EDM Label Music High Court launches 32Stitches’ massive new song & music video, “Top of the World”

Chandigarh, July 15
One of India’s fastest growing EDM artist, 32Stitches, launched his new song and music video “Top of the World” last week, releasing the track on his record label, Music High Court, which is now India’s largest Independent electronic music record label & tastemaker.
Founded by Arpit Gawri and Shrey Dua in 2015, Music High Court has now worked with over 50 international artists from around the world, including 2 Grammy Nominated producers. Their extensive background across music production and marketing, as well as artist management and programming has led to the formation of one of the strongest and prominently-branded independent record labels on this side of the continent. 
The new release, “Top of the World”, launched on Friday, 9th July with a music video starring 32Stitches, shot across beautiful and exquisite locations across India, including Leh Ladakh and some of the highest motorable points in the world. 
While briefing media persons at Chandigarh Press Club, Sector 27, said that they are the First Indian record label to host their own International showcase at Amsterdam Dance Festival. 
“We are planning an expansion for our live vertical, MHC Throwdown into more international markets in the coming months, including shows across USA, along with a US-based branch of Music High Court” said 32Stitches aka Arpit, who has previously released music with Universal, Sony, Trap Nation, NoCopyrightSounds etc with over 30 million plays. He also won an IMA Award for Song of the Year in 2020.
“Our aim is to provide a full 360 degree push to upcoming artists, from releasing their music on our label, to hosting shows with them, and soon also designing and helping them sell their own merchandise” says Shrey Dua, who has previously worked with Sony Music India, heading marketing for releases by Badshah, Diljit Dosanjh, Harrdy Sandhu, Aastha Gill etc.
Prior to pandemic, they have given many international artists their Debut shows in India, along with giving many Indian artists their debut international shows as well.

Police Files, Chandigarh – 15 July

‘Purnoor’ Korel, CHANDIGARH – 15.07.2021

Action against Gambling

            Chandigarh Police arrested Naveen Sagal R/o # 163, NAC, Mani Majra, Chandigarh (Age 31 Years) while he was playing satta near wine shop, Grain Market, Sector 26, Chandigarh on 14.07.2021. Total cash Rs. 640/- was recovered from his possession. In this regard, a case FIR No. 146, U/S 13A-3-67 Gambling Act has been registered in PS-26, Chandigarh. Later he was released on bail. Investigation of the case is in progress.

MV Theft

Hardev Singh R/o Village-Dhanora, Distt-Mohali (PB) reported that unknown person stole away complainant’s CT-100 Motor Cycle No. PB-65AM-2623 parked near Sports Complex, Sarangpur, Chandigarh on the night intervening 10/11-07-2021. A case FIR No. 76, U/S 379 IPC has been registered in PS-Sarangpur, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Gurjant Singh R/o # 1453, Nagla Mohalla, Mani Majra, Chandigarh reported that unknown person stole away complainant’s Bullet Motor Cycle No. CH-01BN-3346 from back side Aroma Hotel, Sector-22, Chandigarh between 07-07-2021 to 12-07-2021. A case FIR No. 110, U/S 379 IPC has been registered in PS-17, Chandigarh. Investigation of the case is in progress.

Attempt to theft

            A case FIR No. 111, U/S 379, 511 IPC has been registered in PS-34, Chandigarh on the complaint of Divansh Negi R/o # 186, Dasmesh Nagar, Naya Gaon (PB) who reported that a person namely Anoop Vig was apprehended by complainant while he was trying to steal his Activa Scooter No. CH-01BP-7395 near SCO No. 332, Sector 34/A. Chandigarh on 14.07.2021. Alleged person Anoop Vig R/o Room No. 12, Gurudwara Angitha Sahib, Ph-8, Mohali, Punjab (age 37 years) has been arrested in this case. Investigation of the case is in progress.

