कांग्रेसी कहलाने में शर्म आती है इसीलिए पार्टी छोड़ी: विनोद शर्मा

पटनाः बिहार में कांग्रेस के प्रवक्ता विनोद शर्मा ने पार्टी पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए अपने पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. विनोद शर्मा ने कहा है कि उन्हें देशहित को देखते हुए यह फैसला लिया है. क्योंकि कांग्रेस पार्टी आतंकियों के खिलाफ एयर स्ट्राइक का सबूत मांग रही है. जो कभी देशहित से जुड़ा नहीं हो सकता है. उन्हें अब कांग्रेसी कहलाने में शर्म आती है. इसलिए पार्टी से पहले देश को मानते हुए उन्होंने अपने पद और पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया.

विनोद शर्मा ने पद और पार्टी से इस्तीफा देते हुए कहा कि कांग्रेस लगातार बालाकोट में हुए आतंकियों के खिलाफ एयर स्ट्राइक के सबूत मांग रही है. जो की गलत है. इतना ही नहीं विनोद शर्मा ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को भी इस बारे में चिट्ठी लिखी. जिसमें उन्होंने एयर स्ट्राइक पर सबूत मांगने की बात को गलत ठहराया था.

उन्होंने चिट्ठी में लिखा था कि उन्हें कांग्रेसी कहलाने में शर्म आ रही है. उन्होंने एयर स्ट्राइक का सबूत मांगना शर्मनाक बताया. और एयर स्ट्राइक के सबूत मांगने को सेना का मनोबल तोड़ने वाला बताया. विनोद शर्मा ने कहा कि ऐसी ही कारणों से आज कांग्रेस की स्थिती बुरी हो रही है. लोग अब कांग्रेस को पाकिस्तानी एजेंट समझने लगे हैं.

विनोद शर्मा ने कहा कि वह पिछले 30 सालों से कांग्रेस पार्टी से जुड़ा हुआ हूं. उन्होंने पार्टी के लिए बहुत कुछ किया है. लेकिन देशहित को देखते हुए उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया है. आपको बता दें कि कांग्रेस ने विनोद शर्मा को हाल ही में जम्बो कमिटी में प्रवक्ता नियुक्त किया था.

विनोद शर्मा ने कहा कि राहुल गांधी को चिट्ठी लिखने के बाद भी उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. इससे मुझे काफी दुख भी महसूस हुआ. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की कार्यकर्ता भी चाहते थे कि पार्टी ऐसे बयान नहीं दे. उन्हें पहले भी चिट्ठी लिखी थी लेकिन कोई संज्ञान नहीं लिया. उन्होंने यह भी कहा कि प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने भी इस बारे में बात की. वह खुलकर नहीं कहते हैं लेकिन वह भी चाहते थे कि पार्टी की ओर से इस तरह के बयान नहीं आए.

वहीं, उन्होंने आगे की राह को लेकर कहा कि मुझे जो भी पार्टी राष्ट्रहित से जुड़ा दिखेगा उससे मैं जुड़ जाऊंगा. लेकिन ऐसा हो सकता है कि मैं सामाजिक कार्यकर्ता की तरह भी रह सकता हूं. अभी किसी तरह का फैसला नहीं किया है.

33वें स्प्रिंग फेस्टिवल 2019 का रंगारंग आगाज हुआ

पंचकूला, 9 मार्च-

टाउन पार्क सेक्टर-5 पंचकूला में आज विभिन्न प्रकार के 2000 फूलों के फ्लावर शो सहित कलाकारों के हैरतअंगेज करतबों के बीच 33वें स्प्रिंग फेस्टिवल 2019 का रंगारंग आगाज हुआ। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा आयोजित किये जा रहे इस दो दिवसीय स्परिंग फेस्टिबल का उद्घाटन हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के मुख्य प्रशासक डाॅ0 डी0 सुरेश ने किया।

डाॅ. डी. सुरेश ने स्प्रिंग फेस्टिवल आयोजित करने के प्रयासों की सराहना की और कहा कि इससे पंचकूला व आस पास के क्षेत्रों से आने वाले लोगों को दो दिन के लिये मनोरंजक और तनावमुक्त वातावरण का आनन्द लेने का अवसर मिलता है। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण द्वारा टाउन पार्क को भी सुंदर तरीके से विकसित किया जा रहा है और निरंतर आने वाले पर्यटकों व शहरवासियों के लिये यह एक रमणीक स्थान के रूप में विकसित हुआ है। 

