसीजी रिपोर्ट असामान्य आने पर इलाज के लिए चंडीगढ पीजीआई भेज दिया।

 

इस घटना से पहले मोहाली जिले के सियोंक गांव में अवैध रेत माइनिंग और वन क्षेत्र की लकडी चोरी रोकने का प्रयास करने पर सोमवार रात ही ब्लाॅक फाॅरेस्ट आॅफीसर पर हमला किया गया था। गंभीर घायल बलाॅक फारेस्ट आफीसर को इलाज के लिए पीजीआई चंडीगढ में दाखिल कराया गया है। इसके बाद वन मंत्री साधु सिंह धर्मसोत ने कहा था कि माइनिंग माफिया से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए फाॅरेस्ट प्रोटेक्शन फोर्स का गठन किया जाएगा और क्षेत्र में तैनात वन कर्मियों को फायर आम्र्स दिए जायेंगे। हालांकि फाॅरेस्ट स्टाफ को हथियार देने का प्रस्ताव वर्ष 2014 से लंबित है। वन,गृह और विधि विभाग को इस प्रस्ताव पर फैसला करना बाकी है।

 

क्षेत्र में तैनात फाॅरेस्ट स्टाफ को देने के लिए 30 डबल बैरल गन और पिस्तौल भी खरीद ली गई थीं लेकिन सम्बनिधत कानून न बनाए जाने के कारण ये हथियार अभी फिल्लौर पुलिस के पास जमा है। घने जंगल वाले जम्मू-कश्मीर और असम में सशस्त्र फाॅरेस्ट प्रोटेक्शन फोर्स बने हुए है। मोहाली और निचले शिवालिक के कांडी बेल्ट में अवैध रेत माइनिंग रोकने में फाॅरेस्ट विभाग की नाकामी के सवाल पर वन मंत्री ने माफिया के फैलने के लिए पिछली अकाली-भाजपा सरकार को दोषी बताया। मंत्री ने सिंयोक की घटना में गंभीर घायल को 50 हजार व कम घायल को 21 हजार रूपए की सहायता देने और सरकारी खर्च पर इलाज कराने का ऐलान किया। पिछले साल नवम्बर में पटियाला जिले में माइनिंग विभाग के एक जनरल मेनेजर पर माफिया ने हमला किया था। जल संसाधन,सिंचाई व राजस्व विभाग भी अपने स्टाफ की सुरक्षा के प्रबन्धों पर विचार कर रहे है।

जनरल बक्शी होंगे जम्मू और कश्मीर के नये राज्यपाल: सोशल मिडिया

 

सोशल मीडिया में वाइरल एक खबर ने पाकिस्तान तो क्या भारत में भी तहलका मचा दिया है, खबर के अनुसार नरेंद्र मोदी सरकार ने गें. गई डी बक्शी को जम्मू और कश्मीर का राज्यपाल बनाना तय किया है.

बख्शी का नाम सुनते ही पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है और हफीज सईद का सुरक्षा घेरा बाधा दिया गया है

भागवत की दिग्विजय को फटकार

छत्तीसगढ़ के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को संघ के खिलाफ बयान देने पर चेतावनी दी है।

भागवत ने ट्वीट करके कहा कि दिग्विजय सिंह को पता होना चाहिए कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को भी इसी तरह के बयान के लिए कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। भागवत ने दिग्विजय से पूछा कि क्या आप भी वही चाहते हैं।

दरअसल, दिग्विजय सिंह ने मंगलवार शाम को यह बयान दिया था कि आरएसएस ने गांधी को मारा। इस बयान की सूचना मोहन भागवत को रायपुर में वनवासी कल्याण आश्रम की ओर से चल रही कार्यशाला में दी गई।

भागवत कार्यशाला से रात आठ बजे जब बाहर निकले तो उन्होंने दिग्विजय के बयान को देखा। इसके बाद रात 12 बजे उन्होंने ट्वीट करके दिग्विजय को चेतावनी दी। भागवत के ट्वीट के बाद उनके समर्थकों ने जमकर भड़ास निकाली। समर्थकों ने कहा कि दिग्विजय के इस बयान पर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।

लंबित पड़ी राष्ट्रीय राजमार्गों की परियोजनाएं जल्द शुरू होंगी: हूडा

 