Panchang

पंचांग 15 जुलाई 2021

आज स्कन्द (कुमार) षष्ठी व्रत है। स्कंद षष्ठी के दिन भगवान शिव के बड़े पुत्र और देवताओं के सेनापति स्कंद कुमार यानी भगवान कार्तिकेय की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। स्कंद षष्ठी का व्रत मुख्यत: लोग दक्षिण भारत में रखते हैं। स्कंद षष्ठी को संतान षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत को करने से संतान को सभी प्रकार के कष्ट से मुक्ति मिलती है।

विक्रमी संवत्ः 2078, 

शक संवत्ः 1943, 

मासः आषाढ़, 

पक्षः शुक्ल पक्ष, 

तिथिः पंचमी प्रातः 07.17 तक है। 

वारः वृहस्पति वार, 

नक्षत्रः उत्तरा फाल्गुनी रात्रि 03.21 तक हैं, 

योगः वरीयान प्रातः 11.43 तक, 

करणः बालव, 

सूर्य राशिः मिथुन, 

चंद्र राशिः सिंह, 

राहु कालः दोपहर 1.30 से 3.00 बजे तक, 

सूर्योदयः05.37, 

सूर्यास्तः07.17 बजे।

नोटः आज स्कन्द (कुमार) षष्ठी व्रत है।

विशेषः आज दक्षिण दिशा की यात्रा न करें। अति आवश्यक होने पर गुरूवार को दही पूरी खाकर और माथे में पीला चंदन केसर के साथ लगाये और इन्हीं वस्तुओं का दान योग्य ब्रह्मण को देकर यात्रा करें।

‘स्कंद षष्ठी’ या ‘संतान षष्ठी’ व्रत को रखने से संतान की सभी तरह की पीड़ा का शमन हो जाता है

शिव और पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय को स्कंद कहा गया है। ज्येष्ठ माह की स्कंद षष्ठी का महत्व दक्षिण भारत में ज्यादा है। यहां लोग कार्तिकेय जी को मुरुगन नाम से पुकारते हैं। इस बार 16 जून 2021 को स्कंद षष्ठी मनाई जा रही है। पुराणों के अनुसार षष्ठी तिथि को कार्तिकेय भगवान का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है। कुछ लोग आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी मानते हैं और ‘तिथितत्त्व’ में चैत्र शुक्ल पक्ष की षष्ठी को ‘स्कंद षष्ठी‘ कहा है, लेकिन कार्तिक कृष्ण पक्ष की षष्ठी को भी ‘स्कंद षष्ठी व्रत’ के नाम से जाना जाता है।

यह व्रत ‘संतान षष्ठी’ नाम से भी जाना जाता है। स्कंदपुराण के नारद-नारायण संवाद में इस व्रत की महिमा का वर्णन मिलता है। इस व्रत को रखने से संतान की सभी तरह की पीड़ा का शमन हो जाता है। एक दिन पूर्व व्रत रख कर षष्ठी को कार्तिकेय की पूजा की जाती है।

दक्षिण भारत में इस व्रत का ज्यादा प्रचलन है। खासकर तमिलनाडु में यह व्रत प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को किया जाता है। वर्ष के किसी भी मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी को यह व्रत आरंभ किया जा सकता है। खासकर चैत्र, आश्विन और कार्तिक मास की षष्ठी को इस व्रत को आरंभ करने का प्रचलन अधिक है।स्कंद षष्ठी के अवसर पर शिव-पार्वती की पूजा के साथ ही स्कंद की पूजा की जाती है। मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। दक्षिण भारत में कार्तिकेय को कुमार, स्कंद और मुरुगन के नाम से भी जाना जाता है।
स्कंद षष्ठी की कथा के अनुसार स्कंद षष्ठी के व्रत से च्यवन ऋषि को आंखों की ज्योति प्राप्त हुई थी। स्कंद षष्ठी की कृपा से प्रियव्रत का मृत शिशु जीवित हो गया था। इस तरह इसके व्रत के महत्व के कई उदाहरण पुराणों में मिलते हैं।