मेले के आरंभ में बुलंद खालसा नाडा साहिब से आये प्रतिभागियों ने गतके का शानदार प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के माध्यम से शस्त्र विद्या की निपुणता और प्रतिभागियों की एकाग्रता दर्शकों को काफी प्रभावित कर रही थी। इसके उपरांत भटिंडा पंजाब से आये बाजीगर दल के कलाकारों ने आग के गोले से कूदना, लोहे के रिंग से चार लोगों का आर-पार गुजरना व शारीरिक दक्षता के अन्य करतब प्रस्तुत किये गये।

करनाल से आये युवाओं ने ऐरोबिक और जिम्नास्टिक के माध्यम से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। 

फ्लावर शो में सैकड़ों किस्म के फूल प्रदर्शित किये गये थे और इस शो में विभिन्न विद्यालयों, नर्सरियों तथा व्यक्तिगत प्रविष्ठयों के माध्यम से 2000 प्रतिभागियों ने अपने फूल प्रदर्शित किये। इस मौके पर पेटिंग आॅफ आर्टिस्ट यूनिक सोसायटी तथा बातिस आर्ट के कलाकारों ने चित्रकला के बहुत ही आकर्षक और निपूण चित्र प्रदर्शित किये। इस मौके पर दर्शकों के मनोरंजन के लिये सांस्कृतिक कार्यक्रम क्विज व अन्य कार्यक्रम भी आयोजित किये गये। प्रतिभागियों द्वारा बनाई गई रंगोली भी दर्शकों के लिये मनोरंजन का केंद्र बन रही है।

हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण बागवानी शाखा के अधीक्षक अभियंता हरदीप सिंह मलिक ने बताया कि इस दो दिवसीय मेले में 9 मार्च को रंगोली, चित्रकला, पोट, फेस एवं टैटू पेंटिंग प्रतियोगिता, पर्यावरण विषय पर प्रश्नोतरी, मेंहदी प्रतियोगिता, हास्य कवि सम्मेलन, फेंसी ड्रेस प्रतियोगिता, बैस्ट आउट आॅफ वेस्ट प्रतियोगिता करवाई गई। उन्होंने बताया कि 9 व 10 मार्च को सायं 6.30 बजे से सांस्कृतिक संध्या कार्यक्रम भी आयोजित किये जायेंगे। उन्होंने बताया कि इसी प्रकार 10 मार्च को ड्यूट डाॅंस, बेबी शो, मौनो एक्टिंग, फैशन शो, सेल्फी, सोलो सिंगिंग, फोक डान्स और पतंग प्रतियोगिता इत्यादि कार्यक्रम करवाये जायेंगे। उन्होंने बताया कि समापन समारोह 10 मार्च को सायं 4.30 बजे आयोजित किया जायेगा, जिसमें विधायक एवं मुख्य सचेतक ज्ञानचंद गुप्ता पुरस्कार वितरण करेंगे। 

इस मौके पर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के संपदा अधिकारी आशुतोष राजन, सचिव रिचा राठी, मुख्य अभियंता विनय कुमार, अधीक्षक अभियंता हरदीप सिंह मलिक, कार्यकारी अधिकारी निधि भारद्वाज, कार्यकारी अभियंता अशोक राणा, एन0के0 तंवर सिंह अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

आईएसआई का गहरा नाता है जमात-ए-इस्लामी के साथ

नई दिल्ली : हाल में प्रतिबंधित और जम्मू कश्मीर में सक्रिय संगठन जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर का पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ गहरा संपर्क बना हुआ था और वे लोग नई दिल्ली में कार्यरत पाकिस्तान के उच्चायोग के साथ सतत संपर्क बनाये हुये थे ताकि वे राज्य में पृथकतावाद को बढ़ावा दे सके. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. हुर्रियत कांफ्रेंस में जमात-ए-इस्लामी के सबसे अहम सदस्य सैयद अली शाह जिलानी हैं. एक वक्त में प्रतिबंधित संगठन उन्हें जम्मू कश्मीर के ’अमीर-ए-जिहाद’ (जिहाद के प्रमुख) कहता था. 

एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी कि इस संगठन ने पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) के साथ गहरे ताल्लुकात बना लिये थे ताकि वह कश्मीरी युवाओं को हथियार उपलब्ध कराने, प्रशिक्षण देने और शस्त्र आपूर्ति के लिए साजोसामान मुहैया करा सके. उसके नेता पाकिस्तान के नयी दिल्ली स्थित उच्चायोग में संपर्क बनाये हुये थे. 
खुफिया सूत्रों के अनुसार, जमात-ए-इस्लामी अपने स्कूलों के नेटवर्क का इस्तेमाल कश्मीर घाटी के बच्चों में भारत विरोधी भावनाएं भरने और फैलाने का काम करती थी. वह अपने संगठन की छात्र शाखा (जमीयत-उल-तुल्बा) के सदस्यों को ‘जिहाद’ करने के लिए आतंकी संगठनों में जाने के लिए प्रोत्साहित करती थी. 

हूरियत और हिजबूल मुजाहिद्दीन के पीछे जमात-ए-इस्लामी का ही दिमाग है

अधिकारी ने बताया कि यह चौंकाने वाली बात नहीं है कि घाटी में आतंकवाद के ढांचे का जमात के कट्टर कार्यकर्ताओं के साथ गहरा संबंध दिखता है. 

इस संगठन से जुड़े कई ट्रस्ट हैं जो पुरातनपंथी इस्लामी शिक्षा को फैलाने के लिए स्कूल चलाते हैं. इसकी एक युवा शाखा है और वह अपनी दक्षिणरपंथी विचारधारा फैलाने के लिए कई तरह के प्रकाशन भी करती है. यह संगठन 1945 में जमात-ए-इस्लामी हिंद के एक हिस्से के तौर पर बनाया गया और राजनीतिक विचारधारा में आये मतभेदों के चलते 1953 में यह संगठन उससे अलग हो गया. यह चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने का विरोध करती है और विधि द्वारा के स्थापित सरकार को अस्थिर करने की कोशिश करती है.

जमात पाकिस्तान से संचालित हिज्बुल मुजाहिदीन के डर का इस्तेमाल करती थी और अपने सदस्यों और ट्रस्ट के पैसों की मदद से काम काज चलाती थी ताकि जमीनी स्तर पर उसकी पकड़ बनी रहे. इससे वह कश्मीर घाटी में आतंकी संगठनों को लिए उर्वर जमीन मुहैया कराती थी और उनकी मदद के लिए प्रोत्साहन देने, नयी भर्तियां, आश्रय और छिपने की जगह और कूरियर वगैरह का काम करती थी. 

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि जमात के कट्टरपंथी पृथकतावादी तत्वों के अग्रिम मोर्चे की तरह काम करते थे और ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के गठन और साथ ही हिज्बुल मुजाहिदीन के पीछे उनका ही दिमाग था. इसके अलावा ये कट्टरपंथी आतंकी समूहों के साथ मिलकर पृथकतावादी गतिविधियों को बढ़ावा देने का काम भी करते थे. 

इसके तार विदेशों में भी फैले हुये थे जहां से ये पैसों का इंतजाम भी करती थी. इसके रिश्ते जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान, जमात-ए-इस्लामी पीओके, जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश के साथ थे. यह घाटी में धार्मिक वैमनस्य भी फैलाती थी ताकि इस्लाम धर्म के उदारवादी पंथों के साथ तनाव उत्पन्न हो सके. 

केंद्र सरकार ने 28 फरवरी को इस संगठन को प्रतिबंधित कर दिया था. पर इससे पहले इस संगठन को दो बार प्रतिबंधित किया जा चुका है. पहली बार 1975 में राज्य सरकार ने दो साल के लिए और दूसरी बार 1990 केंद्र सरकार ने तीन साल के लिए प्रतिबंध किया था.

आशा पटेल के बाद चावडा कांग्रेस छोड़ भाजपा में हुए शामिल

अहमदाबाद: कांग्रेस के लिए गुजरात से लगातार बुरी खबरें आ रही हैं. पिछले महीने मेहसाणा की ऊंझा सीट से पहली बार विधायक बनीं आशा पटेल विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गई थीं. अब एक और विधायक ने कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी ज्वॉइन कर ली है. वरिष्ठ नेता जवाहर चावड़ा गुजरात विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो गए हैं.