हरियाणा में लंबित पड़ी यूपीए कार्यकाल की मंजूरशुदा परियोजनाओं पर जल्द काम कराने के लिए एक बार फिर केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग सचिव श्री युद्धवीर मलिक से मुलाक़ात की। इन लंबित पड़ी मंजूरशुदा परियोजनाओं पर ठोस कार्रवाई करने के आश्वासन पर सचिव युद्धवीर मलिक का आभार।

UPA के समय मंजूरशुदा दो राष्ट्रीय राजमार्गों (NH-334B मेरठ-सोनीपत-झज्जर-दादरी-लोहारु और NH-352A जींद-गोहाना-सोनीपत) पर जल्द काम शुरू करने की फिर से मांग दोहराई। NH-334B महत्वपूर्ण नेशनल हाईवे जो सोनीपत-खरखौदा-झज्जर-दादरी-लोहारू को जोड़ने का काम करेगा जिसको स्वयं मैंने प्रस्तावित करके मंजूर कराया था और NH-352A चौ भूपेन्द्र सिंह हुड्डा जी की सोच थी। मैं लगातार इन दोनों ही राष्ट्रीय राजमार्गों के लिए प्रयासरत हूँ।

इसके साथ ही NH-71 (रोहतक-जींद-पंजाब बॉर्डर, वाया उचाना-नरवाना), ठप पड़े द्वारिका एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्य और दर्जनों फ्लाईओवर/अंडरपासों की मंजूरी की भी मांग दोहराई। गांव बालौर, बहादुरगढ़ में NH-10 पर अंडरपास और खरावड़ में रिटेनिंग वाल को बैठक के दौरान सचिव द्वारा मंजूरी देने पर उनका धन्यवाद।

जिन परियोजनाओं को मैंने रात-दिन एक कर मंजूर कराया उन महत्वपूर्ण परियोजनाओं की फाइलों को ठंडे बस्ते पड़ा देख मुझे बड़ा दुःख होता है।

लंबित पड़ी मंजूरशुदा परियोजनाएं :-

NH-334B (जेवड़ा-सोनीपत-सांपला-झज्जर-दादरी-बाढड़ा-लोहारु) :

NH-334B (जेवड़ा-सोनीपत-सांपला-झज्जर-दादरी-बाढड़ा-लोहारु) पर खेवड़ा, हसनगढ़, रोहना, भापड़ोदा, सांपला आदि प्रमुख जगहों पर बाईपास बनाये जाने की मांग रखी थी जिनको मंजूरी दे दी गई है। इस राजमार्ग को दादरी से लोहारू तक सरकार के 2 लेन सड़क बनाये जाने के फैसले का विरोध किया और मांग रखी कि 2012 में मेरे द्वारा मंजूर कराये गए इस राजमार्ग के प्रारूप के अनुसार ही इस पूरे राजमार्ग को 4 लेन ही होना चाहिए। यह जानकर ख़ुशी हुई कि NH-334B के सोनीपत से झज्जर तक 4 लेन का काम अगले कुछ ही दिनों में शुरू होगा।

NH-352A (जींद-गोहाना-सोनीपत) :

NH-352A (जींद-गोहाना-सोनीपत) हुड्डा सरकार के कार्यकाल में मंजूर करवा कर नोटिफाई भी करवा दिया था मगर चार साल में इस नये और महत्वपूर्ण राजमार्ग पर काम नहीं चालू किया गया है। केन्द्रीय सचिव ने आश्वासन दिया कि इस राष्ट्रीय राजमार्ग पर अगले कुछ ही दिनों में काम शुरू हो जायेगा।

NH-71 (रोहतक-जींद-उचाना-नरवाना से जाखल पंजाब बॉर्डर तक) :

NH-71 के रोहतक-जींद-नरवाना-पंजाब बॉर्डर सेक्शन के काम को केंद्र सरकार से दिसंबर 2011 और मार्च 2012 में मंजूरी दिलवा कर, तत्कालीन केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री डॉ सी पी जोशी से 3 जून 2012 को शिलान्यास कर इस पर जोरशोर से काम चालू करवा दिया गया था। इस पर जींद में बाईपास को भी शामिल कर मंजूरी दिलवाई थी। मगर पिछले 4 सालों में रोहतक-जींद सेक्शन पर काम पूरी तरह ठप्प पड़ा है और जींद-पंजाब बॉर्डर सेक्शन पर काम धीमी गति से चल रहा है, मैंने दोनों सेक्शन पर काम तेज गति से चालू करने की मांग केन्द्रीय सचिव के समक्ष दोबारा फिर से रखी।