  1. तारकासुर नामक दैत्य का चारों ओर आतंक फैला था। तब सभी देवता ब्रह्माजी से प्रार्थना करते हैं। ब्रह्माजी कहते हैं कि तारक का अंत शिव पुत्र करेगा। कार्तिकेय तारकासुर का वध करके देवों को उनका स्थान प्रदान करते हैं।
  2. संस्कृत भाषा में लिखे गए ‘स्कंद पुराण’ के तमिल संस्करण ‘कांडा पुराणम’ में उल्लेख है कि देवासुर संग्राम में भगवान शिव के पुत्र मुरुगन (कार्तिकेय) ने दानव तारक और उसके दो भाइयों सिंहामुखम एवं सुरापदम्न को पराजित किया था। अपनी पराजय पर सिंहामुखम माफी मांगी तो मुरुगन ने उसे एक शेर में बदल दिया और अपनी माता दुर्गा के वाहन के रूप में सेवा करने का आदेश दिया।
  3. कार्तिकेय प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे।
  4. उज्जैन के भैरवगढ़ के पूर्व में शिप्रा के तट पर प्रचीन सिद्धवट का स्थान है। इसे शक्तिभेद तीर्थ के नाम से जाना जाता है। कहते हैं कि पार्वती के पुत्र कार्तिक स्वामी को यहीं पर सेनापति नियुक्त किया गया था।
  5. पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है।
  6. कार्तिकेय का वाहन मयूर है। एक कथा के अनुसार कार्तिकेय को यह वाहन भगवान विष्णु ने उनकी सादक क्षमता को देखकर ही भेंट किया था।6. दक्षिण भारत की कथा के अनुसार दूसरी मुरुगन अर्थात कार्तिकेय से लड़ते हुए सपापदम्न (सुरपदम) एक पहाड़ का रूप ले लेता है। मुरुगन अपने भाले से पहाड़ को दो हिस्सों में तोड़ देते हैं। पहाड़ का एक हिस्सा मोर बन जाता है जो मुरुगन का वाहन बनता है जबकि दूसरा हिस्सा मुर्गा बन जाता है जो कि उनके झंडे पर मुरुगन का प्रतीक बन जाता है।ALSO READ:
  7. एक दूसरी कथा के अनुसार कार्तिकेय का जन्म 6 अप्सराओं के 6 अलग-अलग गर्भों से हुआ था और फिर वे 6 अलग-अलग शरीर एक में ही मिल गए थे। भगवान कार्तिकेय 6 बालकों के रूप में जन्मे थे तथा इनकी देखभाल कृत्तिकाओं (सप्त ऋषि की पत्नियों) ने की थी, इसीलिए उन्हें कार्तिकेय धातृ भी कहते हैं।8. भगवान कार्तिकेय को देवताओं से सदैव युवा बने रहने का वरदान प्राप्त है।
  8. छठी मइया भगवान शंकर की बहू यानि कार्तिकेय की पत्नी हैं। लोक परम्परा में सूर्य व छठी मइया में भाई बहन का रिश्ता है। दक्षिण भारत की प्रचलित मान्यता अनुसार ये ब्रह्मपुत्री देवसेना-षष्टी देवी के पति होने के कारण सन्तान प्राप्ति की कामना से तो पूजे ही जाते हैं, इनको नैष्ठिक रूप से आराध्य मानने वाला सम्प्रदाय भी है।
  9. प्राचीनकाल के राजा जब युद्ध पर जाते थे तो सर्वप्रथम कार्तिकेय की ही पूजा करते थे। यह युद्ध के देवता हैं और सभी पुराण और ग्रंथ इनकी प्रशंसा करते हैं।
  10. कार्तिकेय की पूजा मुख्यत: दक्षिण भारत में होती है। अरब में यजीदी जाति के लोग भी इन्हें पूजते हैं, ये उनके प्रमुख देवता हैं। उत्तरी ध्रुव के निकटवर्ती प्रदेश उत्तर कुरु के क्षे‍त्र विशेष में ही इन्होंने स्कंद नाम से शासन किया था। इनके नाम पर ही स्कंद पुराण है।