यह पूरा घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की 12 मार्च को बैठक होने वाली है. जूनागढ़ जिले की माणावदर सीट से चार बार से विधायक चावड़ा को अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) का प्रभावशाली नेता माना जाता है. वह अहीर समुदाय से आते हैं. 

चावड़ा ने माणावदर सीट पर 1990, 2007, 2012 और 2017 में जीत दर्ज की थी. वह बीते कुछ महीनों में सदन से इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के तीसरे विधायक हैं. पिछले साल जुलाई में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक कुवंरजी बावलिया ने विधायकी से इस्तीफा दे दिया था और वह भाजपा सरकार में कैबिनेट मंत्री बन गए थे. मेहसाणा की उन्झा सीट से पहली बार विधायक बनीं आशा पटेल भी पिछले महीने कांग्रेस और विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गई थीं.

अल्पेश ठाकोर भी जा सकते हैं बीजेपी में
ओबीसी नेता और कांग्रेस विधायक अल्पेश ठाकोर ने भी बीजेपी में जा सकते हैं. ठाकोर ने कल गुरुवार को कहा था कि वह अपने अगले राजनीतिक कदम के बारे में शुक्रवार को फैसला करेंगे. यानी आज शाम तक तस्वीर साफ हो सकती है कि अल्पेश ठाकोर कांग्रेस में रहेंगे या नहीं. राधनपुर के कांग्रेस विधायक ठाकोर ने अपने अगले कदम पर फैसले के लिए गुरुवार को ठाकोर सेना की बैठक बुलाई थी. ठाकोर ने संवाददाताओं से कहा था, ‘‘मेरी छवि को नुकसान पहुंचाने के लिए मेरे बारे में अफवाह फैलाई जा रही है. मैं शुक्रवार दोपहर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करूंगा और अपना रूख साफ करूंगा.” 

3rd J.C.Anand Memorial Lecture at PU

            Prof. Krishan Kumar delivered the annual 3rd J.C.Anand Memorial Lecture organised by the Department of Political Science, Panjab University, here today. Professor Kumar, a Padma Shri recipient, is a renowned educationist, who has taught In Delhi University and served as the Director of NCERT.

            Ms Urvashi Gulati,  IAS, former Chief Information Commissioner,  Meenaxi Anand Chaudhery, IAS former Chief Secretary Haryana, Keshni Anand Arora, IAS Addl Chief Secretary, Revenue, daughters of Prof. J.C. Anand, were present on the occasion. Ms. Urvashi Gulati felt honoured that iconic personalities have delivered orations for Prof. Anand. She informed that this is the third oration where a noted educationist and scholar is delivering a memorial lecture. Remembering her father, she shared that he always stood for women empowerment and he empowered all his three daughters who came in Civil Services.

            Prof. Bhupinder Brar, Prof. Emeritus in Panjab University chaired the session.

            Professor Kumar while speaking on the ‘Public Significance of Education’, started his lecture by distinguishing the question of public significance from that of private significance where education is associated with social mobility and participation in the modern economy. He also noted that the issue in a South Asian context also requires reflection on the nature of the public sphere including who it includes and its regional variations given the legacy of colonialism. One of the important functions of the education system in India has been in selection of the elites, those who become the office-bearers of the state apparatus, and this is a continuing legacy of the colonial state in Independent India. That is why the education system in India is focussed on the examination system through which the selection process takes place with the idea of meritocracy. But this is not the main public role of education. Drawing from Ambedkar’s critique of the caste system which does not allow for different knowledges to have a common space,

            Professor Kumar argued that the specific public role of education is that it creates predispositions i.e. it socialises us into specific ways of thinking and approaching the world. But this process of socialisation, where education is part of the secondary institution of socialisation with the family being the primary one, also creates the possibility of change in society. Professor Kumar’s lecture was a scintillating account of the philosophy and practices of education and was listened to in rapt attention by a large audience.

            Among those who were present on the occasion included Sh. Alok Nigam, IAS, Additional Chief Secretary, Haryana,  Prof Ranbir Chaudhary, Centre for Social Sciences, Delhi, Ms. Neerja Sekhar, Addl Chief Secretary, Haryana, Ms. Navraj Sindhu, Addl Chief Secretary Haryana and many other bureaucrats from Government of Haryana, PU Fellows, faculty, researchers and students 

Role of Anthropology in Social Impact Assessment deliberated.