नार्दन पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे (द्वारका एक्सप्रेस-वे) :

गुड़गाँव और दिल्ली के बीच बन रहे द्वारका एक्सप्रेस-वे, जो द्वारका से 18 किमी० दूर खिड़कीधौला टोल पर एनएच-8 से जुड़ता है, को 2010 में पूर्ववर्ती हुड्डा सरकार के समय मंजूर कराकर काम शुरु करा दिया गया था और 2014 तक इसका 95% कार्य पूरा भी हो चुका था। भाजपा सरकार के आने के बाद इसको NHAI ने राष्ट्रीय राजमार्ग घोषित कर टेक ओवर कर लिया और चार साल में 5% काम भी पूरा नहीं हो पाया है। पिछले चार साल से ठप पड़े नार्दन पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे (द्वारका एक्सप्रेस-वे) के निर्माण कार्य को शीघ्र पूरा करने की मांग को भी दोहराया ताकि गुड़गांव ट्रैफिक में राहत मिले।

अंडरपास :

13 जून 2017 को श्री युद्धवीर मलिक से राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण मुख्यालय में मुलाकात के बाद मंजूर हुए दर्जनों अंडरपास पर जल्द काम चालू करवाने की माँग रखी थी। राष्ट्रीय राजमार्गों के अलावा राजमार्गों पर आये दिन हो रही दुर्घटनाओं चिंता व्यक्त करते हुए विभिन्न राजमार्गों पर दर्जनों अंडरपास बनाये जाने की मांग भी दोहराई जिसमें रेवाड़ी के गुरावड़ा और सोनीपत के मुंडलाना का अंडरपास भी शामिल है।

बैठक के दौरान इन गांवों में अंडरपास को मिली मंजूरी :

मेरी मांग पर गाँव बालौर में NH 10 पर अंडरपास बनाने और खरावड़ में रिटेनिंग वाल को बैठक के दौरान ही सचिव श्री युद्धवीर मलिक ने मंजूरी दी और अधिकारीयों को काम चालू करवाने के आदेश दिये।

इन गांवों में अंडरपास बनने पर किया धन्यवाद :

13 जून 2017 को मेरी मांग पर NH 65 में भिवानी के झुम्पा खुर्द और जींद के दनौदा खुर्द में अंडरपास मंजूर कर बनवा दिये जाने पर श्री युद्धवीर मलिक का आभार व्यक्त किया।

जल्द काम शुरू कराने का आग्रह :

इनके अलावा सिलानी, दुजाना, रामगढ़ और खलीलपुर, बालौर, मदीना, बहू अकबरपुर, भैनी, मय्यर में अंडरपास पर जल्द काम चालू कराने का आग्रह किया। इससे स्थानीय लोगों को आने जाने में सुविधा तो होगी ही साथ में सड़क दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी।

इन गावों में NHAI टीम जल्द करेगी निरीक्षण :

मेरे अनुरोध पर जल्द ही NHAI के आला अधिकारीयों की टीम NH-10 पर रोहतक से हिसार के बीच मदीना, बहू अकबरपुर, भैनी, मय्यर का दौरा कर, स्थानीय लोगों से मिल अंडरपास साईट का निरीक्षण करेगी।

पकोड़े बेचना रोज़गार ही नहीं व्यवसाय भी है : नारायण भाई राजपूत

कांग्रेसी कार्यकर्ता को मोदी की बात घर कर गयी,  पकौड़ा बेचना शुरू किया, आज 35  स्टॉल के मालिक

खबर दिलचस्‍प है और प्रेरणादायक भी. खबर गुजरात के वडोदरा से आयी है. नारायण भाई राजपूत एनएसयूआई के सदस्य हैं, यानी कांग्रेसी कार्यकर्ता हैं. वे हिंदी विषय में पोस्ट ग्रेजुएट हैं. बता दें कि नारायण भाई ने पीएम मोदी के पकौड़े वाले बयान से प्रेरणा पाकर अपनी जिंदगी रोशन कर ली. नारायण भाई बेरेाजगारी से जूझ रहे थे, उनके अनुसार पकौड़े बेचने का आइडिया उन्हें तब आया, जब प्रधानमंत्री मेादी ने एक इंटरव्यू में कहा कि बेरोजगारी से तो अच्छा है कि पकौड़ा बेचकर रोज 200 रुपये कमाये जायें. उसके बाद नारायण भाई ने हिम्‍मत कर पकौड़े बनाने के लिए 10 किलो सामान खरीदा औरे पकौड़े का स्टॉल लगाकर शुरुआत कर दी. नारायण भाई की निकल पड़ी. कारोबार चल निकला. आज के दिन वे 500-600 किलो मैटेरयिल के पकौड़े बेचते हैं. जानकारी दी कि वडोदरा शहर में उनके 35 स्टॉल लगते हैं. हालांकि नारायण भाई ने कहा कि वे दिल से कांग्रेस पार्टी को सपोर्ट करते हैं और कई जन्मों तक वे कांग्रेस को ही सपोर्ट करते रहेंगे.

उनके कांग्रेसी होने को लेकर पूछा गया कि उन्होंने प्रधानमंत्री की सलाह क्यों मानीतो  नारायण भाई ने कहा कि नरेंद्र मोदी देश के पीएम हैं और वे मेरे और राहुल गांधी के भी पीएम हैं. बता दें कि नारायण भाई के पकौड़ा स्टॉल का नाम  “श्रीराम दाल वडा सेंटर “ है. नारायण भाई के पकौड़ा स्टॉल से भगवान राम का नाम क्यों जुड़ाइस सवाल का भी वो बड़ा दिलचस्प जवाब देते हैं. जवाब में कहा कि अगर रामायण काल में पानी में पत्थर तैर सकता है, अमित शाह व मोदी राम के नाम पर देश पर शासन कर सकते हैं तो  मैं अपने पकौड़ा स्टॉल का राम के नाम पर रखूं तो यह जरूर सफल होगा. जान लें कि नारायण भाई के पकौड़े का बिजनेस दो माह में ही पूरे वडोदरा में मशहूर हो गया है. नारायण भाई के पकौड़े इतने फेमस हो गये हैं कि सुबह स्टॉल लगाने के चार  घंटों में ही नारायण भाई 300-400 किलोग्राम दाल वडा (पकौड़ा) बेच लेते है

 

माँ ने अदालत में लगाई अपने घर में रहने देने की गुहार

 

कांग्रेस के दिवंगत दिग्गज नेता एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की पत्नी सरोज कुमारी (83) ने अपने दो बेटों अजय सिंह एवं अभिमन्यु सिंह के साथ-साथ बहू सुनीति सिंह के खिलाफ यहां अदालत में घरेलू हिंसा और संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा कर उन्हें बेदखल करने का मामला दर्ज कराया है. सरोज ने भोपाल के न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी गौरव प्रज्ञान की अदालत में घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 की धारा 12 एवं सहपठित धारा 18, 19, 20 एवं 22 के अंतर्गत आवेदन दिया है और अपने बेटों अजय और अभिमन्यु पर घरेलू हिंसा करने, घर से बेदखल करने और भरण-पोषण नहीं करने का आरोप लगाया है. अजय सिंह (64) सरोज के कनिष्क पुत्र हैं. वह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और वर्तमान में मध्यप्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, जबकि सुनीति (60) अजय की पत्नी है. अभिमन्यु (68) ज्येष्ठ पुत्र हैं और वर्तमान में बेंगलुरू में रहते हैं. सरोज ने एक बयान जारी कर कहा, ‘‘मैं आज दोपहर एनआरआई उद्योगपति सैम वर्मा और बेटी वीणा सिंह के साथ अदालत पहुंचीं और अपने वकील दीपेश जोशी के माध्यम से यह आवेदन अदालत में पेश किया.’’