            A two days National Workshop on “Situating Social Impact Assessment in Development Milieu: A Holistic Approach”  was inaugurated today in the Department of Anthropology by Prof. Shankarji Jha, Dean University of Instruction, Panjab University, Chandigarh. In his inaugural address he highlighted the role of Anthropology in Social Impact Assessment and congratulated the Department for being the Nodal Agency for carrying out the Social Impact Assessment for various regions successfully.

            The Key Note Address was delivered by Prof. Abhijit Guha, Former Professor Department of Anthropology, Vidyasagar University, West Bengal and Senior Fellow of ICSSR at the Institute of Development Studies Kolkata.  Prof. Guha emphasized that the major task for anthropologists would be to generate a scientific and reliable data-base through fieldwork on the impact of large and small scale land takings on various tribals and non-tribal populations of India regarding food, security, landlessness and other maladies.

            Chairperson of the Department Dr. Kewal Krishan welcomed the delegates and spoke about the developments occurred in the Department of Anthropology.  Prof. A.K. Sinha, Organizing Secretary introduced the theme of the Workshop.

            Eminent Anthropologists have been invited from all over India as Resource Persons for delivering lectures in the Workshop.  More than 60 delegates are attending this workshop for two days.  Social Impact Assessment is undertaken to understand the likely impact of the developmental programmes to help decision makers in deciding whether the project should proceed as it is or with changes or be dropped all together.  Deliberations will take place on the challenges before the anthropologists for Social Impact Assessment.  The recommendations generated through the Workshop will be communicated to the fellow anthropologists and policy makers for further action.

            During the inaugural function of the Workshop the contributions to the subject of Anthropology by the superannuated faculty of the Department was highlighted and they were presented with Life Time Achievement Awards for their contributions.  The Life Time Achievement Award was conferred on Professors J.C. Sharma, V. Bhalla, Surya Parkash, Shalina Mehta, B.G. Banerjee, R.N. Vashisht, Indu Talwar, Rajan Gaur, Dr. Baldev Singh, C.J. Edwin.

संयुक्त राष्ट्र में हफीज सईद की याचिका हुई नामंज़ूर

पाकिस्तान की इमरान खान की अगुवाई वाली सरकार ने अपील का विरोध नहीं किया. उसका दावा है कि प्रतिबंधित आतंकवादियों और उनके संगठनों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है

संयुक्त राष्ट्र में भारत को बड़ी कामयाबी मिली है. दरअसल संयुक्त राष्ट्र नेआतंकी हाफिज सईद की वो अपील खारिज कर दी है जिसमें उसने कहा था कि उसका नाम प्रतिबंधित लोगों की सूची से हटा दिया जाए. संयुक्त राष्ट्र ने जमात-उद-दावा सरगना सईद का नाम प्रतिबंधि लोगों सूची से हटाने से इनकार कर दिया. सईद ने इसके लिए अपील की थी. यह जानकारी सरकार के सूत्रों ने गुरुवार को दी.

यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब संयुक्त राष्ट्र की 1267 प्रतिबंध समिति को पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने का नया अनुरोध प्राप्त हुआ है. पुलवामा हमले में सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स के चालीस जवान शहीद हो गए थे.

सईद की अपील को खारिज करने का संयुक्त राष्ट्र का फैसला, आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के सह-संस्थापक, भारत द्वारा उसकी गतिविधियों के बारे में ‘अत्यधिक गोपनीय जानकारी’ सहित विस्तृत सबूत प्रदान करने के बाद आया. संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा (JuD) के प्रमुख सईद को 10 दिसंबर, 2008 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा मुंबई के भयानक हमलों के बाद प्रतिबंधित कर दिया गया था, जिसमें 166 लोग मारे गए थे.

सईद ने 2017 में लाहौर स्थित लॉ फर्म मिर्जा और मिर्जा के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र के साथ एक अपील दायर की थी. सूत्रों ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस तरह के सभी अनुरोधों की जांच करने के लिए नियुक्त स्वतंत्र लोकपाल डैनियल किफर फासीति ने सईद के वकील को सूचित किया है कि उनके अनुरोध की जांच के बाद यह निर्णय लिया गया है कि आतंकियों की सूची में सईद का नाम रहेगा.