वर्तमान में अपने दोनों बेटे से अलग नोएडा में रह रही सरोज ने अपनी अर्जी में कहा, ‘‘मेरे बेटों अजय सिंह (राहुल भैया) और अभिमन्यु सिंह ने घरेलू हिंसा कर मुझे मेरे ही घर से बेदखल कर दिया है. उन्होंने मेरा भरण-पोषण करने से इनकार कर दिया है. इस वजह से मुझे मजबूरी में अदालत की शरण लेनी पड़ी है.’’ उन्होंने आवेदन में लिखा, ‘‘मेरे पति स्वर्गीय अर्जुन सिंह ने जीवनभर कांग्रेस पार्टी में रहकर उसके उन उसूलों पर काम किया जिनसे महिला संरक्षण हो और असहाय व्यक्तियों को सहयोग मिले. लेकिन मेरे बेटे अजय सिंह ने कांग्रेस पार्टी के उन्हीं उसूलों को ताक में रखकर मुझे मेरे घर से बेदखल कर दिया. मुझे इस अवस्था और इस उम्र में अपना घर छोड़कर अलग-अलग जगहों पर रहना पड़ रहा है. यह कृत्य कांग्रेस पार्टी के उसूलों के खिलाफ है. यह प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी का नेता और सर्वसंपन्न होने के बावजूद मेरे बेटे के चरित्र को परिभाषित करता है.’’

सरोज ने अर्जी में आगे कहा, ‘‘मैं चाहती हूं कि अदालत मुझे मेरे निवास में रहने देने में मदद करे और अजय सिंह को वहां से अलग करने का आदेश दे. मुझे न्याय मिलने का भरोसा है.”जिस घर के लिए मां-बेटों में यह विवाद चल रहा है, वह बाहरी भोपाल के रातीबड़ पुलिस थाना इलाके स्थित ‘केरवा महल’ है, जिसे अर्जुन सिंह की कोठी के नाम से भी जाना जाता है. इस बेशकीमती कोठी की वर्तमान में कीमत करोड़ों रूपये है. सरोज के वकील जोशी ने कहा कि मेरे मुवक्किल ने अदालत से यह भी निवेदन किया है कि अदालत इस मामले में बिना दूसरे पक्षकार को सुने निर्णय दें, ताकि वह जल्द से जल्द अपने ‘केरवा महल’ वाले निवास में जाकर रह सके.

जब अजय सिंह से इस मामले में उनकी प्रतिक्रिया जानने के लिए फोन पर संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा, ‘‘जब अदालत से मुझे नोटिस मिलेगा, तब उसका जवाब दूंगा.’’

मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी खली करने होंगे बंगले

 

मध्य प्रदेश के जबलपुर हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को निर्देश दिए हैं कि पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी बंगले एक महीने में खाली कराए जाएं. कोर्ट ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी, उमा भारती, बाबूलाल गौर और दिग्विजय सिंह से सरकारी बंगले एक महीने के भीतर खाली कराए जाएं. मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और जस्टिस विजय शुक्ला की बेंच ने उस नियम को असंवैधानिक बताया, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी आजीवन सरकारी आवास और सुविधाएं देने का प्रावधान था.

दरअसल, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, उमा भारती,कैलाश जोशीऔर बाबूलाल गौर पूर्व मुख्यमंत्री के नाते आज भी सरकारी बंगलों में रह रहे हैं. कुछ दिनों पहले शिवराज सरकार ने कैबिनेट में एक प्रस्ताव लाकर पूर्व मुख्यमंत्रियों को कैबिनेट मंत्री के बराबर सुविधाएं दिए जाने का प्रस्ताव भी पास किया था. हालांकि बाद में इसे कोर्ट में चुनौती दे दी गई.

हाईकोर्ट ने पिछले साल दायर एक याचिका पर ये फैसला सुनाया. याचिका में कहा गया था कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नियम के विरुद्ध सरकारी आवासों में रहते हैं. प्रदेश सरकार ने इस मामले की सुनवाई के दौरान मध्य प्रदेश वेतन भत्ता अधिनियम में 2017 में संशोधन किया था और पूर्व मुख्यमंत्रियों को वर्तमान मंत्रियों के समान वेतन-भत्ते और आवास की सुविधा देने का प्रावधान जोड़ दिया था.