पाकिस्तान की इमरान खान की अगुवाई वाली सरकार ने अपील का विरोध नहीं किया. उसका दावा है कि प्रतिबंधित आतंकवादियों और उनके संगठनों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है. पिछले महीने, संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने संयुक्त राष्ट्र में जेएम प्रमुख मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के लिए नई अपील दखिल की. पाकिस्तान के विदेश मंत्री के मुताबिक मसूद पाकिस्तान में ही रह रहा है.

कांग्रेस ने जारी की अपनी लोक सभा प्रत्याशियों की पहली सूची

चुनावी सरगरमियों के चलते कांग्रेस ने अपनी पहली सूची जारी कर अटकलों के बाज़ार को शांत कर दिया है और साथ ही साथ भाजपा को अपने अपने लोकसभा क्षेत्रों से ही चुनाव लड़ने के लिए उकसाया भी है।

लोकसभा चुनाव 2019 के लिए कांग्रेस ने अपनी पहली सूची जारी कर दी है. इस लिस्ट के मुताबिक यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी रायबरेली से तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अमेठी से आम चुनाव लड़ेंगे.

कांग्रेस ने इस साल होने वाले आम चुनाव के लिए 15 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है. इन नामों में 11 उम्मीदवार उत्तर प्रदेश से तो 4 गुजरात की सीटों के उम्मीदवारों का ऐलान किया गया है.

कांग्रेस की इस सूची में गुजरात के चार नामों में अहमदाबाद वेस्ट (एससी) से राजू परमार, आनंद से भरतसिंह एम सोलंकी, वडोदरा से प्रशांत पटेल, छोटा उदयपुर (एसटी) से रंजीत मोहनसिंह रठावा को टिकट दी गई है.

वहीं उत्तर प्रदेश से रायबरेली से सोनिया गांधी, अमेठी से राहुल गांधी, सहारनपुर से इमरान मसूद, बदायूं से सलीम इकबाल शेरवानी, धौरहरा से जितिन प्रसाद, उन्नाव से श्रीमती अनु टंडन, फर्रुखाबाद से सलमान खुर्शीद, अकबरपुर से राजाराम पाल, जालौन(एससी) बृज लाल खबरी, फैजाबाद से निर्मल खत्री और कुशीनगर से आरपीएन सिंह को चुनावी मैदान में उतारा गया है.

“बीके हरिप्रसाद ने जो भी कहा है कि वो कांग्रेस पार्टी का स्टैंड नहीं है, वो पार्टी पदाधिकारी/प्रवक्ता नहीं हैं तो कार्रवाई करने का कोई मामला नहीं बनता.” प्रियंका

कांग्रेस पार्टी में पदाधिकार न होना एक बड़े फाड़े का सौदा भी है, या यूं कहें की कांग्रेस के कुछ नेता इसी आम के लिए हैं की वह राष्ट्र ‘अहित’ में कुछ भी कहें पार्टी उन्हे पदाधिकारी न होने का फाइदा पहुँचती है या फिर उनसे अपने कुत्सित विचार फैलाने का फायदा लेती है। ऐसा ही मामला बीके हरिप्रसाद का भी है।

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता बीके हरिप्रसाद के एक बयान को लेकर गुरुवार को विवाद हो गया जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि पुलवामा आतंकी हमला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच ‘मैच फिक्सिंग’ का नतीजा है. बीजेपी ने इस बयान को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है. 

हरिप्रसाद ने कहा, “पुलवामा हमले के बाद के घटनाक्रम पर यदि आप नजर डालेंगे तो पता चलता है कि यह पीएम नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच मैच फिक्सिंग थी. जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने खुले तौर पर स्वीकार किया है कि यह पुलवामा में हुई खुफिया जानकारी की विफलता है.” हरिप्रसाद यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे कहा कि “केंद्रीय मंत्री रविशंकर को स्पष्ट करना चाहिए कि पीएम मोदी और इमरान खान के बीच क्या मैच फिक्सिंग थी. उनकी जानकारी के बिना पुलवामा का आतंकी हमला नहीं हो सकता.”  

इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पुलवामा हमले को ‘दुर्घटना’ बताया था जिससे बड़ा विवाद खड़ा हो गया था. केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने हरिप्रसाद के बयान को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि यह सब राहुल गांधी के इशारे पर हो रहा है.