क्या राज्यपाल वोहरा को एक्स्टेंशन मिलेगी

फाइल

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मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने कार्यकाल पूरा होने पर इस्तीफा दिया

 

मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने अपने परिवार की खातिर अमेरिका वापस लौटने का फैसला कर लिया है. उन्हें 16 अक्टूबर 2014 में मुख्य आर्थिक सलाहकार बनाया गया था. 2017 में उनके तीन साल पूरे हो गए थे जिसके बाद उनका कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ाया गया था. लेकिन अब अपना कार्यकाल खत्म होने से पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया. मुख्य आर्थिक सलाहकार का पद संभालने से पहले वो अमेरिका में इकोनॉमिस्ट थे.

सुब्रमण्यन से पहले रघुराम राजन मुख्य आर्थिक सलाहकार थे. भारत आने से पहले सुब्रमण्यन ने इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड (आईएमएफ) में रघुराम राजन के साथ काफी काम किया था. जानकारों का मानना है कि रघुराम राजन के साथ अच्छे संबंधों की वजह से ही सुब्रमण्यन को मुख्य आर्थिक सलाहकार का पद सौंपा गया था.

2014 में अपनी नियुक्ति से पहले उन्होंने वित्त मंत्री अरुण जेटली के पहले बजट की आलोचना की थी. उनका कहना था कि इस बजट में रेवेन्यू के अनुमानों को काफी बढ़ाचढ़ा कर दिखाया गया है. लिहाजा पद संभालन के बाद भी उनका फोकस सरकार की आमदनी बढ़ाने पर रही. अपने कार्यकाल में उनका फोकस हमेशा रेवेन्यू जुटाने और उसको दूसरी कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च करने की रही है.

सुब्रमण्यन के कार्यकाल में ही 16 जून 2017 से डीजल और पेट्रोल की कीमतों की समीक्षा हर दिन होनी शुरू हुई थी. यानी अंतरराष्ट्रीय कीमतों के अनुसार घरेलू बाजार में भी हर दिन पेट्रोल डीजल की कीमतों में कमी बेशी की जाएगी. इसका फायदा ऑयल कंपनियों को मिला और उनका घाटा कम हुआ. लिहाजा सरकार की तरफ से इन कंपनियों को मिलने वाली सब्सिडी में भी कमी आई. नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में उज्ज्वला योजना, जनधन योजना, मुद्रा योजना, कैशलेस को बढ़ावा देने जैसी कई योजनाएं शुरू की हैं. सुब्रमण्यन की पॉलिसी की वजह से इन योजनाओं के लिए सरकार के पास ज्यादा फंड होता है.

सुब्रमण्यन की एक कोशिश देश में सबको बैंकिंग सुविधाओं के दायरे में लाने की रही है. शायद यही वजह थी कि नरेंद्र मोदी ने जनधन जैसी महत्वाकांक्षी योजना शुरू की. यह बात अरुण जेटली ने अपने फेसबुक पोस्ट में साफ लिखी है. सुब्रमण्यन के इस्तीफे के बाद जेटली ने थैंक्यू कहते हुए जो पोस्ट लिखी है, उसमें उन्होंने सुब्रमण्यन की योजनाओं की तारीफ की है.

जेटली ने लिखा है कि सुब्रमण्यन की वजह से ही JAM (जनधन, आधार, मोबाइल) मुमकिन हो पाया है. आधार को लेकर भले ही देश भर में कितने बवाल हुए हों लेकिन इसकी अहमियत बढ़ाने में सुब्रमण्यन का बड़ा योगदान है. नोटबंदी के बाद जब कैशलेस को बढ़ावा देने की बात कई लोगों को नागंवार गुजरी थी. लेकिन पश्चिमी देशों की तरह कैशलेस को भारत में लोकप्रिय बनाने की शुरुआत करने की हिम्मत सुब्रमण्यन ने ही दिखाई.

इतना ही नहीं जेटली ने सुब्रमण्यन के आर्थिक सर्वे की भी तारीफ की है. उन्होंने लिखा है कि सुब्रमण्यन ने जिस तरह आर्थिक सर्वे तैयार किया है वह देशभर के लिए वैल्यूएबल डेटा बन गया है. मुख्य आर्थिक सलाहकार का काम सालाना इकोनॉमिक सर्वे तैयार करना होता है. बजट से एक दिन पहले इकोनॉमिक सर्वे पेश किया जाता है, जिसमें पिछले साल का लेखाजोखा होता है.