प्रसाद ने कहा, “कांग्रेस इतना गिर जाएगी, इसकी कल्पना हमने नहीं की थी. इनका कहने का क्या मतलब है कि भारत एक आंतकवादी देश है. कांग्रेस के महासचिव ने देश का अपमान किया देश की सेना का अपमान किया. हम ये भी नहीं कहेंगे की वो माफ़ी मांगे, ऐसे लोगो को भारत की जनता जवाब देगी. मैं इसकी निंदा करता हूं.” 

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “कांग्रेस पार्टी का अब राहुल गांधी की अगवाई में कोई भविष्य नहीं है. दो दिन पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री कुरैशी ने कहा था कि सभी राजनीतिक पार्टियां इमरान खान के साथ हैं लेकिन भारत में ऐसा नहीं है.” उधर, कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने इस मसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “बीके हरिप्रसाद ने जो भी कहा है कि वो कांग्रेस पार्टी का स्टैंड नहीं है, वो पार्टी पदाधिकारी/प्रवक्ता नहीं हैं तो कार्रवाई करने का कोई मामला नहीं बनता.” 

जम्मू ब्लास्ट का आरोपी यासिर भट्ट गिरफ्तार

जम्मू: जम्मू शहर के बीचो-बीच स्थित भीड़-भाड़ वाले एक बस स्टैंड इलाके में ग्रेनेड से धमाका करने वाले आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने ग्रेनेड फेंककर भागने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. ग्रेनेड फेंकने वाले युवक का नाम यासिर भट्ट है. वह कुलवामा का रहने वाला है. इस हमले में एक किशोर की मौत हो गई जबकि 32 लोग घायल हो गए.  

आईजीपी जम्मू मनीष के. सिन्हा ने अपने बयान में कहा कि यासिर भट्ट ने जम्मू बस स्टैंड पर ग्रेनेड फेंका. उसे हिजबुल कमांडर फारुक अहमद भट्ट उर्फ उमर ने यह काम सौंपा था. आरोपी ने अपना गुनाह कबूल कर लिया है. आरोपी ग्रेनेड फेंकने सुबह ही जम्मू आया था. 

पिछले साल मई से लेकर अब तक बस स्टैंड इलाके में आतंकवादियों द्वारा हथगोले के जरिए किया गया यह तीसरा हमला है. सुरक्षा एजेंसियां इसे शहर में शांति एवं सौहार्द बिगाड़ने के प्रयास के तौर पर देख रही हैं. अधिकारियों ने कहा कि उत्तराखंड के हरिद्वार के निवासी 17 साल के मोहम्मद शरीक की अस्पताल में मौत हो गई. उसकी छाती पर चोट लगी थी। वह अस्पताल में भर्ती कराए गए 33 लोगों में शामिल था. उन्होंने कहा कि चार अन्य घायलों की हालत ‘‘गंभीर’’ है और इनमें से दो का डॉक्टरों ने ऑपरेशन किया है. अधिकारियों ने कहा कि घायलों में कश्मीर के 11, बिहार के दो और छत्तीसगढ़ एवं हरियाणा का एक-एक व्यक्ति शामिल है. 

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि विस्फोट में बस स्टैंड पर खड़ी सरकारी बस को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ और इस विस्फोट से लोगों में अफरा-तफरी मच गई. आईजी ने कहा, “जब भी चौकसी ज्यादा होती है, हम जांच-पड़ताल सख्त कर देते हैं लेकिन किसी-किसी के उससे बच निकलने की आशंका रहती है और यह ऐसा ही मामला लग रहा है.”

अधिकारी ने कहा कि शहर में इस तरह के हमले का कोई स्पष्ट इनपुट नहीं था. उन्होंने कहा, “सामान्य इनपुट हमेशा रहते हैं और तैनाती की जाती है. हमें जब भी इनपुट मिलता है तो हम इस पर काम करते हैं लेकिन इस बारे में कोई स्पष्ट इनपुट नहीं था.” 

संदिग्ध आतंकवादियों ने 28-29 दिसंबर को स्थानीय थाने की इमारत को निशाना बनाकर बस स्टैंड पर ग्रेनेड से हमला किया था. इससे सात महीने पहले बी सी रोड पर 24 मई 2018 को एक अन्य विस्फोट हुआ था जिसमें दो पुलिसकर्मी और एक आम नागरिक घायल हुए थे.